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असेट प्रकाशक

83502857

फरवरी 2001

क्रेडिट इन्फ़र्मेशन रिव्यू
जनवरी 2001

विषय वस्तु

 गुजरात भूकंप के संबंध में राहत उपाय
 भूकंप-पीड़ितों के लिए विदेशी सहायता
 गुजरात के लिए अर्थोपाय अग्रिम
 निर्यातकों के लिए राहतें/रियायतें
 बैंक दर तथा नकदी प्रारक्षित अनुपात घटाया गया
 प्रिंट मीडिया में विदेशी निवेश
 महिलाओं की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंकों के लिए मुद्दे
 अनिवासी जमा खाते खोलने और उनकी जमानत पर ऋण देने के लिए सुरक्षात्मक उपाय
 अनिवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध विभिन्न जमा योजनाओं की मुख्य-मुख्य बातें

गुजरात भूकंप के संबंध में राहत उपाय

छब्बीस जनवरी, 2001 को आये भयंकर भूकंप को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने प्रभावित व्यक्तियों/व्यवसायों को राहत उपाय उपलब्ध कराने के लिए वाणिज्यिक बैंकों को कई दिशानिर्देश जारी किये हैं। गुजरात के भूकंप-पीड़ितों को राहत/रियायतें देने के संबंध में दिनांक 9 फरवरी 2001 को अहमदाबाद में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी) की बैठक में की गयी सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि भूकंप प्रभावित व्यक्तियों/व्यवसायों को निम्नानुसार विशेष राहत पैकेज प्रदान किया जाए। नीचे दर्शाये गये राहत उपाय ज़िलों और ब्लाकों में प्रभावित उन व्यक्तियों के लिए लागू होंगे जिन्हें राज्य सरकार द्वारा भूकंप प्रभावित के रूप में अधिसूचित किया गया हो। इस संबंध में कोई आशंका होने पर शाखा प्रबंधक राज्य एजेंसियों से प्रमाणन की मांग कर सकते हैं।

(क) देना बैंक, अहमदाबाद कार्यालय में निदेश देने और राहत उपायों की निगरानी के लिए नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गयी है जिसमें इस प्रयोजन के लिए विशेष रूप से नामित सिडबी, एनएचबी, नाबाड़, देना बैंक और बैंक आफ बड़ौदा के अधिकारी हर समय सहायता प्रदान करेंगे।

(ख) प्रभावित क्षेत्रों में सतत आधार पर निगरानी और राहत उपायों के कार्यान्वयन की रिपोर्ट देने के लिए बैंकों द्वारा नोडल कार्यालयों की स्थापना की गयी है।

(ग) बैंकों को चाहिए कि उनकी जो शाखाएं क्षतिग्रस्त/प्रभावित/अकार्यक्षम हो गयी हैं, उनके लिए सैटेलाइट कार्यालयों, विस्तारित काउंटरों, मोबाइल बैंकिंग सुविधाओं अथवा शाखाओं का अस्थायी आधार पर उपयुक्त नजदीकी स्थानों पर स्थानांतरण कर, बैंकिंग सेवाएं तुरंत फिर से बहाल करवाने के लिए प्रयास करने चाहिए। इस प्रयोजन के लिए क्षेत्रीय निदेशक, गुजरात राज्य, भारतीय रिज़र्व बैंक, अहमदाबाद को शक्तियां प्रदान की गयी हैं।

(घ) भूकंप प्रभावित उधारकर्ताओं के मामले में ऋण वर्गीकरण स्थिति निम्नानुसार 31.3.2003 तक ‘जहां है, जैसा है’ आधार पर निश्चित की जाए।

(i) मानक आस्तियों के संबंध में, दो वर्षों तक वसूली की मांग न की जाए।

(ii) जो ऋण, मानक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत नहीं हैं, अगले दो वर्षों के दौरान देय चुकौतियां प्राप्त न होने पर भी उन पर कोई दंड न लगाया जाए।

