केद्रीय बजट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना - 2008 - आरबीआई - Reserve Bank of India
केद्रीय बजट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना - 2008
आरबीआइ/2007-08/330
ग्राआऋवि.पीएलएफएस.बीसी. 72/05.04.02/2007-08
23 मई 2008
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र के बैंकों सहित)
प्रिय महोदय,
केद्रीय बजट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना - 2008
जैसा कि आप जानते हैं, वर्ष 2008-09 के अपने बजट अभिभाषण (पैरा - 73) में माननीय वित्त मंत्री ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी धक्रेडिट सोसायटियों के साथ - साथ सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा किसानों के लिए ऋण माफी और ऋण राहत योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की है।
2. भारत सरकार द्वारा अधिसूचित योजना का विस्तृत ब्योरा, आवश्यक स्पष्टीकरण के साथ, संलग्न है। अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र के बैंकों सहित) योजना के शीघ्र कार्यान्वयन हेतु आवश्यक कार्रवाई करें। ऋण माफी और ऋण राहत योजना का कार्यान्वयन 30 जून 2008 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए।
3. इस योजना के संबंध में अगली सूचना बाद में दी जाएगी।
4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और को-आपरेटिवों के मामले में नाबार्ड द्वारा अलग से परिपत्र जारी किया जा रहा है।
भवदीय
(जी.श्रीनिवासन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना, 2008
1. प्रस्तावना
1.1 वित्त मंत्री ने वर्ष 2008-2009 की बजट घोषणा में किसानों के लिए एक ऋण माफी और ऋण राहत योजना की घोषणा की।
1.2 इस योजना के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश नीचे दिए गए हैं।
2. कार्य क्षेत्र
2.1 यह योजना अनुसूचित वाणिज्य बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी ऋण संस्थाओं (शहरी सहकारी बैंकों सहित) और स्थानीय क्षेत्र बैंकों (इसके बाद समग्र रुप से इन सबको "ऋणदात्री संस्थाएं" कहा जाएगा) द्वारा "सीमांत और छोटे किसानों" और "अन्य किसानों" को दिए गए प्रत्यक्ष कृषि ऋणों को कवर करेगी जैसा कि दिशानिर्देशों में दिया गया है।
2.2 यह योजना तत्काल प्रभाव से लागू होगी।
3. परिभाषाएं
3.1 "प्रत्यक्ष कृषि ऋण" का अर्थ है कृषिगत उद्देश्यों के लिए किसानों को प्रत्यक्ष रूप से दिए गए अल्पावधि उत्पादन ऋण और निवेश ऋण। इसमें व्यक्तिगत किसानों के समूहों (उदाहरणार्थ स्वयं-सहायता समूहों और संयुक्त देयता समूहों) को प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराए गए ऋण भी शामिल होंगे बशर्ते बैंक उस समूह के प्रत्येक किसान को दिए गए ऋण के विभिन्न आंकड़े रखें।
3.2 "अल्पावधि उत्पादन ऋण" का अर्थ है फसल उगाने के संबंध में दिया गया ऋण, जिसका 18 महीने के अंदर पुनर्भुगतान किया जाना है। इसमें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक बागानों और बागवानी के लिए अधिकतम 1 लाख रुपए का कार्यशील पूंजी ऋण शामिल होगा।
3.3 "निवेश ऋण" का अर्थ है
