भारत में क्रियान्वित की जानेवाली परियोजनाओं के लिए विदेशी मुद्रा में बोली लगाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में क्रियान्वित की जानेवाली परियोजनाओं के लिए विदेशी मुद्रा में बोली लगाना
आरबीआइ/2007-08/300
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.39
अप्रैल 28,2008
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदया/महोदय,
भारत में क्रियान्वित की जानेवाली परियोजनाओं के लिए विदेशी मुद्रा में बोली लगाना
प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान भारत में क्रियान्वित की जानेवाली परियोजनाओं के लिए विदेशी मुद्रा में बोली लगाने से संबंधित नवंबर 25,2002 के हमारे ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 54 के संलग्नक की मद सं. 5 की ओर आकर्षित किया जाता है। इन अनुदेशों के अनुसार , भारत में निवासी व्यक्ति को, वैश्विक बोली लगाने के संबंध में, विदेशी मुद्रा में देयता का भार ग्रहण करने और विदेशी मुद्रा में भुगतान प्राप्त करने की अनुमति दी गई है,जहां केंद्र सरकार ने ऐसी परियोजनाओं को भारत में क्रियान्वित किए जाने के लिए अधिकार दिया है और संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय से अनुमोदन प्राप्त किया गया है। ऐसे मामलों में,प्राधिकृत व्यापारियों को निवासी भारतीय कंपनी को , जिसे ठेका (कांट्रैक्ट ) मिला है,विदेशी मुद्रा बेचने की अनुमति दी जाती है।
2. समीक्षा करने पर और भारत सरकार के परामर्श से प्रक्रिया को सरल बनाने के एक उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगी बोली लगाने के लिए प्रशासनिक मंत्रालय /केंद्र सरक ार से पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं होगी। तदनुसार , अब भारत में निवासी व्यक्ति को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगी बोली लगाने के लिए संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय के पूर्वानुमोदन पर ज़ोर दिए बगैर भारत में क्रियान्वित किए जाने परियोजनाओं के लिए वैश्विक बोली लगाने के संबंध में विदेशी मुद्रा में देयता का भार ग्रहण करने और विदेशी मुद्रा में भुगतान प्राप्त करने की अनुमति दी जाती है।
3. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।
4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महा प्रबंधक