बैंकों का पूंजी बाज़ारों में ऋण आदि जोखिम - मानदंडों का युक्तिकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों का पूंजी बाज़ारों में ऋण आदि जोखिम - मानदंडों का युक्तिकरण
बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 47 /13.07.05/2006-07
15 दिसंबर 2006
24 अग्रहायण 1928 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
बैंकों का पूंजी बाज़ारों में ऋण आदि जोखिम - मानदंडों का युक्तिकरण
वर्ष 2005-06 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा में यह घोषित किया गया था कि बैंकों के लिए निर्दिष्ट विवेकपूर्ण पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम (एक्सपोज़र) मानदंडों को उनके आधार तथा व्याप्ति के अनुसार इस तरह युक्तिसंगत बनाया जाएगा कि :
i) बैंक का कुल पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम, एकल तथा समेकित आधार पर उसकी निवल मालियत के 40 प्रतिशत तक सीमित रहे,
ii) किसी समेकित बैंक का प्रत्यक्ष पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम उसकी समेकित निवल मालियत के 20 प्रतिशत तक आशोधित हो, तथा
iii) व्याप्ति से संबंधित छूट सरल तथा युक्तिसंगत हो ।
तदनुसार, पूंजी बाज़ारों में बैंकों के ऋण आदि जोखिम पर हमारे विद्यमान अनुदेशों में आशोधन किया गया है तथा संशोधित दिशानिर्देश नीचे दिए गए हैं :
2. संशोधित अनुदेश/मानदंड
2.1 पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम (सीएमई) के घटक
11 मई 2001 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 119/21.04.137/2000-2001 में बताये गए अनुसार बैंकों के पूंजी बाज़ारों में ऋण आदि जोखिमों में उनके प्रत्यक्ष एक्सपोज़र और अप्रत्यक्ष एक्सपपोज़र दोनों शामिल हैं। पूंजी बाज़ारों में सभी स्वरूपों में बैंकों के कुल ऋण आदि जोखिम (निधि तथा निधीतर आधारित दोनों) में निम्नलिखित शामिल होंगे :
i) इक्विटी शेयरों, परिवर्तनीय बांडों तथा परिवर्तनीय डिबेंचरों तथा जिनकी मूल निधि अनन्यत: कंपनी ऋण में निवेशित नहीं की गयी है ऐसे इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों में प्रत्यक्ष निवेश;
ii) व्यक्तियों को शेयरों (आइपीओ/ईएसओपी सहित), परिवर्तनीय बांडों तथा डिबेंचरों, इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों आदि में निवेश के लिए शेयरों/बांडों/डिबेंचरों अथवा अन्य प्रतिभूतियों की जमानत पर अथवा बेजमानती आधार पर अंग्रिम;
iii) किसी अन्य प्रयोजनों के लिए अग्रिम जहां शेयरों या परिवर्तनीय बांडों या परिवर्तनीय डिबेंचरों या इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों को प्राथमिक जमानत के रूप में लिया गया है;
iv) किसी अन्य प्रयोजन के लिए दिए गए अग्रिम, जिसमें शेयरों/परिवर्तनीय बांडों/परिवर्तनीय डिबेंचरों/ इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों को छोड़कर प्राथमिक प्रतिभूति से अग्रिम पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो, वहाँ शेयरों या परिवर्तनीय बांडों या परिवर्तनीय डिबेंचरों या इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों की सम्पार्श्विक प्रतिभूतियों की सीमा तक दिए गए ऋण;
v) स्टॉक ब्रोकरों को जमानती तथा गैर-जमानती अग्रिम तथा स्टॉक ब्रोकरों तथा मार्केट मेकर्स की ओर से जारी गारंटियां;
vi) संसाधन जुटाने की प्रत्याशा में नयी कंपनियों की इक्विटी में प्रवर्तक के अंशदान को पूरा करने के लिए शेयरों/बांडों/डिबेंचरों या अन्य प्रतिभूतियों की जमानत पर या बेजमानती आधार पर कंपनियों को स्वीकृत ऋण;