(क) खराब हो रही आस्तियों के प्रतिस्थापन और रखरखाव से संबंधित व्ययों को पूरा करने के लिए और भूमि की उपज बढ़ाने के उद्देश्य से किए गए पूंजी निवेश, उदाहरणार्थ कुओं को गहरा करना, नए कुओं की खुदाई, पंप सेट की स्थापना, ट्रैक्टर/बैलों की खरीद, भूमि विकास तथा पारंपरिक और गैर-पारंपरिक बागानों और बागवानी के लिए मीयादी ऋण; और
(ख) कृषि से संबंधित कार्यकलापों उदाहरणार्थ दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, भेड़ पालन, सुअर पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, ग्रीन हाउस और बायो गैस के संबंध में आस्तियां अर्जित करने के लिए दिया गया संबद्ध कार्यकलापों के लिए निवेश ऋण ।
सहकारी ऋण संस्था" का अर्थ है, एक सहकारी समिति जो -i. किसानों को अल्पावधि फसल ऋण उपलब्ध कराती है और केद्र सरकार से ब्याज सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र है; अथवा
ii. भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा नाबार्ड द्वारा विनियमित अथवा पर्यवेक्षित बैंकिंग कार्यकलाप करती है; अथवा
iii. किसी राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्र में अल्पावधि सहकारी ऋण ढांचे अथवा दीर्घावधि सहकारी ऋण ढांचे का भाग है।
3.5 "सीमांत किसान" का अर्थ है एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) तक की कृषि भूमि में फसल उगाने वाला (स्वामी अथवा काश्तकार अथवा बंटाईदार के रूप में) किसान।
3.6 "छोटा किसान" का अर्थ है एक हेक्टेयर से अधिक और 2 हेक्टेयर (5 एकड़) तक की कृषि भूमि में फसल उगाने वाला (स्वामी अथवा काश्तकार अथवा बंटाईदार के रूप में) किसान।
3.7 "अन्य किसान" का अर्थ है 2 हेक्टेयर से अधिक (5 एकड़ से अधिक) कृषि भूमि में फसल उगाने वाला (स्वामी अथवा काश्तकार अथवा बंटाईदार के रूप में) किसान।
स्पष्टीकरण :
1. इस योजना के अंतर्गत, उपर्युक्त भूमि जोत मानदंड के अनुसार, पात्र किसानों का वर्गीकरण, स्वामित्व अथवा कब्जे में बाद में हुए किसी भी परिवर्तन पर ध्यान दिए बिना, ऋण संस्वीकृत करते समय , किसान के एकल अथवा संयुक्त रुप से (स्वामी-किसान के मामले में) स्वामित्व वाली कुल भूमि अथवा किसान द्वारा फसल उगाई जाने वाली (काश्तकार अथवा बंटाईदार के रुप में) कुल भूमि पर आधारित होगा।
2. एक से अधिक किसानों द्वारा अपनी भूमि जोतों को इकट्ठा करके लिए गए ऋण के मामले में, उस समूह में सभी किसानों "सीमांत किसान" अथवा "छोटा किसान" अथवा "अन्य किसान" के रुप में वर्गीकरण के उद्देश्य के लिए इकट्ठी की गई भूमि जोतों के कुल आकार को ध्यान में रखा जाएगा।
3. भूमि जोत, यदि कोई हो, के आकार पर ध्यान दिए बिना, ऐसे मामले में जहां किसी किसान ने संबद्ध कार्यकलापों के लिए निवेश ऋण लिया है जिसमें मूल ऋण राशि 50,000 रुपए से अधिक नहीं है, उस मामले में उस किसान को "छोटे और सीमांत किसान" के रुप में वर्गीकृत किया जाएगा और जिसमें मूल राशि 50,000 रुपए से अधिक है, उसे "अन्य किसान" के रुप में वर्गीकृत किया जाएगा।
4. किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत लिया गया प्रत्यक्ष कृषि ऋण भी, इन दिशानिर्देशों के अध्यधीन, इस योजना के तहत कवर किया जाएगा।
