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राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों हेतु अभिगम मानदंड

आरबीआई/2008-09/191
डीपीएसएस.केका.सं.528/04.04.009/2008–09

22 सितम्बर 2008

अध्यक्ष / अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / मुख्या कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/शहरी सहकारी बैंकों / राज्य
सहकारी बैंकों / जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों सहित

महोदय / महोदया

राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों हेतु अभिगम मानदंड

आप जानते ही हैं कि वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीतिगत वक्‍तव्‍य के अनुसरण में भुगतान प्रणालियों तक अभिगम हेतु दिशानिदेश तैयार करने के लिए रिज़र्व बैंक ने एक कार्यदल का गठन किया था। जनता से फीडबैक/अभिमत प्राप्त करने के लिए इस कार्यदल की रिपोर्ट को रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर भी दिया गया था।

कार्यदल द्वारा की गई सिफारिशों और प्राप्त फीडबैक के आधार पर राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों (आरटीजीएस और एनईएफटी) में सहभागिता हेतु मानदंडों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों में सहभागिता के लिए किसी भी संस्थान की वित्तीय सुदृढ़ता निर्देशक पैरामीटर रहेगी।

तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) और राष्ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणालियों को संबंधित सदस्यता विनियमों, कारोबारी दिशानिदेशों और/अथवा प्रक्रियात्‍मक दिशानिदेशों द्वारा ही नियंत्रित किया जाता रहेगा, जो सहभागी सदस्‍यों के लिए बाध्‍यकारी हैं। अभिगम कसौटियों के निर्धारणों में केवल राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों में प्रवेश/निकास के मानक दिए गए हैं।

अभिगम कसौटियों के लिए नए मानदंडों पर विचार करते हुए आरटीजीएस प्रणाली के लिए आरटीजीएस (सदस्यता) विनियमावली, 2004 और आरटीजीएस (सदस्यता) व्‍यवसाय संचालन दिशानिदेश, 2004 और एनईएफटी प्रणाली के लिए एनईएफटी प्रक्रियात्मक दिशानिदेशों को यथा समय संशोधित करके परिचालित कर दिया जाएगा।

कृपया इस परिपत्र की पावती भिजवाएं।

भवदीय,

(जी. पद्मनाभन)
मुख्य महाप्रबंधक


राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों के लिए अभिगम कसौटियां

1. परिचय

1.1 भुगतान प्रणालियां आर्थिक क्रियाकलापों का मूल आधार होती हैं और भुगतान प्रणालियों की तीव्र संवृद्धि के कारण पैदा हो रहे विभिन्न जोखिमों पर ध्यान देने के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि भुगतान प्रणालियों तक पहुंचने के लिए समुचित पात्रता कसौटियां तय कर दी जाएं। अभिगम कसौटियों हेतु समुचित दिशानिदेशों को अपनाने लिया जाए तो भुगतान प्रणालियों को हो सकने वाले जोखिमों को कम किया जा सकेगा। बैंकों / वित्तीय संस्थानों के लिए भुगतान प्रणालियों तक अभिगम होना आवश्‍यक है ताकि वे अपने ग्राहकों को भुगतान सेवाएं प्रदान कर सकें।

1.2 भुगतान सेवाओं की निरापदता, सुरक्षा और सत्‍यता सुनिश्चित करने के लिए इस प्रकार के अभिगमों को प्रतिबंधित, नियंत्रित और कतिपय न्‍यूनतम मानकों के अधीन रखा जाए। वर्तमान में तत्‍काल सकल निपटान (आरटीजीएस) और राष्ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणालियां इस देश की राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियां हैं और इन प्रणालियों में संव्यवहारों का निपटान भारतीय रिज़र्व बैंक, मुम्बई की लेखाबहियों में केन्द्रीयकृत रूप में रखा जाता है।

2. उद्देश्य

नई अभिगम कसौटियों के उद्देश्य निम्नानुसार हैं :