vii) अपेक्षित इक्विटी प्रवाहों/निर्गमों की जमानत पर कंपनियों को पूरक ऋण;
viii) शेयरों या परिवर्तनीय बांडों या परिवर्तनीय डिबेंचरों या इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों के प्राथमिक निर्गमों के संबंध में बैंकों द्वारा ली गयी हामीदारी वचनबद्धताएं;
ix) मार्जिन ट्रेडिंग के लिए स्टॉक ब्रोकरों को वित्तपोषण;
x) इस परिपत्र के पैरा 6 में किए गए उल्लेख के अनुसार उद्यम पूंजी निधियों (पंजीकृत तथा अपंजीकृत दोनों) में सभी ऋण आदि जोखिम।
2.2 पूंजी बाज़ारों में बैंकों के ऋण आदि जोखिम पर सीमाएं
एकल आधार
पूंजी बाज़ारों में किसी बैंक का सभी रूपों (निधि आधारित तथा निधीतर आधारित दोनों) में कुल ऋण आदि जोखिम, पिछले वर्ष के 31 मार्च की स्थिति में उसकी निवल मालियत (पैरा 2.3 में परिभाषित किए गए अनुसार) के 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इस समग्र उच्चतम सीमा के भीतर शेयरों, परिवर्तनीय बांडों /डिबेंचरों, इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल पंडों के यूनिटों में बैंकों के प्रत्यक्ष निवेश तथा उद्यम पूंजी निधियों (पंजीकृत तथा अपंजीकृत दोनों) में उनके सभी ऋण आदि जोखिम उसकी निवल मालियत (नेटवर्थ) के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए ।
2.2.2 समेकित आधार
पूंजी बाज़ारों में (निधि आधारित तथा निधीतर आधारित दोनों) में किसी समेकित बैंक का कुल ऋण आदि जोखिम, पिछले वर्ष के 31 मार्च की स्थिति में उसकी समेकित निवल मालियत के 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इस समग्र उच्चतम सीमा के भीतर शेयरों, परिवर्तनीय बांडों /डिबेंचरों, इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल पंडों के यूनिटों में समेकित बैंक के निवेश के रूप में कुल प्रत्यक्ष ऋण आदि जोखिम तथा उद्यम पूंजी निधियों (पंजीकृत तथा अपंजीकृत दोनों) में सभी ऋण आदि जोखिम उसकी समेकित निवल मालियत के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
2.2.3 उपर्युक्त उच्चतम सीमाएँ (पैरा 2.2.1 और 2.2.2) अधिकतम अनुमत सीमाएँ हैं। किसी बैंक का निदेशक मंडल बैंक का समग्र जोखिम स्वरूप और कार्पोरेट कार्यनीति को ध्यान में रखते हुए न्यूनतर सीमा अपनाने के लिए स्वतंत्र है।
2.3 निवल मालियत की परिभाषा
निवल मालियत के अंतर्गत चुकता पूंजी तथा शेयर प्रीमियम सहित परंतु पुनर्मूल्यन आरक्षित निधि रहित निर्बंध आरक्षित निधियाँ और निवेश घट-बढ़ आरक्षित निधि तथा लाभ-हानि खाते में जमा-शेष शामिल है, जिसमें लाभ-हानि खाते में नामे शेष, संचित हानि और अमूर्त परिसंपत्तियों को घटाया जाएगा। निवल मालियत की गणना में कोई सामान्य या विशिष्ट प्रावधान शामिल नहीं किया जाना चाहिए। प्रकाशित तुलन पत्र की तारीख के बाद देशी निर्गम अथवा विदेशी निर्गम के माध्यम से बढ़ाई गई पूंजी को भी पूंजी बाज़ार में ऋण आदि जोखिम की उच्चतम सीमा निर्धारित करने के लिए ध्यान में लिया जाए। बैंकों को चाहिए कि ऊपर दिए गए अनुसार की गयी वृद्धि को गणना में शामिल करने के पूर्व पूंजी में वृद्धि करने का कार्य पूरा करने के संबंध में वे किसी बाहरी लेखा परीक्षक का प्रमाणपत्र प्राप्त करें और उसे भारतीय रिज़र्व बैंक
(बैं.पर्य. वि.) को प्रस्तुत करें।
2.4 पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम में शामिल न की गयी मदें
निवल मालियत की 40 प्रतिशत की कुल एक्सपोज़र सीमा तथा निवल मालियत की 20 प्रतिशत की प्रत्यक्ष निवेश एक्सपोज़र सीमा (जहां लागू हो) में निम्नलिखित मदों को शामिल नहीं किया जाएगा :
