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आम आदमी और रिज़र्व बैंक

डॉ. वाइ.वी. रेड्डी, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक

उद्बोधन दिया फ़रवरी 18, 2007

आम आदमी और रिज़र्व बैंक

डॉ.वाय.वी.रेड्डी
गवर्नर

भारतीय रिज़र्व बैंक 

मित्रो,

मुझे खुशी है कि मैं करमचेडु गांव में फिर से आया हूं। विभिन्न क्षेत्रों की महत्वपूर्ण हस्तियां जैसेकि स्वतंत्रता सेनानी , जहाजरानी के अग्रज, वैज्ञानिक, कवि, मंत्रीगण और चिकित्सकीय डॉक्टर आदि इसी गांव में पैदा हुए हैं। श्री यलीगड्डा रंगानाथकुलु गारू जो कि एक प्रशिक्षित इंजीनियर रहे हैं, का भी इन्हीं हस्तियों में शुमार है। हम तीस वर्ष पहले हैदराबाद में अकस्मात मिले। हम दोस्त बने और हमने कई क्षेत्रों में कुछ उपयोगी सामाजिक कार्य करने का प्रयास किया परंतु हम सफल हुए हैदराबाद अध्ययन मंच स्थापित करने में। मेरा उनसे व्यक्तिगत लगाव है और हमारे पारिवारिक रिश्ते हैं। मोटे तौर पर इस पारिवारिक कड़ी में हमसे जुड़े डॉ.वाय.जी.सी.एस.राव गारू और श्री लक्ष्मीनारायण गारू। जब उनके परिवार के सदस्यों ने मुझे सुझाव दिया कि मैं अपने दोस्त रंगानाथकुलु गारू की स्मृति में ठोस सामाजिक योगदान दूं तो मुझे गर्व का अहसास हुआ और करमचेडु आने का तथा आप सबसे मिलने का सौभाग्य मिला। ग्रामीण विकास और विशेषकर पीने के पानी के लिये समर्पित ट्रस्ट का निर्माण युवा पीढ़ी द्वारा किया गया एक आदर्श अनुकरणीय कार्य है। आज की युवा पीढ़ी यलीगड्डा रंगानाथकुलु की पीढ़ी द्वारा बोये बीजों के फलों का आनंद ले रही है।

एक अनौपचारिक रूप में, मैं, इस अवसर पर दो शब्द कहना चाहता हूं और संभवत: इस अवसर के लिये एक आम आदमी के लिये रिज़र्व बैंक का क्या मतलब है - यह विषय शायद सबसे उपयुक्त है।

रिज़र्व बैंक जनता की सेवा के लिये सभी सरकारी संस्थानों में उत्कृष्ट एक सार्वजनिक संस्थान है। यद्यपि, इसके नाम से "बैंक" शब्द जुड़ा है परन्तु इसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है। अत: जरूरी है कि हर आम आदमी को इस बात की जानकारी होनी चाहिये कि इसकी भूमिका क्या है और व्यापक स्तर पर जन कल्याण में सुधार लाने के लिये इसके कार्य कलाप क्या हैं ?

रिज़र्व बैंक देश का " केद्रीय बैंक" है और इसे कतिपय विशिष्ट एवं चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियां दी गयी हैं। यह देश का मौद्रिक प्राधिकरण (अर्थात मुद्रा को जारी और नियंत्रित करता है) है और जैसा कि आप जानते हैं कि "रुपया" देश की मुद्रा है। मोटे तौर पर रिज़र्व बैंक रुपये की मात्रा का कारोबार करता है यह देखता है कि देश की आर्थिक वृद्धि करने एवं माल और सेवाओं के सहज लेनदेन के लिए यह उपलब्ध होता हो। बहुत ज्यादा पैसा हो जायेगा तो मुद्रास्फीति होगी या महंगाई हो जायेगी जिससे आम जनता को तकलीफ होगी। दूसरी तरफ, अगर पैसा कम हो जायेगा तो इसकी वृद्धि रुक जायेगी और भुगतान प्रणाली लड़खड़ा जायेगी। रिज़र्व बैंक अपनी नीतियों से इसका उचित संतुलन बनाये रखता है।

