विलय पर साख का परिशोधन - शहरी सहकारी बैंक - आरबीआई - Reserve Bank of India
विलय पर साख का परिशोधन - शहरी सहकारी बैंक
आरबीआई/2007-08/94
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.5/09.16.901/2007-08
13 जुलाई 2007
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदय/महोदया
विलय पर साख का परिशोधन - शहरी सहकारी बैंक
कृपया 22 नवंबर 2005 का हमारा परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.18/09.16.901/2005-06 देखें जिसमें अधिग्रहणकर्ता बैंक को अधिग्रहित शहरी सहकारी बैंक की हानि का परिशोधन पांच वर्ष के भीतर ही करने की अनुमति दी गई थी जिसमें विलय का वर्ष भी शामिल है।
2. भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) द्वारा जारी लेखाकरण मानकों के एएस-14 के अंतर्निहित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए इस मामले की समीक्षा की गई है और निम्नलिखित प्रकार सूचित किया जाता है:
i) जहां अधिग्रहण/समामेलन के लिए भुगतान की गई प्रतिफल राशि, अधिग्रहित की गई निवल आस्तियों के बही मूल्य से अधिक हो तो इस अतिरिक्त राशि को साख के रूप में माना जाना चाहिए तथा उसका परिशोधन पांच वर्ष की अवधि में समान किस्तों में किया जाना चाहिए।
ii) जहां किसी प्रतिफल राशि का भुगतान नहीं किया जाता है लेकिन आस्तियों का बही मूल्य अधिग्रहित की गई देयताओं के बही मूल्य से कम हो तो वहां अधिग्रहित की गई आस्तियों के बही मूल्य की तुलना में देयताओं के अतिरिक्त बही मूल्य को साख माना जाएगा तथा उसका परिशोधन पांच वर्ष की अवधि में समान किस्तों में किया जाएगा।
iii) जहां किसी प्रतिफल राशि का भुगतान नहीं किया जाता है लेकिन अधिग्रहित की गई आस्तियों का बही मूल्य अधिग्रहित की गई देयताओं के बही मूल्य से अधिक हो तो वहां देयताओं के बही मूल्य की तुलना में आस्तियों के अतिरिक्त बही मूल्य को आरक्षित पूंजी माना जाएगा।
3. कृपया प्राप्ति-सूचना संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें।
भवदीय
(एन.एस.विश्वनाथन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक