शाखा लाइसेंसीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
शाखा लाइसेंसीकरण
शाखा लाइसेंसीकरण
बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
केन्द्रीय कार्यालय
मुंबई
संदर्भ : बैंपविवि. सं. बीएल.बीसी. 46 /22.01.001/2003
18 नवम्बर 2003
27 कार्तिक 1925(शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 -
शाखा लाइसेंसीकरण पर मास्टर परिपत्र
भारतीय रिज़ॅर्व बैंक वाणिज्य बैंकों को शाखाएं /विस्तार काउंटर / कार्यालय खोलने / स्थान बदलने / बंद करने आदि के लिए समय-समय पर अनुदेश जारी करता रहा है । अभी भी वैध सभी वर्तमान अनुदेशों को समेकित करने के उद्देश्य से एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है, ताकि बैंकों को अपेक्षित सूचना एक ही जगह पर प्राप्त हो सके ।
2. विदेशी बैंक इस मास्टर परिपत्र के पैरा 18 से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं ।
3. यह मास्टर परिपत्र शाखा लाइसेंसीकरण से संबंधित पहले के सभी अनुदेशों का अधिक्रमण करता है ।
4. कृपया प्राप्ति-सूचना भिजवायें ।
भवदीय
(सी. आर. मुरलीधरन )
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
विषय
1.
विधिक (कानूनी) अपेक्षाए ँ2. शाखाएं खोलना
3. सामान्य और विशेषीकृत शाखाओं का स्थान बदलना
4. शाखाएं बंद करना
5. शाखा का विभाजन अथवा उाी केन्द्र के भीतर उाका आंशिक थानांतरण
6. कारोबार को अलग करना
7. बैंक शाखाओं की अदला-बदली / अधिग्रहण करना
8. शाखाओं का परिवर्तन
9. चलते-फिरते कार्यालय
10. वितार काउंटर खोलना
11. विस्तार काउंटरों का स्वयं-पूर्ण शाखाओं के रूप में दर्जा बढ़ाना
12. स्व-चालित गणक मशीनें (ए टी एम)
13. लाइसेंसों की वैधता
14. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कार्यालय खोलना
15. हरियाणा में शाखाएं खोलना
16. केंद्रों का वर्गीकरण / पुन:वर्गीकरण
17. शाखा बैंकिंग के संबंध में विवरणियां प्रस्तुत करना
18. विदेशीं बैंक
अनुबंध - I
अनुबंध - II
अनुबंध - III
परिशिष्ट
शाखा लाइसेंसीकरण पर मास्टर परिपत्र
बैंकों द्वारा शाखाएं खोलने का कार्य बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के उपबंधों से शासित है । इन उपबंधों के अनुसार बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना भारत में अथवा विदेश में कारोबार का नया स्थान नहीं खोल सकते हैं अथवा न ही कारोबार के मौजूदा स्थान को उसी शहर, कस्बे या गांव को छोड़कर अन्यत्र ले जा सकते हैं । इस प्रकार शाखाएं / कार्यालय खोलने से पहले बैंकों को रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन / लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है - वाणिज्य बैंकों को बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग का, शहरी सहकारी बैंकों को शहरी बैंक विभाग का और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा स्थानीय क्षेत्र बैंकों को ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग का अनुमोदन लेना पड़ता है ।
1.1 भारतीय अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के संबंध में शाखा लाइसेंसीकरण संबंधी सामान्य नीति
बैंकों के निदेशक मंडल से अपेक्षा की जाती है कि वे वार्षिक कारोबार योजना एवं नये केन्द्रों पर शाखाएं खोलने के लिए कारोबार की संभावनाओं, प्रस्तावित शाखाओं की लाभप्रदता, जिन मामलों में अतिरिक्त स्टाफ पहचाना गया हो वहां उसके पुनर्नियोजन और बैंक के ग्राहकों को तत्परता से और कम खर्चीली ग्राहक सेवा प्रदान करने जैसी बातों को ध्यान में रखते हुए नयी शाखाएं खोलने के लिए नीति और कार्य योजना बनायेंगे ।
बैंकों को कार्यालय / शाखा आदि खोलने, स्थान बदलने या बंद करने से पहले अपने निदेशक मंडल / निदेशकों की समिति का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए । शाखाएं खोलने / उनका स्थान बदलने का प्रस्ताव बैंककारी विनियमन, 1949 के फार्म VI (नियम 12) में निर्धारित आवेदन के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन / लाइसेंस के लिए प्रस्तुत करना चाहिए । (अनुबंध I)
शाखाएं खोलने के लिए बैंकों से प्राप्त अनुरोध पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रत्येक मामले के गुण-दोष पर विचार करते हुए और बैंक की समग्र वित्तीय स्थिति, उसके प्रबंध-तंत्र की गुणवत्ता, आंतरिक नियंत्रण प्रणाली की दक्षता, लाभप्रदता तथा अन्य प्रासंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाता है ।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकार प्राप्त होने के बाद बैंकों को परिसर तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं आदि को अंतिम रूप देना चाहिए और शाखा खोलने के वास्तविक लाइसेंस के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से सम्पर्क करना चाहिए । इसके अतिरिक्त, यदि शाखा द्वारा सरकारी कारोबार करने का प्रस्ताव हो तो उसे सरकार के संबंधित प्राधिकारी और साथ ही भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, सरकारी और बैंक लेखा विभाग का भी पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना होगा । भारतीय रिज़र्व बैंक से लाइसेंस प्राप्त हो जाने के बाद ही शाखा खोली जानी चाहिए । शाखाएं खोलने के लिए प्राधिकार पत्रों / लाइसेंसों के उपयोग में बैंकों को अनावश्यक विलम्ब नहीं करना चाहिए ।
2.1 सामान्य शाखाएं
2.1.1. ग्रामीण केन्द्रों पर
बैंकों के अपने सेवा क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामीण (10,000 से कम जनसंख्या वाले) केन्द्रों पर अतिरिक्त शाखाएं खोलने की आवश्यकता का अनुमान संबंधित बैंकों के विवेक पर छोड़ दिया गया है । ग्रामीण केन्द्रों पर शाखाएं खोलने के लिए बैंकों के प्रस्तावों का अनुमोदन संबंधित जिला परामर्शदात्री समिति द्वारा किया जाना है और उन्हें संबंधित राज्य सरकार (संस्थागत वित्त निदेशालय) के माध्यम से बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना है । तथापि निजी क्षेत्र के नये बैंक अपने प्रस्ताव भारतीय रिज़र्व बैंक को सीधे भेज सकते हैं, क्योंकि इन बैंकों को अपनी कुल शाखाओं की कम से कम 25 प्रतिशत शाखाएं ग्रामीण / कस्बाई क्षेत्रों में खोलनी हैं, क्योंकि यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें जारी किये गये लाइसेंस की शर्त है । इन बैंकों की ग्रामीण शाखाओं को यदि संबंधित जिला परामर्शदात्री समिति द्वारा आबंटन किया जाये तो उन्हें वार्षिक ऋण योजना के अंतर्गत आबंटन स्वीकार करना पड़ता है ।
2.1.2 पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों में
पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और छितरी हुई जनसंख्या की दृष्टि से ऐसे क्षेत्रों में अभी भी अतिरिक्त बैंक शाखाओं की आवश्यकता है । साथ ही, बिहार और उत्तर-पूर्व के राज्यों अर्थात् असम, मणिपुर, त्रिपुरा आदि में प्रति बैंक कार्यालय औसत जनसंख्या अपेक्षाकृत अधिक है और इसलिए नयी बैंक शाखाएं खोलने में ऐसे क्षेत्रों और राज्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ।