(iii) बैंक 31.3.2003 तक 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से सामान्य ब्याज लगायेंगे और उसके बाद नार्मल ब्याज दर लगायी जायेगी।

(ङ) छोटे कारोबारी, लघु व्यावसायी, स्वरोजगारी और सड़क लघु परिवहन वाहक आदि श्रेणी के प्रभावित उधारकर्ताओं को खाते की वर्तमान स्थिति को न देखते हुए, उनके व्यवसायों के प्रत्यावर्तन/पुनर्वास हेतु उन्हें मूल उधार दर से अनधिक ब्याज दरों पर एक लाख रुपये तक की विशेष ऋण सीमा स्वीकृत करनी चाहिए।

(च) भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त मकानों/दुकानों की मरम्मत/पुनर्निर्माण के लिए बैंकों को मूल ब्याज दर से अनधिक ब्याज दर पर 2 लाख रुपये तक के ऋण प्रदान करने चाहिए।

(छ) लघु उद्योग, व्यवसाय, कारोबार और उद्योगों को अग्रिम प्रदान करने के संबंध में बैंकों को चाहिये कि उधारकर्ता के पिछले कार्य निष्पादन, खाते के निर्वाह आदि को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता आधारित व्यवस्था के अंतर्गत अतिरिक्त सीमाओं/वर्तमान सीमाओं का पुनर्निर्धारण करने की स्वीकृति प्रदान करें। इस पुनर्निर्धारित ऋण पर 31.3.2003 तक 10 प्रतिशत वार्षिक की साधारण दर से और उसके बाद मूल उधार दर पर ब्याज लगाया जायेगा। अतिरिक्त राशियों पर ब्याज आगे दिये गये उप-पैराग्राफ (ज) के अनुसार लगाया जायेगा।

(ज) 10 लाख रुपये तक के ऋणों पर ब्याज मूल उधार दर पर और 10 लाख रुपयों से अधिक राशि के ऋणों के लिए ब्याज, बैंक अपने स्वविवेक पर लगायेगा।

(झ) मूल उधार दर सभी बैंकों के लिए एकसमान रहेगी। भारतीय स्टेट बैंक की मूल उधार दर, जोकि फिलहाल 12 प्रतिशत है, सभी के लिए लागू होगी।

(ट) बैंक, प्रभावित हिताधिकारियों से कोई प्रोसेसिंग शुल्क नहीं लेंगे।

(ठ) इस पैकेज के अंतर्गत मकानों/दुकानों की मरम्मत/निर्माण तथा छोटे कारोबारियों, लघु व्यावसायियों, स्वरोजगारियों तथा सड़क लघु परिवहन वाहकों को दी गयी वित्तीय सहायता प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार के हिस्से के रूप में गिनी जायेगी।

(ड) ऐसे जमाकर्ताओं, जिन्होंने भूकंप में अपनी जानें गवां दी हैं, के नामिती द्वारा प्रस्तुत दावे 48 घंटों के भीतर और अन्य मामलों में दावे की वैधता के बारे में बैंक के संतुष्ट होने पर निपटारा किया जाए। उत्तराधिकारी के संबंध में राज्य एजेंसियां अधिसूचित करेंगी। दिवंगत के 50,000/- रुपये तक के दावों का भुगतान क्षतिपूर्ति तथा शपथपत्र बांडों की गारंटी पर किया जायेगा।

(ढ) ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए शाखा प्रबंधकों को पर्याप्त विवेकाधीन शक्तियां प्रदान की जाएं।

(ण) बैंकों को इस बात की आज़ादी है कि वे उधारकर्ताओं को अपने बोड़ के अनुमोदन के पश्चात् आवास हेतु सीधे दिये गये ऋणों के मामलों में मार्जिन शर्तों, ज़मानत और चुकौती अनुसूची के संबंध में अपने स्वयं के दिशानिर्देश तैयार करें।

