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चिट फंड कंपनियों द्वारा जमाराशियाँ स्वीकार करना

भारिबैं/2009-10/133
गैबैंपवि.(नीति प्रभा.)कंपरि. सं./159/03.03.01/2009-10

28 अगस्त 2009

विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ

चिट फंड कंपनियों द्वारा जमाराशियाँ स्वीकार करना

भारतीय रिज़र्व बैंक जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने हेतु विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1977 को संशोधित करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ञ, 45-ट तथा 45-ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए विविध गैर-बैंकिंग कंपनियों को, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों में विनिर्दिष्ट शतों केअंतर्गत शेयरधारकों से राशियाँ प्राप्त करने से इतर जनता से जमाराशियाँ तत्काल प्रभाव से स्वीकारने को प्रतिषिद्ध करने (रोकने) का निदेश देता है। विविध गैर बैंकिंग कंपनियों द्वारा शेयरधारकों से इतर से आज की तारीख तक स्वीकार की गई और धारित जमाराशियाँ उनकी परिपक्वता पर अदा की जाएंगी और उनका नवींकरण नहीं किया जाएगा।

2. आज की तारीख की संशोधनकारी अधिसूचना सं. 207 के साथ ही साथ 20 जून 1977 की अधिसूचना सं. डीएनबीसी.39/डीजी(एच)-77(अब तक अद्यतन) आपकी सूचना और अनुपालन के लिए संलग्न है।

3. इसकी पावती आप गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित करें जिसके अधिकार-क्षेत्र में आपकी कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है।

भवन्निष्ठ

(ए.एन.राव)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर-1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400 005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 207/मुमप्र (एएनआर)-2009, दिनांक 28 अगस्त 2009

भारतीय रिज़र्व बैंक, जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने हेतु 20 जून 1977 की अधिसूचना सं. डीएनबीसी.39/डीजी(एच)-77 में अंतर्विष्ट विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1977 (जिन्हें इसके बाद निदेश कहा गया है) को संशोधित करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ञ, 45-ट तथा 45-ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है अर्थात-

A. निदेश के पैराग्राफ 5 के खंड (क) के प्रथम और द्वितीय परंतुक हटा दिए जाएंगे।

B. निदेश के पैराग्राफ 5 के खंड (ख) में -

1. उप खंड (i) निम्नलिखित शब्दों से प्रतिस्थापित किया जाएगा:

"किसी शेयरधारक से प्राप्त कोई जमाराशि, यदि ऐसी जमाराशि पहले प्राप्त हुई है और स्वीकारने या नवीकरण की तारीख को कंपनी की बहियों में निवल स्वाधिकृत निधियों के 15 प्रतिशत से अधिक बकाया हे"।

2. उप खंड (ii) निम्नलिखित शब्दों से प्रतिस्थापित किया जाएगा:

"अपरिवर्तनीय बांडों या डिबेंचरों सहित कोई अन्य जमाराशि"।

3. निम्नलिखित परंतुक जोड़ा जाएगा:

"शर्त यह है कि जहाँ विविध गैर बैंकिंग कंपनी अपने शेयरधारकों से भिन्न किसी व्यक्ति से प्राप्त जमाराशि धारण किए है वहाँ ऐसी राशि परिपक्वता पर अदा की जाएगी और नवींकृत करने की पात्र नहीं होगी"।

4. उप खंड (iii) एवं (iv) हटाए जाएंगे।

C. पैराग्राफ 9ए के खंड (1) के उप खंड (क) में परंतुक "शर्त यह है कि डिबेंचर या बांड के निर्गम द्वारा जुटायी गयी राशियों पर इस खंड में दिए गए कोई निदेश लागू नहीं होंगे" को हटाया जाएगा।

D. पैराग्राफ 9 ए से खंड (2) को हटाया जाएगा।

E. पैराग्राफ 9एबी में "वर्तमान जमाकर्ता" शब्दों के बाद और "को" शब्द के पहले निम्नलिखित शब्द शामिल किए जाएंगे:

"जो एक शेयरधारक है"

F. पैराग्राफ 9बी में खंड (ii) तथा (iii) के क्रमश: शीर्षक "समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी नहीं होने पर विविध गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा जनता की जमाराशियों की चुकौती" तथा "समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा जनता की जमाराशियों की चुकौती"में से जनता शब्द हटा दिए जाएंगे।

(ए. नारायण राव)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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