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कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता के लिए विवेकपूर्ण मानदंड

आरबीआइ सं. 2008-09/106
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 26 /21.04.048/2008-09

30 जुलाई 2008
8 श्रावण 1930 (शक)

अध्यक्ष /अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंक सहित)
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण
और प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता के लिए विवेकपूर्ण मानदंड

जैसा कि आपको ज्ञात है, माननीय वित्त मंत्री ने अपने 2008-09 के बजट भाषण (पैरा 73) में किसानों के लिए ऋण माफी और ऋण राहत योजना की घोषणा की है, जिसे अन्यों के साथ-साथ सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों द्वारा कार्यान्वित किया जाना है। भारत सरकार द्वारा घोषित विस्तृत योजना की सूचना 23 मई 2008 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. सं. पीएलएफएस.बीसी. 72/05.04.02/2007-08 द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को भेजी गयी है।

2. उपर्युक्त योजना की परिधि में आने वाले ऋणों पर लागू आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी दिशानिर्देश अनुबंध में दिए गए हैं।

भवदीय

(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 के अंतर्गत आने वाले
उधार खातों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड

1. जैसा कि 23 मई 2008 के परिपत्र ग्राआऋवि. सं. पीएलएफएस. बीसी. 72/ 05.04.02/ 2007-08 द्वारा सूचित किया गया है, छोटे अथवा सीमांत किसान के मामले में संपूर्ण ‘पात्र राशि’ माफ कर दी जाएगी, जब कि ‘अन्य किसानों’ के मामले में एकबारगी निपटान योजना (ओटीएस) लागू की जाएगी जिसके अंतर्गत किसान को इस शर्त के अधीन ‘पात्र राशि’ पर 25 प्रतिशत की छूट दी जाएगी कि वह ‘पात्र राशि’ के शेष 75 प्रतिशत की चुकौती करेगा।

2. ऋण माफी वाले खातों के लिए मानदंड

2.1 ऋण माफी के लिए पात्र छोटे तथा सीमांत किसानों के संबंध में ऊपर उल्लिखित परिपत्र के अनुलग्नक के पैरा 4 में दी गयी परिभाषा के अनुसार माफी के लिए पात्र राशि को बैंक भारत सरकार से प्राप्त होने तक ‘कृषि ऋण माफी योजना 2008 के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्य राशि’ नामक अलग खाते में अंतरित करें । इस खाते की शेष राशि को तुलन पत्र की 9वीं अनुसूची (अग्रिम) में दर्शाया जाना चाहिए।

2.2 इस खाते के शेष को बैंक ‘अर्जक’ आस्ति के रूप में समझें, बशर्ते, वर्तमान मूल्य (पीवी) के रूप में होने वाली हानि के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया हो । वर्तमान मूल्य के रूप में होनेवाली हानि की गणना यह मानकर की जानी चाहिए कि भारत सरकार से ऐसे भुगतान निम्नलिखित किस्तों में प्राप्त होंगे :

क) 30 सितंबर 2008 तक कुल बकाया राशि का 32 प्रतिशत,
ख) 31 जुलाई 2009 तक 19 प्रतिशत,
ग) जुलाई 2010 तक 39 प्रतिशत तथा
घ) जुलाई 2011 तक शेष 10 प्रतिशत।

तथापि, मानक आस्तियों के लिए मौजूदा मानदंडों के अंतर्गत इस खाते में शेष राशि के संबंध में अपेक्षित प्रावधान करना आवश्यक नहीं है।

2.3 उपर्युक्त पैरा 2.2 के अनुसार वर्तमान मूल्य के रूप में हानि की गणना करने के लिए बट्टे की दर 9.56 प्रतिशत समझी जाए, जो कि इस परिपत्र की तारीख को 364-दिवसीय भारत सरकार खजाना बिल पर परिपक्वता पर आय है।

2.4 जिन अनर्जक आस्ति खातों के संबंध में ऋण माफी प्रदान की गई है उनके संबंध में धारित विवेकपूर्ण प्रावधानों का उपयोग वर्तमान मूल्य आधार पर अपेक्षित प्रावधानों को पूरा करने में किया जा सकता है ।

