बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – न्यूनतम औसत परिपक्वता तथा हेजिंग प्रावधानों की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – न्यूनतम औसत परिपक्वता तथा हेजिंग प्रावधानों की समीक्षा
भारिबैंक/2018-19/71 6 नवंबर 2018 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – न्यूनतम औसत परिपक्वता तथा हेजिंग प्रावधानों की समीक्षा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान ‘बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने’ से संबंधित समय-समय पर यथा संशोधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.05 के पैराग्राफ 2.4.1, 2.4.2 तथा 2.5 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार ट्रैक-I के अंतर्गत विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गित ईसीबी, जिसकी न्यूनतम औसत परिपक्वता की आवश्यकता 5 वर्ष है, जुटाने वाले कतिपय पात्र उधारकर्ताओं को अपने ईसीबी एक्सपोजर को अनिवार्यतः पूर्णतः हेज करना आवश्यक है । 2. मौजूदा प्रावधानों की समीक्षा की गई है और भारत सरकार के साथ परामर्श कर के यह निर्णय लिया गया है कि ईसीबी ढांचे के निम्नलिखित प्रावधानों में संशोधन किया जाए: i. न्यूनतम औसत परिपक्वता: उपर्युक्त मास्टर निदेश के पैराग्राफ 2.4.2(vi) में दिए गए अनुसार पात्र उधारकर्ताओं द्वारा आधारभूत संरचना (इनफ्रास्ट्रक्चर) क्षेत्र में जुटाई गई ईसीबी के लिए पैराग्राफ 2.4.1(iv) में निर्धारित की गई न्यूनतम औसत परिपक्वता की अपेक्षा को मौजूदा 5 वर्ष से घटा कर 3 वर्ष किया जाए; तथा ii. हेजिंग की अपेक्षा : उपर्युक्त संदर्भित पात्र उधारकर्ताओं द्वारा जुटाई गई ईसीबी पर लागू अनिवार्य हेजिंग प्रावधान से छूट पाने के लिए औसत परिपक्वता संबंधी अपेक्षा को मौजूदा 10 वर्ष से घटा कर 5 वर्ष किया जाए। तदनुसार आधारभूत संरचना (इनफ्रास्ट्रक्चर) क्षेत्र में 3 से 5 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि वाले ईसीबी हेतु 100% तक की अनिवार्य हेजिंग अपेक्षाओं को पूरा करना होगा। साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उक्त संशोधित प्रावधान के अंतर्गत आने वाले लेकिन इस परिपत्र की तारीख से पूर्व जुटाए गए ईसीबी को अपने विद्यमान हेजेस को अनिवार्य रूप से रोल-ओवर करना आवश्यक नहीं होगा। 3. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित अन्य सभी पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 4. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं॰ 5 के संबंधित पैराग्राफ को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं। भवदीय (अजय मिश्र) |