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प्राथमिक व्यापारियों को बैंकों के ऋण - प्रारक्षित निधि अपेक्षाओं के लिए शुद्ध राशि निकालने की संकल्पना

 

आरबीआई/2004-05/291

संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 59/12.01.001/2004-05

3 दिसंबर 2004

12 अग्रहायण 1926 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)

प्रिय महोदय,

प्राथमिक व्यापारियों को बैंकों के ऋण - प्रारक्षित निधि अपेक्षाओं के लिए शुद्ध राशि निकालने की संकल्पना

वफ्पया आप 23 जुलाई 2003 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 6/ 12.01.001/ 2003-04 देखें जिसके द्वारा बैंकों को सूचित किया गया था कि वे स्टैंडड़ चार्टड़ - यूटीआई सिक्यूरिटीज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज़ (इंडिया) प्रा. लि. और सिटीकॉर्प कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड के साथ अपने लेनदेन के संबंध में आस्तियों और देयताओं की शुद्ध राशि निकालने का लाभ ले सकते हैं ।

2. एचएसबीसी प्राइमरी डीलरशिप (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को 25 मई 2001 से मांग / सूचना / मीयादी मुद्रा बाज़ार तथा बिल पुनर्भुनाई योजना में ऋणदाता और उधारकर्ता - दोनों रूपों में भाग लेने की अनुमति दी गयी है ।

3. बैंक ऊपर उल्लिखित प्राथमिक व्यापारी को दिये जाने वाले अपने ऋणों / उससे लिये गये उधारों के संबंध में शुद्ध राशि निकालने का लाभ ले सकें, इसके लिए भारत सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक की सिफारिश पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप धारा (1) के स्पष्टीकरण के खंड (घ) की मद (ख्व) और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के खंड (व) के साथ पठित धारा 18 की उप धारा 1 के स्पष्टीकरण के खंड (घ) के प्रयोजन हेतु उक्त प्राथमिक व्यापारी को वित्तीय संस्था के रूप में अधिसूचित किया है । इस संबंध में आवश्यक अधिसूचनाएँ 21 मार्च 2003 को भारत सरकार के राजपत्र के भाग घ्घ्, खंड 3 (वव) में प्रकाशित की गयी है (प्रतिलिपियाँ संलग्न) । उपर्युक्त अधिसूचना को दृष्टिगत रखते हुए बैंक एचएसबीसी प्राइमरी डीलरशिप (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के साथ अपने लेनदेन के संबंध में आस्तियों और देयताओं की शुद्ध राशि निकालने का लाभ ले सकते हैं ।

4. वफ्पया प्राप्ति-सूचना दें ।

भवदीय

ह./-

(टी. बी. सत्यनारायण)
महाप्रबंधक

संलग्नक : यथोपरि

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