मास्टर निदेश – बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों और प्राधिकृत व्यापारियों को छोड़ कर अन्य व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में ऋण और उधार - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश – बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों और प्राधिकृत व्यापारियों को छोड़ कर अन्य व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में ऋण और उधार
इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:
- 2018-11-22
- 2018-10-11
- 2018-05-09
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- 2016-05-11
- 2016-04-13
- 2016-03-30
भा.रि.बैंक/विमुवि/2015-16/15 01 जनवरी 2016 समस्त प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक और प्राधिकृत बैंक महोदया / प्रिय महोदय, मास्टर निदेश – बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों और प्राधिकृत व्यापारियों को छोड़ कर अन्य व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में ऋण और उधार बाह्य वाणिज्यिक उधार [ ईसीबी ] और व्यापार ऋण पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 [ फेमा ] की धारा 6 की उप-धारा 3 का खंड [ डी ] लागू होता है | विदेशों से इन दो प्रकार के उधारों के संबंध में विभिन्न प्रावधानों को फेमा के अंतर्गत बनाये गये तीन विनियमों में शामिल किया गया है :
इन विनियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाता है ताकि संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित विनियामक ढाँचे में किये गये परिवर्तनों को उनमें शामिल किया जा सके | 2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम [ फेमा ], 1999 की धारा 11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है | तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों / घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर तरीके निर्धारित किये जाते हैं | 3. इस मास्टर निदेश में उपरोल्लिखित उधार लेनदेन के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं | इस दस्तावेज में प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से ईतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने और ऋण देने से संबंधित शर्तों का उल्लेख किया गया है | नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है | रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं | [दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 18] 4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो वहां विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जानेवाले संबंधित लेनदेन के तरीके में यदि कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी. [ डीआईआर ] परिपत्र शृंखला के माध्यम से निदेश जारी करेगा | इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय पर्याप्त संशोधन किया जाएगा | भवदीय, [शेखर भटनागर] |