स्वर्ण क्रय के लिए बैंक वित्त - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्वर्ण क्रय के लिए बैंक वित्त
आरबीआई/2012-13/296 19 नवंबर 2012 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय/महोदया स्वर्ण क्रय के लिए बैंक वित्त कृपया दिनांक 30 अक्तूबर 2012 को घोषित वार्षिक मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा का पैरा 102 और 103 (उद्धरण संलग्न) देखें जिनमें यह प्रस्ताव किया गया है कि बैंकों को सूचित किया जाए कि कार्यशील पूंजी के वित्तपोषण को छोड़कर स्वर्ण क्रय के लिए किसी भी रूप में वित्त प्रदान करने की अनुमति नहीं है। 2. दिनांक 1 जून 1978 के परिपत्र बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 74/सी. 124 (पी)-78 द्वारा जारी मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों द्वारा स्वर्ण डीलरों/व्यापारियों को स्वर्ण बुलियन की जमानत पर किसी प्रकार का अग्रिम प्रदान नहीं किया जाना चाहिए यदि बैंकों के मूल्यांकन के अनुसार, ऐसे अग्रिम का उपयोग नीलामियों में स्वर्ण क्रय के लिए और/अथवा सट्टेबाजी के प्रयोजन से स्टाक तथा बुलियन रखने के लिए किए जाने की संभावना हो। इस प्रसंग में, हाल के वर्षों में स्वर्ण के आयात में हुई उल्लेखनीय वृद्धि चिंता का विषय है, क्योंकि बुलियन/प्राथमिक स्वर्ण/आभूषण/स्वर्ण सिक्के इत्यादि किसी भी रूप में स्वर्ण के क्रय के लिए प्रत्यक्ष बैंक वित्तपोषण के परिणामस्वरूप स्वर्ण की मांग और अधिक बढ़ सकती है। तदनुसार, यह सूचित किया जाता है कि प्राथमिक स्वर्ण/स्वर्ण बुलियन/स्वर्ण आभूषण, स्वर्ण के सिक्कों, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के यूनिट तथा गोल्ड म्यूचुअल फंडों के यूनिट सहित किसी भी रूप में स्वर्ण क्रय के लिए बैंकों द्वारा किसी प्रकार का अग्रिम नहीं दिया जाना चाहिए। तथापि बैंक जौहरियों/स्वर्णकारों को उनकी कार्यशील पूंजी संबंधी सच्ची आवश्यकताओं के लिए वित्त प्रदान कर सकते हैं। दिनांक 31 दिसंबर 1998 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. आइबीएस. बीसी/1519/23.67.001/1998-99 में वर्णित तथा समय-समय पर यथासंशोधित स्वर्ण (धातु) ऋण योजना लागू रहेगी। भवदीय (सुधा दामोदर) अनुलग्नक : 1 मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा का उद्धरण स्वर्ण क्रय के लिए बैंक वित्त तथा स्वर्ण की जमानत पर अग्रिम 102. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों द्वारा स्वर्ण डीलरों/व्यापारियों को स्वर्ण बुलियन के लिए किसी प्रकार के अग्रिम प्रदान नहीं किए जाने चाहिए, यदि बैंकों के मूल्यांकन के अनुसार, ऐसे अग्रिम का उपयोग नीलामियों में स्वर्ण क्रय के लिए और/अथवा सट्टेबाजी के प्रयोजन से स्टाक तथा बुलियन रखने के लिए किए जाने की संभावना हो। इस प्रसंग में, हाल के वर्षों में स्वर्ण के आयात में हुई उल्लेखनीय वृद्धि चिंता का कारण है, क्योंकि बुलियन/प्राथमिक स्वर्ण/आभूषण/स्वर्ण सिक्के इत्यादि किसी भी रूप में स्वर्ण के क्रय के लिए बैंक द्वारा प्रत्यक्ष वित्त प्रदान करने के परिणामस्वरूप सट्टेबाजी के लिए स्वर्ण की मांग और अधिक बढ़ सकती है। अप्रैल 2012 के मौद्रिक नीति वक्तव्य में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा स्वर्ण आयात और स्वर्ण ऋणों से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने के लिए एक कार्यदल (संयोजकः श्री के. यू. बी. राव) के गठन की घोषणा की गई थी। कार्यदल ने अपनी प्रारूप रिपोर्ट अगस्त 2012 में प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट की संस्तुतियों पर निर्णय लेने के पहले, बैंकों को यह सूचित करने का प्रस्ताव है कि
103. इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं। |