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सरकारी प्रतिभूतियों का नीलामी - रिटेल निवेशकों को गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा

भारिबैं/2021-22/124
के.का.आईडीएमडी.जीबीडी (नीति).सं.एस1242/08.01.001/2021-22

नवंबर 12, 2021

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
सभी राज्य सहकारी बैंक/सभी अधिसूचित प्राथमिक
(शहरी) सहकारी बैंक/सभी वित्तीय संस्थाएं/
सभी प्राथमिक डीलर्स/सभी स्टॉक एक्सचेंज/
समाशोधन निगम लिमिटेड

महोदया/महोदय,

सरकारी प्रतिभूतियों का नीलामी - रिटेल निवेशकों को गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा

सरकारी प्रतिभूतियों में रिटेल भागीदारी बढ़ाने के सतत प्रयास के रूप में, ‘आरबीआई रिटेल डायरेक्ट’ योजना को व्यैकतिक निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की सुविधा के लिए आज शुरू की गई। योजना के अंतर्गत, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) को सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों के प्राथमिक नीलामी के गैर-प्रतिस्पर्धी खंड में ‘रिटेल निवेशकों’ से प्राप्त बोलियों को संकलित करने की अनुमति है।

2. तदनुसार, सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों के नीलामी में गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा के लिए अद्यतन योजना अनुलग्नक में दी गई है।

भवदीय

(राजेंद्र कुमार)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुलग्नक

भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों के
नीलामी में गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा हेतु योजना

I. कार्यक्षेत्र: सरकारी प्रतिभूतियों में भागीदारी विस्तार और रिटेल होल्डिंग बढ़ाने के उद्देश्य से, रिटेल निवेशकों को दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों के चयनित नीलामियों में “गैर-प्रतिस्पर्धी” आधार पर भागीदारी की अनुमति है।

II. परिभाषाएँ: इस योजना के उद्देश्य के लिए, शब्द उनके लिए निम्नानुसार निर्धारित अर्थ के अनुसार होंगे:

क. रिटेल निवेशक कोई भी व्यक्ति हो सकता है, जिसमें व्यक्ति विशेष, फर्म, कंपनियाँ,कॉर्पोरेट निकाय, संस्थाएं, भविष्य निधि, ट्रस्ट और अन्य संस्था जो आरबीआई द्वारा निर्धारित की गई हो,

ख. ‘समूहक/सुलभकर्ता’ का अर्थ अनुसूचित बैंक या प्राथमिक डीलर या निर्धारित स्टॉक एक्सचेंज या आरबीआई द्वारा अनुमोदित अन्य कोई संस्था है, को निवेशकों से प्राप्त बोलियों को एग्रीगेट करने की अनुमति है और प्राथमिक नीलामी में गैर-प्रतिस्पर्धी खंड में एकल बोली प्रस्तुत करना है।

ग. ‘विनिर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंज’ का अर्थ सेबी मान्यता-प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज है जिसे प्राथमिक नीलामी खंड में समूहक/सुलभकर्ता के रूप में कार्य करने के लिए सेबी से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त हुआ है।

घ. ‘पात्र भविष्य निधि’ वे गैर-सरकारी भविष्य निधि है जो भविष्य निधि अधिनियम 1925 और कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 द्वारा निर्देशित होती है जिसका निवेश प्रारूप भारत सरकार द्वारा निर्धारित होती है।

III. पात्रता:

(क) नीलामियों में गैर-प्रतिस्पर्धी आधार पर भागीदारी उन रिटेल निवेशकों के लिए खुली होगी जो:

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ चालू खाता (सीए) या सहायक सामान्य खाता को बनाए नहीं करते हैं; और

  2. समूहक/सुलभकर्ता के माध्यम से योजना के अंतर्गत अप्रत्यक्ष रूप से बोली को प्रस्तुत करते हैं; या

  3. आरबीआई के साथ ‘रिटेल डायरेक्ट गिल्ट खाता’ बनाए रखते हैं।

अपवाद:

(क) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और सहकारी बैंक

  1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और सहकारी बैंक, उनकी सांविधिक बाध्यताओं को देखते हुए केवल दिनांकित प्रतिभूतियों के नीलामी में आएंगे।

  2. चूंकि यह बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ एसजीएल खाता और चालू खाता बनाए रखते हैं, अतः ये बैंक अपनी गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों को सीधे प्रस्तुत करने के पात्र है।

(ख) राज्य सरकार,पात्र भविष्य निधियाँ और अन्य

  1. राज्य सरकार, भारत में पात्र भविष्य निधियाँ, नेपाल राष्ट्र बैंक, भूटान की रॉयल मौद्रिक प्राधिकरण और सरकार के अनुमोदन से बैंक द्वारा निर्धारित अन्य व्यक्ति या संस्था केवल ट्रेजरी बिलों के नीलामियों में योजना के अंतर्गत आएंगे।

  2. यह बोलियाँ अधिसूचित राशि के बाहर होगी।

  3. इन संस्थाओं के लिए बोली की अधिकतम राशि पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

IV. मात्रा: रिटेल निवेशकों से गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों का आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्धारित अधिसूचित राशि के अंतर्गत निर्गम का कुल अंकित मूल्य का अधिकतम 5 प्रतिशत तक प्रतिबंधित होगा या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अन्य प्रतिशत होगा।

V. बोली की राशि:

  1. बोलियों की न्यूनतम राशि रु. 10,000 (अंकित मूल्य) होगी और उसके बाद रु.10,000 के गुणज में होंगे।