मुद्रा का प्रबंध करना इसका एक महत्वपूर्ण कार्य है। उदाहरण के लिये, रिज़र्व बैंक नये नोट जारी करता है और पुराने नोटों को हटा लेता है और नष्ट कर देता है । यह उनको डिज़ाइन करने, उत्पादन और पूरे देश में वितरण का प्रबंधन भी करता है।

रिज़र्व बैंक के करेन्सी नोट पर यह लिखा रहता है - "मैं धारक को .. रूपये अदा करने का वचन देता हूं ।" इस पर गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं। इस प्रकार रिज़र्व बैंक को यह सुनिश्चित करना होता है कि रुपये का मूल्य बना रहे ताकि जनता की आस्था और विश्वास सदैव बना रहे ।रुपये का मूल्य बनाये रखना अर्थात् माल और सेवा की लागत रुपया दे सके। देखा जाता है कि उसमें कोई इस प्रकार की कमी न हो कि करेन्सी पर से विश्वास उठ जाए। अत: आप कह सकते हैं कि रिज़र्व बैंक का महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि मूल्य स्थिरता बनी रहे, मुद्रास्थिति न हो और मुद्रास्फीति की आशंकाओं पर अंकुश लगा रहे।

प्रसंगवश, आप करेन्सी नोट पर देख सकते हैं कि उसका मूल्य दो केद्र सरकार की राजभाषाओं (अंग्रेजी एवं हिन्दी) के साथ साथ पंद्रह राष्ट्रीय भाषाओं में लिखा होता है ।यह हमारे देश की विविधता को दर्शाता है और साथ ही सबके साथ रिज़र्व बैंक की प्रतिबद्धता को भी दिखाता है।

मुद्रा के मूल्य की चर्चा के दौरान यह भी जान लें कि रिज़र्व बैंक रुपये के भारत में मूल्य के लिये ही सरोकार नहीं रखता बल्कि अन्य देशें की मुद्राओं के सन्दर्भ में भी उसका मूल्य बनाये रखने का सरोकार रखता है। इससे हमारी मुद्रा पर बाहर के देशों के लोगों का विश्वास बना रहता है — यह काम विदेशी मुद्रा दर प्रबंधन के बारे में है। रुपये से हम सीधे ही अन्य देशों के लेनदेनों का निपटान नहीं कर सकते बल्कि हमें अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा अर्थात अमेरिकी डालर का प्रयोग करना पड़ता है। अत: अन्तर्राष्ट्रीय लेनदेनों को सहज बनाने के लिये यह जरूरी है कि रुपये की बाहरी स्थिरता को बनाये रखा जाए। यह भी है कि रुपये में बाहरी देशों का विश्वास हमारी मूल्य स्थिरता से भी आता है। साथ ही, इस विश्वास को बनाये रखने के लिये रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा आरक्षित राशि भी रखता है।

लोग अपने उपभोग एवं समग्र उत्पादन के लिए रुपए पैसे उधार लेते हैं और एक दूसरे को उधार देते हैं। इस प्रकार से संसाधनों की मांग और पूर्ति को, समग्र रूप में, ब्याज दर के उचित स्तर में संतुलित करने की आवश्यकता भी होती है ताकि बचतकर्ताओं को प्रोत्साहन मिले और उद्योग, कृषि आदि में निवेश करने वालों को पर्याप्त प्रतिफल भी मिले। इस प्रकार का संतुलन रिज़र्व बैंक द्वारा अपनायी जा रही व्याज दर नीतियों से ही हो सकता है। मैं इसे बहुत ज्यादा सरल करके बता रहा हूं, परन्तु मोटी बात है कि इस कार्य से हमारे अपने देश के भीतर और अन्य देशों की तुलना में संतुलन बनाये रखना है।

रिज़र्व बैंक को और भी कई जिम्मेदारियां दी गयी हैं। रिज़र्व बैंक, केद्र सरकार और राज्य सरकारों के सार्वजनिक (लोक ऋणों) का प्रबंध करता है, केद्र और राज्य सरकारों का बैंकर है और उनके खाते रखता है, भुगतान और निपटानी प्रणाली को नियंत्रित करता है और आपसे जुड़ी सीधी बात, यह बैंकिंग प्रणाली का नियंत्रक है ।

