ऋण और ईक्विटी के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश का विनियोजन - आरबीआई - Reserve Bank of India
ऋण और ईक्विटी के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश का विनियोजन
आरबीआइ/2008-09/240 17 अक्तूबर 2008 सेवा में महोदय/महोदया ऋण और ईक्विटी के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश का विनियोजन सभी प्राधिकृत व्यापारी (ए डी श्रेणी-।) श्रेणी-। बैंकों का ध्यान समय-समय पर संशोधित 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम अधिसूचना सं. 20 की अनुसूची 5 के पैराग्राफ 1 के उप पैराग्राफ(i) और (ii) की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों को प्रत्यावर्तन आधार पर, दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियां/खजाना बिल, सूचीबध्द अपरिवर्तनीय डिबेंचर्स/बांड,किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी वाणिज्यिक पत्र और घरेलू म्युचुअल फंड के युनिट तथा परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी प्रतिभूति रसीदें , इस प्रकार की प्रतिभूतियां जारीकर्ताओं से सीधे अथवा भारत में किसी मान्यताप्राप्त स्टाक एक्स्चेंज में पंजीकृत स्टाक ब्रोकर के माध्यम से खरीदने की अनुमति दी गयी है, बशर्ते कि : (i) विदेशी संस्थागत निवेशक, ईक्विटी और ऋण लिखतों (भारतीय पूंजी बाजार में दिनांकित सरकारी प्रतिभ्तियां और खजाना बिलों सहित) के बीच अपने कुल निवेश का विनियोजन 70:30 के अनुपात में सीमित रखेंगे। (iii) प ्रतिभूति सीद योजना के प्रत्येक भाग में किसी एकल विदेशी संस्थागत निवेशक द्वारा धारित कुल जमा राशि , निर्गम के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए और सभी विदेशी संस्थागत निवेशकों की कुल धारित जमा राशि परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी प्रतिभूति सीद योजना के प्रत्येक भाग के प्रदत्त मूल्य के 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए । 2. विदेशी संस्थागत निवेशकों को ईक्विटी और ऋण लिखतों में उनके निवेशों के विनियोजन में लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारत सरकार के परामर्श से 16 अक्तूबर 2008 के अपने परिपत्र सं. आइएमडी/एफआइआइ एण्ड सी/33/2007 के द्वारा क्रमश: ईक्विटी और ऋण में निवेशों के 70:30 के अनुपात के प्रतिबंध से संबंधित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड विदेशी संस्थागत निवेशक विनियमावली के विनयम 15 (2) में दी गयी शर्त हटा दी है । तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त परंतुक (i) में यथा उल्लिखित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) विनियमों के तहत मौजूदा प्रावधान हटा दिए जाएं। तथापि, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी प्रतिभूति रसीदों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की जमा राशि के संबंध में परंतुक (iii) में दी गयी शर्त बनी रहेगी । 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें। 4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर रहनेवाले किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) अधिनियम 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जाएंगे। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |