आरबीआई/2018-19/187 ए.पी.(डीआइआर शृंखला) परिपत्र सं. 34 24 मई 2019 प्रति सभी प्राधिकृत व्यक्ति महोदया / महोदय विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफ.पी.आई.) द्वारा ऋणों में निवेश के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वी.आर.आर.) प्रधिकृत डीलर श्रेणी–I (एडी श्रेणी–I) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित निम्नलिखित विनियमों और इन विनियमों के तहत जारी संगत निदेशों की तरफ दिलाया जाता है।
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विदेशी मुद्रा प्रबंधन (अनुमेय पूंजी खाता लेनदेन) विनियम, 2000 अधिसूचना सं. फेमा 1/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000 के माध्यम से अधिसूचित;
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विदेशी मुद्रा प्रबंधन (उधार लेना और ऋण देना) विनियम, 2018 अधिसूचना सं. फेमा 3(R)/2018-आरबी दिनांक 17 दिसम्बर 2018 के माध्यम से अधिसूचित;
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विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत से बाहर के निवसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियम, 2017 अधिसूचना सं. फेमा.20(R)/2017-आरबी दिनांक 7 नवम्बर 2017; के माध्यम से अधिसूचित; और
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विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियम, 2000 अधिसूचना सं.फेमा 25/आरबी – 2000 दिनांक 03 मई 2000 के माध्यम से अधिसूचित।
2. एडी श्रेणी–I बैंक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा ऋणों में निवेश के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग के बारे में 01 मार्च 2019 को जारी ए.पी. (डीआर शृंखला) परिपत्र सं.21 का अवलोकरन करें। प्राप्त फीडबैक के आधार निदेशों को अनुलग्नक में दिए अनुसार संशोधित किया गया है। इन निदेशों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का समावेश किया गया है:
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एक अलग वर्ग की शुरूआत, यथा – वीआरआर संयुक्त (देखिए अनुलग्नक का पैरा 2. x) ।
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यह अपेक्षा कि वचनबद्ध पोर्टफोलियो आकार का कम-से-कम 25 प्रतिशत आबंटन के एक माह के भीतर निवेश की अपेक्षा को हटा दिया गया है (देखिए अनुलग्नक का पैरा 6.क)।
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एफपीआई को प्रतिधारण अवधि के अंत में एक अतिररिक्त विकल्प दिया गया है, यथा अपने निवेश को परिपक्वता अथवा विक्रय की तारीख तक, जो भी पहले हो, अपने पास रखें (देखिए अनुलग्नक का पैरा 6.ग)।
3. ऐसे एफपीआई जिन्हें 11 मार्च 2019 – 30 अप्रैल 2019 के दौरान ‘टैप’ ओपन के तहत निवेश सीमाओं का आबंटन, उनके विवेक पर, किया गया था वे अपने समस्त आबंटन को वीआरआर – संयुक्त में संपरिवर्तित कर सकते हैं। 4. ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। 5. इस परिपत्र में निहित निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किया गया है और इस बारे में किसी अन्य कानून के तहत यदि कोई अनुमति/अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित है, तो इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। भवदीय (टी. रबि शंकर) मुख्य महाप्रबन्धक
अनुलग्नक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) निवेशों के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) परिचय रिज़र्व बैंक ने भारत सरकार और प्रतिभूति और एक्सचेन्ज बोर्ड (सेबी) के साथ परामर्श करते हुए एक अलग चैनल आरंभ किया है जिसे ‘स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) कहा गया है, ताकि एफपीआई भारत में ऋण बाजारों में निवेश करने में सक्षम हो सकें। मोटे तौर पर इस मार्ग से किए गए निवेश ऋण बाजारों में एफपीआई निवेशों के लिए अनुमेय अन्य विनियामक और समष्टि विवेकशील मानदंडों से मुक्त रहेंगे, बशर्ते एफपीआई स्वैच्छिक रूप से यह वचन दें कि वे भारत में अपने निवशों का अपेक्षित न्यूनतम प्रतिशत एक अवधि के लिए प्रतिधारित करेंगे। इस मार्ग के माध्यम से सहभागिता पूरी तरह से स्वैच्छिक है। इस मार्ग के लक्षणों का स्पष्टीकरा निम्नानुसार है। 2. परिभाषाएं
