रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक पत्र निदेश, 2017 - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक पत्र निदेश, 2017
भारिबैं/2017-18/43 10 अगस्त 2017 सभी बाजार प्रतिभागी प्रय महोदय/महोदया, रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक पत्र निदेश, 2017 रिज़र्व बैंक ने 02 फरवरी 2017 को लोक-टिप्पणी के निमित्त वाणिज्यिक पत्र के संबंध में प्रारूप निदेश जारी किये थे । प्राप्त टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक पत्र निदेश, 2017 को अंतिम रूप दिया गया है और वह इसके साथ संलग्न है । भवदीय (टी. रबिशंकर) भारतीय रिज़र्व बैंक एफएमआरडी.डीआइआरडी.01/सीजीएम (टीआरएस)-2017 दिनांक 10 अगस्त 2017 चूँकि भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जे, 45के, 45एल द्वारा प्रदत्त शक्तियों का और इसकी ओर से इसे समर्थ बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, अधिसूचना सं.आइईसीडी.1/87(सीपी)-89-90 दिनांक 11 दिसंबर 1989 द्वारा गैर बैंकिंग कंपनियाँ (वाणिज्यिक पत्र के माध्यम से जमाराशि स्वीकार करना) निदेश, 1989 अधिसूचित किया था; और चूँकि उक्त निदेश को समय समय पर क्रमशः अधिसूचना सं. आइईसीडी.14/08.15.01/96-97 दिनांक 6 सितंबर 1996; अधिसूचना सं. आइईसीडी.21/08.15.01/97-98 दिनांक 17 जून 1998, अधिसूचना सं. आइईसीडी.3/08.15.01/2000-2001 दिनांक 10 अक्तूबर 2000 और आइडीएमडी. पीसीडी. 1284/ 14.01.02/2012-13 दिनांक 16 अक्तूबर 2012 द्वारा संशोधित किया जा चुका है ; और चूँकि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डब्लू में यह उपबंधित है कि बैंक, लोक हित मे, और देश के हित में वित्तीय प्रणाली के विकास का संवर्धन करने के लिए ब्याज दर या ब्याज दर उत्पादों का निर्धारण कर सकेगा और इसके निमित्त सभी एजेंसियों या उनमें से किसी को, जो प्रतिभूतियों, मुद्रा बाजार लिखतों, विदेशी मुद्रा, डेरवेटिवों या इसी प्रकार की अन्य़ लिखतों का, जैसा बैंक समय समय पर विनिर्दिष्ट करे, लेन देन करती है, निदेश दे सकेगा ; और चूँकि वाणिज्यिक पत्र भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45डब्लू के अंतर्गत ‘मुद्रा बाजार लिखत‘ होता है; अतः अब धारा 45जे, 45के, 45एल और 45डब्लू द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और इसमें इसके ऊपर निर्दिष्ट अधिसूचनाओं का और इसके निमित्त इस विषय पर जारी किये गये सभी अनुदेशो का अधिक्रमण करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक इसे लोक हित में आवश्यक समझ कर और इस बात से संतुष्ट हो कर कि देश के हित में ऋण एवं वित्तीय प्रणाली को विनियमित करने में बैंक को समर्थ बनाने के लिए ऐसा करना आवश्यक है, इसके द्वारा निम्नलिकित निदेश जारी करता है : 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ इन निदेशों को रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक पत्र निदेश, 2017 कहा जायेगा और ये अपने प्रकाशन की तिथि से प्रवृत्त होंगे । परंतु, पैराग्राफ 6.2 में यथा विनिर्दिष्ट दो श्रेणी-निर्धारणों की अपेक्षा 01 अक्तूबर 2017 से प्रभावी होगी । 2. परिभाषाएँ इन निदेशों के प्रयोजनार्थ, जब तक संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो :
3. पात्र जारीकर्ता :
4. उद्दिष्ट उपयोग (end use) यथार्थ उद्दिष्ट उपयोग सीपी जारी किये जाते समय प्रस्ताव दस्तावेज में प्रकट किया जायेगा । 5. पात्र निवेशक
6. लिखत का प्ररूप, निर्गमन की विधि, क्षेणी निर्धारण और प्रलेखन क्रियाविधि 6.1 प्ररूप
6.2 श्रेणी-निर्धारण अपेक्षा
6.3 प्रलेखन क्रियाविधियाँ जारीकर्ता, निवेशक और जारीकर्ता एवं अदाकर्ता एजेंट (आइपीए) निर्धारित आय मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआइएमएमडीए) द्वारा ‘सीपी के संबंध में परिचालन-दिशानिर्देश ‘ के रूप में निर्धारित मानक क्रियाविधियों और प्रलेखन का पालन करेंगे । 6.4 सीपी का निर्गम – ऋण वृद्धि, सीमाएँ, आदि
7. समर्थक बाजार व्यापार और सीपी का निपटान
8. सीपी की वापसी-खरीद (buyback)
9. कर्तव्य और बाध्यताएँ जारीकर्ता, जारीकर्ता और अदाकर्ता एजेंट (आइपीए) तथा साख-श्रेणी-निर्धारण एजेंसी (सीआरए) के कर्तव्य और बाध्यताएँ नीचे दी गयी हैं : ।. जारीकर्ता – सीपी का जारीकर्ता
।।. जारीकर्ता और अदाकर्ता एजेंट – किसी सीपी निर्गम के लिए आइपीए
।।।. साख-श्रेणी-निर्धारण एजेंसी
10. अन्य निदेशों/विनियमों, आदि की प्रयोज्यता सीपी के जारीकर्ता को सीपी के निर्गम/निवेश के संबंध में किसी विनियामक या अन्य प्राधिकारी द्वारा जारी निदेश/विनियम/दिशा-निर्देश का पालन करना चाहिए, बशर्ते कि ऐसे निदेश/विनियम/दिशा-निर्देश इन निदेशों के विरोधी न हों । 11. कतिपय अन्य निदेशों का लागू नहीं होना गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमाराशि का स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 में अंतर्विष्ट कोई बात किसी एनबीएफसी द्वारा सीपी निर्गम के माध्यम से जुटायी जाने वाली निधियों पर लागू नहीं होंगी, जब ऐसी निधियाँ इन निदेशों के अनुसार जुटायी जाती हैं । 12. मुद्रा बाजार के संबंध में मास्टर निदेश (खंड ।।) में वाणिज्यिक पत्र से संबंधित वर्तमान निदेशों को इन निदेशों से प्रतिस्थापित किया जा रहा है । भवदीय, (टी. रबिशंकर) |