5. किसी किसान द्वारा लिया गया अल्पावधि उत्पादन ऋण और निवेश ऋण दो भिन्न ऋण माने जाएंगे और यह योजना दोनों ऋणों पर अलग-अलग लागू होगी। इसी प्रकार, ऐसे मामले में, जहां, किसी किसान ने दो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए दो निवेश ऋण लिए हैं, उन मामलें में दोनों ऋण दो अलग-अलग ऋण माने जाएंगे और यह योजना दोनों ऋणों पर अलग-अलग लागू होगी।
4. पात्र राशि
4.1 ऋण माफी अथवा ऋण राहत, जैसा भी मामला हो, के लिए पात्र राशि (इसके बाद इसे "पात्र राशि" कहा जाएगा) में निम्नलिखित शामिल होंगे :
(क) अल्पावधि उत्पादन ऋण के मामले में ऐसे ऋण (लागू ब्याज सहित) की राशि जो
i.31 मार्च 2007 तक संवितरित, 31 दिसम्बर 2007 तक अतिदेय और 29 फरवरी 2008 तक जिसकी चुकौती नहीं की गई है
ii.केद्र सरकार द्वारा घोषित, विशेष पैकेजों के जरिए वर्ष 2004 और 2006 में बैंकों द्वारा ऋण अवधि पुनर्निर्धारित की गई हो भले ही वह अतिदेय हो अथवा नहीं; और
iii.प्राकृतिक आपदाओं के कारण, भारतीय रिज़र्व बैंक के लागू दिशानिर्देशों के अनुसार सामान्य तौर पर, 31 मार्च 2007 तक ऋण अवधि पुनर्निर्धारित की गई हो भले ही वह अतिदेय हो अथवा नहीं —
(ख) निवेश ऋण के मामले में ऐसे ऋण की किस्तें जो बकाया हैं (ऐसी किस्तों पर लागू ब्याज सहित,) यदि ऋण
i.31 मार्च 2007 तक संवितरित, 31 दिसम्बर 2007 तक बकाया और 29 फरवरी 2008 तक चुकाया नहीं गया था।
ii.केद्र सरकार द्वारा घोषित विशेष पैकेजों के जरिए वर्ष 2004 और 2006 में बैंकों द्वारा पुनर्गठित और पुनर्निर्धारित किया गया; और
iii.प्राकृतिक आपदाओं के कारण, भारतीय रिज़र्व बैंक के लागू दिशानिर्देशों के अनुसार, सामान्य तौर पर, 31 मार्च 2007 तक पुनर्गठित और पुनर्निर्धारित किए गए थे।
स्पष्टीकरण : 31 मार्च 2007 तक संवितरित और अनर्जक आस्ति अथवा वाद दायर खाते के रूप में वर्गीकृत निवेश ऋण के मामले में केवल वे किस्तें जो 31 दिसम्बर 2007 की स्थिति के अनुसार बकाया थीं, पात्र राशि होगी।
2.पात्र राशि मे निम्नलिखित ऋण शामिल नहीं किए जाएंगे :
(क) खड़ी फसल के अलावा कृषि उत्पाद को गिरवी रखने अथवा दृष्टिबंधक करने पर अग्रिम; और
(ख) कारपोरेटों, भागीदारी फर्मों, सहकारी ऋण संस्थाओं (पैरा 3.4 में निर्दिष्ट) के अलावा समितियों और इसी तरह की संस्थाओं को कृषि वित्त।
4.3 इस योजना में निहित कोई भी बात 31 मार्च 1997 से पहले किसी ऋणदात्री संस्था द्वारा संवितरित किसी भी ऋण पर लागू नहीं होगी।
5. ऋण माफी
5.1 छोटे और सीमांत किसान के मामले में, संपूर्ण "पात्र राशि" माफ कर दी जाएगी।
6. ऋण राहत
6.1 ’अन्य किसानों’ के मामले में, एकबारगी निपटान योजना (ओटीएस) लागू होगी जिसके अंतर्गत, इस शर्त पर कि किसान "पात्र राशि" के 75 प्रतिशत के शेष का भुगतान कर देता है तो उसे ’पात्र राशि’ के 25 प्रतिशत की छूट दी जाएगी;
बशर्ते कि अनुबंध - I में सूचीबद्ध राजस्व जिलों के मामले में, अन्य किसानों को, इस शर्त पर कि किसान "पात्र राशि" के बकाया का भुगतान कर देता है, तो "पात्र राशि" के 25 प्रतिशत अथवा 20,000 रुपए, जो भी अधिक है, के ओटीएस राहत दी जाएगी।
7. कार्यान्वयन
