भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना पर अपने मास्टर निदेश को अधिक ग्राहक अनुकूल बनाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना पर अपने मास्टर निदेश को अधिक ग्राहक अनुकूल बनाया
21 जनवरी 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना पर अपने मास्टर निदेश को अधिक भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज स्वर्ण मुद्रीकरण योजना पर अपने मास्टर निदेश में कुछ संशोधन किए हैं। ये संशोधन भारत सरकार के परामर्श से किए गए हैं जिससे कि इस योजना को अधिक ग्राहक अनुकूल बनाया जा सके। जमाकर्ता अब मध्यावधि जमाराशियों के मामले में तीन वर्ष और दीर्घावधि जमाराशियों के मामले में पांच वर्ष की न्यूनतम लॉक-इन अवधि के बाद मध्यावधि और दीर्घावधि सरकारी जमाराशियों का समयपूर्व आहरण कर सकेंगे। तथापि, समयपूर्व आहरण के लिए कम ब्याज दर के रूप में दंड लगेगा और यह जमाराशि जमा रहने की वास्तविक अवधि पर निर्भर करेगा। स्वर्ण की बड़ी निविदाओं के मामले में, सोने को सीधे परिष्करणकर्ताओं को जमा कराया जा सकता है जहां भी उनके पास परखने की क्षमता हो। इससे कच्चे सोने को जमा कराने और इस पर ब्याज शुरू होने के बीच के अंतर कम हो जाएगा। यह भी स्पष्ट की जाता है कि सरकार प्रतिभागी बैंकों को पहले वर्ष में कुल 2.5 प्रतिशत (1.5 प्रतिशत प्रबंध प्रभार और 1 प्रतिशत कमीशन) का भुगतान करेगी। प्रतिसूचना के आधार पर इस योजना की नियमित रूप से समीक्षा की जाएगी जिससे कि कार्यान्वयन संबंधी समस्या को सुलझाया जा सके और योजना को अधिक ग्राहक अनुकूल बनाया जा सके। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/1724 |