मैं सबका वर्णन नहीं कर सकता परन्तु हम सारी जानकारी सार्वजनिक डॉमेन (पते) पर डालते हैं - प्रकाशनों, प्रेस विज्ञप्तियों और कभी कभार ऐसे भाषणों के माध्यम से बताते हैं। रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर अंग्रेजी और हिन्दी में अद्यतन जानकारी उपलब्ध है। प्रश्न उठता है कि हम अपने काम और सरोकार के बारे में क्यूं बतायें। बताना इसलिये जरूरी है कि रिज़र्व बैंक एक सार्वजनिक संस्थान है और हम अपने बारे में इसलिये बताते हैं कि आप हमें जान सकें, समझ सकें, आलोचना कर सकें और हमारा मार्गदर्शन कर सकें। यह कोई प्रचार आंदोलन नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य अपनी दक्षता बढ़ाना और आम जनता के प्रति अपनी जबाबदेही है ।

मैं आपको रिज़र्व बैंक एक सार्वजनिक संस्थान है, सरकार के प्रति जबाबदेही और व्यापक स्तर पर जनता के प्रति जबाबदेही और हाल ही के वर्षों में आम आदमी के करीब आने के प्रयासों की दृष्टि से कुछ दृष्टांत बताता हूं।

हमने बैंकों से अनुरोध किया है कि वे आम आदमी की बैंकिंग और वित्तीय जरूरतों के प्रति संवेदनशील हों और वित्तीय समावेशन की नीति अर्थात, प्रत्येक परिवार - भले ही वह अमीर हो या गरीब, ग्रामीण हो या शहरी - को बैंकिंग के दायरे में ले आयें। थोड़े से ओवरड्राफ्ट के साथ "नो फ्रिल" खाते संभवत: वित्तीय समावेशन के सरलतम तरीके हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि टेक्नॉलॉजी किस प्रकार लोगों की बैंकिंग पहुँच में बढ़ोतरी करती है। सामान्य क्रेडिट कार्ड और किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को जब कभी ऋण लेना हो या कोई लेनदेन करना हो तो बिना किसी कागजी कार्रवाई के कृषकों को छोटे ऋण लेने को सहज बनाते हैं।हम विकल्प भी ढूंढ रहे हैं जैसे कि बैंकों के अनुषंगी कार्यालय, एटीएम और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधायें देने के लिये डाकघरों का इस्तेमाल करना। शहरी इलाकों में भी हम बैंक ग्राहकों को कुशल और शीघ्र सेवा देने का प्रयास कर रहे हैं जैसे कि मोबाइल और इन्टरनेट बैंकिंग तत्काल लगभग एक मिनट पर - और किफायती रूप में एक खाते से दूसरे खाते में निधियों का अंतरण। हम विश्वनीय त्वरित और किफायती तरीके से रोजमर्रा के लेनदेनों अर्थात, बिल भुगतानों, वेतन, लाभांश और पेंशन की सीधे ही हिताधिकारी के बैंक खाते में प्राप्तियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

यह सुनिश्चित करने के लिये कि आपको उचित लागत पर बेहतर "बैंकिंग सेवायें" मिले, हमनें कुछ उपाय किये हैं। यद्यपि बैंक अपने स्तर पर निर्णय ले सकते हैं कि वे अपने ग्राहकों को क्या सेवायें देगें और उनकी लागत क्या होगी तथापि - हमनें प्रत्येक बैंक से कहा है कि वे अपने ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं के लिये उचित मानदंड बनायें। रिज़र्व बैंक ने भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड नामक एक स्वतंत्र इकाई बनाई है जो कि देखेगी कि बैंकों में वादों के अनुसार सेवाओं की गुणवत्ता है या नहीं। बोर्ड द्वारा की गयी कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी हमें सुधारात्मक उपाय के लिये आधार देगी। हमने बैंकों से यह भी कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि "बैंकिंग संबंध जोड़ने की शुरुआत में ही खाता धारकों को उपलब्ध बैंकिंग सेवाओं और उनकी लागत के बारे में विस्तृत जानकारी होनी चाहिये"। यह आपका अधिकार है कि आप बैंक के वादे के मुताबिक सेवाओं की मांग करें।