(त) कृषि ऋणों के मामलों में प्रभावित किसानों से विशेष मामलों के रूप में दो वर्ष के लिए मूलधन अथवा ब्याज की वसूली न करें और इन दो वर्षों के दौरान वसूल न की गयी राशि को 7 वर्ष तक की अवधि के लिए पुनर्निर्धारित करें। प्रारंभिक ऋण स्थगन अवधि को मिलाकर पुनर्चुकौती की कुल अवधि 9 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(थ) प्रत्येक पात्र हिताधिकारी को दिये जाने वाले उपभोग ऋण की विद्यमान सीमा 1000/- रुपये से बढ़ाकर 2000/- रुपये कर दी जाए। कुछ और रियायत देने के उपाय के रूप में ऐसे उपभोग ऋण को गुजरात राज्य में भी दिया जाए भले ही उन्होंने इस संबंध में हमारे विद्यमान अनुदेशों के अनुसार जोखिम निधि का गठन न किया हो।

(द) ऋण मंजूर करते समय परिसंपत्ति व्याप्ति अनुपात (एसेट कवरेज रेशियो) पर ज़ोर नहीं दिया जायेगा।

बैंकों द्वारा किये जा रहे राहत उपायों की निगरानी के लिए राज्य स्तरीय बैंकर समिति की बैठक मासिक आधार पर की जायेगी। राज्य स्तरीय बैंकर समिति की निगरानी समिति हर पखवाड़े में बैठक करेगी और प्रगति की समीक्षा करेगी। इसमें देना बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक आफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय आवास बैंक, नाबाड़, सिडबी तथा राहत आयुक्त, कृषि सचिव अथवा उनके प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।

लिये गये निर्णय के अनुसार राज्य स्तरीय बैंकर समिति/मकानों के पंजीकरण तथा संपत्ति बंधक रखने तथा मकानों/दुकानों के निर्माण हेतु भूमि के स्वामित्व प्रमाणन हेतु लगने वाले स्टांप शुल्क से छूट दिलाने के लिए राज्य सरकार से परामर्श करेगी।

बैंकों को चाहिए कि वे जिलों में उक्त राहत उपाय प्रदान करने के संबंध में तत्काल कार्रवाई शुरू करें। इस संबंध में की गयी प्रगति की निगरानी उप-दल/राज्य स्तरीय बैंकर समिति आवधिक अंतराल पर करती रहे तथा इसकी सूचना रिज़र्व बैंक के ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग तथा बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय, अहमदाबाद को देती रहे। इसके अलावा, ज़िला स्तर पर ज़िला परामर्शदात्री समिति द्वारा भी आवधिक अंतरालों पर निगरानी की जाती रहे।

भूकंप-पीड़ितों के लिए विदेशी सहायता

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को सूचित किया है कि केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने सभी संघों को भूकंप-पीड़ितों की सहायता के लिए विदेशी मुद्रा नक़दी में या इसी तरह के अन्य किस्म की सहायता के लिए विदेशी अंशदान (विनियम) अधिनियम 1976 के प्रावधानों से छूट दी है, अत: वे केंद्र सरकार के औपचारिक अनुमोदन के बिना भूकंप-पीड़ितों के लिए विदेशी अंशदान प्राप्त कर सकते हैं। यह छूट तत्काल प्रभाव से मंजूर की गयी है तथा यह 31 मार्च 2001 तक जारी रहेगी। यह छूट ऐसे सभी संघों (राजनैतिक पार्टियां छोड़कर) के लिए उपलब्ध है, जिनका एक निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम है।

