बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेश – लोकसेवा सहकारी बैंक लि, पूणे, महाराष्ट्र - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के
अंतर्गत निदेश – लोकसेवा सहकारी बैंक लि, पूणे, महाराष्ट्र
09 फरवरी 2017 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के लोकसेवा सहकारी बैंक लि, पूणे, महाराष्ट्र को दिनांक 19 मई 2014 के निदेश के माध्यम से 20 मई 2014 की कारोबार समाप्ति से निदेशाधीन रखा गया था। निदेशों की वैधता को समय समय पर बढाया गया और पिछली बार 11 नवंबर 2016 के निदेश के माध्यम से वर्तमान में समीक्षाधीन अवधि को 19 मई 2017 तक बढाया गया था। आम जनता को यह सूचित किया जाता है कि दिनांक 19 मई 2014 के निदेश जो लोकसेवा सहकारी बैंक, पूणे को लगाये गए थे और समय-समय पर संशोधित किए गए थे, को दिनांक 25 जनवरी 2017 के निदेश से निम्नानुसार आंशिक रूप से संशोधित किया गया है और यह निदेश निम्न संशोधनो के साथ 19 मई 2017 तक वैध है और समीक्षाधीन है: i) बैंक को निम्नलिखित अतिरिक्त शर्तों के आधार पर जमा के ज़रिए ऋण के समंजन की अनुमति दी जाती है, यदि उधारकर्ता के ऋण करार में यह प्रावधान है कि विशिष्ट जमा खाते में उपलब्ध राशि (चाहे नाम जो भी हो) की सहायता से बैंक द्वारा उसके ऋण खाते का समायोजन किया जा सकता है, तो ऐसे समायोजन ऋण खाते में उपलब्ध बकाया शेष राशि के लिए किया जा सकता है”:
ii) निदेशक संबंधित ऋण के अलावा मौजूदा निबंधन व शर्तों के तहत बैंक अपनी मानक और जमानती सीसी खातों का वर्तमान ऋण सीमा के अनुसार नवीकरण कर सकता है। आंशिक संशोधन सूचित करने वाले दिनांक 25 जनवरी 2017 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता की सूचना के लिए लगाई गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त आंशिक संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में मौलिक सुधार से संतुष्ट है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/2139 |