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गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियमन में संशोधन- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45-झक के अंतर्गत जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र - सांविधिक लेखापरीक्षक का प्रमाण पत्र बैंक को प्रस्तुत व्

भारिबैं/2006-07/133
गैबैंपवि.नीति प्रभाग. कं.परि. सं. 79 /03.05.002/2006-07

21 सितंबर 2006

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित)

प्रिय महोदय

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियमन में संशोधन- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45-झक के अंतर्गत जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र - सांविधिक लेखापरीक्षक का प्रमाण पत्र बैंक को प्रस्तुत करना

किसी कंपनी द्वारा गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कारोबार शुरू करने / जारी रखने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45-झक के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करना/रखना आवश्यक है।

2. यह देखा गया है कि कतिपय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जो अब गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कारोबार नहीं कर रही हैं परन्तु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र रखे हुए हैं, यद्यपि उनके लिए ऐसा करना / वे उसे रखने के लिए पात्र नहीं हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल वही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो वास्तव में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था के कारोबार में लगी हैं , अपने पास प्रमाण पत्र रखें, सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ अपने सांविधिक लेखापरीक्षक से हर वर्ष इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें कि वे गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था के कारोबार में लगी हैं। इस आशय का पहला प्रमाण पत्र 31 मार्च 2006 को समाप्त होनेवाले वित्तीय वर्ष के संबंध में प्रस्तुत किया जाए। सांविधिक लेखा परीक्षक से इस आशय का प्रमाण पत्र 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष की स्थिति के लिए गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को हर वर्ष 30 जून से पहले प्रस्तुत किया जाए जिसके अंतर्गत उसक ा पंजीकरण है।

3. इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 21 सितंबर 2006 की संशोधनकारी अधिसूचना सं. गैबैंपवि.188/ सीजीएम (पीके)-2006 तथा 31 जनवरी 1998 की अद्यतन की गई अधिसूचना सं. अ्इण्. 119/अ्उ(एझ्ऊ)-98 की प्रतिलिपि संलग्न है —

भवदीय

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 188 /मुमप्र(पी.के.)-2006, दिनांक 21 सितंबर 2006

भारतीय रिज़र्व बैंक , इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनता के हित में और वित्तीय प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु बैंक को समर्थ बनाने के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 को संशोधित करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2)की धारा 45 ञक द्वारा प्रदत्त शत्तियों का प्रयोग करते हुए और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शत्तियों का प्रयोग करते हुए, 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. अ्इण्. 119/अ्उ(एझ्ऊ)-98 में अंतर्विष्ट निदेशों को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करता है अर्थात-

2. पैराग्राफ 9 ण् के बाद एक नया पैराग्राफ जोड़ा जाएगा :

सांविधिक लेखापरीक्षक का प्रमाण पत्र बैंक को प्रस्तुत करना

9अ्. प्रत्येक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को अपने सांविधिक लेखापरीक्षक से इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह (कंपनी) गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कारोबार कर रही है जिसके लिए उसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45-झक के अंतर्गत जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र रखना आवश्यक है। सांविधिक लेखा परीक्षक से इस आशय का प्रमाण पत्र 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष की स्थिति के लिए प्राप्त कर गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को हर वर्ष 30 जून से पहले प्रस्तुत किया जाए जिसके अंतर्गत कंपनी i ा पंजीकरण है। "

(पी. कृष्णमूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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