दि लक्ष्मी विलास बैंक लि. पर अधिस्थगन आदेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
दि लक्ष्मी विलास बैंक लि. पर अधिस्थगन आदेश
17 नवंबर 2020 दि लक्ष्मी विलास बैंक लि. पर अधिस्थगन आदेश दि लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड (दि बैंक) की वित्तीय स्थिति पिछले तीन वर्षों में लगातार घाटे में चल रही बैंक के साथ लगातार घट रही है, जिससे इसकी निवल मालियत का क्षय हो रहा है। किसी भी व्यवहार्य युक्तिपूर्ण योजना के अभाव में, अग्रिमों में गिरावट और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि से नुकसान जारी रहने की उम्मीद है। बैंक अपने नकारात्मक निवल मालियत और निरंतर घाटे के आसपास के मुद्दों को हल करने के लिए पर्याप्त पूंजी जुटाने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा, बैंक जमा की निरंतर निकासी और तरलता के निम्न स्तर का भी अनुभव कर रही है। इसने हाल के वर्षों में शासन के गंभीर मुद्दों और प्रथाओं का भी अनुभव किया है जिसके कारण इसके प्रदर्शन में गिरावट आई है। 31 मार्च 2019 को पीसीए थ्रेसहोल्ड के उल्लंघन को देखते हुए बैंक को सितंबर 2019 में त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के तहत रखा गया था। रिज़र्व बैंक, बैंक के प्रबंधन के साथ पूंजीगत पर्याप्तता मानदंडों का पालन करने के लिए पूंजीगत निधि को बढ़ाने के तरीके खोजने के लिए लगातार कोशिश करता रहा है। बैंक प्रबंधन ने रिज़र्व बैंक को संकेत दिया था कि वह कतिपय निवेशकों के साथ बातचीत कर रहा है। हालाँकि, वह रिज़र्व बैंक को किसी भी ठोस प्रस्ताव प्रस्तुत करने में विफल रहा और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफ़सी) के समामेलन के माध्यम से अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए बैंक के प्रयासों का अंत प्रतीत हो रहा है। अतः बाजार तंत्र के माध्यम से बैंक के नेतृत्व में किए गए प्रयासों से कोई हल नहीं प्राप्त हुआ है। जैसा कि बैंक के नेतृत्व वाले और बाजार के नेतृत्व वाले पुनरुद्धार के प्रयास एक नियामक प्रस्ताव के बदले एक पसंदीदा विकल्प हैं, रिज़र्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी संभव प्रयास किए थे और बैंक के प्रबंधन को एक विश्वसनीय पुनरुद्धार योजना या एक समामेलन योजना का अवसर प्रदान करने के लिए पर्याप्त अवसर दिए थे जो कार्यान्वित नहीं हो पाया। इस बीच, बैंक तरलता के नियमित बहिर्वाह का सामना कर रहा था। इन घटनाक्रमों पर विचार करने के बाद, बैंक के जमाकर्ताओं के हित में और वित्तीय एवं बैंकिंग स्थिरता के हित में रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि एक विश्वसनीय पुनर्गठन योजना के अभाव में बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार के पास अधिस्थगन लागू करने के लिए आवेदन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। तदनुसार, केंद्र सरकार ने रिज़र्व बैंक के अनुरोध पर विचार करते हुए आज से प्रभावी रूप में तीस दिनों के लिए अधिस्थगन आदेश लागू किया है। रिज़र्व बैंक, बैंक के जमाकर्ताओं को आश्वस्त करता है कि उनके हित पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे और उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। बैंककारी विनियमन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार रिज़र्व बैंक ने बैंक का अन्य बैंकिंग कंपनी के साथ समामेलन के लिए एक योजना का निर्माण किया है। रिज़र्व बैंक केंद्र सरकार की स्वीकृति के साथ अधिस्थगन की अवधि समाप्त हो जाने के पहले उक्त योजना को लागू करेगा ताकि जमाकर्ताओं को लंबे समय तक कठिनाई या असुविधा का सामना न करना पड़े जो कि बिलकुल आवश्यक है। रिज़र्व बैंक ने अधिनियम की धारा 35 ए के तहत बैंक को कुछ निदेश भी जारी किए हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी : 2020-2021/645 |