2.1.3 अर्धशहरी / शहरी और महा नगरीय केन्द्रों पर
बैंक प्रस्तावित शाखाओं में कारोबार की संभावनाओं और लाभप्रदता के आधार पर शाखाएं खोलने के लिए कस्बाई केन्द्रों (दस हजार से अधिक किन्तु एक लाख से कम जनसंख्या), शहरी केन्द्रों (एक लाख से अधिक किन्तु 10 लाख से कम जनसंख्या) और महानगरीय केन्द्रों (10 लाख और उससे अधिक की जनसंख्या) की पहचान स्वयं कर सकते हैं । उन्हें अपने निदेशक मंडल के प्रासंगिक संकल्प के साथ अपने प्रस्ताव बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय को पूर्व अनुमोदन के लिए भेजने चाहिए । इन केन्द्रों पर शाखाएं खोलने के लिए बैंकों के अनुरोध पर प्रत्येक मामले के गुण-दोष के आधार पर विचार किया जायेगा ।
टिप्पणी : ऊपर उल्लिखित जनसंख्या का मानदंड केन्द्र (राजस्व इकाई आधार होगा, न कि अवस्थिति) की जनगणना के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार होगा ।
बैंक निम्नलिखित प्रकार की विशेषीकृत शाखाएं भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना, लेकिन रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त करने के बाद खोल सकते हैं :
(क) औद्योगिक वित्त शाखाएं
(ख) विदेश शाखाएं
(ग) एसआइबी / लघु उद्योग शाखाएं
(घ) खजाना शाखाएं
(ङ) अनिवासी शाखाएं
बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खोली गयी विशेषीकृत शाखाएं उस क्षेत्र में बैंक की अन्य शाखाओं की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें । [देखें - 20 मई 1992 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132 /22.01.001/92 का पैरा 3(VII) ]
अन्य सभी प्रकार की विशेषीकृत शाखाएं, जैसे कि वैयक्तिक बैंकिंग शाखाएं, आस्ति वसूली शाखाएं आदि खोलने के लिए बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करेंगे । (देखें - 9 अक्तूबर 1992 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 41/ 22. 01. 001/92 का पैरा II )
साथ ही बैंकों को यह अनुमति दी गयी है कि वे सामान्य बैंकिंग की उन शाखाओं को विशेषीकृत लघु उद्योग शाखाओं के रूप में वर्गीकृत करे जिनमें उनके अग्रिमों के 60 प्रतिशत या उससे अधिक अग्रिम लघु उद्यम क्षेत्र को हैं । किन्तु बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उक्त शाखाओं को विशेषीकृत लघु उद्योग शाखाओं में वर्गीकृत किये जाने के बाद ऐसी शाखाओं के गैर-लघु उद्योग ग्राहकों को कोई असुविधा न हो / बैंकिंग सुविधाओं से वंचित न किया जाये । (देखें 11 मार्च 2002 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 74/22.01.001/2002)
बैंकों को चाहिए कि वे इन शाखाओं के विशेषीकृत लघु उद्योग शाखाओं के रूप में वर्गीकृत किये जाने पर तुरंत संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से आवश्यक संशोधन प्राप्त कर लें ।
बैंकों को आवास वित्त के प्रयोजन हेतु प्रत्येक जिले में अपनी विशिष्ट शाखाएं नामित करनी चाहिए । जिस शाखा को आवास वित्त शाखा नामित किया जाये वह अन्य सामान्य बैंकिंग कार्य भी कर सकती है । फिर भी बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस में पहले संशोधन करवा लेंगे । डदेखें - 20 मई 1992 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132 / 22. 01. 001 /92 का पैरा 3(VII)
2.4 औद्योगिक / परियोजना क्षेत्र शाखाएं