उक्त छूट पाने के लिए संघों को कतिपय शर्तों का पालन करना होगा। ऐसे हर संघ के लिए यह ज़रूरी है कि वह इस प्रयोजन के लिए एक नया बैंक खाता खोले और उसे ‘गुजरात भूकंप राहत खाता’ नाम दे। संघों को चाहिए कि वे गुजरात के भूकंप-पीड़ितों के लिए इस नामित खाते में अंशदान प्राप्त करें। संघों के लिए यह भी आवश्यक है कि वे भूकंप राहत के लिए प्राप्त विदेशी अंशदानों के संबंध में खातों और अभिलेखों का एक अलग सैट रखें। ऐसे खाते खोलने के बाद एक सप्ताह के अंदर उन्हें गृह मंत्रालय को इन खातों के बारे में पूरे ब्यौरे देने होंगे और वर्ष की समाप्ति के चार महीनों के अंदर प्राप्त विदेशी अंशदान के बारे में भी गृह मंत्रालय को सूचित करना होगा।

गुजरात के लिए अर्थोपाय अग्रिम

रिज़र्व बैंक ने गुजरात राज्य के लिए फरवरी 2001 के अंत तक अर्थोपाय अग्रिमों और ओवरड्राफ्ट विनियमों में छूट दी थी। रिज़र्व बैंक ने बैंकों को सूचित किया था कि वे अपनी सभी शाखाओं को, विशेषत: गुजरात स्थित शाखाओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कहें वि गुजरात के भूकंप-पीड़ितों के लिए प्राप्त भुगतान तत्काल जमा करें और प्रेषण या अन्य किसी कारण से उनके खातों में राशि जमा करने में विलंब न करें। उसमें यह भी कहा गया था कि ऐसे विवरण बाद में भी प्राप्त किये जा सकते हैं।

निर्यातकों के लिए राहतें/रियायतें

प्रभावित निर्यातकों को निम्नलिखित रियायतें/राहतें प्रदान की गयी हैं:

  1. पोतलदानपूर्व ऋण प्रदान करना:
  2. जिन मामलों में आपदा के कारण पोतलदान में निर्धारित अवधि से अधिक का विलम्ब होने की संभावना है, उनमें बैंक, मामले की वस्तुस्थिति के संबंध में संतुष्ट होने के बाद (उत्पादन-चक्र के आधार पर) 180 दिन से कम अवधि के लिए मंजूर किए गए पोतलदानपूर्व ऋण की अवधि बढ़ाकर 180 दिन कर सकते हैं तथा इस पर 180 दिन तक की अवधि वाले ऋण पर लिया जाने वाला ब्याज (10 प्रतिशत वार्षिक) ले सकते हैं तथा 180 दिन से अधिक और 360 दिन तक के ऋण पर 180 दिन से अधिक और 270 दिन तक की अवधि वाले ऋण पर लिया जाने वाला रियायती ब्याज (13 प्रतिशत वार्षिक) ले सकते हैं। बैंक अपने वाणिज्यिक निर्णय और विवेक के आधार पर तथा अपने बैंक के निदेशक-मंडल के अनुमोदन से, आवश्यक होने पर, 360 दिन से अधिक अवधि का ऋण भी ‘अन्यथा न निर्दिष्ट निर्यात ऋण - पोतलदानपूर्व’ श्रेणी के ऋण के लिए लागू ब्याज दर पर देने पर विचार कर सकते हैं।

    जिन मामलों में पोतलदानपूर्व ऋण विदेशी मुद्रा में मंजूर किया गया है, उनमें 180 दिन से अधिक अवधि के लिए ऋण दिए जाने की अनुमति दी जा सकती है परन्तु ऐसे मामलों में, वर्तमान अनुदेशों के अनुसार 180 दिन तक की अवधि वाले ऋणों पर लिए जाने वाले ब्याज से 2 प्रतिशत अधिक ब्याज लिए जाने के बजाय रोल-ओवर की वास्तविक लागत ली जानी चाहिए।