यदि आपको बैंक के वादे के अनुसार सेवायें नहीं मिलती हैं तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं - पहले तो उस बैंक के उच्चतम अधिकारी को। यदि वहां से उचित समय पर और संतोषजनक समाधान नहीं मिलता है तो आप बैंकिंग लोकपाल को लिख सकते हैं। रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति कर बैंक के ग्राहकों को अपने बैंकिंग विवादों का सरल, निष्कंटक एवं किफायती मंच प्रदान किया है। वस्तुत: प्रत्येक राज्य में एक एक बैंकिंग लोकपाल है जिन्हें आप बैंकों के विरुद्ध शिकायतों के समाधान के लिये डाक से या फिर इन्टरनेट के माध्यम से सम्पर्क कर सकते हैं।

रिज़र्व बैंक अपनी प्रक्रियाओं में सुधार कर रहा है ताकि इसके बड़े सीधे ग्राहकों अर्थात सरकारों और बैंकों को केद्रीय बैंक की बेहतर सेवायें मिल सकें — रिज़र्व बैंक के दो विभागों को आईएसओ प्रमाणपत्र मिल चुका है जिसका मतलब है "बेहतर ग्राहक सेवा देने और अपने आपको लगातार अद्यतन करने के लिये इन विभागों ने अपने आपक ाट तैयार कर लिया है। हम जनता के सम्पर्क में आने वाले रिज़र्व बैंक के अन्य विभागों के लिये इस प्रकार का प्रमाणपत्र पाने की प्रक्रिया में हैं।

हम सजगता के साथ जनता आम आदमी तक पहुंचने की नीति अपनाते रहें हैं ताकि वे जानें कि बैंकिंग सेवाओं आदि के संदेश में उनकी अपेक्षा क्या हैं, उनके विकल्प क्या हैं, क्या अधिकार हैं और क्या दायित्व है। हमारे पहले से ही बहुत से प्रकाशन है जो अनुसंधान कर्ताओं, विद्यार्थियों और अन्य तकनीकी व्यक्तियों के लिये उपयोगी हैं। अब वर्ष 2007-2008 में हमने संकल्प लिया है कि हम एक विशेष अभियान के माध्यम से आम आदमी तक पहुंचे। अत: हमने आम आदमी के लिये वित्तीय शिक्षा और वित्तीय साक्षरता अभियान प्रारंभ किया है। यह हम बैंकों के माध्यम से और सीधे तौर पर कर रहे हैं। आपसे इस तरह मातृभाषा तेलगु में बात करना इसी बात को दर्शाता है। बहुत जल्द ही आप लोग बहुभाषी वेबसाईट के माध्यम से हमारे बारे में और बैंकिंग नीतियों के बारे में अपनी मातृभाषा तेलगु ओर अन्य लोग अपनी अभी मातृभाषाओं में पढ़ पायेंगे। इस प्रकार की जानकारी पुस्तिकाओं (ब्रोशर) पैम्फलेट, फिल्मों आदि के माध्यम से भी दी जायेगी। हम रिज़र्व बैंक में एक परिवार की तरह से काम करते हैं और रिज़र्व बैंक बेहतर लोगों को एक समान अवसर देने वाले नियोक्ता के रूप में अपने से जोड़ता है ताकि चुनौतीपूर्ण कार्य किये जा सकें। लगभग सभी राज्यें की राजधानियों में हमारे कार्यालय है और हमारा एक निदेशक मंडल है जिसमें अलग अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं। हमारी गृह पत्रिका को बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं। हम हमारे साथ काम करने वाले सभी लोगों में उच्चस्तर की नैतिकता एवं अभिप्रेरणा बनाये रखते हैं ताकि हम "अच्छे तरीके एवं प्रतिबद्धता के साथ आम आदमी की सेवा करने में आईद चुनौतियों का सामना कर सकें। मैंने रिज़र्व बैंक के बारे में बहुत कुछ कहा और अब मुझे आन्ध्र प्रदेश राज्य के साथ अपने संबंधों के बारे में भी कुछ कहना है। रिज़र्व बैंक का आन्ध्र प्रदेश सरकार एवं इसके सभी मुख्यमंत्रियों के साथ अति उत्कृष्ट संबंधों की परंपरा रही है। गवर्नर के रूप में मैं श्री चंद्रबाबु नायडु जब वे मुख्यमंत्री थे, से मुलाकात की और अब समय-समय पर डॉ.वाय.एस.राजशेखर रेड्डी गास से मिलता रहता हूं। कई आधिकारिक स्तरों पर ऐसी बैठकों से रिज़र्व बैंक और राज्य दोनों को फायदा होता है। अब मैं आपको आन्ध्र प्रदेश में हाल ही में हुए विकासात्मक कार्यों के बारे में बताना चाहता हूं जिनसे रिज़र्व बैंक को खुशी मिली।