i) बैंक के अपनी खुद की अनुषंगी कंपनियों, संयुक्त उद्यमों, प्रायोजित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में निवेश तथा महत्वपूर्ण वित्तीय मूलभूत ढाँचे का निर्माण करने वाली संस्थाओं जैसे राष्ट्रीय प्रतिभूति निक्षेपागार (डिपाजिटरी) लिमिटेड, केंद्रीय निक्षेपागार सेवा (भारत) लिमिटेड, राष्ट्रीय प्रतिभूति समाशोधन निगम लि., राष्ट्रीय शेयर बाज़ार, भारतीय समाशोधन निगम लि., भारतीय ऋण आसूचना ब्यूरो लि., मल्टी कमॉडिटी एक्सचेंज लि., नेशनल कमॉडिटी एंड डेरिवेटिव्ज़ एक्सचेंज लि. तथा नेशनल मल्टी-कमॉडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, नेशनल कोलेटरल मेनेजमेंट सर्विसेज लि. तथा अनुबंध में दी गयी अन्य अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी शेयरों तथा परिवर्तनीय डिबेंचरों /परिवर्तनीय बांडों में निवेश। इन्हें सूचीबद्ध किए जाने पर, मूल निवेश (अर्थात् सूचीबद्ध किए जाने के पहले) से अधिक एक्सपोज़र पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम का एक भाग होंगे;
ii) अन्य बैंकों द्वारा जारी टियर I और टियर II ऋण लिखत;
iii) अन्य बैंकों के जमा प्रमाण पत्रों में निवेश;
iv) अधिमान शेयर;
v) अपरिवर्तनीय डिबेंचर/बांड;
vi) ऐसी योजनाओं के अंतर्गत म्युच्युअल फंडों के यूनिट, जहां मूल निधि का अनन्य रूप से ऋण लिखतों में निवेश किया गया है;
vii) कंपनी ऋण पुनर्गठन व्यवस्था के अंतर्गत ऋण/अतिदेय ब्याज के इक्विटी में परिवर्तन होने के परिणामस्वरूप बैंकों द्वारा अर्जित शेयर;
viii) भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्ज़िम बैंक) की पुनर्वित्त योजना के अंतर्गत विदेशी संयुक्त उद्यमों/संपूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनियों में इक्विटी अर्जित करने के लिए भारतीय प्रवर्तकों को स्वीकृत मीयादी ऋण;
2.5 ऋण आदि जोखिम की उच्चतम सीमा की गणना
पूंजी बाज़ारों में ऋण आदि जोखिम की गणना के लिए मंजूर किए गए ऋण/अग्रिम तथा पूंजी बाज़ार परिचालनों के लिए जारी गारंटियों की स्वीकृत सीमाओं अथवा बकाया, इनमें से जो भी अधिक हो, के संदर्भ में गणना की जाएगी। तथापि, पूर्ण आहरित मीयादी ऋणों के मामले में, जहां मंजूर सीमा के किसी भाग के पुन: आहरण की गुंजाइश नहीं है वहां बैंक बकाया को एक्सपोज़र के रूप में गणना कर सकते हैं। साथ ही, शेयरों, परिवर्तनीय बांडों, परिवर्तनीय डिबेंचरों तथा इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों में बैंकों के प्रत्यक्ष निवेश की गणना लागत मूल्य पर की जाएगी ।
3. ऋण और अग्रिम की जमानत पर शेयर
(i) व्यक्तियों को शेयर तथा डिबेंचर आदि की जमानत पर ऋण/अग्रिमों संबंधी उच्चतम सीमा
शेयर, परिवर्तनीय बांडों, परिवर्तनीय डिबेंचरों तथा इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों की प्रतिभूति पर बैंकिंग प्रणाली से व्यक्तियों को दिया जाने वाला ऋण, यदि प्रतिभूति मूर्त रूप में हो तो 10 लाख रुपये तथा यदि डिमैट रूप में हो तो 20 लाख रुपये की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। शेयर, परिवर्तनीय बांडों, परिवर्तनीय डिबेंचरों, इक्विटी उन्मुख म्युच्युअल फंडों के यूनिटों की प्रतिभूति पर बैंकिंग प्रणाली से व्यक्ति को आइपीओ में अभिदान के लिए दिया जाने वाला ऋण/अग्रिम 10 लाख रुपये की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। बैंक, ईएसओपी के अंतर्गत कर्मचारियों द्वारा अपनी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए शेयरों के क्रय मूल्य के 90 प्रतिशत तक या 20 लाख रुपये की