भुगतान प्रणाली के लिए एक्सेस संबंधी मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
भुगतान प्रणाली के लिए एक्सेस संबंधी मानदंड
आरबीआई/2011-12/193 21 सितंबर 2011 अध्यक्ष /प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/ महोदया भुगतान प्रणाली के लिए एक्सेस संबंधी मानदंड 1. कृपया दिनांक 22 सितंबर 2008 के परिपत्र भु.नि.प्र.वि. (कें.का.) सं. 528/04.04.009/2008/09 का संदर्भ लें जिसमें राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली के लिए एक्सेस संबंधी मानदंड विहित हैं। 1.1 भारतीय रिज़र्व बैंक ने जोखिम प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य और भुगतान प्रणाली का व्यापक एक्सेस सुनिश्चित करने के लिए, मौजूदा एक्सेस संबंधी मानदंड दिशानिर्देशों की समीक्षा करने के लिए एक कार्य दल का गठन किया था। 1.2 यह भी स्मरण करना चाहिए कि मौद्रिक नीति 2010-11 की दूसरी तिमाही की समीक्षा (02 नवंबर 2010 -पैरा 97) में यह निर्णय लिया गया था कि: क़) सभी लाईसेंसप्राप्त शहरी सहकारी बैंकों (सभी को समाहित करने वाले निर्देशों के अंतर्गत से इतर) को भारतीय वित्तीय नेटवर्क (इनफीनेट) की सदस्यता सुविधा, रिज़र्व बैंक में चालू और सब्सीडियरी जनरल लेजर (एसजीएल) खातों की अनुमति देना; और ख़) केवल अच्छे प्रबंधन और मजबूत वित्तीय स्थिति वाले शहरी सहकारी बैंक जिनकी न्यूनतम निवल मालियत 25 करोड़ रुपए हो को आरटीजीएस सदस्यता प्रदान करना। 1.3 कार्य दल की सिफारिशों पर आधारित और मौद्रिक नीति (नवंबर 2010) की दूसरी तिमाही की समीक्षा में की गई घोषणा और उसके पश्चात के परामर्शों के आधार पर, मौजूदा एक्सेस मानदंड दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है। 2. संशोधित एक्सेस मानदंड 2.1 एक्सेस मानदंड के दो सेट होंगे अर्थात केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली और दूसरी विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली के लिए। 3. केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली के लिए एक्सेस मानदंड 3.1 केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में तत्काल सकल भुगतान प्रणाली (आरटीजीएस), राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण प्रणाली (एनईएफ़टी) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक क्लियरिंग प्रणाली (एनईसीएस) और ऐसी अन्य कोई प्रणाली जिसके बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक समय – समय पर निर्णय लेता है, शामिल है। 3.2 केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली की सदस्यता सभी लाइसेंसप्राप्त बैंकों को उपलब्ध होगी। 3.3 केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों के लिए संशोधित एक समान एक्सेस मानदंड नीचे दिये गए हैं: i) न्यूनतम 9 प्रतिशत का सीआरएआर (अद्यतन लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार); ii) 5 प्रतिशत से कम निवल एनपीए (अद्यतन लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार); iii) 25 करोड़ रुपए की न्यूनतम निवल मालियत; और iv) सम्बद्ध विनियामक विभाग की सिफारिशें 3.4 केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में सदस्यता चाहने वाली संस्था को विहित आवेदन प्रारूप में आवेदन करना अपेक्षित है (विवरण पैरा 9.1 पर उपलब्ध है)। 