2.5 तथापि, यदि विवेकपूर्ण प्रावधान की धारित राशि वर्तमान मूल्य आधार पर अपेक्षित प्रावधान की राशि से अधिक है तो ऐसे अतिरिक्त प्रावधान को चरणबद्ध तरीके से प्रतिवर्तित किया जाए। यह चरणबद्ध प्रतिवर्तन मार्च 2009, 2010, 2011 तथा 2012 को समाप्त होने वाले वर्ष के दौरान क्रमश: 32 प्रतिशत, 19 प्रतिशत, 39 प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत के अनुपात में किया जाए लेकिन ऐसा केवल संबंधित वर्ष के लिए सरकार से देय किस्त प्राप्त होने के बाद किया जाए।

2.6 सरकार से अंतिम किस्त प्राप्त होने के बाद वर्तमान मूल्य के रूप में हानि के लिए किए गए प्रावधान को सामान्य आरक्षित निधि में ‘लाइन के नीचे’ अंतरित किया जाए।

2.7 यदि किसी किसान के दावे को किसी भी स्तर पर विशेष रूप से अस्वीकृत किया जाता है तो अनर्जक आस्ति की मूल तारीख को ध्यान में रखते हुए उस खाते के आस्ति वर्गीकरण का निर्धारण किया जाए (यह मानते हुए कि ऊपर उल्लिखित खाते में किए गए ऋण शेष के अंतरण के आधार पर उक्त खातों को बीच की अवधि में अर्जक नहीं माना गया है ) तथा उपयुक्त प्रावधान किया जाए। दावे को अस्वीकृत करने के कारण खाते को अनर्जक आस्ति के रूप में माने जाने के परिणामस्वरूप वर्तमान मूल्य आधार पर किए गए प्रावधान को अपेक्षित अनर्जक आस्ति - प्रावधानों की गणना में शामिल किया जाए।

3. ऋण राहत के अंतर्गत आने वाले खातों के लिए मानदंड

3.1 इस योजना के अंतर्गत ‘अन्य’ किसानों के मामले में, किसान को ‘पात्र राशि’ के 25 प्रतिशत की राशि उसके खाते में जमा करके सरकार द्वारा छूट दी जाएगी, बशर्ते किसान ‘पात्र राशि’ के शेष 75 प्रतिशत का भुगतान करता है। योजना में ऐसे किसानों द्वारा अपने 75 प्रतिशत अंश का तीन किस्तों में भुगतान करने का प्रावधान है तथा पहली दो किस्तों की राशि किसान के अंश के एक तिहाई हिस्से से कम नहीं होगी। तीन किस्तों के भुगतान की अंतिम तारीखें क्रमश: 30 सितंबर 2008, 31 मार्च 2009 तथा 30 जून 2009 होंगी ।

आस्ति वर्गीकरण

3.2 जहां ऋण राहत योजना के अंतर्गत आने वाले किसानों ने एकबारगी निपटान के अंतर्गत अपने अंश का भुगतान करने की सहमति दर्शाने वाला वचनपत्र दिया है, वहां उनके संबंधित खातों को बैंक ‘मानक’/‘अर्जक’ खाते समझ सकते हैं, बशर्ते -

(क) बैंकों ने उधारकर्ताओं तथा सरकार से अपेक्षित सभी प्राप्य राशियों के लिए वर्तमान मूल्य के रूप में होनेवाली हानि के लिए पर्याप्त प्रावधान किया है; तथा
(ख) ऐसे किसान निपटान के अपने अंश का भुगतान नियत तारीखों के एक महीने के भीतर करते हैं।

प्रावधानीकरण

3.3 मानक आस्तियों के लिए प्रावधान: ऋण राहत के अंतर्गत आने वाले खातों को उधारकर्ताओं से उपर्युक्त वचनपत्र प्राप्त करने के बाद मानक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। तदनुसार, ऐसे खातों पर मानक आस्तियों पर लागू विवेकपूर्ण प्रावधानीकरण भी लागू होगा।