सीमा तक, इनमें से जो भी कम हो का वित्तपोषण कर सकते हैं। बैंकों द्वारा ईइसओपी/ आइपीओ के अंतर्गत शेयर अभिग्रहण के लिए अपने कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता के संबंध में ये निर्देश लागू नहीं होंगे। अत: बैंकों को इएसओपी/आइपीओ के अंतर्गत या द्वितीयक बाजार से स्वयं अपने (बैंक) के शेयर खरीदने के प्रयोजन से अपने कर्मचारियों /उनके द्वारा स्थापित कर्मचारी ट्रस्ट को अग्रिम प्रदान नहीं करना चाहिए। यह निषेध समान रूप से लागू होगा चाहे अग्रिम प्रतिभूति सहित हो अथवा प्रतिभूति रहित हो ।
बैंक, उधारकर्ता से एक घोषणा पत्र प्राप्त करें जिसमें शेयरों तथा उपर्युक्त अन्य प्रतिभूतियों की जमानत पर किसी अन्य बैंक/बैंकों से लिये गये ऋण/अग्रिम के ब्योरे हों, ताकि इस प्रयोजन के लिए निर्धारित उच्चतम सीमाओं का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
(ii) स्टाक ब्रोकरों और मार्केट मेकर्स की जमानत पर अग्रिम
बैंक, अपने निदेशक मंडलों द्वारा अनुमोदित नीतिगत ढाँचे के भीतर स्टाक ब्रोकरों और मार्केट मेकर्स को वाणिज्यिक विवेक के आधर पर ऋण सुविधाएं देने के लिए स्वतंत्र हैं। फिर भी अंतर-संबद्ध स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियों और बैंकों के बीच सांठगांठ की संभावना से बचने के लिए प्रत्येक बैंक के निदेशक मंडल को, पिछले वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार बैंक की निवल मालियत की 40 प्रतिशत समग्र उच्चतम सीमा के भीतर, निम्नलिखित को दिए जाने वाले अग्रिमों के लिए उच्चतम उप सीमा निर्धारित करनी चाहिए :-
i. सभी स्टॉक ब्रोकरों और मार्केट मेकर्स (निधि आधारित और गैर-निधि आधारित दोनों, अर्थात् गांरटीयाँ) को
ii. अपनी सहायक/अंतर संबद्ध कंपनियों सहित किसी एक स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी को।
इसके अलावा, बैंकों को स्टॉक ब्रोकरों द्वारा स्टाक एक्सचेंजों में किये जाने वाले अंतरपणन परिचालनों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऋण सुविधाएँ नहीं देनी चाहिए।
4. संयुक्त धारकों अथवा अन्य पक्ष हिताधिकारियों को शेयरों की जमानत पर व्यक्तियों को बैंक से वित्त
संयुक्त धारकों अथवा अन्य पक्ष हिताधिकारियों को संयुक्त नामों में धारित शेयरों की जमानत पर अग्रिम प्रदान करते समय बैंकों को सतर्क रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यक्तियों के लिए शेयरों तथा डिबेंचरों की जमानत पर दिए जानेवाले ऋणों/अग्रिमों के संबंध में रखी गयी सीमाओं से बचने के लिए अन्य संयुक्त धारकों अथवा अन्य पक्ष हिताधिकारियों को अग्रिम प्रदान करके, विनियम के उद्देश्य को निष्फल नहीं किया जाता है ।
5. शेयरों/गारंटियों के निर्गम की जमानत पर अग्रिम पर मार्जिन
सभी अग्रिमों/आइपीओ के वित्तपोषण/स्टॉक ब्रोकरों तथा मार्केट मेकर्स की ओर से जारी गारंटियों पर 50 प्रतिशत का एकसमान मार्जिन लागू किया जाएगा। पूंजी बाज़ार परिचालनों के लिए बैंकों द्वारा जारी गारंटियों के संबंध में 25 प्रतिशत (50 प्रतिशत के मार्जिन के भीतर) का न्यूनतम नकद मार्जिन रखना होगा।
6. उद्यम पूंजी निधियों में निवेश
वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य में घोषित किए गए तथा 25 मई तथा 23 अगस्त 2006 के हमारे परिपत्र क्रमश: बैंपविवि. बीपी. बीसी. 84 तथा 27/21.01.002/2005-06 में सूचित किए गए अनुसार, उद्यम पूंजी निधियों (पंजीकृत तथा अपंजीकृत दोनों) में बैंकों के ऋण आदि जोखिम इक्विटी के समान समझे जाएंगे तथा इसलिए पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम संबंधी उच्चतम सीमाओं (इक्विटी तथा इक्विटी संबद्ध लिखतों में प्रत्यक्ष निवेश की उच्चतम सीमा तथा समग्र पूंजी बाज़ार ऋण आदि जोखिम की उच्चतम सीमा) के अनुपालन के लिए गिने जाएंगे ।
