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वाणिज्य बैंकों द्वारा अपनी शाखाओं /कार्यालयों के लिए पट्टे/ किराए पर स्थान /जगह का अभिग्रहण - दिशानिर्देशों का उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India

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वाणिज्य बैंकों द्वारा अपनी शाखाओं /कार्यालयों के लिए पट्टे/ किराए पर स्थान /जगह का अभिग्रहण - दिशानिर्देशों का उदारीकरण

अ्ँध्अ्

भारिबैं/2008-09/132
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 32 /22.01.03/2008-09

21 अगस्त 2008
30 श्रावण 1930 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

वाणिज्य बैंकों द्वारा अपनी शाखाओं /कार्यालयों के लिए पट्टे/ किराए पर स्थान /जगह का अभिग्रहण - दिशानिर्देशों का उदारीकरण

कृपया उपर्युक्त विषय पर 11 नवंबर 1998 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 105/ 22.01.03/98 देखें।

2. उपर्युक्त परिपत्र सभी वाणिज्य बैंकों को जारी किया गया था। जहां तक निजी क्षेत्र के बैंकों तथा विदेशी बैंकों द्वारा पट्टे /किराए पर जगह लेने के लिए अपनाएं जानेवाले मानदंडों और क्रियाविधियों का संबंध है, वे अपने निदेशक बोर्ड द्वारा तय की गई नीति के अनुसार अपने प्रयोग के लिए मानदंड और क्रियाविधियां निर्धारित करना जारी रखें।

3. इसी तरह, सरकारी क्षेत्र के बैंक भी पट्टे/किराए पर स्थान लेने के संबंध में 11 नवंबर 1998 के हमारे पत्र में निहित अनुदेशों का पालन करना जारी रखें। इसके अलावा, 11 नवंबर 1998 के हमारे परिपत्र के पैराग्राफ 4 में निहित अनुदेशों के संबंध में, जो कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों पर लागू हैं और जो कुछ उच्चतम सीमाओं से अधिक किराए के संबंध में बातचीत से तय संविदाओं को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को रिपोर्ट करने से संबंधित हैं, वे इस संबंध में भारत सरकार के मौजूदा अनुदेशों का पालन करना तब तक जारी रखें जब तक कि इन अनुदेशों को भारत सरकार से नए दिशानिर्देशों द्वारा प्रतिस्थापित नहीं कर दिया जाता।

4. जैसा कि बैंक जानते होंगे, बैंक शाखाएं /कार्यालय खोलने के लिए जारी प्राधिकरण स्थान-विशिष्ट होते हैं क्योंकि किसी विशिष्ट केंद्र पर बैंक की शाखा /कार्यालय खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकार /अनुमति जारी किए जाने के बाद बैंकों के लिए यह आवश्यक है कि वे शाखा/ कार्यालय खोलने से दो सप्ताहों से अनधिक अवधि के भीतर शाखा /कार्यालय के सही पते सहित अन्य ब्यौरे भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करें। इन परिस्थितियों में बैंकों के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि उनकी सभी शाखाएं/कार्यालय ऐसे परिसरों में कार्य कर रहें है जिनके संबंध में बैंक तथा संबंधित मालिकों के बीच विवाद रहित विद्यमान तथा वैध पट्टा करार मौजूद है। ऐसे विवादों से समय पर पट्टा करारों के नवीकरण में परेशानी पैदा हो सकती है और अनधिकृत कब्जे, किराए की राशि आदि के रूप में समस्याएं उठ सकती हैं। अत: हम सूचित करते हैं कि बैंकों के प्रधान कार्यालय इस संबंध में तत्काल समीक्षा करें और सुनिश्चित करें कि उनकी सभी शाखाएं/ कार्यालय ऐसे परिसर पर कार्य कर हे हैं जिनके संबंध में वैध पट्टा करार विद्यमान है।

5. बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे तत्काल तथा किसी भी हालत में 30 सितंबर 2008 से पूर्व संलग्न फॉर्मेट में अपनी उन सभी शाखाओं / कार्यालयों की सूची, भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय निदेशक (अर्थात् भारिबैं के उस क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक जिनके क्षेत्राधिकार में वह शाखा / कार्यालय कार्य कर रहा है जिसके संबंध में विवाद लंबित है) को रिपोर्ट करें जो कि ऐसे परिसर में कार्य कर रहें जिसके संबंध में मालिक के साथ कोई विवाद लंबित है, ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक ‘विवादात्मक’ परिसर में कार्यरत शाखा /कार्यालय के लिए प्राधिकार जारी रखने की उचितता अथवा न रखने के संबंध में निर्णय लें सके। साथ ही, बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक को उसी फॉर्मेट में तिमाही प्रगति रिपोर्ट (मार्च, जून, सितंबर तथा दिसंबर के अंत में) प्रस्तुत करना अपेक्षित है। यह रिपोर्ट संबंधित तिमाही समाप्त होने के एक महीने के भीतर प्रेषित की जानी है। इस तरह की पहली तिमाही रिपोर्ट 31 दिसंबर 2008 को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए होगी तथा उसे संबंधित क्षेत्रीय निदेशकों को 31 जनवरी 2009 तक प्रस्तुत किया जाना होगा। इस संबंध में यह नोट किया जाए कि महाराष्ट्र /गोवा में स्थित शाखाओं /कार्यालयों के मामले में यह जानकारी बैंकों द्वारा क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई कार्यालय, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई - 400001 को प्रस्तुत की जाएगी।

भवदीय

(पी. विजय भास्कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

बैंक का नाम :

उन शाखाओं /कार्यालयों के ब्यौरे जहां पट्टे /किराए के आधार पर परिसर के अभिग्रहण से संबंधित विवाद है

क्र.सं.

शाखा / कार्यालय का नाम

शाखा / कार्यालय का सही पता

जिला /राज्य

मालिक/ मालकिन के ब्यौरे (नाम, पता, संपर्क टेलीफोन नंबर)

संक्षेप में विवाद का स्वरूप

क्या मामला न्यायालय में लंबित है; यदि है तो उसके संक्षिप्त ब्यौरे

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