7.1 इस योजना के तहत कवर किए गए अनुसूचित वाणिज्य बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी ऋण संस्थान, शहरी सहकारी बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंक की प्रत्येक शाखा दो सूचियां तैयार करेगी, जिनमें से पहली सूची में "छोटे और सीमांत किसान" जो ऋण माफी के लिए पात्र हैं और दूसरी सूची में "अन्य किसान" जो ऋण राहत के पात्र हैं, शामिल होंगे। इन सूचियों में प्रत्येक मामले में भूमि जोत, पात्र राशि और प्रदान किए जाने के लिए प्रस्तावित ऋण माफी अथवा ऋण राहत की राशि का ब्योरा शामिल होगा ।ये सूचियां 30 जून 2008 को या उससे पहले बैंक/संस्था की शाखा के सूचना पट्ट पर प्रदर्शित की जाएंगी।
7.2 "छोटा किसान" अथवा "सीमांत किसान" के रुप में वर्गीकृत किसान, पात्र राशि माफ होने के बाद नए कृषि ऋणों के लिए पात्र हो जाएगा।
7.3 ओटीएस राहत के लिए पात्र "अन्य किसान" के रूप में वर्गीकृत किसान यह वचन देते हुए एक शपथ पत्र देगा कि वह अपने हिस्से (अर्थात् पात्र राशि - ओटीएस राहत राशि) को न्यूनतम तीन किस्तों में चुका देगा और प्रथम दो किस्तें उसके हिस्से की न्यूनतम एक तिहाई राशि के लिए होंगी। तीन किस्तों के मामले में, भुगतान की अंतिम तारीखें 30 सितम्बर 2008 , 31 मार्च 2009 और 30 जून 2009 होंगी।
7.4 शपथ पत्र भारतीय रिज़र्व बैंक / नाबार्ड द्वारा यथा निर्धारित प्रारुप में होगा।
7.5 किसान द्वारा अपने हिस्से का पूरा भुगतान करने पर एकबारगी निपटान योजना (ओटीएस) राहत की राशि (अर्थात् केद्रीय सरकार का हिस्सा) "अन्य किसान" के खाते में जमा कर दी जाएगी।
7.6 अल्पावधि उत्पादन ऋण के ममाले में "अन्य किसान" अपने हिस्से के एक-तिहाई भाग का भुगतान करने पर नए अल्पावधि उत्पादन ऋण के लिए पात्र हो जाएंगे।
7.7 निवेश ऋण (प्रत्यक्ष कृषि क्रियाकलापों या संबद्ध क्रियाकलापों के लिए) के मामले में "अन्य किसान" अपने पूरे हिस्से का भुगतान करने पर नए निवेश ऋण के लिए पात्र हो जाएंगे।
7.8 अनुसूचित वाणिज्य बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों एवं स्थानीय क्षेत्र बैंकों के संबंध में योजना के कार्यान्वयन हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक नोडल एजेंसी होगा। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों एवं सहकारी ऋणदात्री संस्थाओं के संबंध में नाबार्ड नोडल एजेंसी होगा।
8. ब्याज एवं अन्य प्रभार
8.1 ऋणदात्री संस्थाएं 29 फरवरी 2008 के बाद की अवधि के लिए "पात्र राशि" पर कोई ब्याज नहीं लगाएंगी। तथापि, उन "अन्य किसान" के मामले में यदि वह 30 जून 2009 को या उससे पहले पात्र राशि के अपने हिस्से का भुगतान करने में चूक करता है और एकबारगी निपटान राहत के लिए अपात्र हो जाता है, तो बैंक 30 जून 2009 के बाद की अवधि के लिए ब्याज ले सकता है।
8.2 निवेश ऋण की किस्तें, जो 31.12.2007 के बाद अतिदेय हो जाती हैं, लागू ब्याज सहित ऋणदात्री संस्थाओं द्वारा वसूल की जाएंगी। तथापि, ऋणदात्री संस्थाएं, उचित मामलों में, संबंधित ऋणदात्री संस्था की सामान्य नीति के अनुसार इन किस्तों को पुनर्निर्धारित कर सकती हैं।