  3. बकाया राशियों को अल्पावधिक ऋणों में रूपान्तरित करना:
  4. बैंक जिन मामलों में आवश्यक समझें, उनमें बकाया पोतलदानपूर्व ऋण को उपयुक्त अवधि के भीतर चुकौती योग्य अल्पावधिक ऋण में रूपांतरित कर सकते हैं परन्तु ऐसा करते समय, बैंकों द्वारा ली गई गारंटी से संबंधित निर्यात ऋण और गारंटी निगम के दावों का भलीभाँति ध्यान रखा जाना चाहिए। ऐसे मामलों में पोतलदान न हो पाने की स्थिति में अग्रिम की तारीख से दंडात्मक ब्याज नहीं लिया जाना चाहिए जिसका निर्णय फिलहाल बैंकों द्वारा लिया जाता है।
  5. आस्ति वर्गीकरण संबंधी मानदंडों को लागू करना 
  6. : जिन मामलों में ऊपर पैरा (i) के अनुसार ऋण की अवधि बढ़ायी गयी है या जिन मामलों में ऊपर पैरा (ii) के अनुसार पोतलदानपूर्व ऋण को अल्पावधिक ऋण में रूपांतरित किया गया है, उनमें बैंक निर्यातकों को मंजूर किए गए पोतलदानपूर्व ऋणों को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत न करें। अग्रिमों को अनर्जक आस्ति तभी माना जाएगा जब ब्याज और/या मूलधन की किस्त की चुकौती, ऋण की अवधि बढ़ाये जाने के बाद या पोतलदानपूर्व ऋण के रूपांतरण के बाद (जैसी भी स्थिति हो) बैंकों द्वारा निश्चित की गई संशोधित नियत तारीखों को ध्यान में रखकर, उसके अतिदेय हो जाने के बाद 180 दिनों तक न की गई हो।

बैंक दर तथा नकदी प्रारक्षित अनुपात घटाया गया

अंतर्राष्ट्रीय तथा देशी वित्तीय बाज़ारों में हाल ही की गतिविधियों की समीक्षा के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने 16 फरवरी 2001 को निम्नलिखित उपायों की घोषणा की:

  1. 16 फरवरी 2001 को कारोबार की समाप्ति से प्रभावी बैंक दर में 8.00 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से आधा प्रतिशत पाइंट की कमी करते हुए उसे 7.5 प्रतिशत करना; रिज़र्व बैंक के अग्रिमों पर सभी ब्याज दरें तथा आरक्षित आवश्यकताओं की कमी पर लगायी जानेवाली ब्याज दरें, जो बैंक दर से संबद्ध होती हैं, संशोधित की गयी हैं।
  2. नकदी प्रारक्षित अनुपात में 8.5 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से दो स्तरों पर 0.5 प्रतिशत की कमी करते हुए 8.00 प्रतिशत करना। 0.25 प्रतिशत पांइट प्रत्येक की यह कमी क्रमश: 24 फरवरी 2001 तथा 10 मार्च 2001 से शुरू होने वाले पखवाड़ों से प्रभावी होगी। इस उपाय से प्रत्येक स्तर पर अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के 2050 करोड़ रुपये के आसपास संसाधन जारी होंगे।

प्रिंट मीडिया में विदेशी निवेश

भारत सरकार के परामर्श से भारतीय रिज़र्व बैंक ने विदेशी तत्त्वावधान के पूंजी निवेशकों, विदेशी संस्थागत निवेशकाें और साथ ही अनिवासी भारतीयों/विदेशी निगम निकायों द्वारा प्रिंट मीडिया क्षेत्र में लगी भारतीय कम्पनियों के शेयरों तथा परिवर्तनीय डिबेंचरों के ग्रहण के लिए सुविधा समाप्त कर दी है। यह सुविधा 16 फरवरी 2001 से समाप्त की गयी है। यह प्रतिबंध गैर-प्रत्यावर्तन आधार पर (नॉन-रिपैट्रिएशन बेसिस) पर अनिवासी भारतीयों/विदेशी निगम निकायों द्वारा निवेश पर भी लागू होगा।

