निदेश - बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अंतर्गत कराड जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, कराड, जि. सातारा, महाराष्ट्र - आरबीआई - Reserve Bank of India
निदेश - बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अंतर्गत कराड जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, कराड, जि. सातारा, महाराष्ट्र
09 नवंबर 2017 निदेश - बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) जनता के सूचनार्थ एतदद्वारा अधिसूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों परयथालागू) की धारा 35क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कराड जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, मुबंई, महाराष्ट्र को निदेश जारी किए गए हैं कि नवंबर 09, 2017 को कारोबार की समाप्ति से, उपर्युक्त बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वअनुमति लिए बिना, भारतीय रिज़र्व बैंक के नवंबर 07, 2017 के निदेशों में अधिसूचित सीमा और रीति को छोडकर, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेगा या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई जमाराशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा, भले ही भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेगा। अधिसूचित निदेश की प्रतिलिपि हित रखनेवाले जनता के सदस्यों के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है। उपर्युक्त भारतीय रिज़र्व बैंक निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते या किसी भी अन्य जमा खाते में, कुल शेष में से प्रत्येक जमाकर्ता को रु. 1,000/- (एक हजार रुपये मात्र) से अधिक राशि आहरित करने की अनुमति न दी जाए। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है । बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/1292 |