3.4 वर्तमान मूल्य के आधार पर प्रावधान करना : योजना के अंतर्गत वर्तमान मूल्य के रूप में हानि की राशि की गणना करने के लिए उपर्युक्त पैरा 3.1 में चुकौती की अनुसूची के अनुसार किसानों से प्राप्य तथा सरकार से भी प्राप्य नकदी प्रवाह पर बट्टा काटकर वर्तमान मूल्य निकाला जाना चाहिए । इस संदर्भ में यह मान लिया जाए कि सरकार का अंशदान 30 जून 2010 तक प्राप्त हो जाएगा। इस प्रयोजन के लिए लागू की जानेवाली बट्टा दर वह ब्याज दर होनी चाहिए जिस पर संबंधित ऋण मंजूर किया गया था, जिसमें सरकार से यदि कोई ब्याज सब्सिडी उपलब्ध हो तो उसका भी समावेश होगा ।

3.5 जिन अनर्जक आस्ति खातों के लिए ऋण माफी मंजूर की गई है उनके संबंध में किए गए विवेकपूर्ण प्रावधानों को वर्तमान मूल्य के आधार पर अपेक्षित प्रावधानों तथा मानक आस्तियों (इन ऋणों के मानक के रूप में वर्गीकृत करने के कारण) संबंधी प्रावधानों की पूर्ति के लिए हिसाब में लिया जाए और यदि कोई कमी रह जाए तो उसके लिए प्रावधान किया जाए । इस प्रकार किए गए कुल प्रावधानों में वर्तमान मूल्य के आधार पर अपेक्षित प्रावधान, मानक आस्तियों के लिए प्रावधान और अनर्जक आस्तियों के प्रति यदि कोई अतिरिक्त विवेकपूर्ण प्रावधान हो तो वे शामिल होंगे।

3.6 खातों के निम्न श्रेणीकरण के मामले में प्रावधान करना : जैसा कि उपर्युक्त पैरा 3.2 (ख) में उल्लेख किया गया है, ऋण राहत योजना के अधीन आनेवाले खातों को केवल तभी मानक /अर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा जब किसान पूर्व निर्दिष्ट नियत तारीखों के एक महीने के भीतर अपने द्वारा अदा की जानेवाली राशि का भुगतान कर देते हैं । तथापि, यदि किसानों द्वारा अदायगी किए जाने में संबंधित नियत तारीखों से एक महीने से अधिक का विलंब होता है तो ऐसे किसानों के संबंधित खातों की बकाया राशि को अनर्जक आस्ति माना जाएगा। ऐसे खातों का आस्ति वर्गीकरण अनर्जक आस्ति की मूल तारीख के संदर्भ में निर्धारित किया जाएगा। (मानो उक्त खाते को, उक्त वचनपत्र पर आधारित बीच की अवधि में, अर्जक के रूप में नहीं माना गया था।) खातों के ऐसे निम्न श्रेणीकरण पर मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार अतिरिक्त प्रावधान भी किए जाने चाहिए।

इस अतिरिक्त प्रावधान की अपेक्षा की पूर्ति के लिए, अतिरिक्त विवेकपूर्ण प्रावधान यदि कोई किए गए हों तो उन्हें; मानक आस्तियों के लिए किए गए प्रावधान की राशियों (उक्त पैरा 3.3 के अनुसार) तथा ऐसे निम्न श्रेणीकृत खाते के संबंध में वर्तमान मूल्य के आधार पर किए गए प्रावधान को विचार में लिया जा सकता है । ऐसे अतिरिक्त विवेकपूर्ण प्रावधान किया जाना भी जारी रखा जाना चाहिए तथा उन्हें नीचे दिए पैरा 3.7 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार ही प्रतिवर्तित किया जाना चाहिए।

