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पिछले कार्य निष्पादन के आधार पर संविदा करार करना

आरबीआइ/2004-05/265
ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 26

नवंबर 1, 2004

सेवा में
विदेशी मुद्रा करोबार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक

महोदया/महोदय

पिछले कार्य निष्पादन के आधार पर संविदा करार करना

प्राधिकृत व्यापारी बैंकों (एडी) का ध्यान ााटखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन के संबंध में दिसंबर 9, 2003 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र क्र. 46 और ाजलाई 1, 2004 के मास्टर परिपत्र क्र. 2 के पैरा अ 2 की ओर आकृष्ट किया ााता है ासिके अनुसार आयातकों / निर्यातकों का उनके पिछले तीन वर्षों के औसत या पिछले वर्ष का पण्यावर्त, ााट भी अधिक हो, के पिछले कार्य निष्पादन के आधार पर (किसी मूल दस्तावेा को प्रस्तुत किए बिना) वायदा संविदा की अनुमति हैं । इस सुविधा के अंतर्गत किसी भी समय बकाया संविदा पात्र सीमा के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी र्ााहिए । अधिक सीमा के इर्छिंुक आयातक / निर्यातक आवश्यक अनुमति के लिए रिज़र्व बैंक से संपर्क करें ।

2. बडते हुए पण्यावर्त निवेश कार्यकलापों को बडाने और आयात हेतु व्यापार ऋण संबंधी प्रक्रियाओं को अधिक उदार बनाने के लिए, गारंटी के निर्गम संबंधी नीति की समीक्षा की गई है । तद्नुसार, यह निर्णय लिया गया है कि समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा ाारी विवेकपूर्ण मार्गदर्शी सिद्धांतों के अधीन विदेशी व्यापारी नीति के अंतर्गत अनुमत सभी गैर-पूंाागत मालों के आयात हेतु (स्वर्ण से इतर) एक वर्ष तक की अवधि और पूंाागत माल के आयात हेतु तीन वर्ष तक की अवधि के लिए प्रति लेनदेन 20 मिलियन अमरीकी डॉलर तक के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं, बैंक और वित्तीय संस्थाओं के पक्ष में गारंटी/ वर्ानिं पत्र / लेटर ऑफ कंफर्ट ाारी करने हेतु प्राधिकृत व्यापारियों को सामान्य अनुमति दी ााए । ऐसी गारंटियों / वर्ानिंपत्रों / लेटर ऑफ कंफर्टस् की अवधि ऋण अवधि के साथ-साथ समाप्त होनी है, ासिकी गणना पोतलदान की तारीख से की गई है ।

3. रिपोर्टिंग व्यवस्था के संबंध में, प्राधिकृत बैंक अपने सभी शाखाओं द्वारा ाारी गारंटी / वर्ानिंपत्र / लेटर ऑफ कंफर्ट के आंकड़े एक एमेकित विवरण में, तिमाही अंतराल पर (फार्मेट संलग्नक में दिया गया है ) मुख्य महा प्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय भवन , 10वी मंलि, फाटर्ट, मुंबई 400 001 (और ईमेल द्वारा एसएस एक्सेल फाईल में fedcoecbd@rbi.org.in) को दिसंबर 2004 से इस प्रकार भेजें कि वे अनुवर्ती माह के 10 तारीख तक विभाग में पहुंच जाएं ।

4. व्यापार ऋण नीति में ये संशोधन समय-समय पर समीक्षा के अधीन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे ।

5. दिनांक मई 3, 2003 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं ।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें और उन्हें सूचित करें कि ऋण की सुविधा के बारे में पूर्ण जानकारी एक्ज़िम बैंक कार्यालय अथवा उनकी वेब साइट से प्राप्त करें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए है और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।

भवदीय

(एफ.आर. जोसेफ)
मुख्य महा प्रबंधक


संलग्नक

पिछले कार्य निष्पादन के आधार पर संविदा करार करना
----------------- को रिपोर्ट

बैंक का नाम                              (अमरीकी डॉलर में )

माह के दौरान स्वीकृत कुल सीमा

संर्ायिंी स्वीकृत सीमा

माह के दौरान किए गए संविदा करारों की राशि

उपयोग की गई राशि (दस्तावेााटं की सुपुर्दगी से )

रद्द की गयी वायदा संविदा की राशि

1.

2.

3.

4.

5.

टिपणी :-
1. बैंक की स्थिति का समग्र रूप में उल्लेख करें ।
2. स्तंभ 2, । 4 और 5 की राशि की वर्ष के दौरान संर्ज़िंयी स्थिति हो ।
प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में बकाया राशि आगे ली ााए और उसे अगले वर्ष के सीमा में शामिल की ज़्ााए ।

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