विदेश में रहने वाले नजदीकी रिश्तेदारों से उधार - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेश में रहने वाले नजदीकी रिश्तेदारों से उधार
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी. (डी आइ आर सिरीज़) परिपत्र सं.24 27 सितंबर 2003 सेवा में महोदय/ महोदया विदेश में रहने वाले नजदीकी रिश्तेदारों से उधार प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. 3/2000-आरबी के विनियम 6 के पैराग्राफ (iv) की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार आवेदनपत्र प्रस्तुत करने पर तथा उसमें निर्दिष्ट शर्तों पर भारत में निवासी किसी व्यक्ति को भारत से बाहर निवास करने वाले नजदीकी रिश्तेदार से विदेशी मुद्रा में अधिकतम् 2,50,000 अमरीकी डॉलर या उसके समतुल्य राशि उधार लेने की भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमति दी गई है। 2. वर्तमान विनियमों को और उदार तथा उन्हें सरल बनाने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक ने 01 नवंबर 2002 की अधिसूचना सं. 75/2002-आरबी जारी की है( प्रतिलिपि संलग्न)। तद्नुसार, एक निवासी व्यक्ति निम्नलिखित शर्तों पर भारत से बाहर निवास करने वाले नजदीकी रिश्तेदारों से विदेशी मुद्रा में अधिकतम् 250,000 अमरीकी डॉलर या उसके समतुल्य राशि उधार ले सकते हैं: क) ऋण की न्यूनतम परिपक्वता अवधि एक वर्ष हो; ख) ऋण ब्याज मुक्त हो; ग) सामान्य र्बैकिंग मार्ग से अथवा अनिवासी उधारदाता के एनआरइ /एफसीएनआर खाते में नामे द्वारा मुक्त विदेशी मुद्रा में आवक विप्रेषण के जरिए प्राप्त ऋण की राशि। स्पष्टीकरण:- " नजदीकी रिश्तेदार से अभिप्रेत है कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित रिश्तेदार " 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों को अवगत कराएं। 4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन जारी किए गए हैं। भवदीया (ग्रेस कोशी )
भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग केंद्रीय कार्यालय मुंबई 400 001 अधिसूचना सं.फेमा.75/2002-आरबी दिनांक:01 नवंबर 2002 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 6 की उपधारा (3) का खंड (घ) और धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा समय-समय पर तथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी में आंशिक आशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्:- 1. (1) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2002 कहा जायेगा। (2.) ये सरकारी राजपत्र में अपने प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे। 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में i) विनियम 5 के उप-विनियम (5) के पश्चात निम्नलिखित उप-विनियम जोड़ा जाए अर्थात् :- "(6) भारत में निवासी कोई व्यक्ति 250,000 अमरीकी डॉलर तक अथवा उसके समतुल्य राशि को भारत के बाहर के उसके नजदीकी रिश्तेदार से उधार ले सकते हैं,बशर्ते - क) ऋण की न्यूनतम परिपक्वता अवधि एक वर्ष हो; ग) सामान्य र्बैकिंग मार्ग से अथवा अनिवासी उधारदाता के एनआरइ /एफसीएनआर खाते में नामे द्वारा मुक्त विदेशी मुद्रा में आवक विप्रेषण द्वारा प्राप्त ऋण की राशि। स्पष्टीकरण:- " नजदीकी रिश्तेदार से अभिप्रेत है कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित रिश्तेदार " ii) अनुसूची के खंड (iv) में "अनिवासी भारतीयों से प्रत्यावर्तन आधार पर ऋण लेने के लिए योजना" शीर्ष को निकाल दिया जायेगा।" (कि.ज.उदेशी)
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