आयात के लिए अग्रिम प्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
आयात के लिए अग्रिम प्रेषण
ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं. 15 सितंबर 17, 2003 सेवा में ेंविदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी महोदया /महोदय, आयात के लिए अग्रिम प्रेषण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान जून 19, 2003 के ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र क्र.106 की परिशिष्ट के पैरा अ.6 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को अनुमति दी गई है कि वे 100,000 अमरीकी डॉलर (एक सौ हज़ार अमरीकी डॉलर) अथवा उसकी समतुल्य राशि के बराबर भारत में माल के आयात के लिए बिना बैंक गारंटी अग्रिम प्रेषण कर सकते हैं । 2. भारत में माल के आयात की प्रक्रिया को और अधिक उदारीकृत तथा सरल करने के विचार से अब निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी अब से भारत में माल के आयात के लिए अग्रिम प्रेषण की अनुमति निम्न प्रकार से दे सकते हैं : क. यदि अग्रिम प्रेषण की रराशि 100,000 अमरीकी डॉलर या उसकी समतुल्य राशि से अधिक होती है तो शर्तरहित अप्रतिसंहरणीय अतिरिक्त साख पत्र अथवा भारत से बाहर स्थित किसी ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय बैंक की गारंटी अथवा भारत से बाहर स्थित किसी ख्याति प्राप्त किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक की काँटर गारेटी के आधार पर कोई गारेटी जारी की जाती है तो भारत मे किसी प्राधिकृत व्यापारी की गारंटी ली जाए । ख. ऐसे मामलों में जहां आयातक (सरकारी क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार / राज्य सरकार के विभाग / उपक्रम के सिवाय) समुद्रपारीय आपूर्तिकता से बैंक गारंटी प्राप्त करने में असमर्थ हो और प्राधिकृत व्यापारी आयातक के पूर्व अभिलेख और उसकी सत्याता के बारे में संतुष्ट हो तो 100,000 अमरीकी डॉलर (एक मिलियन अमरीकी डॉलर) के अग्रिम प्रेषण के लिए बैंक गारंटी/अतिरिक्त साख पत्र की वांछनीयता का आग्रह न किया जाए । प्राधिकृत व्यापारी ऐसे मामलों के निपटान के लिए बैंक के निदेशक मंडल द्वारा बनाई गई उपयुक्त नीति के अनुसार अपना आंतरिक दिशानिदेश बनाएं । ग. सरकारी क्षेत्र की कंपनी अथवा केंद्रीय / राज्य सरकारों के विभाग / उपक्रम के मामले में 100,000 अमरीकी डॉलर (एक सौ हज़ार अमरीकी डॉलर) के अधिक राशि के अग्रिम प्रेषण के लिए गारंटी की वांछनीयता विशेष रूप से वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा, माफ की जा चुकी है । 3. उक्त परिपत्र की परिशिष्ट के पैराग्राफ अ.6(ख) और (ग) में नियत अन्य शर्ता अपरिवर्तित रहेंगी । 4. प्राधिकृत व्यापारी उक्त परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीय (ग्रेस कोशी) |