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बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू)
की धारा 35क के अंतर्गत निदेश – दि आर एस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र

06 फरवरी 2017

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू)
की धारा 35क के अंतर्गत निदेश – दि आर एस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र

दि आर एस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को दिनांक 24 जून 2015 के निदेश के माध्‍यम से 26 जून 2015 की कारोबार समाप्ति से निदेशाधीन रखा गया था। निदेशों की वैधता को समय समय पर बढाया गया और पिछली बार इन निदेशों की अवधि को 22 सितंबर 2016 के निदेश के माध्यम से 25 मार्च 2017 तक समीक्षाधीन बढाया गया।

आम जनता को यह सूचित किया जाता है कि दिनांक 24 जून 2015 के निदेश जो आर एस को-ऑपरेटिव बैंक, मुंबई पर लगाए गये थे और समय-समय पर संशोधित किए गए थे, उनमे दिनांक 31 जनवरी 2017 के निदेश से निम्नानुसार आंशिक रूप से संशोधित किया गया है और यह निदेश निम्न संशोधनो के साथ 25 मार्च, 2017 तक वैध है और समीक्षाधीन है:

i. बैंक को निम्‍नलिखित अतिरिक्‍त शर्तों के आधार पर जमा के ज़रिए ऋण के समंजन की अनुमति दी जाती है की यदि उधारकर्ता के ऋण करार में यह प्रावधान है कि विशिष्‍ट जमा खाते में उपलब्‍ध राशि (चाहे नाम जो भी हो) की सहायता से बैंक द्वारा उसके ऋण खाते का समायोजन किया जा सकता है, तो ऐसे समायोजन ऋण खाते में उपलब्‍ध बकाया शेष राशि के लिए किया जा सकता है:

  1. समायोजन की तारीख के अनुसार खाते केवाईसी(KYC) अनुपालित होने चाहिए।

  2. तृतीय पक्ष की जमाराशियां जो गारंटीकर्ताओं/ जमानतदारों से संबंधित हैं, समायोजित नहीं की जाएंगी।

  3. इस प्रकार के विकल्‍प के बारे में जमाकर्ता को अवगत कराना चाहिए और उसकी सहमति लेनी चाहिए ताकि ऋण खाते के समंजन कोई देरी न हो सके और ऋण खाते को अनर्जक (एनपीए) होने से बचाया जा सके। मानक आस्तियों का समंजन (जिनकी चुकौति नियमित है) तथा ऋण करार के निबंधन व शर्तों से किसी प्रकार के विचलन है, तो जमाकर्ता –उधारकर्ता से पूर्वानुमोदन प्राप्‍त करना ज़रूरी है।

  4. जमा राशि या उनका संमजन पर किसी प्रकार का प्रतिबंध न लगाया गया हो जैसे कुर्की आदेश / कानून या सांविधिक प्र‍ाधिकरण / या अन्‍य किसी प्रधिकरण से प्रतिबंधित आदेश जो विधि के अधीन हो, अग्रिम राशि जमा, न्‍यास दायित्‍व, तृतीय पार्टी लियन, राज्‍य सहकारी सोसाइटी अधिनियम आदि।

उपरोक्त वैधता को सूचित करनेवाले 31 जनवरी 2017 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर मे जनता की सूचना के लिए लगाई गई है।भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त वैधता बढाने या/ और संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में मौलिक सुधार से संतुष्ट है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/2102

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