गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कारोबार करने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने पर अस्थायी स्थगन - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कारोबार करने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने पर अस्थायी स्थगन
1 अप्रैल 2014 गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कारोबार करने के लिए वित्तीय क्षेत्र कई महत्वपूर्ण गतिविधियां हुई हैं जिससे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र के विनियामक परिप्रेक्ष्य में प्रमुख बदलाव आवश्यक हो गए हैं। लघु कारोबार और निम्न आय वाले परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवा समिति (नचिकेत मोर समिति) ने 31 दिसंबर 2013 को बैंक को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के संबंध में कई सिफारिशें प्रस्तुत की है। रिज़र्व बैंक द्वारा इन सिफारिशों की जांच की जा रही है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियामक और पर्यवेक्षी ढ़ांचे में कई परिवर्तन लाए जा सकते हैं। अपेक्षित व्यवस्था लागू करने में कुछ समय लगेगा। उपर्युक्त दृष्टि से यह ज़रूरत महसूस की गई कि इस क्षेत्र में और अधिक संस्थाओं को अनुमति देने पर विचार करने के पहले इस क्षेत्र के विनियामक ढ़ांचे की समीक्षा की जाए और उसे कारगर बनाया जाए। इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने जन हित में 1 अप्रैल 2014 को अपने मौद्रिक नीति वक्तव्य में घोषणा की कि आरबीआई अधिनियम 1934 के खण्ड 451ए के अनुसार एनबीएफसीज़ का कारोबार करने के लिए प्रस्ताव रखनेवाली संस्थाओं को पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीओआर) जारी करने के मामले को एक वर्ष की अवधि के लिए आस्थगित रखा जाए। तथापि 31 मार्च 2014 तक बैंक में पहले से प्राप्त पंजीकरण प्रमाणपत्र आवेदनों पर सामान्य रूप से कार्रवाई की जाएगी। यह अस्थायी स्थगन पंजीकरण प्रमाणपत्र के लिए उन आवेदनों पर लागू नहीं होगा जो संभावित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण मुख्य निवेश कंपनियों (सीआईसी-एनडीएस आई), मूलभूत सुविधा वित्त कंपनियों (आईएफसी), मूलभूत सुविधा ऋण निधि कंपनियों (आईडीएफ-एनबीएफसी) और सूक्ष्म वित्त कारोबार करने का प्रस्ताव रखनेवाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों(एनबीएफसी- एमएफआई) द्वारा प्रस्तुत की जाएंगी। ऐसे आवेदनों पर जनहित में विचार किया जाएगा। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1931 |