पूर्व निष्पादन के आधार पर वायदा संविदा करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
पूर्व निष्पादन के आधार पर वायदा संविदा करना
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.93 अप्रैल 5, 2003 सेवा में महोदया/महोदय, पूर्व निष्पादन के आधार पर वायदा संविदा करना प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान उक्त विषय में दिसंबर 1, 2001 के परिपत्र ईसी.सीओ. एफएमडी/453:02.03.75/2001-02 ओर दिसंबर 21, 2002 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्रमांक 63 के पैरा 3 की ओर आकृष्ट किया जाता है। प्राधिकृत व्यापारी अपने आयातक/निर्यातक ग्राहकों को उनके पिछले 3 वर्ष के पूर्व आयात/निर्यात निष्पादन के आधार पर वायदा संविदा करने का प्रस्ताव दे सकते हैं बशर्ते कि वायदा संविदा का बकाया किसी भी समय 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के 25 प्रतिशत से अधिक न हो। 2. प्रमाणित रिकॉर्ड और बड़ी मात्रा में आयात/निर्यात पण्यावर्त वाली बड़ी निगमित कंपनियों को जायज़ निवेशों द्वारा उत्पन्न जोखिमों के बचाव के लिए प्रभाव और सक्रिम ढंग से प्रबंध करने के लिए सुविधा प्रदान करने हेतु रिज़र्व बैंक आवेदन करने पर बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के, पूर्व निष्पादन के आधार पर उच्चतर वायदा संविदा की सीमा की अनुमति देने पर विचार कर सकता है। सेसी वायदा संविदाएं बढ़ाई गई सीमा के अंतर्गत सुपुर्दगी आधार पर की जा सकेंगी। 3. उच्चतर सीमा प्राप्त करने की इच्छुक कंपनियां उच्चतर सीमा की आवश्यकता का औचित्य दर्शाते हुए अपने आवेदन किसी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मद्रा नियंत्रण विभाग, विदेशी मुद्रा बाज़ार प्रभाग, केद्रीय कार्यालय, मुंबई 400001 (फैक्स सं.22611427, ई-मेल ecdcofmd@rbi.org.in) को भेजें। पिछले 3 वर्ष के आयात/निर्यात पण्यावर्त, विलंबित वसूली/भूगतान और मौजूदा सीमा के विवरण, प्राधिकृत व्यापारी द्वारा विधिवत् प्रमाणित करके संलग्न फार्मेट में प्रस्तुत किए जाएं। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) |