अग्रिमों से संबंधित परिसंपत्ति वर्गीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - कार्यान्वित की जा रही तथा विलंब से पूरी होनेवाली बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
अग्रिमों से संबंधित परिसंपत्ति वर्गीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - कार्यान्वित की जा रही तथा विलंब से पूरी होनेवाली बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाएं
आरबीआइ/2007-08/316
बैंपविवि.बीपी. बीसी. सं. 82/21.04.048/2007-08
8 मई 2008
18 वैशाख 1930 (शक)
अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(स्थानीय क्षेत्र बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
अग्रिमों से संबंधित परिसंपत्ति वर्गीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - कार्यान्वित की जा रही तथा विलंब से पूरी होनेवाली बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाएं
कृपया अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, परिसंपत्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंडों से संबंधित 2 जुलाई 2007 का हमारा मास्टर परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 12/ 21.04.048/2007-08 का पैराग्राफ 4.2.17(iv) देंखें, जिसके अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि 28 मई 2002 के बाद उनके द्वारा जिन परियोजनाओं का वित्तपोषण किया जाता है उन परियोजनाओं के वित्तीय समापन के समय ही उनके पूर्ण होने की तारीख स्पष्टत: निर्धारित की जाए। ऐसे मामलों में वाणिज्यिक उत्पादन के प्रारंभ होने की तारीख यदि एक वर्ष की अवधि से अधिक आगे बढायी जाती है तो 31 मार्च 2007 से केवल बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाओं के मामले में खाते को अवमानक माना जाएगा।
2. जैसा कि 29 अप्रैल 2008 को जारी वार्षिक नीति वक्तव्य के पैरा 164 (अनुबंध में उद्धृत) में बताया गया है, विधिक तथा अन्य बाहरी कारणों से बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाओं में हुए विलंब के संबंध में एक अभ्यावेदन पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाओं के संबंध में परिसंपत्ति वर्गीकरण संबंधी मानदंडों को निम्नानुसार परिवर्तित किया जाए :
"28 मई 2002 के बाद बैंकों द्वारा वित्तपोषित बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाओं के संबंध में परियोजना के वित्तीय समापन के समय ही उसके पूर्ण होने की तारीख स्पष्टत: निर्धारित की जानी चाहिए तथा वाणिज्यिक उत्पादन के प्रारंभ होने की तारीख यदि परियोजना पूरी होने की मूलत: परिकल्पित तारीख के बाद दो वर्ष (एक वर्ष के मौजूदा मानदंड के बजाय) से अधिक अवधि तक आगे बढ़ायी जाती है तो उस खाते को अवमानक माना जाना चाहिए। संशोधित अनुदेश 31 मार्च 2008 से लागू हैं।"
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक
164. बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाओं को पूरा करने में विधिक तथा अन्य बाहरी कारणों से होने वाले विलम्ब के संबंध में प्राप्त एक अभ्यावेदन पर विचार करते हुए रिज़र्व बैंक ने चुनिंदा परियोजनाओं की समीक्षा की तथा बैंक इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि अभ्यावेदन उचित है। अत:, यह निर्णय लिया गया कि :
बैंकों द्वारा वित्तपोषित की जाने वाली बुनियादी सुविधाओं वाली परियोजनाओं के मामले में परियोजना के वित्तीय समापन के समय ही उसके पूर्ण होने की तारीख स्पष्टत: निर्धारित की जानी चाहिए तथा वाणिज्यिक उत्पादन के प्रारंभ होने की तारीख यदि परियोजना पूरी होने की मूलत: परिकल्पित तारीख के बाद दो वर्ष (एक वर्ष के मौजूदा मानदंड के बजाय) से अधिक अवधि तक आगे बढ़ायी जाती है तो उस खाते को अवमानक माना जाना चाहिए। संशोधित अनुदेश 31 मार्च 2008 से लागू होंगे।"