3.5 केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली एक्सेस के सभी आवेदन मुख्य महाप्रबन्धक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्रीय कार्यालय, 14 वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई-400001 को भेजे जाने चाहिए। 3.6 भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियामक विभागों की सिफारिशें अलग से प्राप्त की जाएंगी, और उन्हें संस्था द्वारा आवेदन प्रस्तुत करते समय साथ में प्रस्तुत किए जाने की आवश्यकता नहीं है। 3.7 सभी केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों (आरटीजीएस, एनईएफ़टी, एनईसीएस) के संबंध में विहित एक्सेस मानदंडों को पूरा करने पर संस्था को साथ ही साथ इंफीनेट की सदस्यता मिल जाएगी, जमा लेखा विभाग (भा.रि.बैंक, मुंबई) में चालू खाता, एसजीएल/सीएसजीएल खाता (भा.रि.बैंक, मुंबई) इत्यादि खोलने की पात्रता बिना किन्हीं अतिरिक्त अपेक्षाओं/जरूरतों के हासिल हो जाएगी। 3.8 चालू खाता, एसजीएल/सीएसजीएल खाता खोलने/परिचालन करने और इंफीनेट की सदस्यता तभी प्राप्त होगी जब संस्था भा.रि.बैंक द्वारा समय-समय पर विहित की गईं दस्तावेजों संबंधी अपेक्षाओं और अन्य औपचारिकताओं को पूरा कर लेगी। 3.9 उन मामलों में जहां संस्था भुगतान प्रणाली में सदस्यता नहीं प्राप्त करना चाहती है बल्कि वह भा.रि.बैंक में चालू खाता, एसजीएल/सीएसजीएल खाता खोलने की इच्छुक है वहाँ मौजूदा निर्देश/दिशानिर्देश/प्रक्रिया ही जारी रहेगी। तार्किक परिणाम के रूप में ऐसी कंपनियाँ जिनके पास पहले से ही चालू खाता, एसजीएल/सीएसजीएल खाता और इंफीनेट की सदस्यता और उक्त भुगतान प्रणाली के लिए विहित सदस्यता संबंधी आवश्यकताएं पूरी हैं उन्हें केवल केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में एक्सेस के लिए आवेदन करना होगा। 3.10 प्राथमिक डीलर भी आरटीजीएस सदस्यता के पात्र होंगे बशर्ते सम्बद्ध विनियामक विभाग अर्थात आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग (आईडीएमडी) की मौजूदा सिफारिशों और विनियमों के अनुसार हों। क्लियरिंग संगठन और अन्य कंपनियों के लिए रिज़र्व बैंक सदस्यता संबंधी आवेदनों के संबंध में हर मामले पर अलग से विचार करेगा। 4. विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली के लिए एक्सेस मानदंड 4.1. एक्सेस मानदंड दिशानिर्देशों के प्रयोजनार्थ विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में एमआईसीआर केन्द्रों में समाशोधन गृह (चेक ट्रंकेशन केन्द्रों सहित) और क्षेत्रीय इलेक्ट्रानिक क्लियरिंग सेवा (आरईसीएस) सहित इलेक्ट्रानिक क्लियरिंग सेवा (ईसीएस) और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निश्चित की जाने वाली कोई अन्य प्रणाली शामिल हैं। 4.2 विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली की सदस्यता सभी लाइसेंसप्राप्त बैंकों के लिए उपलब्ध होगी। 4.3 विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली के लिए संशोधित एकसमान एक्सेस मानदंड निम्नलिखित हैं: I. 9 प्रतिशत का न्यूनतम सीआरएआर (अद्यतन लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार); II. 5 प्रतिशत से कम निवल एनपीए (अद्यतन लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार); और III. सम्बद्ध विनियामक विभाग की सिफारिशें 4.4 भुगतान प्रणाली में सदस्यता चाहने वाली संस्था को विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली के लिए विहित आवेदन प्रारूप में आवेदन करना अपेक्षित है (विवरण पैरा 9.1 पर उपलब्ध है) 4.5 सभी आवेदन समाशोधन गृह /ईसीएस केंद्र के अध्यक्ष को प्रस्तुत किए जाने चाहिए। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रबंध किए जा रहे समाशोधन गृह /केन्द्रों पर सदस्यता प्रदान करने के लिए मौजूदा प्रक्रियाएं ही जारी रहेंगी। 4.6 अन्य समाशोधन गृह /केंद्र (जिनका प्रबंधन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नहीं किया जा रहा है), वहाँ समाशोधन गृह के अध्यक्ष सदस्यता के लिए अनुमोदन देने से पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय से औपचारिक रूप से मंजूरी लेंगे। समाशोधन गृह /ईसीएस केंद्र, प्राप्त सूचना (आरबीआई, डीपीएसएस आरओ / एनसीसी) के आधार पर और भुगतान प्रणाली के संबंध में लागू अपेक्षाओं पर विचार करने के पश्चात, सदस्य बैंक को समाशोधन गृह /ईसीएस केंद्र में प्रवेश की अनुमति देगा। सदस्य बैंक को प्रवेश की अनुमति बैंकर समाशोधन गृह के लिए एक समान विनियम एवं नियम (यूआरआरबीसीएच) में यथा निर्धारित अन्य अपेक्षाओं को पूरा करने, और इस संबंध में समय –समय पर जारी प्रक्रियात्मक दिशनिर्देशों और अनुदेशों के पालन करने पर भी आधारित होगी। 4.7 बैंक के विनियामक विभाग की सिफ़ारिशों को स्वतंत्र रूप से लिया जाएगा, उन्हें संस्था द्वारा आवेदन प्रस्तुत करते समय प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होती है। 4.8 सदस्य बैंक द्वारा एक बार सभी विहित एक्सेस मानदंडों को पूरा करने के पश्चात सभी विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में बिना किन्हीं अतिरिक्त अपेक्षाओं/जरूरतों के निपटान बैंक में चालू खाता खोलने की पात्रता प्राप्त हो जाती है। 4.9 चालू खाता खोलने/परिचालन करने की अनुमति तभी प्राप्त होगी जब सदस्य बैंक निपटान बैंक द्वारा समय-समय पर विहित की गईं दस्तावेजों संबंधी अपेक्षाओं और ऐसी सुविधाओं के लिए औपचारिकताओं को पूरा कर लेगा। 4.10 पोस्ट आफिस बचत बैंक जैसी अधिसूचित संस्थाएं जैसा कि अभी तक था, विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों की सदस्यता के लिए पात्र होंगी। 4.11 राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और पोस्ट आफिस बचत बैंकों को एमआईसीआर केन्द्रों में उपलब्ध समाशोधन गृहों की सदस्यता के संबंध में प्रदान की गई छूट मिलनी जारी रहेगी। ऐसे बैंक जिन्हें लाईसेंस प्राप्त नहीं है वे भी विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में उप सदस्य के रूप में भाग लेना जारी रख सकते हैं। सहकारी समितियां किसी भी भुगतान प्रणाली में जैसा कि अभी तक होता रहा है न तो सीधेतौर पर सदस्य होंगी और न ही उप सदस्य होंगी। 5. उप सदस्यता 5.1 समाशोधन गृहों की विभिन्न प्रकार की उप सदस्यता बैंकर समाशोधन गृह के लिए एक समान विनियम एवं नियम (यूआरआरबीसीएच) और/ अथवा संबन्धित प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों के अंतर्गत दी गई परिभाषा के अनुसार ही रहेगी। 5.2 एमआईसीआर समाशोधन गृहों में एक सदस्य बैंक द्वारा प्रायोजित किए जाने वाले उप सदस्यों की संख्या पर मौजूदा प्रतिबंध को इसके बाद से समाप्त कर दिया गया है। तथापि प्रायोजक बैंक को एक नए उप सदस्य को शामिल करते समय उससे जुड़े हुए जोखिमों का सावधानीपूर्वक अंदाजा लगा लेना चाहिए और ऐसी संस्था को प्रायोजित करने से पहले इन जोखिमों को कम करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। 