वार्षिक लेखाबंदी - समस्त केंद्र/राज्य सरकार करों (प्रत्यक्ष/परोक्ष) की प्राप्ति – चालू वित्तीय वर्ष (2004-05) के लिए व्यवस्था - आरबीआई - Reserve Bank of India
वार्षिक लेखाबंदी - समस्त केंद्र/राज्य सरकार करों (प्रत्यक्ष/परोक्ष) की प्राप्ति – चालू वित्तीय वर्ष (2004-05) के लिए व्यवस्था
आरबीआई/2005/400 22 मार्च 2005 अध्यक्ष/अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक प्रिय महोदय, वार्षिक लेखाबंदी - समस्त केंद्र/राज्य सरकार करों (प्रत्यक्ष/परोक्ष) की प्राप्ति – हमें सरकारी विभागों/ मंत्रालयों से यह अनुरोध प्राप्त हुए हैं कि रिज़र्व बैंक के कार्यालय और सरकारी कारोबार करने हेतु प्राधिकृत एजेंसी बैंकों की शाखाएँ 31 मार्च, 2005 को अपना कार्य समय बढ़ा दें ताकि उस तारीख को देर तक करों की वसूली की जा सके। तदनुसार, चालू वित्तीय वर्ष (2004-05) के लिए सरकरी लेखों की बंदी के कारण कर दाताओं की भीड़ का सामना करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि एजेंसी बैंक तथा रिज़र्व बैंक के कार्यालय 31 मार्च 2005 (गुरुवार) को कर-निर्धारितियों को करों को जमा करने के लिए सामान्य सुविधाएं उपलब्ध कराएं। सरकार की अपेक्षा के आधार पर और करों के भुगतान के लिए कर-निर्धारितियों की भीड़ को देखते हुए सरकारी कारोबार करने हेतु प्राधिकृत आपकी शाखाएं बैंकिंग कारोबार के समय को उपयुक्त रूप से बढ़ा दें और संबंधित बैंक शाखा के सुरक्षा पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रयोजन से अपने काउंटर खुले रखें। कोई भी कर-निर्धारिती कर जमा किए बिना बैंक से वापस न भेजा जाए। 2. भारिबैं/ एजेंसी बैंकों द्वारा संचालित स्थानीय समाशोधन गृहों के अध्यक्ष स्थानीय केन्द्रों की परिचालनगत सुविधा को ध्यान में रखते हुए अपने विवेक पर विशेष समाशोधन (वापसी समाशोधन सहित) कार्य किए जा सकते हैं ताकि जमा किए गए चेकों की वसूली हो सके और सरकारी खाते में उसी दिन जमा किए जा सकें। 3. एजेंसी बैंकों द्वारा जनता और कर-दाताओं की सूचना के लिए सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में अंग्रेजी,हिंदी स्थानीय भाषाओं में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा सकती है जिसमें एजेंसी बैंकों की निर्दिष्ट शाखाओं के नाम दिए गए हों ताकि बैंक की शाखाओं पर इसका दबाव समान रूप से बंट जाए। 4. ऊपर दिए गए निर्देश केवल करों की प्राप्ति के लिए लागू होंगे। भवदीय ह/- |