विदेशी मुद्रा अर्जक का विदेशी मुद्रा (ईईएफ्सी) खाता योजना - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा अर्जक का विदेशी मुद्रा (ईईएफ्सी) खाता योजना
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 6 अगस्त 14, 2000 प्रति प्रिय महोदय, विदेशी मुद्रा अर्जक का विदेशी मुद्रा (ईईएफ्सी) खाता योजना प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा.10/2000-आरबी की ओर आकृष्ट किया जाता है ठ । 2. ईईएफ्सी खाता योजना का प्रारंभ 1992 में हुआ था जिससे निर्यातकों तथा अन्य विदेशी मुद्रा अर्जकों को विदेशी मुद्रा में उनकी प्राप्तियों का कुछ हिस्सा भ्ंारत में प्राधिकृत व्यापारी के पास बनाए रखना शक्य हो । वर्तमान में सौ प्रतिशत निर्यात अभिमुख्य इकाई अथवा (क) निर्यात प्रोसेसिंग झोन और (ख) साफ्टवेअर प्राद्योगिकी पार्क और (ग) इलेक्ट्रानिक हार्डवेअर प्राद्योगिकी पार्क में कोई ईकाई ईईएफ्सी खाता में आवक प्रेषणों का 70 प्रतिशत और भारत में निवासी कोई अन्य व्यक्ति 50 प्रतिशत तक जमा कर सकते हैं । योजना की संवीक्षा करने पर निम्नानुसार निर्णय लिया गया है : (i) प्राधिकृत व्यापारियों के ईईएफ्सी खातों के शेष 11 अगस्त 2000 तक धारित राशियों के 50 प्रतिशत तक घटाने के लिए प्रयास करना चाहिए । तद्नुसार प्राधिकृत व्यापारी अपने ग्राहकों को अंततम 31 अगस्त 2000 तक आधिक्य शेषों को रुपया में परिवर्तन करने के लिए निदेश दे और ऐसे परिवर्तन सुनिश्चित करें । जहाँ राशियाँ सावधि जमाराशियों में धारित है वहॉ अधिक्य राशि को जमाकर्ता द्वारा जमाराशि की परिपक्वता तिथि के साथ मेल खाने के लिए आगाऊ बेचें । परिवर्तन/आगाऊ बिक्री के संबंध में किये गये अनुपालन को मुख्य महा प्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, निर्यात प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, अमर भवन, मुंबई 400 001 को 25 अगस्त 2000 को या उसके पहले रिपोर्ट करना होगा । (ii) सौ प्रतिशत निर्यात अभिमुख ईकाई अथवा (क) निर्यात प्रोसेसिंग झोन अथवा (ख) साफ्टवेअर प्राद्योगिकी पार्क अथवा (ग) इलेक्ट्रानिक हार्डवेअर प्राद्योगिकी पार्क में कोई ईकाई 14 अगस्त 2000 से उक्त संदर्भित अधिसूचना के साथ संलग्न अनुसूची में दर्शाये गये अनुसार उनके पात्र आवक प्रेषणों का 35 प्रतिशत और भारत में निवासी कोई अन्य व्यक्ति 25 प्रतिशत तक जमा करें । (iii) वर्तमान में जहाँ खाताधारक कोई व्यक्तिगत है वहा ईईएफ्सी खाता, चालू अथवा बचत अथवा सावधि जमा खाता के रुप में खोल सकते है, धारित और बनाये रख सकते हैं और अन्य सभी मामलों में चालू अथवा सावधि जमा खाता के रुप में रख सकते हैं । अब यह निर्णय लिया गया है कि अब से ईईएफ्सी खाता व्यक्तिगत द्वारा केवल चालू अथवा बचत खाता के रुप में अथवा अन्यों द्वारा चालू खाता के रुप में ही रखा जायें । वर्तमान सावधि जमा में शेष आगाऊ बिक्रीयों को घटाकर चालू/बचत जमाओं में परिपक्वता की तिथि को परिवर्तित करें । (iv) दिनांक 22 अप्रैल 2000 के एडी (एमए सिरीज) परिपत्र सं. 5 के साथ पठित दिनांक 2 जून 1999 के एडी (एमए सिरीज) परिपत्र सं. 19 के अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को ईईएफ्सी खाते में धारित निधियों की जमानत पर दोनो निधि और गैर निधि आधारित ऋण सुविध्ंाएं प्रदान करने की अनुमति दी गई है । अब यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा ईईएफ्सी खाता में धारित शेषों के जमानत पर निधि या गैर निधि आधारित ऋण सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति न दी जाएं । तथापि वर्तमान सुविधाएं विद्यमान संविदा के परिपक्वता तक बनाये रखने की अनुमति दी जाएं । वर्तमान ऋण सुविधाओं की चुकौती हेतु कोई समय सीमा बढाने के लिए अनुमति न दी जाएं । 3.फेमा अधिसूचनाओं मे संशोधनों को अलग से जारी किये जा रहे हैं । 4. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराएंं । 5. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम , 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गये है और इन निदेशों का किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है । भवदीय ( बी. महेश्वरन ) |