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किसी एफपीआई के लिए ‘प्रतिबद्ध पोर्टफोलियो साइज’ (सीपीएस), का आशय होगा उस एफपीआई को आबंटित रकम।
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इन तीनों वर्गों अर्थात केन्द्र सरकार प्रतिभूतियां, राज्य विकास ऋण अथवा कार्पोरेट ऋण लिखत में से किसी भी एक के लिए ‘सामान्य निवेश सीमा’ का आशय होगा समय-समय पर यथासंशोधित ए.पी.(डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.22 दिनांक 6 अप्रैल 2018 के अनुसार इन वर्गों के तहत मध्यम अवधि फ्रेमवर्क के लिए घोषित एफपीआई निवेश सीमाएं।
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‘माइनर उल्लंघन’ का आशय होगा कि ऐसे उल्लंघन जो कस्टोडियनों के सम्मत अभिमत से अस्थायी प्रकृति के हैं अथवा जो एफपीआई के नियंत्रण से परे कारणों की वजह से हों, और ऐसे सभी मामलों में ये जैसे ही ध्यान में आते हैं इन्हें ठीक कर दिया जाता है।
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‘संबद्ध एफपीआई’ का आशय होगा ऐसा निवेशक समूह जिसकी परिभाषा सेबी (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियम, 2014 की धारा 23(3) में दी गई है।
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‘रेपो’ का आशय वही रहेगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनयम, 1934 की धारा 45प(घ) में परिभाषित है; और इस विनियम के प्रयोजन से इनमें वे रेपो शामिल नहीं हैं जो चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमांत स्थायी सुविधा के तहत किए जाते हैं।
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‘प्रतिधारण अवधि’ का आशय होगा वह समयावधि जिसके लिए एफपीआई भारत में सीपीएस को बनाए रखने का स्वेच्छा से वचन देते हैं।
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‘रिवर्स रेपो’ का वही आशय रहेगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनयम, 1934 की धारा 45प(घ) में परिभाषित है; और इस विनियम के प्रयोजन से वे रिवर्स रेपो इसमें शामिल नहीं हैं जो चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमांत स्थायी सुविधा के तहत किए जाते हैं।
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‘वीआरआर-कार्प’ का आशय होगा कार्पोरेट ऋण लिखतों में एफपीआई निवेश के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारणा मार्ग।
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‘वीआरआर-सरकार’ का आशय होगा सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारणा मार्ग।
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‘वीआरआर-संयुक्त’ का आशय होगा वीआरआर-सरकार और वीआरआर-कॉर्प दोनों के तहत पात्र लिखतों में एफपीआई निवेश के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारणा मार्ग।
3. पात्र निवेशक सेबी में पंजीकृत कोई भी एफपीआई इस मार्ग से निवेश करने का पात्र होगा। इस मार्ग से सहभागिता स्वैच्छिक रहेगी। 4. पात्र लिखतें
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वीआरआर-सरकार के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक किसी भी सरकारी प्रतिभूति अर्थात, केन्द्र सरकार दिनांकित प्रतिभूतियों (जी-सेक), खजाना बिलों (टी-बिल) के साथ-साथ राज्य विकास ऋणों (एसडीएल), में निवेश करने के पात्र होंगे। वीआरआर-कार्प के तहत, एफपीआई ऐसी किसी भी लिखत में निवेश करने के पात्र होंगे सकेंगे, जिनकी सूचीबद्धता अधिसूचना सं. फेमा.20(आर)/2017-आरबी दिनांक 7 नवम्बर 2017 के माध्यम से अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियम, 2017 की अनुसूची 5 में है, ये लिखतें इसी अनुसूची में पैरा 1अ(क) और 1अ (घ) के अलावा हैं।
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रेपो लेनदेन और रिवर्स रेपो लेनदेन।
