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एजेंसी कमीशन - लोक भविष्य निधि योजना, 1968 (पीपीएफ) और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना 2004 (एससीएसएस)

आरबीआई/2006-2007/289
डीजीबीए.जीएडी एच-14024/31.12.010/2006-07

16 मार्च, 2007

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / प्रबंध निदेशक
भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी/ इलाहाबाद बैंक / बैंक ऑफ बड़ौदा / बैंक ऑफ
इंडिया / बैंक ऑफ महाराष्ट्र / केनरा बैंक / सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया / कॉर्पोरेशन बैंक /
देना बैंक / इंडियन बैंक / इंडियन ओवरसीज बैंक / पंजाब नेशनल बैंक / सिंडिकेट बैंक /
यूको बैंक / यूनियन बैंक ऑफ इंडिया / यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया / विजया बैंक /
आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड

महोदय,

एजेंसी कमीशन - लोक भविष्य निधि योजना, 1968 (पीपीएफ) और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना 2004 (एससीएसएस)

कृपया एजेंसी कमीशन के भुगतान के संबंध में हमारे दिनांक 19 जुलाई, 2006 के मास्टर परिपत्र आरबीआई/2006/77 जिसकी संदर्भ संख्या डीजीबीए.जीएडी.संख्या 1052/31.12.010/2006-07 के पैरा 3 का संदर्भ लें, जिसमें यह संकेत दिया गया था कि लोक भविष्य निधि योजना, 1968 पर एजेंसी कमीशन का भुगतान जारी रखने के संबंध में एक पत्र अलग से जारी किया जाएगा।

2. पीपीएफ और एससीएसएस के प्रबंधन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एजेंसी कमीशन के भुगतान के मुद्दे की भारत सरकार के परामर्श से जांच की गई थी। जनवरी 2006 में चुनिंदा बैंकों के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी।

3. पीपीएफ और एससीएसएस के तहत लेनदेन के प्रबंधन के लिए बैंकों को पारिश्रमिक के भुगतान के केवल एक चैनल का पालन करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक निम्नलिखित दरों पर पीपीएफ और एससीएसएस से संबंधित लेनदेन पर एजेंसी कमीशन का भुगतान करेगा;

a) प्राप्तियां - रु. 45/- प्रति लेन-देन

b) भुगतान - 9 पैसे प्रति रु. 100/- टर्नओवर

उपर्युक्त दरों के संशोधन के साथ, भारत सरकार पीपीएफ और एससीएसएस के प्रबंधन के लिए पारिश्रमिक का भुगतान बंद कर देगी।

4. उपरोक्त दरें पीपीएफ लेनदेन के लिए 1 जुलाई, 2005 से और एससीएसएस लेनदेन के लिए 1 अप्रैल, 2006 से लागू होंगी।

5. इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत जमा राशि जुटाने के लिए लघु बचत एजेंटों को स्त्रोत पर भुगतान किए गए कमीशन के भुगतान की मौजूदा व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होगा और सरकार उक्त कमीशन की प्रतिपूर्ति जैसा अब तक की जा रही है उसी प्रकार करती रहेगी।

6. एजेंसी बैंक सीएएस, नागपुर या आरबीआई के लोक लेखा विभाग को अपने दावे प्रस्तुत कर सकते हैं, जैसा भी मामला हो।

सादर,

(एम. टी. वर्गीज)
महाप्रबंधक

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