2.1 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा या भारतीय रिज़र्व बैंक के विवेकानुसार किसी अन्य अधिसूचित / विशेष संस्‍थान द्वारा नियंत्रित ऐसे प्रतिष्ठानों को भुगतान प्रणालियों के लिए अभिगम को सामन्‍य रूप से प्रतिबंधित करना।

2.2 राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों के लिए सदस्यता हेतु कतिपय न्‍यूनतम वित्तीय कसौटियां निर्धारित करना।

2.3 ऐसे अधिसूचित/ विशेष संस्‍थानों को भुगतान प्रणालियों तक अभिगम प्रदान करना जिन्‍हें चेक के माध्‍यम से निकाले जा सकने वाली जमाराशियों को स्वीकार करने की अनुमति है, जैसे कि डाक-घर बचत बैंक।

2.4 विशिष्ट क्षेत्र में कतिपय प्रतिष्ठानों, जैसे कि गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों, गैर-अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों, आदि की विशिष्ट स्थिति पर विचार करते हुए इन्हें भुगतान प्रणालियों तक अभिगम प्रदान करना।

3. वित्तीय कसौटियां

3.1 केवल वित्तीय रूप से सुदृढ़ प्रतिष्ठानों को ही राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों में सहभागिता करने की अनुमति दी जाएगी।

3.2 वित्तीय रूप से सुदृढ़ के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए किसी प्रतिष्ठान को निम्नलिखित कसौटियों को पूरा करना होगा :

(क) न्यूनतम मालियत रु.50 करोड़;

(ख) 9% का सीआरएआर;

(ग) 10% से कम निवल एनपीए;

(घ) विगत एक साल के दौरान सीआरआर या एसएलआर के अनुरक्षण में कोई चूक नहीं हुई हो; और

(ङ) विगत दो वर्षों में कम से कम किसी भी एक वर्ष में निवल लाभ हुआ हो।

3.3 संदर्भ वर्ष उस प्रतिष्ठान का संगत वित्तीय वर्ष रहेगा, अर्थात अप्रैल – मार्च।

3.4 निवल लाभ, निवल गैर-निष्‍पादक आस्तियों और सीआरएसआर के आंकड़े प्रतिष्ठान के नवीनतम लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार होने चाहिए।

3.5 किसी भी सदस्य बैंक की सदस्यता का निरंतर बने रहना निर्धारित अभिगम कसौटियों के मानदंडों पर आधारित होगा और यह सदस्यता तत्‍काल सकल निपटान प्रणाली के लिए तत्‍काल सकल निपटान (सदस्यता) विनियमावली, 2004 और आरटीजीएस (सदस्यता) व्‍यवसाय परिचालन दिशानिदेश, 2004 और एनईएफटी के लिए राष्ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक निधि अंतरण हेतु प्रक्रियात्मक दिशानिदेशों के अधीन रहेगी।

4. सदस्यता हेतु पात्रता

4.1 आरटीजीएस की सदस्यता लाइसेन्‍सप्राप्‍त सभी बैंकों, प्राइमरी डीलरों, विशेष संस्थानों और क्लीयरिंग हाउसों/क्लीयरिंग एजेन्सियों के लिए खुली रहेगी।

4.2 यदि वित्तीय रूप से सुदृढ़ हैं तो अनुसूचित वाणिज्‍य बैंकों (आरआरबी के अलावा), लोकल एरिया बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों (अनुसूचित/गैर-अनुसूचित) को आरटीजीएस और एनईएफटी का सीधे ही सदस्य बनने की अनुमति रहेगी।

4.3 राज्य सहकारी बैंकों (अनुसूचित/गैर-अनुसूचित / लाइसेन्‍सधारी/ लाइसेन्‍सरहित), जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (अनुसूचित/गैर-अनुसूचित/ लाइसेंसधारी/ लाइसेन्‍सरहित), और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को ऊपर बताए अनुसार वित्तीय पैरामीटरों पर ध्यान दिए बिना ही आरटीजीएस और एनईएफटी का सीधे ही सदस्‍य बनने का पात्र माना जाएगा, बशर्ते वे – (क) उन्होंने विगत एक वर्ष के दौरान सीआरआर या एसएलआर का अनुरक्षण करने में चूक नहीं की हो और (ख) लेखापरीक्षित नवीनतम तुलनपत्र के अनुसार उनकी निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।

