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शिकायतों का विश्लेषण और प्रकटन - वित्तीय परिणामों के साथ शिकायतों/ कार्यान्वयन न किये गये बैंकिंग लोकपाल के अधिनिर्णयों का प्रकटन

आरबीआइ/2006-07/266
बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 60 /09.07.005/2006-07

22 फरवरी 2007
3 फाल्गुन 1928 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

शिकायतों का विश्लेषण और प्रकटन - वित्तीय परिणामों के साथ शिकायतों/
कार्यान्वयन न किये गये बैंकिंग लोकपाल के अधिनिर्णयों का प्रकटन

सार्वजनिक सेवाओं संबंधी प्रक्रिया और कार्य-निष्पादन लेखा परीक्षा पर समिति (सीपीपीएपीएस) ने सिफारिश की थी कि बैंकों को प्राप्त शिकायतों का विश्लेषण करनेवाला विवरण अपने बोर्डों के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। सीपीपीएपीएस ने यह भी सिफारिश की थी कि बैंकों द्वारा अपने वित्तीय परिणामों के साथ शिकायतों और उनके विश्लेषण का विवरण भी प्रकटन किया जाना चाहिए। साथ ही, यह सुझाव प्राप्त हुआ है कि वित्तीय परिणामों के साथ कार्यान्वित न किये गये बैंकिंग लोकपाल के अधिनिर्णयों का भी प्रकटन किया जाना चाहिए ।

2. शिकायत निवारण तंत्र की कारगरता बढ़ाने की दृष्टि से उक्त मामले की जांच की गयी है और तदनुसार बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे प्राप्त शिकायतों के विश्लेषण के साथ शिकायतों का विवरण अपने बोर्ड/ग्राहक सेवा समितियों के समक्ष रखें । शिकायतों का विश्लेषण (i) ऐसे ग्राहक सेवा क्षेत्रों की पहचान करने के लिए किया जाए जिनमें बार-बार शिकायतें प्राप्त होती हैं; (ii) ऐसे स्रोतों की पहचान करने के लिए किया जाए जिनसे शिकायतें बार-बार प्राप्त होती हैं; (iii) प्रणालीगत कमियों का पता लगाने के लिए किया जाए; तथा (iv) शिकायत निवारण तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने के लिए उचित कार्रवाई शुरू करने हेतु किया जाना चाहिए ।

3. साथ ही, बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे अपने वित्तीय परिणामों के साथ निम्नलिखित संक्षित ब्योरे भी प्रकटण करें :

अ. ग्राहक शिकायतें

(क)

वर्ष के प्रारंभ में लंबित शिकायतों की संख्या

 

(ख)

वर्ष के दौरान प्राप्त शिकायतों की संख्या

 

(ग)

वर्ष के दौरान दूर की गयी शिकायतों की संख्या

 

(घ)

वर्ष के अंत में लंबित शिकायतों की संख्या

 

आ. बैंकिंग लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णय

(क)

वर्ष के प्रारंभ में कार्यान्वित न किये गये अधिनिणयों की संख्या

 

(ख)

वर्ष के दौरान बैंकिंग लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णयों ं की संख्या

 

(ग)

वर्ष के दौरान कार्यान्वित किये गये अधिनिर्णयों की संख्या

 

(घ)

वर्ष के अंत में कार्यान्वित न किये गये अधिनिर्णयों की संख्या

 

4. साथ ही, बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे प्रत्येक वर्ष के अंत में सामान्य जनता की जानकारी हेतु अपनी वेबसाईट पर शिकायतों का ब्योरेवार विवरण तथा उसका विश्लेषण उपलब्ध कराएं ।

भवदीय

(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक

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