8.3 इस योजना में निहित किसी भी बात के होते हुए भी, किसी ऋणदात्री संस्था द्वारा इस योजना के तहत केद्र सरकार से प्रतिपूर्ति के रूप में दावा की गई ब्याज राशि, किसी भी मामले में, ऋण की मूल राशि से अधिक नहीं होगी।
8.4 ब्याज और दूसरे प्रशुल्क, जिसका ऋणदात्री संस्था, किसान या केद्र सरकार से दावा नहीं करेगी, पर दिशानिर्देशों सहित सभी प्रासंगिक और अनुषंगी मामलों के संबंध में वित्त मंत्रालय, ऋणदात्री संस्थाओं को अनुपूरक दिशानिर्देश जारी करेगा।
9. ऋण माफी अथवा ऋण राहत का प्रमाण पत्र
9.1 छोटे और सीमांत किसानों के मामले में, पात्र राशि को माफ करने के बाद, ऋणदात्री संस्थाएं इस आशय का एक प्रमाण पत्र जारी करेंगी कि ऋण माफ कर दिया गया है और इसमें विशेष रुप से माफ की गई पात्र राशि का उल्लेख करेंगी।
9.2 "अन्य किसान" के मामले में, एकबारगी निपटान राहत देने के बाद, ऋणदात्री संस्था इस आशय का एक प्रमाण पत्र जारी करेगी कि ऋण खाता का निपटान ऋणदात्री संस्था की संतुष्टि के अनुसार कर दिया गया है और इसमें विशेष रूप से पात्र राशि, किसान द्वारा उनके हिस्से के रूप में भुगतान की गई राशि और एकबारगी निपटान राहत की राशि का उल्लेख किया जाएगा।
9.3 यह प्रमाण पत्र ऐसे प्रपत्र में होगा जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक / नाबार्ड द्वारा निर्धारित किया जाएगा और प्रमाण पत्र जारी करने के बाद ऋणदात्री संस्था किसान से पावती भी लेगी।
10. ऋणदात्री संस्थाओं का दायित्व
10.1 प्रत्येक ऋणदात्री संस्था, इस योजना के अंतर्गत मात्र किसानों की सूचियों और प्रत्येक किसान से संबंधित ऋण माफी अथवा ऋण राहत के ब्योरे की सत्यता और ईमानदारी के लिए जिम्मेवार होगी। इस योजना के प्रयोजन के लिए किसी ऋणदात्री संस्था द्वारा रखे गए प्रत्येक दस्तावेज, बनाई गई प्रत्येक सूची और जारी किए गए प्रत्येक प्रमाण पत्र पर ऋणदात्री संस्था के एक प्राधिकृत अधिकारी का पदनाम और हस्ताक्षर होंगे।
10.2 प्रत्येक ऋणदात्री संस्था, प्रत्येक राज्य के लिए (उस राज्य में शाखाओं की संख्या के अनुसार) एक या अधिक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करेगी। संबंधित शिकायत निवारण अधिकारी का नाम और पता ऋणदात्री संस्था की प्रत्येक शाखा में प्रदर्शित किया जाएगा। शिकायत निवारण अधिकारी दुखी किसानों से अभ्यावेदन प्राप्त करने और उन पर समुचित आदेश जारी करने के लिए प्राधिकृत होगा। शिकायत निवारण अधिकारी का आदेश अंतिम होगा।
10.3 कोई भी किसान, जिसकी शिकायत इस आधार पर है कि उसका नाम पैरा 7.1 में उल्लिखित दोनों सूचियों में से किसी में भी शामिल नहीं किया गया है अथवा इस आधार पर है कि उसका नाम गलत सूची में शामिल किया गया है अथवा इस आधार पर है कि उसे प्रदान की जा रही राहत की गणना गलत तरीके से की गई है, उस शाखा के जरिए जहां से उसने ऋण लिया है अथवा सीधे संबंधित ऋणदात्री संस्था के शिकायत निवारण अघिकारी को अभ्यावेदन दे सकता है और ऐसे प्रत्येक अभ्यावेदन का निपटान उसके प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर किया जाना चाहिए।
11. लेखा-परीक्षा
इस योजना के अंतर्गत ऋण माफी और ऋण राहत प्रदान करने वाली प्रत्येक ऋणदात्री संस्था की लेखा बहियों (शाखाओं में बनाए रखने वाली लेखा-बहियों सहित) की भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार लेखा परीक्षा की जाएगी। यह लेखा-परीक्षा भारतीय रिज़र्व बैंक,नाबार्ड द्वारा यथा निर्देशित समवर्ती लेखा-परीक्षक, कानूनी लेखा-परीक्षक अथवा विशेष लेखा-परीक्षक द्वारा की जा सकती है। केद्रीय सरकार, यदि यह महसूस करती है कि ऐसा किया जाना जरुरी है, किसी ऋणदात्री संस्था अथवा ऐसी ऋणदात्री संस्थाओं को एक या उससे अधिक शाखाओं के मामले में विशेष लेखा-परीक्षा का आदेश दे सकती है।
12. प्रचार
12.1 इस योजना की एक प्रति अंग्रेजी और संघ की राजभाषा अथवा राज्य/संघ शासित क्षेत्र की भाषाओं में, इस योजना के अंतर्गत कवर की गई प्रत्येक ऋणदात्री संस्था की प्रत्येक शाखा में प्रदर्शित की जाएगी।
12.2 इस योजना की एक प्रति वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवाएं विभाग; भारतीय रिज़र्व बैंक, और नाबार्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी।
13. निर्वचन और कठिनाई दूर करने की शक्ति
13.1 यदि इस योजना के किसी अनुच्छेद के निर्वचन अथवा इसके अंतर्गत जारी किसी दिशानिर्देश के बारे में कोई संदेह होता है, तो इस संदेह का समाधान केद्र सरकार करेगी और इस संबंध में केद्र सरकार का निर्णय अंतिम होगा।
13.2 इस योजना के प्रावधानों अथवा इसके अंतर्गत जारी किसी दिशानिर्देश को लागू करने में यदि कोई बाधा आती है, तो केद्र सरकार इस बाधा को दूर करने के लिए आदेश द्वारा कुछ भी, जो उसे आवश्यक अथवा समीचीत प्रतीत होती है, कर सकती है।
14. निगरानी
इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए निम्नलिखित पदनामित सदस्यों की एक राष्ट्रीय निगरानी समिति गठित की जाएगी :
i.सचिव, वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय - अध्यक्ष;
ii.सचिव, कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय;
iii.उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक;
iv.अध्यक्ष, नाबार्ड ;
v.सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक;
vi.दो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्ष; और
vii.दो राज्य स्तरीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक।
viii.अनुबंध I (दिशा-निर्देश का)
डीपीएपी, डीडीपी क्षेत्रों तथा प्रधान मंत्री विशेष राहत पैकेज जिलों को
शामिल करते हुए राजस्व जिले
राज्य |
क्रमांक |
डीपीएपी, डीडीपी तथा प्रधानमंत्री विशेष पैकेज |
|
आंध्र प्रदेश |
1. |
1. |
आदिलाबाद |
2. |
2. |
चित्तूर |
|
3. |
3. |
कडप्पा |
|
4. |
4. |
खम्माम |
|
5. |
5. |
कुरनूल |
|
6. |
6. |
मेडक |
|
7. |
7. |
महबूबनगर |
|
8. |
8. |
नालगेंडा |
|
9. |
9. |
प्रकासम |
|
10. |
10. |
रंगारेड्डी |
|
11. |
11. |
श्रीकाकुलम |
|
12. |
12. |
अनंतपुर |
|
13. |
13. |
वारंगल |
|
14. |
14. |
गुंटूर |
|
15. |
15. |
करीमनगर |
|
16. |
16. |
नेल्लूर |
|
17. |
17. |
निजामाबाद |
|
बिहार |
18. |
1. |
भबुआ |
19. |
2. |
जमुई |
|
20. |
3. |
मधुबनी |
|
21. |
4. |
नवादा |
|
22. |
5. |
रोहतास |
|
23. |