  2. भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों के नीलामी में, रिटेल निवेशक एकल बोली में प्रति प्रतिभूति प्रति नीलामी में रुपए 02 करोड़ (अंकित मूल्य) की राशि से अधिक की बोली नहीं लगा सकते हैं।

VI. अन्य परिचालनात्मक दिशानिर्देश:

  1. योजना के अंतर्गत नीलामी में भागीदारी के इच्छुक रिटेल निवेशक किसी भी डिपॉज़िटरी के पास डेपोजिटरी खाता या समूहक/सुलभकर्ता के ग्राहक सहायक सामान्य बही खाता के अंतर्गत गिल्ट खाता या आरबीआई के साथ ‘रिटेल डायरेक्ट गिल्ट खाता’ (आरडीजी खाता) बनाए रखना होगा।

  2. योजना के अंतर्गत, एक निवेशक नीलामी में केवल एक बोली लगा सकते हैं। निवेशक केवल एक बोली लगा रहा है इसके लिए एक अंडरटेकिंग लेनी होगी और समूहक/सुलभकर्ता द्वारा रिकार्ड रखना होगा।

बोलियों की प्रस्तुति:

  1. अपने ग्राहकों से प्राप्त आदेशों के आधार पर प्रत्येक समूहक/सुलभकर्ता अपने सभी ग्राहकों की तरफ से एक समेकित गैर-प्रतिस्पर्धी बोली को भारतीय रिज़र्व बैंक कोर बैंकिंग सोल्युशन (ई-कुबेर) प्रणाली पर प्रस्तुत करेगा। असाधारण परिस्थितियों जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक के कोर बैंकिंग सोल्युशन (ई-कुबेर) प्रणाली के खराब हो जाने को छोड़कर, गैर-प्रतिस्पर्धी बोली को भौतिक रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

बोलियों का आवंटन:

  1. समूहक/सुलभकर्ता को गैर-प्रतिस्पर्धी खंड के अंतर्गत आवंटन प्रतिफल/मूल्य के भारित औसत दर पर होगा जो प्रतिस्पर्धी बोलियों के आधार पर नीलामी में सामने आएगा। निर्गम तारीख पर भुगतान के सापेक्ष समूहक/सुलभकर्ता को प्रतिभूतियाँ जारी की जाएगी चाहे वे अपने ग्राहकों से भुगतान प्राप्त किए हो या नहीं।

  2. यदि बोली की कुल राशि आरक्षित राशि (अधिसूचित राशि का 5%) से अधिक है, तो आवंटन आनुपातिक आधार पर किया जाएगा। आंशिक आवंटनों के मामले में, यह समूहक/सुलभकर्ता की ज़िम्मेदारी होगी कि वे पारदर्शी तरीके से अपने ग्राहकों को प्रतिभूतियों का उचित रूप से आवंटन करें।

  3. यदि बोलियों की कुल राशि आरक्षित राशि से कम है, तो प्रतिस्पर्धी भाग में कमी को ले जाया जाएगा।

प्रतिभूति का निर्गम

  1. प्रतिभूति आरबीआई द्वारा केवल एसजीएल रूप में जारी की जाएगी। समूहक/सुलभकर्ता को गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों के टेंडर के समय अपने मुख्य एसजीएल या सीएसजीएल खाते में क्रेडिट हुए राशियों (अंकित मूल्य) को स्पष्ट रूप से इंगित करना होगा।

  2. मुख्य एसजीएल खाते से भौतिक रूप में सुपुर्दगी बाद में निवेशक के कहने पर अनुमति है।

  3. यह समूहक/सुलभकर्ता की ज़िम्मेदारी होगी कि प्रतिभूतियों को उनके ग्राहकों कों पास किया जाए।असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर, ग्राहकों को प्रतिभूतियों का अंतरण निर्गम की तारीख से 5 कार्यदिवस के अंदर ही पूरा करना होगा।

ग्राहकों को प्रभारित कमीशन/ब्रोकरेज

  1. समूहक/सुलभकर्ता अपने ग्राहकों से इन सेवाओं को प्रदान करने के लिए ब्रोकरेज/कमीशन/सेवा प्रभार के रूप में प्रति रु.100 पर छह पैसे तक की वसूली कर सकता है। इन लागतों को ग्राहकों से बिक्री मूल्य में शामिल कर या अलग से वसूला जा सकता है।

  2. यदि, प्रतिभूति के निर्गम तारीख के बाद प्रतिभूति का अंतरणकर दिया जाता है, ग्राहकों द्वारा भुगतान योग्य विचारधीन राशि मी निर्गम तारीख से उपचित ब्याज शामिल होगा।

  3. प्रतिभूतियों की लागत, उपचित ब्याज, जहां भी लागू हो, के रूप में ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करने के तौर-तरीके और ब्रोकरेज/कमीशन/सेवा प्रभारों को ग्राहक के साथ करार के अनुसार समूहक/सुलभकर्ता द्वारा तैयार किया जाए।

  4. यह नोट किया जाए कि अन्य कोई लागत जैसे निधीयन लागत को मूल्य में शामिल करना चाहिए या ग्राहकों से वसूल किया जाना चाहिए।

VIII. रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ

समूहक/सुलभकर्ता को भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंक) को योजना के अंतर्गत परिचालन से संबन्धित सूचना को उपलब्ध कराना होगा जैसा कि बैंक द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अंतर्गत समय-समय पर मांगा जाएगा।

IX. उपर्युक्त दिशानिर्देशों की बैंक द्वारा समीक्षा की जाएगी और तदनुसार, यथावश्यक, योजना का संशोधन किया जाएगा।

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