6. सदस्यता की समीक्षा 6.1 एक बार एक संस्था को सदस्य के रूप में शामिल करने के पश्चात वह संस्था तब तक सदस्य बनी रहेगी जब तक इसे जमा स्वीकार करने की अनुमति है अथवा भुगतान प्रणाली में इसका सहभागी होना उत्पाद/ प्रणाली के सुचारु रूप से कार्य करने में किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है या संबन्धित भुगतान प्रणाली के नियमों, विनियमों और दिशानिर्देशों के अंतर्गत इसकी सदस्यता निलंबित/रद्द/ समाप्त न कर दी गई हो। 6.2 जहां संस्था की वित्तीय स्थिति के बारे में चिंता जताई गई हो, ऐसे मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक कदम उठा सकता है जिनमें ऐसी संस्थाओं के द्वारा समाशोधन गृहों में उपस्थिति सीमित करना भी शामिल है। ऐसी संस्थाओं द्वारा समाशोधन गृहों में उपस्थिति की सीमित संबंधी निर्णय सम्बद्ध विनियामक/पर्यवेक्षी विभाग/ विभागों और / अथवा समाशोधन गृहों के अध्यक्ष के परामर्श से लिया जाएगा। 6.3 भारतीय रिज़र्व बैंक के पास यह निर्णय लेने का अधिकार होगा कि एक सदस्य भुगतान प्रणाली में भाग लेना जारी रख सकता है या नहीं। यदि यह महसूस किया जाता है कि किसी संस्था का जारी रहना भुगतान प्रणाली के सुचारु रूप से कार्य करने में किसी भी रूप से हानिकारक है तो आरबीआई के पास यह अधिकार होगा कि वह उस संस्था की किसी भी भुगतान प्रणाली के एक्सेस को समाप्त कर दे या वापस ले ले। 6.4 विभिन्न भुगतान प्रणालियों की सदस्यता की समीक्षा दो वर्षों में एक बार अथवा जो अवधि आरबीआई द्वारा उचित समझी जाए में की जाएगी । 7. अन्य मामले 7.1 यदि एक संस्था को भुगतान प्रणाली का एक्सेस है (और इसके पास चालू खाता और एसजीएल/सीएसजीएल खाता और इंफीनेट सुविधा है), और यदि भुगतान प्रणाली में प्रवेश से इसे वर्जित कर दिया जाता है अथवा भुगतान प्रणाली के एक्सेस के संबंध में इसका दर्जा घटा दिया जाता है तो सुविधाओं को जारी रखने या अन्य किसी बात से संबन्धित निर्णय आरबीआई द्वारा पृथक रूप से लिया जाएगा। 7.2 भुगतान प्रणालियाँ भागीदार सदस्यों के लिए अनिवार्य संबन्धित सदस्यता विनियमनों, कारोबारी दिशानिर्देशों और/अथवा प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश के द्वारा विनियमित होना जारी रखेंगी। 8. कार्यान्वयन की तिथि 8.1 संशोधित एक्सेस मानदंड 01 अक्तूबर 2011 से प्रभावी होंगे। 9. सदस्यता आवेदन प्रपत्रों की उपलब्धता 9.1 केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों के संबंध में अन्य सभी आवश्यक संलग्नकों के साथ सदस्यता आवेदन प्रपत्र को आरबीआई वेबसाइट (/en/web/rbi) से डाउनलोड किया जा सकता है । 9.2 ऐसी संस्थाएं जिन्होंने रिज़र्व बैंक के समक्ष केंद्रीकृत/विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों के लिए आवेदन प्रस्तुत किए हैं और जिन्हें उनके आवेदनों के स्वीकार अथवा अस्वीकार किए जाने के बारे में सूचना नहीं दी गई है उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वे संशोधित प्रपत्र में फिर से आवेदन प्रस्तुत कर दें। कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति से हमें अवगत कराएं। भवदीय (विजय चुग) |