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स्थानीय चेकों के समाशोधन में होने वाली देरी के संबंध में क्षतिपूर्ति निर्धारण

आरबीआई/2012-13/165
डीपीएसएस.सीओ. सीएचडी. सं. 284 / 03.06.03 / 2012-13

13 अगस्त, 2012

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
शहरी सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक /
जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक

महोदय/महोदया

स्थानीय चेकों के समाशोधन में होने वाली देरी के संबंध में क्षतिपूर्ति निर्धारण

जैसा कि आपको विदित है कि बैंकों को अपनी चेक संग्रहण नीति में स्थानीय और बाहरी चेकों की वसूली में लगने वाले समय के साथ-साथ क्रेडिट में विलंब होने पर देय क्षतिपूर्ति, यदि कोई हो, विनिर्दिष्ट करनी होती है। तथापि, विभिन्न बैंकों की चेक संग्रहण नीति और क्षतिपूर्ति नीतियों के अवलोकन से यह पता चला है कि स्थानीय चेकों की वसूली में विलंब होने पर क्षतिपूर्ति के संबंध में इनमें कोई भी उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने आए हैं जहां स्थानीय चेकों के संबंध में ग्राहक के खाते में चेक संग्रहण नीति में दर्शाई गई अवधि के बाद पैसा क्रेडिट हुआ और और वह भी बिना किसी क्षतिपूर्ति के।

2. इस संबंध में दिनांक 24 नवंबर 2008 के हमारे परिपत्र सं. डीपीएसएस.सीओ.(सीएचडी) सं 873 / 03.09.01 / 2008-09 का संदर्भ लें जिसकी शर्तों के अनुसार बैंकों से यह अपेक्षा की गई है कि वे, स्थानीय चेकों सहित, चेकों की वसूली की समय सीमा का उल्लेख अपनी संबन्धित चेक संग्रहण नीति में करें। इस परिपत्र के पैरा 4(ii) में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्थानीय चेकों के मामले में किसी भी स्थिति में संबन्धित वापसी समाशोधन के समाप्त होने के पश्चात बैंक को ग्राहक के खाते में आभासी क्रेडिट अवश्य दिखानी चाहिए और किसी भी परिस्थिति में आहरण की अनुमति उसी दिन अन्यथा अधिक से अधिक अगले कार्यदिवस के आरंभ होने के एक घंटे के भीतर होनी चाहिए, बशर्ते सामान्य रक्षोपाय पूरे कर लिए गए हों।

3. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए बैंको को यह निर्देश दिया जाता है कि वे स्थानीय चेकों के संग्रहण के मामले में भी देरी से किए गए भुगतान के संबंध में देय क्षतिपूर्ति को शामिल करने के लिए अपनी चेक संग्रहण नीति में संशोधन करें। यदि स्थानीय चेक की वसूली में हुई देरी के संबंध में कोई दर विनिर्दिष्ट नहीं की गई है तो विलंब की संगत अवधि के लिए बचत बैंक ब्याज दर पर क्षतिपूर्ति की जाएगी।

4. जहां तक बाहरी चेकों की वसूली अवधि और देर से हुई क्रेडिट की क्षतिपूर्ति का संबंध है, 24 नवंबर 2008 के परिपत्र के पैराग्राफ 4(iii) में निहित अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे।

5. सभी बैंक इस बात पर ध्यान दें कि वे अपनी संशोधित चेक संग्रहण नीति का प्रचार अपनी शाखाओं में स्थित सूचना पटल और अपनी वेबसाइट पर करें ताकि बेहतर ग्राहक सेवा और सूचना का प्रसार सुनिश्चित किया जा सके। संशोधित चेक संग्रहण नीति की एक प्रति हमें भी भेजी जाए।

6. उपर्युक्त अनुदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के अंतर्गत जारी किए जा रहे हैं।

7. कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति की सूचना दें और अनुपालन सुनिश्चित करें।

भवदीय

(विजय चुग)
मुख्य महाप्रबंधक

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