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बचत बैंक खातों में न्‍यूनतम शेष राशि न रखने पर दंडात्‍मक प्रभार लगाना

आरबीआई/2014-15/308
बैंविवि. डीआईआर. बीसी. सं. 47/13.03.00/2014-15

20 नवंबर 2014

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय /महोदया

बचत बैंक खातों में न्‍यूनतम शेष राशि न रखने पर दंडात्‍मक प्रभार लगाना

कृपया "बचत बैंक खातों में न्‍यूनतम शेष राशि" पर 26 दिसंबर 2002 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. डीआईआर. बीसी. 53/13.10.00/2002-03 देखें, जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे अपने ग्राहकों को खाता खोलते समय ही बचत बैंक खाते में अपेक्षित न्‍यूनतम जमा शेष बनाए रखने तथा न्‍यूनतम जमा शेष बनाए न रखने पर लगाए जाने वाले प्रभार आदि के बारे में पारदर्शी रूप में सूचित करें।

2. इस संबंध में कृपया 01 अप्रैल 2014 को घोषित पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य के भाग 'ख' का पैरा 30 'विकासात्‍मक और विनियामक नीति' देखें, जिसमें ग्राहक संरक्षण के लिए कतिपय उपायों का प्रस्‍ताव किया गया है। उसमें निहित प्रस्‍तावों में से एक यह भी था कि बैंकों को ग्राहकों की कठिनाइयों अथवा असावधानी का अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। सामान्‍य बचत बैंक खातों में न्‍यूनतम शेष राशि न रखे जाने के मामले में दंडात्‍मक प्रभार लगाने के बजाए बैंकों को इन खातों में उपलब्‍ध सेवाओं को बुनियादी बचत बैंक जमा खातों में दी जाने वाली सेवाओं तक सीमित करना चाहिए और न्‍यूनतम शेष राशि के स्‍तर में सुधार हो जाने पर सेवाओं को पुनः बहाल कर दिया जाना चाहिए। बैंकों में ग्राहक सेवा पर दामोदरन समिति की सिफारिशों की ओर भी ध्‍यान आकर्षित किया जाता है, जिनमें अन्‍य बातों के साथ-साथ यह सिफारिश की गई है कि "ग्राहकों के खाते में न्‍यूनतम शेष राशि का उल्‍लंघन होते ही बैंकों को शेष राशि तथा न्‍यूनतम बनाए न रखने के लिए लागू दंडात्‍मक प्रभार के बारे में ग्राहकों को एसएमएस/ई-मेल/पत्र द्वारा तत्‍काल सूचित करना चाहिए। इसके अतिरिक्‍त, दंडात्‍मक प्रभार पाई गई कमी के अनुपात में होना चाहिए।"

3. बैंकों के साथ विस्‍तृत रूप से परामर्श करने के बाद नीतिगत घोषणा की समीक्षा की गई है। इन विचार-विमर्शों के परिणामस्‍वरूप तथा दामोदरन समिति की सिफारिशों को ध्‍यान में लेते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बचत बैंक खाते में न्‍यूनतम शेष राशि बनाए न रखने के लिए प्रभार वसूल करते समय बैंकों को अनुबंध में दिए गए अतिरिक्‍त दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। ये दिशानिर्देश 01 अप्रैल 2015 से प्रभावी होंगे।

4. बैंक की वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के अलावा ये दिशानिर्देश बैंक के सभी ग्राहकों के ध्‍यान में लाए जाने चाहिए।

5. सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि इस बीच ग्राहक सूचना को अद्यतन करने के लिए तत्‍काल कदम उठाएं ताकि दिशानिर्देशों के प्रभावी कार्यान्‍वयन के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यमों (एसएमएस/ई-मेल आदि) द्वारा अलर्ट भेजने में सुविधा हो।

भवदीया

(लिली वडेरा)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

बचत बैंक खाते में न्‍यूनतम शेष राशि बनाए न रखने पर लगाया जाने वाला प्रभार निम्‍नलिखित अतिरिक्‍त दिशानिर्देशों के अधीन होगा:

(i) बैंक और ग्राहक के बीच सहमति के अनुसार न्‍यूनतम शेष राशि/औसत न्‍यूनतम शेष राशि के रख-रखाव में चूक होने पर बैंक को एसएमएस/ई-मेल/पत्र आदि के द्वारा ग्राहक को स्‍पष्‍ट रूप से सूचित करना चाहिए कि नोटिस की तारीख से एक माह के भीतर खाते में न्‍यूनतम शेष राशि बहाल नहीं होने पर दंडात्‍मक प्रभार लागू होगा।

(ii) यदि तर्कसगत अवधि, जो कमी की नोटिस की तारीख से एक माह से कम नहीं होगी, के भीतर न्‍यूनतम शेष राशि बहाल नहीं हुई तो खाताधारक को सूचित करते हुए दंडात्‍मक प्रभार की वसूली की जाएगी।

(iii) इस प्रकार लगाए जाने वाले दंडात्‍मक प्रभारों के संबंध में नीति का निर्णय बैंक के बोर्ड के अनुमोदन से किया जाना चाहिए।

(iv) दंडात्‍मक प्रभार पाई गई कमी की मात्रा के प्रत्‍यक्ष अनुपात में होना चाहिए। दूसरे शब्‍दों में ये प्रभार रखी गई वास्‍तविक शेष राशि तथा खाते खोलते समय सहमत न्‍यूनतम शेष राशि के बीच अंतर की राशि का एक नियत प्रतिशत होना चाहिए। वसूल किये जाने वाले प्रभारों की एक उचित खंड (slab) संरचना को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

(v) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे दंडात्‍मक प्रभार वाजिब हैं तथा सेवाएं प्रदान करने की औसत लागत के अनुरूप हैं।

(vi) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि केवल न्‍यूनतम शेष राशि बनाए न रखने के लिए प्रभार लगाने के कारण बचत खाते में शेष राशि ऋणात्‍मक न हो जाए।

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