4.4 एनईएफटी की सदस्यता आरटीजीएस के साथ सम्बद्ध है, अर्थात डाकघर बचत बैंक (पीओएसबी) के अलावा केवल आरटीजीएस सदस्य ही एनईएफटी में शामिल होने के पात्र होंगे।

4.5 आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणालियों के लिए अभिगम कसौटियों विस्‍तृत विवरण अनुलग्नक में दिया गया है।

4.6 डाकघर बचत बैंक (पीओएसबी) को इसकी विशेष स्थिति को देखते हुए एनईएफटी का सदस्य बनाया जा सकेगा।

5. सदस्यता के प्रकार

5.1 आरटीजीएस में सदस्यता के प्रकार निम्‍नानुसार रहेंगे :

क्रमांक प्रकार पात्र संस्‍थान उपलब्‍ध सुविधाएं
1. अनुसूचित वाणिज्‍य बैंक, लोकल एरिया बैंक, शहरी सहकारी बैंक (अनुसूचित/गैर-अनुसूचित / लाइसेन्‍सधारी/ लाइसेन्‍सरहित), जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंक (अनुसूचित/गैर-अनुसूचित / लाइसेन्‍सधारी/ लाइसेन्‍सरहित) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सीधी सदस्यता सहभागिता इंटरफ़ेस अन्‍तर-संस्‍थागत संव्‍यवहारों की पात्रता, ग्राहक संव्‍यवहार, अंत: दिवसीय चलनिधि और अपने ही खाते में अंतरण
2. प्राइमरी डीलर अंतर-संस्‍थागत संव्‍यवहारों के लिए सीधी सदस्यता सहभागिता इंटरफ़ेस, अंत: दिवसीय चलनिधि और अपने ही खाते में अंतरण
3. क्लीयरिंग संगठन निवल निपटान इंटरफ़ेस, निपटान हेतु एमएनएसबी प्रस्तुत करने की पात्रता
4. विशेष संस्थाएं रिज़र्व बैंक के विवेकानुसार

6. सदस्यता का पुन: वर्गीकरण

6.1 वर्तमान में जो प्रतिष्ठान आरटीजीएस/एनईएफटी के सदस्य हैं लेकिन इन दिशानिदेशों में निर्धारित अभिगम कसौटियों के अनुसार सदस्यता की निरंतरता के पात्र नहीं हैं, उनको इन दिशानिदशों के लागू होने की तारीख से एक साल की अवधि दी जाएगी कि निर्धारित मानदंडों के अनुसार बन जाएं।

6.2 मानदंडों का एक वर्ष की अवधि के भीतर अनुपालन नहीं करने वाले प्रतिष्ठान आरटीजीएस/एनईएफटी के सदस्य नहीं रह सकेंगे।

7. आवधिक समीक्षा

7.1 इन प्रतिष्‍ठानों के वित्तीय पैरामीटरों की आवधिक समीक्षा रिज़र्व बैंक द्वारा की जाएगी। इन प्रतिष्ठानों को निर्धारित मानदंडों का पालन करना होगा जिसके विफल रहने पर निर्धारित समय अवधि के बाद उनकी आरटीजीएस/एनईएफटी सदस्यता समाप्‍त हो जाएगी।

8. प्रभावी तारीख

8.1 नए दिशानिदेश इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी होंगे।

9. अभिगम कसौटियों के मानदंडों को संशोघित करने की शक्ति

9.1 रिज़र्व बैंक का यह अधिकार सुरक्षित है कि जब भी आवश्‍यक समझे तो राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों के सहज कार्यचालन हेतु अभिगम कसौटियों के इन मानदंडों का संशोधन करे।


