600 दश लक्ष भारतीय रुपयों के लिए 1 दिसंबर 1999 का इन्डो-विएतनाम ऋण करार - आरबीआई - Reserve Bank of India
600 दश लक्ष भारतीय रुपयों के लिए 1 दिसंबर 1999 का इन्डो-विएतनाम ऋण करार
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 5 अगस्त 10, 2000 प्रति प्रिय महोदय, 600 दश लक्ष भारतीय रुपयों के लिए 1 दिसंबर 1999 भारत सरकार ने सोशलिस्ट रिपब्लिक ऑफ्€ विएतनाम को 1 दिसंबर 1999 को दो सरकारों के बीच हुए ऋण करारनामा के अंतर्गत 600 दश लक्ष भारतीय रुपये (रुपये छः सौ दश लक्ष मात्र) राशि तक ऋण सहायता प्रदान की है । यह ऋण विएतनाम सरकार को पूंजीगत मालों के साथ खरीदे गये और मूल संविदा में अंतर्भूत मूल कलपुर्जे और उपकरणों को शामिल साथ ही साथ अनुबंध में उल्लिखित किये गये अनुसार टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं और परामर्शी सेवाएं भारत से आयात करने के लिए उपलब्ध होगा । अनुबंध की विषय वस्तु में दो सरकारें के बीच पारस्परिक रुप से सहमति पर ही समय-समय पर परिवर्धन, विलोपन अथवा प्रतिस्थापन के मार्ग द्वारा सुधार किये जायेंगे । भारत से माल तथा सेवाओं का निर्यात ओर उनका विएतनाम को आयात करना ऋण सहायता के अधीन सामान्य वाणिज्य चैनेल के जरिए किया जाना होगा और दोनो देशों में प्रचलित कानूनों और विनियमों के अधीन होगा । ऋण सहायता की शर्त मोटे तौर पर इस प्रकार है - (i) सभी निर्यात संविदाएं भारत सरकार और वियतनाम सरकार के अनुमोदन के अधीन होंगे और उसके लिए उसमें एक उपबंध शामिल किया जायेगा । संविदाएं अनुमोदन के लिए वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजना चाहिए । प्रत्येक संविदा को अनुमोदन प्राप्त होने के बाद उसकी सूचना वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विएतनाम सरकार और भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली को दी जाएं । (ii) ऋण भारत से निर्यात किये जानेवाले अनुबंध में उल्लिखित मालों के जहाज तक नःशुल्क मूल्य के सौ प्रतिशत के लिए उपलब्ध होगा । तद्नुसार आगम पत्र में यह उद्धृत करना चाहिए कि 100 प्रतिशत जहाज तक नःशुल्क मूल्य ऋण से वित्तपोषित की जायेगी । संविदा भारतीय रुपयों में अभिवयक्त होनी चाहिए । (iii) ऋण के अधीन सभी वितरण सोशालिस्ट रिपब्लिक ऑफ् विएतनाम के विदेशी व्यापार बैंके द्वारा खोले गये आगत पत्र के अंतर्गत होने चाहिए । सभी आगम पत्रों की सूचना सोशालिस्ट रिपब्लिक ऑफ विएतनाम के विदेश व्यापार बैंक, वियतनाम द्वारा भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली को निर्यातक को सीधे या भारत में किसी अन्य बैंक के जरिए, यदि कोई, निर्यातक/कों द्वारा नामित किया गया हो, अग्रेषण हेतु दी जायेगी । आगम पत्र संविदा की प्रति द्वारा समर्थित होनी चाहिए और उसमें निम्नलिखित प्रतिभूर्ति की शर्त अंतर्विष्ट होनी चाहिए । "संविदा की जहाज तक नःशुल्क मूल्य के 100 प्रतिशत के लिए प्रतिपूर्ति भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली द्वारा भारत सरकार से विएतनाम सरकार को ऋण प्रदान किये जाने से उपलब्ध होगी । भारतीय स्टेट बैंक द्वारा उसके परिचालन के बारे में सूचना जारी करने के बाद ही साखपत्र परक्रामित होगी ।" 2. ऋण करारनामा के अधीन वित्तपोषित किये जानेवाले अनुबंध के पैरा 1 में उल्लिखित मालों के मदों से संबंधित संविदाएं हस्ताक्षरित की जानी चाहिए और संबंधित साख पत्र अंततः 31 दिसंबर 2000 तक स्थापित होनी चाहिए और 31 दिसंबर 2001 तक ऋण के अंतर्गत पूर्ण राशि आहरित की जानी चाहिए । ऋण सहायता के अधीन वित्तपोषित किये जानेवाले अनुबंध के पैरा में विनिर्दिष्ट मदों के संबंध में संविदाएं हस्ताक्षरित की जानी चाहिए और संबंधित साख पत्र खोले जाएं और 31 दिसंबर 2000 तक पूर्ण राशि आहरित की जाएं । यदि उपरोक्त तिथियों पर पूर्ण राशि आहरित न की गई हो तो शेष निरस्त हो जायेगी और विएतनाम सरकार द्वारा की जानेवाली चुकौती की अंतिम किश्त अन्यथा भारत सरकार द्वारा, जो कोई सहमति हो, को छोडकर तद्नुसार घटाई जायेंगी । 3. ऋण करारनामा में शामिल मालों के लदाई और परामर्श सेवाओं के निर्यात को जीआर/एसडीएफ् /साफ्टेक्स फ्ार्मों में इस सुस्पष्ट उल्लेख के साथ घोषित की जानी चाहिए कि "भारत सरकार और विएतनाम सरकार क बीच 1 दिसंबर 1999 के ऋण करार के अंतर्गत विएतनाम को निर्यात" । इस परिपत्र की संख्या और तिथि को जीआर/एसडीएफ्/सॉफ्टेक्स फ्ार्मों में उसके लिए उपलब्ध किये गये स्थान पर रिकार्ड की जानी चाहिए । उक्त दर्शायी गयी भाँती के अनुसार बिलों के पूण भुगतान की प्राप्ति पर प्राधिकृत व्यापारी संबंधित जीआर/ एसडीएफ् / सॉफ्टेक्स की डयुप्लिकेट प्रतियाँ प्रमाणित करें और उक्त को सामान्यतः रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय/यों को भेजें । 4. ऋण सहायता के अधीन निर्यातों के आयात विषय को निम्न अथवा नगण्य सीमाओं के भीतर रखी जाये । 5. इस ऋण के अंतर्गत निर्यातों के संबंध में किसी एजेन्सी कमीशन की अनुमति नहीं दी जाएगी । 6. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अग कराएंं । 7. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम , 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गये है और इन निदेशों का किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है । भवदीय ( कि.ज. उदेशी ) |