पूंजी बाजार में बैंकों का एक्सपोजर - अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं (आइपीसी) का निर्गम - आरबीआई - Reserve Bank of India
पूंजी बाजार में बैंकों का एक्सपोजर - अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं (आइपीसी) का निर्गम
आरबीआइ /2010-11/220 30 सितंबर 2010 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय/महोदया पूंजी बाजार में बैंकों का एक्सपोजर - कृपया 30 जुलाई 2010 का हमारा परिपत्र सं. बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 32/13.03.00/2010-11 देखें जिसके अनुसार 14 दिसंबर 2007 के हमारे परिपत्र सं. बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 57/13.03.00/2007-08 में निहित अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए बैंकों को दी गई संक्रमण अवधि को बढ़ाकर 30 सितंबर 2010 कर दिया गया था । 2. समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है कि यह सुनिश्चित करते हुए कि देश के पूंजी बाजार के कामकाज में किसी प्रकार की अनुचित रुकावट न आने पाए, ईक्विटी कीमतों में प्रतिकूल रूप से होने वाले उतार-चढ़ाव तथा घरेलू म्यूचुअल फंडों/विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा चूक की संभावना से बैंकों को सुरक्षित रखने के लिए जोखिम कम करने वाली एक पर्याप्त प्रणाली स्थापित की जाए । 3. तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि : (i) 01 नवंबर 2010 से (क) केवल उन्हीं अभिरक्षक बैंकों को अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं जारी करने की अनुमति दी जाएगी जो अपने ग्राहकों के साथ किए जाने वाले करार में ऐसी शर्त शामिल करेंगे जो उन्हें किसी निपटान के बाद अदायगी के रूप में प्राप्त होने वाली प्रतिभूतियों पर अहस्तांतरणीय अधिकार प्रदान करती हो; तथा (ख) अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं जारी करने वाले अभिरक्षक बैंकों को होने वाले अधिकतम जोखिम की गणना सौदे की तारीख (टी) से दो क्रमागत दिवस को विदेशी संस्थागत निवेशकों/म्यूचुअल फंडों द्वारा खरीदी गई ईक्विटियों की कीमतों में गिरावट के पूर्वानुमान के 50% के रूप में की जाएगी अर्थात् टी + 1 तथा टी + 2 में से प्रत्येक के लिए 20% की दर से तथा कीमतों में और गिरावट के लिए 10% के अतिरिक्त मार्जिन की गणना की जाएगी । (ii) तदनुसार, टी + 1 पर संभावित जोखिम की गणना निपटान की राशि के 50% की दर से की जाएगी और यह राशि टी + 1 की समाप्ति पर पूंजी बाजार के प्रति एक्सपोज़र मानी जाएगी बशर्ते मार्जिन भुगतान/आरंभिक भुगतान न हुआ हो । (iii) टी + 1 के अंतर्गत आरंभिक भुगतान की स्थिति में कोई एक्सपोज़र नहीं माना जाएगा । (iv) टी + 1 को नकदी मार्जिन के नकद भुगतान की स्थिति में पूंजी बाज़ार के प्रति एक्सपोज़र की गणना निपटान की राशि में से भुगतान किए गए मार्जिन को घटाकर शेष राशि के 50% की दर से की जाएगी । (v) यदि टी + 1 को मार्जिन का भुगतान एफआइआइ/म्यूचुअल फंडों को अनुमत प्रतिभूतियों के माध्यम से किया गया हो तो पूंजी बाज़ार के प्रति एक्सपोज़र की गणना निपटान की राशि में से भुगतान की गई मार्जिन को घटाकर तथा मार्जिन भुगतान के लिए दी गयी प्रतिभूतियों पर बाजार (एक्सचेंज) द्वारा निर्धारित हेयरकट को जोड़कर जो राशि आती है उसके 50% की दर से की जाएगी । 4. अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं को वित्तीय गारंटी के रूप में माना जाएगा और उसके लिए एक्सपोज़र मानदंड पर 01 जुलाई 2010 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 14/13.03.00/2010-11 के पैरा 2.3 के अनुसार पूंजी बनाए रखना होगा । 5. उपर्युक्त व्यवस्था 31 अक्तूबर 2011 तक जारी रहेगी और बाद में इस दृष्टि से उसकी समीक्षा की जाएगी ताकि अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं जारी करने वाले अभिरक्षक बैंकों के जोखिम को कम करने के लिए उसमें आगे संशोधन किया जा सके । भवदीय (बि. महापात्र) |