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वार्षिक वित्तीय निरीक्षण – प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण – बैंकों द्वारा गलत वर्गीकरण

भारिबैं / 2010-11/ 393
ग्राआऋवि.केंका. 49/04.09.01/2010-11

28 जनवरी 2011

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय,

वार्षिक वित्तीय निरीक्षण – प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण –
बैंकों द्वारा गलत वर्गीकरण

बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए वार्षिक वित्‍तीय निरीक्षण से अन्य बातों के साथ बैंकों द् वारा प्राथमिकता क्षेत्र और/या उसके उप क्षेत्रों के अंतर्गत ऋणों के गलत वर्गीकरण किए जाने के मामलों की सूचना मिली है।

2.  यह निर्णय लिया गया है कि अब निर्धारित प्राथमिकता क्षेत्र के अंतर्गत बैंकों द्वारा गलत रूप से वर्गीकृत और बैंकों के वार्षिक वित्तीय निरीक्षण के दौरान प्रधान निरीक्षण अधिकारी द्वारा सूचित ऐसे ऋणों की राशि की, प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण देने के लक्ष्यों के अंतर्गत कमी के रूप में गणना की जाएगी।

3.  तदनुसार चालू वर्ष के दौरान सूचित किए गए ऐसे गलत वर्गीकरणों से आरंभ करते हुए ऐसे वर्गीकरणों की राशि, को विभिन्न निधियों के आबंटन हेतु बैंकों द्वारा अनुवर्ती वर्ष के सूचना देने के लिए नियत अंतिम शुक्रवार को सूचित प्राथमिकता क्षेत्र की लक्ष्य प्राप्ति की कमी में जोड़ दिया जाएगा।

4.  इसके अतिरिक्‍त यह भी सूचना मिली है कि जब बैंक, विशेष रूप से पात्र प्राथमिकता क्षेत्र के उधारकर्ताओं को दिए गए ऋणों को सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं/गैर बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों जैसी मध्यस्थ संस्थाओं से क्रय करते हैं तो वे उक्‍त ऋणों को अपनी उधार दरों से डिस्काउंट करके, जो कि ऐसी मध्यस्थ सेस्थाओं द्वारा ऋणों के अंत उपयोगकर्ता से वसूली जाने वाली दर से बहुत कम होती है, उक्‍त ऋणों का वर्तमान मूल्य निर्धारित करते हैं। इससे, बैंकों द्वारा ऐसी मध्यस्थ संस्थाओं को दिए गए प्रीमियम की राशि प्राथमिकता क्षेत्र को दी गई ऋण राशि में योगित होकर वास्तविक राशि से अधिक प्रकट होती है। अतः बैंकों को उस सांकेतिक राशि की सूचना दी जानी चाहिए, जो वास्तव में प्राथमिकता क्षेत्र के अंत उपयोगकर्ता को वितरित की गई है, उक्‍त मध्यस्थ संस्थाओं को प्रदत्त प्रीमियम की राशि युक्‍त राशि की नहीं।

भवदीय

( ए. के. मिश्र )
महाप्रबंधक

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