अनुलग्नक

आरटीजीएस/ एनईएफटी हेतु अभिगम कसौटियां

क्रमांक बैंकों की श्रेणियां आरटीजीएस / एनईएफटी के लिए अभिगम
1 अनुसूचित वाणिज्‍य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लोकल एरिया बैंकों के अलावा) आरटीजीएस / एनईएफटी की ए श्रेणी की सदस्यता, बशर्ते :
  • सीआरएआर 9%
  • निवल एनपीए 10% से कम;
  • विगत एक साल के दौरान सीआरआर और एसएलआर के रखरखाव में कोई चूक नहीं हो;
  • विगत दो वर्ष में कम-से-कम एक वर्ष निवल लाभ हुआ हो; और
  • न्यूनतम निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।
2 राज्य सहकारी बैंक आरटीजीएस / एनईएफटी की ए श्रेणी की सदस्यता, बशर्ते :
  • विगत एक साल के दौरान सीआरआर और एलएलआर के अनुरक्षण में कोई चूक नहीं हो; और
  • न्यूनतम निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।
3 जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंक आरटीजीएस / एनईएफटी की ए श्रेणी की सदस्यता, बशर्ते :
  • विगत एक साल के दौरान सीआरआर और एलएलआर के अनुरक्षण में कोई चूक नहीं हो; और
  • न्यूनतम निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।
4 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आरटीजीएस / एनईएफटी की ए श्रेणी की सदस्यता, बशर्ते :
  • विगत एक साल के दौरान सीआरआर और एलएलआर के अनुरक्षण में कोई चूक नहीं हो; और
  • न्यूनतम निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।
5 लोकल एरिया बैंक आरटीजीएस / एनईएफटी की ए श्रेणी की सदस्यता, बशर्ते :
  • 9% की सीआरएआर;
  • निवल एनपीए 10% से कम हो;
  • विगत एक साल के दौरान सीआरआर और एलएलआर के अनुरक्षण में कोई चूक नहीं हो;
  • विगत दो वर्ष में कम-से-कम एक वर्ष निवल लाभ हुआ हो; और
  • न्यूनतम निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।
6 अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक आरटीजीएस / एनईएफटी की ए श्रेणी की सदस्यता, बशर्ते :
  • 9% की सीआरएआर;
  • निवल एनपीए 10% से कम हो;
  • विगत एक साल के दौरान सीआरआर और एलएलआर के अनुरक्षण में कोई चूक नहीं हो;
  • विगत दो वर्ष में कम-से-कम एक वर्ष निवल लाभ हुआ हो; और
  • न्यूनतम निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।
7 गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक आरटीजीएस / एनईएफटी की ए श्रेणी की सदस्यता, बशर्ते :
  • 9% की सीआरएआर;
  • निवल एनपीए 10% से कम हो;
  • विगत एक साल के दौरान सीआरआर और एलएलआर के अनुरक्षण में कोई चूक नहीं हो;
  • विगत दो वर्ष में कम-से-कम एक वर्ष निवल लाभ हुआ हो; और
  • न्यूनतम निवल मालियत रु.50 करोड़ हो।
8 श्रेणी 1 और 3-7 के जो बैंक अपेक्षाओं का अनुपालन नहीं कर रहे अभिगम नहीं
9 लाइसेंस रहित बैंक (लाइसेंस रहित राज्य सहकारी बैंकों और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के अलावा) अभिगम नहीं
10 अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान अभिगम नहीं
11 रिज़र्व बैंक के स्‍वामित्‍व में डीआईसीजीसी जैसे जैसे विेशेष संस्थान ई-श्रेणी के सदस्य के रूप में आरटीजीएस के लिए अभिगम जब तक कि इसे रिज़र्व बैंक अपने घटक के तोर पर आरटीजीएस सुविधा नहीं प्रदान कर देता है।
12 डाकघर बचत बैंक एनईएफटी में अभिगम
13 सीसीआईएल, एनएसई के एनएससीसीएल जैसे क्लीयरिंग संगठन और बीएसई का क्लीयरिंग हाउस आरटीजीएस के डी-प्रकार के सदस्य
14 प्राइमरी डीलर आरटीजीएस मे के बी-प्रकार के सदस्य

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