अनिवासी जमा खाते खोलने और उनकी जमानत पर
ऋण देने के लिए सुरक्षात्मक उपाय

चूंकि अनिवासी खातों के संबंध में धोखाधड़ी/कदाचार के कुछ मामले प्रकाश में आये हैं, अत: यह निर्णय लिया गया है कि बैंक जमा खाते खोलते समय और साथ ही इस प्रकार की जमाराशियों की जमानत पर ऋण देते समय तथा अनिवासी भारतीयों की ओर से मुख्तारनामा (पॉवर ऑफ अर्टोनी) रखनेवाले एजेंटों या व्यक्तियों के माध्यम से अनिवासी जमाराशियां स्वीकार करते समय निम्नलिखित सुरक्षात्मक उपायों को सतर्कता से अपनायें:

  1. मीयादी जमाराशि की रसीदें जमाकर्ताओं को सीधे दी जायें या भेजी जायें और उनकी प्राप्ति-सूचना प्राप्त की जाये।
  2. अनिवासी बाह्य (रुपया) खाते/विदेशी मुद्रा अनिवासी (बी) जमाराशियों की जमानत पर तीसरी पार्टियों को ऋण तभी दिये जायें जब जमाकर्ता बैंक अधिकारियों की उपस्थिति में ऋण दस्तावेजों को स्वयं निष्पादित करें और बैंक को स्वीकार्य साक्ष्य की उपस्थिति में ऐसा किया जाये। मुख्तारनामे के आधार पर तीसरी पार्टियों को इस प्रकार जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम नहीं दिये जाने चाहिए।
  3. यदि किसी अनिवासी खाते में धोखाधड़ी की गयी हो और संबंधित अनिवासी जमाकर्ता की उसमें कोई संलग्नता न हो और बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि वह निर्दोष है तो बैंक जमाराशि की देय राशियों को नियत तारीख पर जमाकर्ता को उस स्थिति में अदा करें जब जांच चल रही हो। परन्तु बैंक क्षतिपूर्ति बांड सहित आवश्यक दस्तावेज़ प्राप्त करें और अनिवासी जमाकर्ता को राशि जारी करने से पहले उसके लिए कोई स्वीकार्य जमानतदार भी हो।
  4. अनिवासी जमाकर्ता की मृत्यु हो जाने की स्थिति में बैंकों को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र का नेमी तौर पर आग्रह नहीं करना चाहिए चूंकि उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जारी करने के लिए विभिन्न देश अलग-अलग प्रक्रिया अपनाते हंैं, अत: बैंकों को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और जमाकर्ता के निवास के देश में अपनायी जानेवाली प्रक्रिया का पता लगाना चाहिए और उसके बाद अपने रिकाड़ के लिए उन न्यूनतम दस्तावेजों को प्राप्त करें जो उन व्यक्तियों के सही दावेदार होने की अपेक्षा के संबंध में आवश्यक हों।

यह भी निर्णय लिया गया है कि बैंक ऐसे सभी वर्तमान मामलों की समीक्षा करें जिनमें अनिवासी बाह्य (रुपया) खाते/विदेशी मुद्रा अनिवासी (बी) जमाराशियों की जमानत पर तीसरी पार्टी को दिये गये अग्रिम शामिल हैंं तथा उनके द्वारा पायी गयी अनियमितताओं के उदाहरण हमें 17 फरवरी 2001 से पहले सूचित करें।

महिलाओं की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंकों के लिए मुद्दे:

