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आढ़तिया (फैक्टरिडग) कंपनियों को बैंक वित्त

आरबीआइ/2007-08/235
बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 60 /08.12.01/2007-08

12 फरवरी 2008
23 माघ 1929 (शक)

अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक/

मुख्य कार्यपालक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

आढ़तिया (फैक्टरिडग) कंपनियों को बैंक वित्त

कृपया आप गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक वित्त पर 2 जुलाई 2007 का हमारा मास्टर परिपत्र सं. आरबीआइ/2007-08/52 बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 13/08.12.01/2007-08 देखें। परिपत्र के पैरा 5.1 (i) के अनुसार कुछ विशिष्ट प्रकार के वाहनों की बिक्री से प्राप्त होने वाले बिलों को छोड़कर एनबीएफसी द्वारा भुनाई /पुनर्भुनाई किए गए बिल (जिसमें उधारकर्ताओं की प्राप्य राशियों के वित्तपोषण के किसी अन्य माध्यम को शामिल समझा जाता है) बैंक वित्त के लिए पात्र नहीं हैं। इसके साथ ही, पूर्वोक्त पैरा 5.1 (iii) के अनुसार अन्य कंपनियों को एनबीएफसी द्वारा दिए गए गैर-जमानती ऋण भी बैंक वित्त के लिए पात्र नहीं हैं।

2. आढ़तिया कंपनियों के वित्तपोषण के संबंध में विद्यमान दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई तथा इन कंपनियों द्वारा किए जाने वाले व्यवसाय के विशेष स्वरूप को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित मानदंडों का अनुपालन करने वाली आढ़तिया कंपनियों के आढ़तिया व्यवसाय के समर्थन के लिए बैंक वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं।

क) उक्त कंपनियाँ मानक आढ़तिया कार्य अर्थात् प्राप्य राशियों का वित्तपोषण , बिक्री-लेज़र प्रबंधन तथा प्राप्य राशियों की वसूली आदि जैसे सभी कार्य करती हैं।

ख) वे अपनी कम-से-कम 80 प्रतिशत आय आढ़तिया कार्य से प्राप्त करती हैं।

ग) इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वे ‘भुगतान अधिकार (रिकोर्स) सहित’ हैं अथवा ‘भुगतान अधिकार (रिकोर्स) रहित’हैं, खरीदी गई/वित्तपोषित प्राप्य राशियां आढ़तिया कंपनी की आस्तियों का कम-से-कम 80 प्रतिशत होनी चाहिए।

घ) उपर्युक्त उल्लिखित आस्तियों /आय में आढ़तिया कंपनी द्वारा प्रदान की गई किसी बिल भुनाई सुविधा से संबंधित आस्तियां /आय शामिल नहीं होंगी।

ड) आढ़तिया कंपनियों द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता उनके पक्ष में प्राप्य राशियों के दृष्टिबंधक अथवा समनुदेशन द्वारा रक्षित होनी चाहिए।

भवदीय

(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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