पहला, राज्य सरकार के बैंकर के रूप में, मुझे यह बताते हुए खुशी है कि पिछले तीन वर्षों में राज्य ने अपनी प्राप्तियों और व्ययों के बीच दैनिक घाटे को पूरा करने के लिये कभी भी अस्थायी अग्रिम नहीं लिया। यह विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन को दर्शाता है।

दूसरा, हमने देखा कि राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है अत: विकासात्मक गतिविधियों के लिये सरकार के उधारों का रिज़र्व बैंक द्वारा तुलनात्मक रूप से कम लागत पर संचालन किया जा सकता है। वित्तीय बाजारों का राज्य में विश्वास बढ़ रहा है।

तीसरा, आन्ध्र प्रदेश देश में पहला राज्य है जिसने शहरी सहकारी बैंकिंग प्रणाली के समेकन एवं सुधार के लिये रिज़र्व बैंक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये और नयी योजना सहकारिता एवं पेशेवराना भावना से बेहतर तरीके से चल रही है।

चौथा, राज्य ने ग्रामीण सहकारिता को पहले से ही ठोस वित्तीय सहायता दी है और पुन: यह देश में पहला राज्य जिसने ग्रामीण सहकारी ऋण प्रणाली के समेकन एवं विकास के लिये रिज़र्व बैंक के साज्ञ समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। यह योजना भारत सरकार के उल्लेखनीय वित्तीय समर्थन के साथ ग्रामीण सहकारिता को पुनर्जन्म देगी एवं उसमें पुन: ऊर्जावात लायेगी।

पांचवां, राज्य ग्रामीण ऋण से पुन: ऊर्जावात बनाने एवं उसके विस्तार के लिये समर्पित है। पिछले सप्ताह हमारे उप गवर्नर एवं राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की मजबूती के माध्यम से वित्तीय समावेशन को विस्तार देने के लिये मध्यावधि योजना पर कार्य करने के लिये बैठक हुई थी।

छठा, राज्य ने ग्रामीण ऋण के लिये वार्षिक आयोजना के संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्यों को तीन वर्षों में दुगुना करते हुए पार कर लिया।

सातवां, राज्य वित्तीय समावेशन के मामले में अग्रणी है - वित्तीय समावेशन अर्थात् चाहने वाले सभी परिवारों के लिये बैंक खाता खोलना। यह हाल ही में, रिज़र्व बैंक के दौरे पर आये नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद युनुस द्वारा प्रतिपादित मानव अधिकार के रूप में बैंक ऋण के लक्ष्यों को पाने की दिशा में पहला कदम है। श्रीकाकुल्प जिला शतप्रतिशत वित्तीय समावेशन को प्राप्त करनेवाला ज़िला है। हम इस बात से राज्य सरकार से सहमत है कि राज्य की प्रगति का मूल्यांकन विशेषज्ञ निकाय द्वारा हो ताकि एक मिशन के रूप में इस कार्यक्रम को अन्य ज़िलों में लागू करने में अपनी कमियों एवं मजबूतियों को समझ सकें। हमने अपने बैंकों से कहा है कि वे सार्वभौमिक वित्तीय समावेशन के लक्ष्य की दिशा में ठोस कार्रवाई करे और इन प्रयासों की सफलता में राज्य सरकार का सहयोग महत्वपूर्ण है।