  1. बैंकों की नीतियों/दीर्घावधि योजनाओं को पुनर्परिभाषित करना। बैंकों के पास महिलाओं के लिए घोषणापत्र (चार्टर) होना चाहिए जो प्रकाशित किया जाए। शुरूआत के तौर पर, बैंकों को चाहिए कि वे अपने निवल बैंक ऋण के कम से कम 2 प्रतिशत महिलाओं के लिए अलग रखें और पांच वर्ष की अवधि में उसे 5 प्रतिशत तक बढ़ायें।
  2. महिला कक्षों का गठन और महिलाओं को किये जानेवाले ऋण वितरण का ही कार्य देखने के लिए हर शाखा में अधिकारी नामित करना।
  3. मौजूदा क्रियाविधिगत औपचारिकताएं सरल बनाना।
  4. बैंक के अधिकारियों/स्टाफ को इस बात के लिए तैयार करना कि वे महिलाओं की ऋण संबंधी जरूरतों को समझें।
  5. ऋण सुविधाओं के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए प्रचार अभियान।
  6. महिलाओं के लिए उद्यम विकास कार्यक्रम/प्रशिक्षण सुविधाएं।
  7. महिलाओं के लिए विशेषीकृत शाखा।
  8. बैंक के अधिकारियों/स्टाफ में उत्साह लाने के लिए अभिप्रेरक रणनीतियां।
  9. महिलाओं को किये जाने वाले ऋण वितरण पर नियमित रिपोर्टें प्रस्तुत करने के लिए निगरानी प्रणाली।
  10. आंकड़े एकत्रित करना।
  11. मौजूदा योजनाएँ मज़बूत बनाना।
  12. संपार्श्विक जमानत लागू न करने के लिए सीमा बढ़ाना।
  13. गैर-सरकारी संगठनों/स्व-सहायता समूहों/महिलाओं की सहकारी समितियों को शामिल करना।
  14. महिला ग्रामीण सहकारी बैंकों का गठन।
  15. स्रोत:बैंंकिंग प्रभाग, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा तैयार विशेष रूप से लघुतर और लघु उद्योग क्षेत्र में महिलाओं हेतु ऋण सुपुर्दगी तंत्र को मज़बूत करने संबंधी रिपोर्ट।

    अनिवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध विभिन्न जमा योजनाओं की मुख्य-मुख्य बातें

    ब्यौरे

    विदेशी मुद्रा अनिवासीखाता (एफसीएनआर)

    अनिवासी बाह्य
    रुपया खाता
    (एनआरई)

    अनिवासी अप्रत्यावर्तनीयखाता (एनआरएनआर)

    अनिवासी साधारण

    खाता(एनआरओ)

    अनिवासी (विशेष)

    रुपया खाता(एनआरएसआर)

     यह खाता कौन खोल सकता है

    अनिवासी भारतीय

    या विदेशी कंपनी निकाय कंपनी निकाय

    भारत से बाहर अनिवासी भारतीय या विदेशी

    छाारत के बाहर रहने वाला कोई भी व्यक्ति

    कोई भी निवासी व्यक्ति

    अनिवासी भारतीय

               

     दो या उससे अधिक अनिवासी भारतीयों का संयुक्त खाता

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

               

     भारत निवासी अन्य व्यक्ति के  साथ संयुक्त खाता

    अनुमति नहीं है

    अनुमति नहीं है

    अनुमति नहीं है

    अनुमति नहीं है

    अनुमति नहीं है

               

     खाता किस मुद्रा में खोला जायेगा

    पाउंड स्टर्लिंग, अमेरिकी डॉलर, ड्यूश मार्क,जापानी येन या यूरो

    भारतीय रुपये

    भारतीय रुपये

    भारतीय रुपये

    भारतीय रुपये

               

     प्रत्यावर्तनीयता

    मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय

    मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय

    प्रत्यावर्तनीय नहीं

    प्रत्यावर्तनीय नहीं

    प्रत्यावर्तनीय नहीं

               
     

    मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय

    मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय

    मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय

    मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय

    खाता खोलते समय दिये गये वचनपत्र के अनुसार पुन: प्रत्यावर्तनीय नहीं

               

     विदेशी मुद्रा जोखिम

    खाता धारक का खाता जिस मुद्रा में है, उसकी तुलना में भारतीय रुपये के मूल्य में होने वाले परिवर्तन के लिए वह संरक्षित है

    भारतीय रुपये के मूल्य में होनेवाली घट-बढ़ के लिए खाताधारक का जोखिम रहता है।

    भारतीय रुपये के मूल्य में होनेवाली घट-बढ़ के लिए खाताधारक का ब्याज की राशि की सीमा तक जोखिम रहता है