6. |
सीतामढ़ी |
|
छत्तीसगढ़ |
24. |
1. |
बस्तर |
25. |
2. |
बिलासपुर |
|
26. |
3. |
दंतेवाडा |
|
27. |
4. |
दुर्ग |
|
28. |
5. |
जांजगीर-चंपा |
|
29. |
6. |
काबरीधाम |
|
30. |
7. |
कोरबा |
|
31. |
8. |
राजनंदगांव |
|
गुजरात |
32. |
1. |
अहमदाबाद |
33. |
2. |
अमरेली |
|
34. |
3. |
भरूच |
|
35. |
4. |
भावनगर |
|
36. |
5. |
दाहोद |
|
37. |
6. |
डांग |
|
38. |
7. |
जूनागढ़ |
|
39. |
8. |
नर्मदा |
|
40. |
9. |
नवसारी |
|
41. |
10. |
पंचमहल |
|
42. |
11. |
पोरबंदर |
|
43. |
12. |
साबरकांठा |
|
44. |
13. |
वडोदरा |
|
45. |
14. |
वलसाड |
|
46. |
15. |
बनासकांटा |
|
47. |
16. |
जामनगर |
|
48. |
17. |
कच्छ |
|
49. |
18. |
पाटण |
|
50. |
19. |
राजकोट |
|
51. |
20. |
सुरेद्रनगर |
|
हरियाणा |
52. |
1. |
भिवानी |
53. |
2. |
फतेहाबाद |
|
54. |
3. |
हिस्सार |
|
55. |
4. |
झज्जर |
|
56. |
5. |
मोहिन्दरगढ़ |
|
57. |
6. |
रिवाडी |
|
58. |
7. |
सिरस |
|
हिमाचल प्रदेश |
59. |
1. |
बिलासपुर |
60. |
2. |
सोलन |
|
61. |
3. |
उना |
|
62. |
4. |
किन्नौर |
|
63. |
5. |
लाहौल एवं स्पिति |
|
जम्मू एवं कश्मीर |
64. |
1. |
डोडा |
65. |
2. |
उधमपुर |
|
66. |
3. |
रामबन |
|
67. |
4. |
किश्तवाड |
|
68. |
5. |
रियासी |
|
69. |
6. |
कारगिल |
|
70. |
7. |
लेह |
|
झारखंड |
71. |
1. |
बोकारे |
72. |
2. |
चतरा |
|
73. |
3. |
देवघर |
|
74. |
4. |
धनबाद |
|
75. |
5. |
दुमका |
|
76. |
6. |
गढ़वा |
|
77. |
7. |
गोड्डा |
|
78. |
8. |
हजारीबाग |
|
79. |
9. |
जमतारा |
|
80. |
10. |
कोडरमा |
|
81. |
11. |
लातेहार |
|
82. |
12. |
पाकुड |
|
83. |
13. |
पालामऊ |
|
84. |
14. |
साहेबगंज |
|
कर्नाटक |
85. |
1. |
बंगलोर ग्रामीण |
86. |
2. |
बेलगाम |
|
87. |
3. |
बीदर |
|
88. |
4. |
चामराजा नगर |
|
89. |
5. |
चिकमगलूर |
|
90. |
6. |
चित्रदुर्ग |
|
91. |
7. |
दावनगेरे |
|
92. |
8. |
धारवाड |
|
93. |
9. |
गडग |
|
94. |
10. |
गुलबर्गा |
|
95. |
11. |
हासन |
|
96. |
12. |
हावेरी |
|
97. |
13. |
कोलार |
|
98. |
14. |
मैसूर |
|
99. |
15. |
टुमकुर |
|
100. |
16. |
कोडागु |
|
101. |
17. |
शिमोगा |
|
102. |
18. |
बागलकोटे |
|
103. |
19. |
बेल्लारी |
|
104. |
20. |
बीजापुर |
|
105. |
21. |
दावनगेरे |
|
106. |
22. |
कोप्पल |
|
107. |
23. |
रायचुर |
|
केरल |
108. |
1. |
वयनाड |
109. |
2. |
पालक्काड |
|
110. |
3. |
कासरगोड |
|
मध्य प्रदेश |
111. |
1. |
बड़वानी |
112. |
2. |
बेतूल |
|
113. |
3. |
भिड |
|
114. |
4. |
छिंदवाडा |
|
115. |
5. |
दमोह |
|
115. |
6. |
देवास |
|
117. |
7. |
धार |
|
118. |
8. |
गुना |
|
119. |
9. |
जबलपुर |
|
120. |
10. |
झबुआ |
|
121. |
11. |
खंडवा |
|
122. |
12. |
खरगौन |
|
123. |
13. |
पन्ना |
|
124. |
14. |
रायसैन |
|
125. |
15. |
राजगढ़ |
|
126. |
16. |
रतलाम |
|
127. |
17. |
रीवा |
|
128. |
18. |
शहडोल |
|
129. |
19. |
शाजापुर |
|
130. |
20. |
शिवपुरी |
|
131. |
21. |
सिधी |
|
132. |
22. |
स्योनी |
|
133. |
23. |
उमरिया |
|
134. |
