धनशोधन निवारण (अभिलेखों को बनाए रखना) नियम, 2005 में संशोधन – ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़’ प्रस्तुत करना – विवाह या किसी अन्य कारण से नाम में परिवर्तन - आरबीआई - Reserve Bank of India
धनशोधन निवारण (अभिलेखों को बनाए रखना) नियम, 2005 में संशोधन – ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़’ प्रस्तुत करना – विवाह या किसी अन्य कारण से नाम में परिवर्तन
आरबीआई/2015-16/213 29 अक्तूबर 2015 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/ स्थानीय क्षेत्र बैंक/अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं/ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां/ प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/ राज्य एवं केंद्रीय सहकारी बैंक (एसटीसीबी/सीसीबी)/ भुगतान प्रणाली प्रदाता/प्रणाली सहभागी और पूर्व प्रदत्त भुगतान लिखत जारीकर्ता/ अधिकृत व्यक्ति और धन विप्रेषण सेवा योजनाओं के एजेंट के रूप में अधिकृत व्यक्ति महोदय /महोदया, धनशोधन निवारण (अभिलेखों को बनाए रखना) नियम, 2005 में संशोधन – ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़’ प्रस्तुत करना – विवाह या किसी अन्य कारण से नाम में परिवर्तन कृपया अपने ग्राहक को जानिए मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (केवाईसी/एएमएल/सीएफ़टी) पर 01 जुलाई 2015 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंविवि.एएमएल.सं.15/14.01.001/2015-16 का पैरा 3.2.2.I.क देखें जिसमें व्यक्तियों के लिए खाता खोलते समय ग्राहक से संबंधित समुचित सावधानी अपेक्षाओं को विनिर्दिष्ट किया गया है। 2. रिज़र्व बैंक को बैंकों/व्यक्तियों से नया बैंक खाता खोलते समय या आवधिक अपडेशन के समय या मौजूदा खातों में नाम परिवर्तन करवाते समय आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में उन व्यक्तियों के सामने आ रही कठिनाइयों के संबंध में पत्र/अभ्यावेदन प्राप्त हो रहे हैं जो विवाह या किसी अन्य कारण से अपना नाम परिवर्तित करते हैं। मूल नाम से जारी आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़, जो विविध कारणों से अद्यतन नहीं किया जाता, बाद में भी ऐसे व्यक्तियों का पहले/विवाह–पूर्व का नाम दर्शाता है। 3. सरकार ने अब रिज़र्व बैंक से परामर्श करते हुए धनशोधन निवारण (अभिलेखों को बनाए रखना) नियम, 2005 में संशोधन किया है और धनशोधन निवारण (अभिलेखों को बनाए रखना) तृतीय संशोधन नियम, 2015 के बारे में 22 सितंबर 2015 की एक राजपत्रित अधिसूचना जीएसआर 730 (ई) जारी की है (प्रति संलग्न)। 4. धनशोधन निवारण तृतीय संशोधन नियम के खंड 2 के अनुसार नियम 2 के खंड (घ) में एक व्याख्या डाली गई है जिसका पाठ इस प्रकार है: “व्याख्या: इस खंड के प्रयोजन से, किसी दस्तावेज़ को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़’ तब भी माना जाएगा यदि इसके जारी होने के बाद नाम में परिवर्तन हुआ है, बशर्ते यह राज्य सरकार द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र या एक राजपत्रित अधिसूचना द्वारा समर्थित हो जिसमें नाम में ऐसे परिवर्तन का उल्लेख किया गया हो।” 5. तदनुसार, विनियमित संस्थाओं को सूचित किया जाता है कि वे खाता आधारित रिश्ता बनाते समय या आवधिक अपडेशन का कार्य करते समय ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़’ की प्रमाणित प्रति के साथ राज्य सरकार द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र या राजपत्रित अधिसूचना जिसमें नाम में परिवर्तन का उल्लेख हो, स्वीकार कर सकते हैं। 6. साथ ही, नियम 7(3) और 7(4 में संशोधन को भी अधिसूचित किया गया है जिसका पाठ इस प्रकार है: (7)(3): प्रत्येक रिपोर्टिंग संस्था नियम 3 के उप नियम 1 के खंडों (क), (ख), (ख क), ((ग), (घ), (ङ), (च) और (छ) में बताए गए लेनदेनों का पता लगाने के लिए तथा निदेशक द्वारा विनियामक के परामर्श से निदेशित स्वरूप में ऐसे लेनदेनों के बारे में सूचना प्रस्तुत करने के लिए रिपोर्ट करने वाली प्रत्येक संस्था के निदेशक द्वारा अपने विनियामक के परामर्श से जारी किए जाने वाले किसी दिशानिर्देश के संबंध में एक आंतरिक प्रणाली विकसित करेगी। (7)(4): रिपोर्ट करने वाली प्रत्येक संस्था, उसके पदनामित निदेशक, अधिकारियों और कर्मचारियों का यह दायित्व होगा कि वे विनियामक के परामर्श से निदेशक द्वारा सूचना प्रस्तुत करने की विनिर्दिष्ट प्रक्रिया और पद्धति का पालन करें।” 7. विनियमित संस्थाएं अपनी केवाईसी नीति को उपर्युक्त अनुदेशों के आलोक में संशोधित करें और उसका सख्त अनुपालन सुनिश्चित करें। भवदीया, (लिली वढेरा) |