वार्षिक लेखाबंदी - प्रत्यक्ष करों की प्राप्ति - चालू वित्तीय वर्ष हेतु व्यवस्था - आरबीआई - Reserve Bank of India
वार्षिक लेखाबंदी - प्रत्यक्ष करों की प्राप्ति - चालू वित्तीय वर्ष हेतु व्यवस्था
आरबीआई/2004/122 27 मार्च, 2004 अध्यक्ष/अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/ प्रिय महोदय, वार्षिक लेखाबंदी - प्रत्यक्ष करों की प्राप्ति - चालू वित्तीय वर्ष हेतु व्यवस्था वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग (बैंकिंग प्रभाग) से अभी-अभी प्राप्त इस अनुरोध कि करदाताओं की सुविधा के लिए सरकारी कारोबार करने वाले रिज़र्व बैंक के कार्यालयों और एजेंसी बैंकों की शाखाओं को 30 मार्च 2004 (मंगलवार/छुट्टी का दिन) को खुला रखा जाए और 27 मार्च, 2004 (शनिवार) को काम के समय को उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाए। चालू वित्त वर्ष (2003-04) के लिए सरकारी लेखाबंदी के कारण अपेक्षित भीड़ से निपटने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि एजेंसी बैंकों और रिज़र्व बैंक के कार्यालयों द्वारा करदाताओं की सुविधा के लिए निम्नलिखित व्यवस्था की जाए: 1. 27 मार्च, 2004 (शनिवार) i) एजेंसी बैंकों की शाखाएं और रिज़र्व बैंक के कार्यालय 27 मार्च, 2004 को कर जमा करने के लिए करदाताओं (मूल्यांकिती) को सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करें। सरकार की आवश्यकताओं के आधार पर और करों के भुगतान के लिए करदाताओं की भीड़ को देखते हुए बैंकिंग कारोबार के समय को उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाए और काउंटर इस प्रयोजन के लिए खुले रखे जाएं। कोई भी करदाता कर का भुगतान किए बिना बैंक से वापस न भेजा जाए। 2. 30 मार्च, 2004 (मंगलवार/छुट्टी का दिन): i) कर की प्राप्ति के लिए प्राधिकृत एजेंसी बैंकों की शाखाएं तथा रिज़र्व बैंक के कार्यालय 30 मार्च, 2004 (मंगलवार/छुट्टी का दिन) को अपनी शाखाएं खुली रखें और 30 मार्च, 2004 को कर जमा करने के लिए करदाताओं को समस्त प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। सरकार की आवश्यकताओं के आधार पर और करों के भुगतान के लिए करदाताओं की भीड़ को देखते हुए बैंकिंग कारोबार के समय को उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाए और काउंटर इस प्रयोजन के लिए खुले रखे जाएं। कोई भी करदाता कर का भुगतान किए बिना बैंक से वापस न भेजा जाए। ii) जनता और करदाताओं की सूचना के लिए एजेंसी बैंकों द्वारा सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में अंग्रेजी, हिंदी/स्थानीय भाषाओं में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा सकती है जिसमें मुंबई स्थित एजेंसी बैंकों की शाखाओं के नाम दिए गए हों ताकि बैंकों पर इसका दबाव समान रूप से बंट जाए। 3. ऊपर दिए गए निर्देश केवल करों के संग्रह के लिए लागू होंगे। 4. इसका हिंदी रूपांतर बाद में जारी किया जाएगा। भवदीय,
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