5. विशेषताएं a. इस मार्ग से किए गए निवेश सामान्य निवेश सीमा के अलावा होंगे। इस मार्ग के तहत किए जाने वाले निवेश की उच्च सीमा रु.75,000 करोड़ या उच्चतर होगी, ऐसी रकम वीआरआर-सरकार, वीआरआर-कार्प और वीआरआर-संयुक्त के बीच रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथानिर्णीत रकम रहेगी। निवेश की सीमा एक अथवा एकाधिक ट्रेन्चों में विमोचित की जाएगी। b. इस मार्ग के तहत एफपीआई के लिए निवेश राशि का आबंटन ऑन-टैप अथवा नीलामी के माध्यम से किया जाएगा। नीलामी व्यवस्था का विवरण परिशिष्ट में दिया गया है। c. आबंटन का तरीका, वीआरआर-सरकार और वीआरआर-कॉर्प वर्गों के लिए आबंटन और न्यूनतम प्रतिधारण अवधि की घोषणा आबंटन से पहले ही रिज़र्व बैंक द्वारा कर दी जाएगी। d. प्रस्तावित रकम के 100 प्रतिशत से अधिक की मांग होने की स्थिति में टैप अथवा नीलामी द्वारा प्रस्तावित प्रत्येक आबंटन की रकम के 50 प्रतिशत से अधिक की सीमा का निवेश किसी भी एफपीआई (इसके संबद्ध एफपीआई सहित) को आबंटित नहीं किया जाएगा। e. न्यूनतम प्रतिधारण अवधि तीन साल रहेगी अथवा टैप या नीलामी में प्रत्येक के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा यथानिर्णीत के अनुसार रहेगी। f. आबंटित रकम का निवेश एफपीआई करेंगे, इसे संबंधित ऋण लिखत में प्रतिबद्ध पोर्टफोलियो आकार (सीपीएस) कहा जाएगा और स्वैच्छिक प्रतिधारण अवधि के दौरान पूरे समय यह निम्नलिखित रियायतों के साथ इसी में निविष्ट रहेगा :
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प्रतिधारण अवधि के दौरान किसी भी एफपीआई का न्यूनतम निवेश सीपीएस का 75% रहेगा (निवेश में सीपीएस के 75%-100% के न्यूनाधिक्य की लोचशीलता का अभिप्राय यही है कि एफपीआई आपने पोर्टफोलियो साइज का आकार को अपने निवेश निदर्शन के अनुसार रख सकें)।
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अपेक्षित निवेश रकम के लिए दिवस-समापन आधार का अनुपालन किया जाएगा। इस प्रयोजन से प्रयुक्त रुपया खातों में इस मार्ग के लिए नकदी-धारिता को निवेश में शामिल किया जाएगा।
g. निवेश की रकम का आकलन प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य के अनुसार किया जाएगा। 6. पोर्टफोलियो प्रबंधन
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सफल आबंटियों को सीपीएस के 75 प्रतिशत का निवेश एक माह के भीतर करना होगा। सीमा के आबंटन की तारीख से प्रतिधारण अवधि आरंभ हो जाएगी।
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प्रतिबद्ध प्रतिधारण अवधि पूरी होने से पहले ही, यदि कोई एफपीआई चाहे तो, प्रतिबद्ध प्रतिधारण की अतिरिक्त अवधि के लिए इसी मार्ग के तहत निवेशों को बनाए रखने का विकल्प चुन सकता है। ऐसी स्थिति में, यह अपने निर्णय से अपने कस्टोडियन को अवगत कराएगा।
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यदि कोई एफपीआई प्रतिधारण अवधि के अंत में वीआरआर के तहत निवेश को नहीं बनाए रखने का निर्णय लेता है, तो वह (क) अपने पोर्टफोलियो को नकदीकृत करके बाहर हो सकता है, या (ख) सामान्य निवेश सीमा के तहत सीमा की उपलब्धता के अनुसार अपने निवेशों को ‘सामान्य निवेश सीमा’ में शिफ्ट करेगा अथवा (ग) परिपक्वता की तारीख तक अथवा इसका विक्रय हो जाने तक, जो भी पहले हो, अपने निवेशों को बनाए रखेगा।
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यदि कोई एफपीआई इस मार्ग के तहत किए गए निवेश को प्रतिधारण अवधि के समापन के पहले ही नकदीकृत करना चाहता है तो वह अपने निवेशों को दूसरे एफपीआई या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को बेचकर ऐसा सकता है। हालांकि ऐसे निवेश का क्रय करने वाले एफपीआई (या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) पर वही शर्तें और निबंधन लागू होंगे जो इस मार्ग तहत विक्रेता एफपीआई के लिए अनुमेय हैं।
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किसी भी एफपीआई द्वारा किए गए किसी भी उल्लंघन पर सेबी द्वारा यथानिर्धारित विनियामक कार्रवाई की जाएगी। एफपीआई को अनुमति है कि गौण उल्लंघनों को ध्यान में आते ही कस्टोडियन के अनुमोदन से तत्काल अथवा ऐसा उल्लंघन होने के पांच कार्य दिवस के भीतर हर हाल में इन्हें नियमित किया जाए। कस्टोडियन सभी प्रकार के उन अगौण उल्लंघनों और गौण उल्लंघनों की रिपोर्ट सेबी को करेंगे जिनको सेबी ने नियमित नहीं किया है।
7. अन्य रियायतें
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इस मार्ग के माध्यम से किए जाने वाले निवेशों पर ऐसी कोई न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अपेक्षा, संकेन्द्रण सीमा या एकल/समूह निवेशक अनुसार सीमा नहीं लागू होगी, जो कि 15 जून 2018 को जारी ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.31 के पैराग्राफ 4(ख), (ड.) और (च) में क्रमश: विनिर्दिष्ट हैं।
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इस मार्ग से किए गए निवेशों से होने वाली आय को एफपीआई के विवेकानुसार फिर से निवेश किया जा सकता है। ऐसे निवेशों के लिए सीपीएस से अधिक की भी अनुमति रहेगी।
8. अन्य सुविधाओं तक पहुंच
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इस मार्ग के माध्यम से निवेश करने वाली एफपीआई अपने-अपने नकदी प्रबंधन के लिए रेपो में सहभागिता के पात्र होंगे, प्रवाधान किया जाता है कि रेपो के तहत उधार ली गई अथवा उधार दी गई रकम उनके द्वारा वीआरआर के तहत कुल निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
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इस मार्ग के तहत निवेश करने वाले एफपीआई अपने ब्याज दर जोखिम या मुद्रा जोखिम का प्रबंधन करने के लिए किसी भी मुद्रा या ब्याज दर डेरिवेटिव लिखत, ओटीसी या एक्सचेन्ज ट्रेडेड, का प्रयोग करने के पात्र होंगे।
9. अन्य परिचालनगत पहलू
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इस मार्ग के तहत सीमाओं के प्रयोग और अन्य अपेक्षाओं के अनुपालन का दायित्व एफपीआई और उसके कस्टोडियन दोनों ही पर रहेगा।
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कस्टोडियन किसी भी एफपीआई को अपने नकदी खाते से कोई भी विप्रेषण करने की अनुमति नहीं देगा, यदि ऐसे लेनदेन से एफपीआई की आस्तियां को प्रतिधारण अवधि के दौरान सीपीएस के 75 प्रतिशत के न्यूनतम निर्धारित स्तर से नीचे जा रहे हों।
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कस्टोडियनों को एफपीआई के साथ समुचित विधिक प्रलेखन करना होगा जो उन्हें (कस्टोडियनों को) यह सुनिश्चित करने के लिए सक्षम करेगा कि वीआरआर के तहत विनियमों का अनुपालन किया जाता है।
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इस मार्ग के माध्यम से निवेश करने हेतु एफपीआई अलग से एक या अधिक विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाता खोलेंगे। इस मार्ग के माध्यम से निवेश के लिए सभी निधियों के प्रवाह इन खातों में दिखाए जाएंगे।
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एफपीआई इस मार्ग के तहत ऋण प्रतिभूतियों की धारिता हेतु एफपीआई अलग से अपना प्रतिभूति खाता भी खोलेंगे।
परिशिष्ट वीआरआर के तहत निवेश रकम के आबंटन हेतु नीलामी प्रक्रिया वीआरआर के तहत निवेश रकम के आबंटन हेतु नीलामी प्रक्रिया निम्नानुसार रहेगी : a. कोई भी एफपीआई दो प्रकार के उल्लेखों सहित नीलामी बोली लगाएगा – वह रकम जो निवेश के लिए प्रस्तावित है और उस निवेश की प्रतिधारण अवधि, जो कि उस नीलामी के लिए न्यूनतम प्रतिधारण अवधि से कम नहीं रहेगी। b. एफपीआई को एकाधिक नीलामी बोलियां लगाने की अनुमति है। c. प्रत्येक नीलामी के तहत आबंटन हेतु मानदंड उस नीलामी में दी गई प्रतिधारण अवधि रहेगी। d. नीलामी बोलियों को प्रतिधारण अवधि के अवरोही क्रम में स्वीकार किया जाएगा, उच्चतम सबसे पहले, जब तक कि स्वीकार की गई नीलामी बोलियों की रकम नीलामी की कुल रकम के बराबर नहीं हो जाए। e. मार्जिन पर नीलामी बोली की रकम यदि आबंटन के लिए उपलब्ध रकम से अधिक है तो मार्जिन पर किया जाने वाला आबंटन (अर्थात, स्वीकार की गई निम्नतम प्रतिधारण अवधि) निम्नानुसार रहेगी :
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मार्जिनल नीलामी बोलियों को आंशिक तौर पर ही स्वीकार किया जाएगा जिससे कि कुल स्वीकार्यता की रकम नीलामी रकम के अनुसार ही रहे।
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यदि एक से अधिक मार्जिनल नीलामी बोलियां हैं तो अधिकतम रकम वाली नीलामी बोली को आबंटन किया जाएगा और इसके बाद अवरोही क्रम में जब तक कि स्वीकार्यता रकम नीलामी की रकम के तुल्य नहीं हो जाए।
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यदि दो या अधिक मार्जिनल नीलामी बोलियों के लिए प्रस्तावित रकम एकसमान है, रकम का आबंटन समान रूप से किया जाएगा।
f. यदि किसी एफपीआई को एक नीलामी में एकाधिक नीलामी बोलियां आबंटित कर दी गई हैं तो प्रत्येक नीलामी बोली के लिए अलग-अलग सीपीएस का आकलन किया जाएगा। g. यदि नीलामी में किसी एफपीआई को सीपीएस आबंटित हो गई तो तो वह परावर्ती नीलामियों में भी सहभागिता का पात्र होगा। |