    भारतीय रुपये के मूल्य में होनेवाली घट-बढ़ के लिए खाताधारक का ब्याज की राशि की सीमा तक जोखिम रहता है

    चूंकि विदेशी मुद्रा की कोई बकाया राशि अप्रत्यावर्तनीय नहीं है अत:विदेशी मुद्रा के लिए कोई जोखिम नहीं।

               

     खातों के प्रकार

    केवल मीयादी जमाराशियां

    चालू बचत आवर्ती सावधि जमाराशियां

    केवल मीयादी जमाराशियां

    चालू बचत आवर्ती सावधि जमाराशियां

    चालू बचत आवर्ती सावधि जमाराशियां

               

     मीयादी जमाराशिया के लिए अवधिें

    एक वर्ष से अधिक और तीन वर्ष से अनधिक अवधियों के लिए

    जमाराशियां लेनेवाले बैंक द्वारा घोषित अवधियों के लिए

    एक वर्ष से अधिक और 3 वर्ष से अनधिक अवधियों के लिए

    जमाराशियां लेने वाले बैंक द्वारा घोषित अवधि के लिए

    एक वर्ष से अधिक और 3 वर्ष से अनधिक अवधियों के लिए

               

     ब्याज की दर

    रिज़र्व बैंक द्वारा यदि ब्याज दर की कोई उच्चतम सीमा निर्धारित की गयी है तो उस के अंदर बैंक अपनी ब्याज दरों का निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र हैं।

    बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैं।

    बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैंे।

    बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैं।

    बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैं।

               

     निम्नलिखित के खाते में रखी निधियों की जमानत पर भारत में रुपया ऋण

      1) खाता धारक

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

      2) अन्य व्यक्ति

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

     

     निम्नलिखित के खाते में रखी निधियों की जमानत पर भारत के बाहर विदेशी मुद्रा ऋण :

      1) खाता धारक

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

      2) अन्य व्यक्ति

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    अनुमति है

    टिप्पणियां:

    1. केवल अलग-अलग व्यक्तियों के नाम से खोले गये सभी प्रकार के खातों में निवासी या अनिवासी के लिए नामांकन सुविधाएं उपलब्ध हैं।
    2. हर खाते के लिए उपलब्ध कर लाभों के ब्यौरों के लिए कृपया नवीन आयकर नियम देखें।
    3. भारत में खाता रखने के प्रयोजनों से निम्नलिखित बातें आवश्यक हैं :-
    4. (क) अनिवासी भारतीय एक ऐसा व्यक्ति है जो भारत से बाहर रहता है जो

      1. भारत का नागरिक है, या
      2. बांग्ला देश या पाकिस्तान छोड़ कर अन्य किसी देश का नागरिक है यदि
      3. (क) किसी समय उस व्यक्ति के पास भारतीय पासपोर्ट हो, या

        (ख) वह व्यक्ति या उसके माता-पिता या उसके दादा/दादी, नाना/नानी भारतीय संविधान के अनुसार भारत के नागरिक थे या नागरिकत्व अधिनियम, 1955 (1955 का 57) के अंतर्गत या

        (ग) उपर्युक्त उप-खंड (क) या (ख) में उल्लेख किये अनुसार वह व्यक्ति किसी भारतीय नागरिक का पति/पत्नी हो।

        (ख) विदेशी कंपनी निकाय का निर्धारण इसतरह किया गया है :-

        ‘‘ऐसी कंपनी, भागीदारी, फर्म, सोसायटी या अन्य कोई कंपनी निकाय जिसका कम से कम 60 प्रतिशत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वामित्व अनिवासी भारतीयों का है और इसमें ऐसे विदेशी न्यास भी शामिल हैं जिसके प्रत्यक्ष या परोक्ष कम से कम 60 प्रतिशत लाभ अविकल्पत: अनिवासी भारतीय प्राप्त करते हैं।’’

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