बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 में संशोधन हूबहू नक़ल 0 - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 में संशोधन
मई 24, 2007
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 35क द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और दिनांक 26 दिसंबर, 2005 की अपनी अधिसूचना संदर्भ आरपीसीडी.बीओएस.सं.441/13.01.01/2005-06 में आंशिक आशोधन करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा इसके संलग्नक में विनिर्दिष्ट सीमा तक बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 में संशोधन करता है। ये संशोधन तत्काल प्रभावी होंगे।
रिज़र्व बैंक इसके द्वारा निदेश देता है कि सभी वाणिज्य बैंक, क्षेत्र्ाीय ग्रामीण बैंक और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक एतद् द्वारा यथा संशोधित बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 का अनुपालन करेंगे।
(उषा थोरात)
उप गवर्नर
संलग्नक
बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 में संशोधन
1. बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 (यहां इसके बाद जिसे ‘प्रिंसिपल स्कीम’ कहा गया है), क्लॉज 13 निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात्
‘‘13. शिकायत को अस्वीकार करना
बैंकिंग लोकपाल शिकायत को किसी भी स्तर पर अस्वीकार कर सकता है यदि उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वह शिकायत -
(क) उक्त शिकायत क्लॉज 8 में संदर्भित आधार के अनुरूप नहीं है; अथवा
(ख) वह क्लॉज 12(5) के अंतर्गत निर्धारित किये गये अनुसार बैंकिंग लोकपाल के आर्थिक अधिकार-क्षेत्र्ा से बाहर है; अथवा
(ग) वह तुच्छ, परेशान करने वाली, दुर्भाग्यपूर्ण नीयत से की गयी है; अथवा
(घ) बिना किसी पर्याप्त कारण के की गई है; अथवा
(V) शिकायतकर्ता द्वारा मामले पर समुचित तत्परता से ध्यान नहीं दिया गया है; अथवा
(च) बैंकिंग लोकपाल की राय में शिकायतकर्ता को कोई हानि अथवा क्षति अथवा असुविधा नहीं हुई है; अथवा
(Ž) विस्तृत दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य पर विचार करने की आवश्यकता है, उनके बिना बैंकिंग लोकपाल के सम्मुख इस प्रकार की शिकायत के न्यायनिर्णयन के लिए कार्यवाही उपयुक्त नहीं है।’’
2. प्रिंसिपल स्कीम में, क्लॉज 13 में सब-क्लॉज (2) हटा दिया जाएगा।
3. प्रिंसिपल स्कीम में, क्लॉज 14 में सब-क्लॉज (1) निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात :-
" (1) क्लॉज 12 के अधीन किसी अधिनिर्णय या क्लॉज 13 के सब-क्लॉज (सी) से (जी) तक में उल्लिखित कारणों से शिकायत की नामंजूरी से व्यथित कोई भी व्यक्ति, अधिनिर्णय या शिकायत की नामंजूरी की सूचना की प्राप्ति की तारीख से 30 दिन के भीतर अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकता है;
बशतर्े कि यदि बैंक अपील करे तो अपील करने के लिए तीस दिन की अवधि क्लॉज 12 के सब-क्लॉज (8) के अधीन शिकायतकर्ता द्वारा अधिनिर्णय के स्वीकृतिपत्र्ा की बैंक द्वारा प्राप्ति की तिथि से शुरू होगी;
बशतर्े कि यदि अपीलीय प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट हो जाए कि आवेदनकर्ता के पास समय के भीतर अपील नहीं करने का पर्याप्त कारण है तो वह अधिकतम 30 दिन की अवधि और बढ़ाने की अनुमति दे सकता है।
बशतर्े यह अपील बैंक द्वारा केवल अध्यक्ष या उनकी अनुपस्थिति में प्रबंध निदेशक या कार्यपालक निदेशक या मुख्य कार्यपालक अधिकारी या समकक्ष श्रेणी के किसी अन्य अधिकारी की पूर्व स्वीकृति से ही फाइल की जा सकती है।"
4. प्रिंसिपल स्कीम में, क्लॉज 12 में सब-क्लॉज 8 निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात:-
"(8) यदि शिकायतकर्ता अधिनिर्णय की प्रतिलिपि की प्राप्ति की तारीख से 30 दिन की अवधि के भीतर अपने दावे के पूर्ण अंतिम निपटान के संबंध में अधिनिर्णय की स्वीकृति का पत्र्ा संबंधित बैंक को प्रस्तुत नहीं करता है तो अधिनिर्णय समाप्त हो जाएगा एवं नहीं रहेगा। बशतर्े कि शिकायतकर्ता द्वारा क्लॉज 14 के सब-क्लॉज (1)के अंतर्गत अपली की गई हो तो उसके द्वारा ऐसा कोई भी स्वीकृति पत्र्ा नहीं प्रस्तुत किया जाए"
5. प्रिंसिपल स्कीम में, क्लॉज 12 में सब-क्लाँज (9) निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात्
"(9) जब तक सब-क्लॉज (8) के अंतर्गत शिकायत कर्ता द्वारा अधिनिर्णय की लिखित स्वीकृति की बैंक द्वारा प्राप्ति की तिथि से एक महीने की भीतर क्लॉज 14 के सब-क्लॉज (1) के अंतर्गत अपील नहीं करे तब तक बैंक अधिनिर्णय का अनुपालन करता रहेगा और बैंकिंग लोकपाल को अनुपालन की सूचना देता रहेगा।"