औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षणःक्यू3-2018-19-विनिर्माण क्षेत्र के लिए - आरबीआई - Reserve Bank of India
औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षणःक्यू3-2018-19-विनिर्माण क्षेत्र के लिए
आज रिज़र्व बैंक ने अक्तूबर-दिसंबर 2018 में औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण (आइओएस) के 84वें चक्र के परिणाण जारी किए। इस सर्वेक्षण में क्यू3-2018-19 के लिए भारत के विनिर्माण क्षेत्र में कंपनियों द्वारा कारोबारी परिदृश्य के गुणात्मक मूल्यांकन और क्यू4-2018-191 के लिए उनकी प्रत्याशाओं को कैपचर किया गया है। सर्वेक्षण के इस चक्र में 1,267 कंपनियों से प्रत्युत्तर प्राप्त किए गए। विशेष:
1 सर्वेक्षण के प्रत्युत्तर उत्तरदाताओं से प्राप्त किए गए हैं औफ फन्हें अनिवार्य रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ साझा नहीं किया गया है। 83 वें चक्र (क्यू2-2018) के सर्वेक्षण परिणामों को 5 अक्तूबर 2018 को भारिबैं वेब साइट पर प्रकाशित किया जा चुका है।. 2 संबंधित अऴधि के लिए प्रत्येक संकेतक की गणना नौ कारोबारी संकेतकों के भारित निवल प्रत्युत्तरों(विभिन्न उद्योग समूहों के जीवीए का भाग) के रूप में किया जाता है। हिसाब में लिए गए नौ संकेतक हैः (1)समग्र कारोबार स्थिति;(2)उत्पादन;(3)ऑर्डर बुक्स;(4)कच्चे माल की सूची;(5)तैयार माल की सूची;(6)लाभ मार्जिन;(7)रोज़गार;(8)निर्यात;(9)क्षमता उपभोग। बीएआइ/बीईआइ से हमें प्रत्येक तिमाही के कारोबार परिदृश्य के लिए एक स्नैप शॉट मिल जाता है और 0 से 200 के बीच मूल्यों को ग्रहण करता है,जबकि 100 थ्रेशहोलड या अधिकतम सीमा है जो विस्तार या बढ़त से संकुचन को अलग करती है। 3आशावादिता सूचित करनेवाले उत्तरदाताओं और निराशावादिता सूचित करनेवाले उत्तरदाताओं के बीच के अंतर को निवल उत्तरदाता (एनआर) कहा गया है। इसकी रेंज 100 से 100 तक है।शून्य से अधिक कोई भी मूल्य बढ़त/आशावादिता दर्शाता है और शून्य से कम कोई भी मूल्य संकुचन/निराशावादिता दर्शाता है, अर्थात- एनआर=(आइ-डी) जहां आइ प्रतिशत प्रत्युत्तर ‘वृद्धि/आशावादिता’ का द्योतक है और डी प्रतिशत प्रत्युत्तर ‘कमी/निराशावादिता’ का द्योतक है और ई प्रतिशत प्रत्युत्तर ‘यथावत/समान’ का द्योतक है; आइ+डी+ई=100. उदापरण के लिए उत्पादन में वृद्धि आशावादिता है जबकि कच्चे माल की लागत में कमी आना आशावादिता है। |