3.7 अतिरिक्त विवेकपूर्ण प्रावधानों को प्रतिवर्तित करना : यदि विवेकपूर्ण अनर्जक आस्ति प्रावधानों की राशि, वर्तमान मूल्य आधार पर अपेक्षित प्रावधान तथा मानक आस्तियों केध लिए किए गए कुल प्रावधान (इन ऋणों को मानक के रूप में वर्गीकृत करने के कारण) से अधिक हो तो ऐसे अतिरिक्त विवेकपूर्ण प्रावधान को प्रतिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें इन दो घटनाओं में से पहले होनेवाली घटना तक जारी रखा जाना चाहिए, अर्थात् : (क) उधारकर्ता का पूरा बकाया चुकता होने तक - जब पूरी राशि को लाभ-हानि लेखे में प्रतिवर्तित किया जा सकेगा; अथवा (ख) जब ऐसे अतिरिक्त प्रावधान की राशि, उधारकर्ता द्वारा चुकौती के कारण बकाया राशि से अधिक हो जाती है । जब बकाया राशि से अधिक प्रावधान की राशि को लाभ-हानि लेखे में प्रतिवर्तित किया जा सकेगा।

3.8 वर्तमान मूल्य के आधार किए गए प्रावधानों को प्रतिवर्तित करना : वर्तमान मूल्य के आधार पर किए गए प्रावधान, नकदी की प्राप्ति में विलंब के कारण बैंक के लिए स्थायी स्वरूप की हानि दर्शाते हैं, अत: उन्हें लाभ-हानि लेखे में प्रतिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए। अत: ऐसे प्रावधान की राशि को अंतिम रूप से निपटान होने तक जारी रखा जाना चाहिए तथा उक्त योजना के अंतर्गत सरकार का अंशदान प्राप्त हो जाने के बाद उसे सामान्य आरक्षित निधि के अंतर्गत ‘लाइन के नीचे’ प्रतिवर्तित किया जाना चाहिए।

4. ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना के अंतर्गत शामिल उधारकर्ताओं को नये ऋणों की मंजूरी

4.1 छोटे तथा सीमांत किसान, 23 मई 2008 के परिपत्र आरपीसीडी. सं. पीएलएफएस. बीसी. 72/05.04.02/2007-08 के संलग्नक के पैरा सं. 7.2 के अनुसार पात्र राशि माफ किए जाने पर नए कृषि ऋणों के लिए पात्र हो जाएंगे। इन नए ऋणों को ऋण माफी के अधीन उक्त ऋण के आस्ति वर्गीकरण पर ध्यान दिए बिना "अर्जक आस्ति" के रूप में माना जाएगा और उसके बाद वाला आस्ति वर्गीकरण मौजूदा आइआरएसी मानदंडों के अनुसार होगा।

4.2 नए अल्पावधि उत्पादन ऋणों और निवेश ऋणों के लिए पात्र ‘अन्य किसानों’ के मामले में 23 मई 2008 के परिपत्र आरपीसीडी सं. पीएलएफएस. बीसी. 72/05.04.02/2007-08 के संलग्नकं के पैरा क्रमश: 7.6 और 7.7 में प्रावधान किए गए अनुसार, इन नए ऋणों को ऋण राहत के अधीन उक्त ऋण के आस्ति वर्गीकरण पर ध्यान दिए बिना ‘अर्जक आस्ति’ माना जाए और उसके बाद वाला आस्ति वर्गीकरण मौजूदा आइआरएसी मानदंडों के अनुसार होगा।

5. पूंजी पर्याप्तता

‘कृषि ऋण माफी योजना 2008 के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्य राशि’ के रूप में रखे गए खाते की बकाया राशि को भारत सरकार पर एक दावे के रूप में समझा जाएगा और उस पर पूंजी पर्याप्तता मानदंडों के प्रयोजन के लिए शून्य जोखिम भार लगेगा। तथापि, ऋण राहत योजना में शामिल खातों की बकाया राशि को उधारकर्ता पर दावे के रूप में माना जाएगा तथा मौजूदा मानदंडों के अनुसार उस पर जोखिम भार लगेगा। यह बासल I तथा बासल II ढाँचे के अधीन लागू होगा।

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