क्या आन्ध्र प्रदेश और रिज़र्व बैंक के सहयोग की ये उपलब्धियां पर्याप्त हैं। संभवत: हां, परंतु अभी बहुत-से क्षेत्र बाकी हैं जहां हमें अर्थात् राज्य सरकार और रिज़र्व बैंक को और करीब आना होगा, तीव्रता से, गहरायी से और नये क्षेत्रों में जुड़ना होगा। हमने रिज़र्व बैंक में इस वर्ष इस अभियान के लिये नये क्षेत्रों का निर्धारण किया है जिनके लिये आन्ध्र प्रदेश सरकार ने पूरे समर्थन का आश्वासन दिया है। ये क्षेत्र वित्तीय साक्षरता एवं ऋण परामर्श से संबंधित है।

आज, आम आदमी के पास थोड़ी सी भी राशि ज्यादा होती है उसे बहुत सारे विकल्प उसे अपनी तरफ आकर्षित करते हैं — कहां उसे जमा करें कितने समय के लिये करें और कितना ब्याज मिलेगा। कैसे निर्णय करें कि म्यूच्यूअल फंड; बैंक जमा,जीवन बीमा आदि तथा गैर बैंक जमा चिट फंड के बीच सही क्या है। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में कैसे बनाये रखे और उसमें कैसे सुधार लाये। यदि एकमुश्त आय आती है तो उसका उपयोग सहज हो! आदि! अत: जरूरी है कि लोग जागृत हों ताकि वे लालची वित्तीय गिद्धांट के झूंठे वादों और प्रलोभनों में ना फंसे। रिज़र्व बैंक इस प्रकार के पठनीय एवं देखने योग्य सामग्री का निर्माण कर रहा है और उसकी लागत भी वहन करेगा परन्तु शिक्षा या ज्ञान आम आदमी तक पहुंचना जरूरी है और इस प्रकार के सामूहिक वित्तीय एवं अभियान के लिये राजय सरकार ने पूर्ण सहयोग का वादा किया है।

एक दूसरा क्षेत्र, जिसे हम प्रयोग के स्तर पर करना चाहते हैं और शुरुआत में छोटे स्तर पर ही करना चाहते हैं और वह है ऋण काउंसलिंग अर्थात ऋण संबंधी समझाना बुझाना। कभी कभी लोग अज्ञानता या दुर्भाग्य से ऋण के जाल में फंस जाते हैं। उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित लोग बता सकते हैं कि किस प्रकार देयताओं के पुन: भावताव या पुन: अनुसूची करण आदि कर के कम से कम नुकसान पर समस्या से निपटा जा सकता है। कुछ देशों में इस तरह की योजनाएं में है और हमनें उनका अध्ययन किया है। हम इस क्षेत्र में छोटे स्तर पर ही महाराष्ट्र में प्रयोग कर रहे हैं। हम इस परियोजना को अन्य क्षेत्रों में भी लागू करना चाहते हैं और आंध्रप्रदेश ने इसमें बहुत रूच्चि दर्शायी है। आंध्रप्रदेश ऋण काउंसिलिंग में देश में औपचारिक रूप में पहला राज्य हो सकता है।

मैं धन्यवाद देता हूं कि मुझे गवर्नर के रूप में अपनी मातृभाषा तेलगु में भाषण देने का अवसर मिला। संभवत: यह किसी भी गवर्नर द्वारा दिया गया पहला तेलगु भाषण है और मैं इसके लिए आपका आभारी हूं कि आपने मुझे यह अवसर दिया ...

मैं आपके गांव और ट्रस्ट को शुभकामनायें देता हूं। मैं पुन: एक बार श्री यर्लागड्डा रंगानाथकुल फाउन्डेशन को बेहतर पहल के लिये मुबारकबाद देता हूं। मैं इस पूजनीय कार्य के लिये उन्हें और उनके परिवार को शुभकामनाएं देता हूं।


भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. वाय.वी. रेड्डी ने यह भाषण आंध्रप्रदेश में आंजले ज़िले के करमचेडु गांव में 18 फरवरी 2007 को मूल रूप से तेलगु में दिया । यह उसका मुक्त हिन्दी अनुवाद है ।

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