7. इंट्रा-डे ऋण आदि जोखिम
वर्तमान में, पूंजी बाज़ारों में बैंकों के इंट्रा-डे ऋण आदि जोखिम, जो कि अंतरनिहित रूप से जोखिमपूर्ण हैं, की निगरानी के लिए कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं । अत: यह निर्णय लिया गया है कि इंट्रा-डे सीमाएं निर्धारित करने के लिए प्रत्येक बैंक के बोर्ड को एक नीति बनानी चाहिए तथा ऐसी सीमाओं की निरंतर आधार पर निगरानी के लिए एक उचित प्रणाली स्थापित करनी चाहिए। इस स्थिति की एक वर्ष बाद समीक्षा की जाएगी।
8. सीमाओं में वृद्धि
सुदृढ़ आंतरिक नियंत्रण तथा संतुलित जोखिम प्रबंधन प्रणालियों वाले बैंक ब्यौरों के साथ उच्चतर सीमाओं के लिए रिज़र्व बैंक से संपर्क कर सकते हैं ।
9. संक्रमणकालीन प्रावधान
ऐसे बैंक जिनके पूंजी बाज़ार में जोखिम एकल और /या समग्र आधार पर पैरा 2.2.1 और 2.2.2 में निर्दिष्ट उच्चतम सीमाओं से अधिक हैं, उन्हें चाहिए कि वे निर्धारित उच्चतम सीमाओं के पालन करते रहने की योजना के साथ रिज़र्व बैंक से संपर्क करें।
10. परिपत्र लागू होने की तारीख
सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने तथा बैंकों को पर्याप्त समय-सीमा प्रदान करने की दृष्टि से ये संशोधित दिशानिर्देश 1 अप्रैल 2007 से लागू होंगे।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक : अनुबंध
अनुबंध
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं की सूची
डबैंकों द्वारा इक्विटी /परिवर्तनीय /परिवर्तनीय डिबेंचरों में निवेश - बांडों में निवेश -
वित्तीय संस्थाओं की सूची जिनके लिखतों को पैराग्राफ 2.4 (i) के अनुसार पूंजी बाजार
के जोखिमों की उच्चतम सीमा से छूट है
भारतीय औद्योगिक वित्त निगम लिमिटेड (आइ एफ सी आई) |
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भारतीय पर्यटन वित्त निगम लिमिटेड (टी एफ सी आइ) |
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जोखिम पूंजी और प्रौद्योगिकी वित्त निगम लिमिटेड (आर सी टी सी) |
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भारतीय प्रौद्योगिकी विकास और सूचना कंपनी लिमिटेड (टी डी आइ सी आइ) |
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राष्ट्रीय आवास बैंक (एन एच बी) |
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भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सीडबी) |
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राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) |
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भारतीय निर्यात आयात बैंक (एक्ज़िम बैंक) |
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भारतीय औद्योगिक निवेश बैंक (आइ आइ बी आइ) |
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भारतीय स्टेट बैंक भारतीय मितीकाटा और वित्त गृह लिमिटेड (एस बी आइ डी एफ एच आइ) |
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भारतीय यूनिट ट्रस्ट (यू टी आइ) |
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भारतीय जीवन बीमा निगम (एल आइ सी) |
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भारतीय साधारण बीमा निगम (जी आइ सी) |
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भारतीय प्रतिभूति व्यापार निगम लिमिटेड (एस टी सी आइ) |