24. |
अशोक नगर |
|
135. |
25. |
अनुपथुर |
|
महाराष्ट्र |
136. |
1. |
अहमदनगर |
137. |
2. |
अकोला |
|
138. |
3. |
अमरावती |
|
139. |
4. |
औरंगाबाद |
|
140. |
5. |
बीड |
|
141. |
6. |
बुलढाना |
|
142. |
7. |
चंद्रपुर |
|
143. |
8. |
धुले |
|
144. |
9. |
गडचिरोली |
|
145. |
10. |
हिंगोली |
|
146. |
11. |
जलगांव |
|
147. |
12. |
जालना |
|
148. |
13. |
लातूर |
|
149. |
14. |
नागपुर |
|
150. |
15. |
नांदेड |
|
151. |
16. |
नंदुरबार |
|
152. |
17. |
नाशिक |
|
153. |
18. |
ओसमानाबाद |
|
154. |
19. |
परभनी |
|
155. |
20. |
पुणे |
|
156. |
21. |
सांगली |
|
157. |
22. |
सातारा |
|
158. |
23. |
सोलापुर |
|
159. |
24. |
वाशिम |
|
160. |
25. |
यवतमाल |
|
161. |
26. |
वर्धा |
|
उड़ीसा |
162. |
1. |
बारगढ़ |
163. |
2. |
बोलंगीर |
|
164. |
3. |
बौध |
|
165. |
4. |
धेनकनाल |
|
166. |
5. |
कालाहांडी |
|
167. |
6. |
नौपाडा |
|
168. |
7. |
सोनपुर |
|
169. |
8. |
फुलबनी |
|
राजस्थान |
170. |
1. |
अजमेर |
171. |
2. |
बांसवाड़ा |
|
172. |
3. |
बारन |
|
173. |
4. |
भरतपुर |
|
174. |
5. |
डुंगरपुर |
|
175. |
6. |
झालावाड़ |
|
176. |
7. |
करौली |
|
177. |
8. |
कोटा |
|
178. |
9. |
सवाईमाधोपुर |
|
179. |
10. |
टोंक |
|
180. |
11. |
उदयपुर |
|
181. |
12. |
बाडमेर |
|
182. |
13. |
बीकानेर |
|
183. |
14. |
चुरू |
|
184. |
15. |
द्रनुमान गढ़ |
|
185. |
16. |
जयपुर |
|
186. |
17. |
जैसलमेर |
|
187. |
18. |
जालौर |
|
188. |
19. |
झुंझुनू |
|
189. |
20. |
जोधपुर |
|
190. |
21. |
नागौर |
|
191. |
22. |
पाली |
|
192. |
23. |
राजसमंद |
|
193. |
24. |
सीकर |
|
194. |
25. |
सिरोही |
|
तमिलनाडु |
195. |
1. |
कोयम्बतूर |
196. |
2. |
धर्मपुरी |
|
197. |
3. |
डिंडीगल |
|
198. |
4. |
करुर |
|
199. |
5. |
कृष्णागिरी |
|
200. |
6. |
नामक्कल |
|
201. |
7. |
पेराम्बलूर |
|
202. |
8. |
पुदुक्कोट्टै |
|
203. |
9. |
रामनाथपुरम |
|
204. |
10. |
सेलम |
|
205. |
11. |
सिवगंगा |
|
206. |
12. |
तिरुचिरापल्ली |
|
207. |
13. |
तिरूनेलवेली |
|
208. |
14. |
तिरुवन्नामलाई |
|
209. |
15. |
तुलकुडी |
|
210. |
16. |
वेल्लूर |
|
211. |
17. |
विरुदुनगर |
|
उत्तर प्रदेश |
212. |
1. |
इलाहाबाद |
213. |
2. |
बहराइच |
|
214. |
3. |
बलरामपुर |
|
215. |
4. |
बांदा |
|
216. |
5. |
चित्रकुट |
|
217. |
6. |
हमीरपुर |
|
218. |
7. |
जालौन |
|
219. |
8. |
झांसी |
|
220. |
9. |
लखीमपुर खीरी |
|
221. |
10. |
ललितपुर |
|
222. |
11. |
महोबा |
|
223. |
12. |
मिर्जापुर |
|
224. |
13. |
श्रावस्ती |
|
225. |
14. |
सीतापुर |
|
226. |
15. |
सोनभद्र |
|
उत्तराखंड |
227. |
1. |
अल्मोडा |
228. |
2. |
बागेश्वर |
|
229. |
3. |
चमोली |
|
230. |
4. |
चम्पावत |
|
231. |
5. |
पोढी गढ़वाल |
|
232. |
6. |
पिथौरागढ़ |
|
233. |
7. |
टिहरी गढ़वाल |
|
पश्चिम बंगाल |
234. |
1. |
बांकुरा |
235. |
2. |
बीरभूम |
|
236. |
3. |
मेदीनीपुर पश्चिम |
|
237. |
4. |
पुरूलिया |
|
कुल जिलों की संख्या |
237 जिले |