राज्य सरकारों द्वारा प्रवर्तित परियोजना स्थल, औद्योगिक क्षेत्र / इस्टेट और नये बाज़ारों के लिए अतिरिक्त बैंक शाखाओं की संभावना होती है । इन आवश्यकताओं पर विचार करते हुए इस प्रकार की परियोजनाओं /औद्योगिक क्षेत्रों की मौजूदा बैंकिंग व्यवस्थाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए । इसलिए ऐसे केन्द्रों पर बैंकों
की शाखाएं खोलने के लिए आवेदन करते समय बैंकों से निम्नलिखित जानकारी की अपेक्षा की जाती है :
(क) परियोजना का विवरण, अनुमानित परिव्यय सहित;
(ख) परियोजना के कार्यान्वयन का चरण (स्टेज)
(ग) मौजूदा बैंकिंग व्यवस्था में कमियां और क्या इस प्रयोजन के लिए इस प्रकार के परियोजना केन्द्र पर / उसके निकट कार्यरत बैंक शाखा के साथ व्यवस्था की जा सकती है;
(घ) क्या परियोजना का स्थान मौजूदा सेवा क्षेत्र में आता है, यदि हां, तो उस बैंक का नाम जिसकी शाखा उस क्षेत्र में सेवा प्रदान कर रही है ।
(ङ) इस प्रकार की परियोजनाओं को वित्त प्रदान करने में यदि कोई बैंक संबद्ध हों तो उनके नाम
(च) यदि कोई मौजूदा शाखाएं हों तो उनके नाम और प्रस्तावित शाखा की संभाव्यता
(देखें -12 सितंबर 1990 के परिपत्र बैंपविवि.सं. बीएल. बीसी.16/सी.168(64डी)-90 का पैरा 3(iii)।
जहां बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में शाखाएं खोलना व्यवहार्य नहीं समझते, वहां वे संबंधित ज़िला सलाहकार समिति तथा संबंधित राज्य के संस्थागत वित्त निदेशालय का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने के बाद अनुषंगी कार्यालय खोल सकते हैं । संबंधित बोड़ के अनुमोदन के साथ अनुषंगी कार्यालय खोलने का आवेदन पूर्व अनुमोदन के लिए बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय को भेजा जाना चाहिए ।
(क) अनुषंगी कार्यालय आसपास के गांवों में एक निर्धारित परिसर में स्थापित किये जाते हैं और उनका नियंत्रण तथा परिचालन ऐसी आधार शाखा (बेस ब्रांच) से किया जाता है जो केन्द्रीय गांव/खंड मुख्यालय में स्थित हो ।
(ख) प्रत्येक अनुषंगी कार्यालय सप्ताह में कुछ निर्धारित दिन (कम से कम दो बार) निर्धारित घंटे काम करेगा ।
(ग) इन कार्यालयों में सभी प्रकार के बैंकिंग लेनदेन किये जायेंगे ।
(घ) जिन दिनों में ये कार्यालय काम नहीं करेंगे उन दिनों में उनके ग्राहकों को आधार शाखा में लेनदेन करने की अनुमति दी जानी चाहिए ।
(ङ) प्रत्येक अनुषंगी कार्यालय के लिए अलग बही खाते /रजिस्टर /स्क्रोल रखे जायेंगे लेकिन उनके सभी लेनदेनों को आधार शाखा की लेखा पुस्तकों में शामिल किया जायेगा ।
(च) आधार शाखा से संबद्ध स्टाफ वरीयता एक पर्यवेक्षक कर्मचारी, एक खजांची-सह-लिपिक और एक सशस्त्र गाड़ अनुषंगी कार्यालयों में प्रतिनियुक्त किया जायेगा ।
(छ) फर्नीचर, मार्गस्थ नकदी आदि के बीमे के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की जाएं ।
[देखें - 14 दिसंबर 1987 का परिपत्र डीबीओडी. सं. बीएल. बीसी. 72/सी.168(64डी)-87]
बैंक बड़े केन्द्रों पर समाशोधन की सुविधा और संबंधित कार्य के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त किये बिना सेवा शाखाएं / क्षेत्रीय उगाही केन्द्र खोल सकते हैं । परन्तु बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इन शाखाओं का कार्य प्रारंभ होने से पहले रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त करेंगे । इसी प्रकार बैंक रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना अपने विवेकानुसार इन कार्यालयों का स्थान बदल सकते हैं अथवा उन्हें बंद कर सकते हैं । स्थान बदलने के मामले में रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस में संशोधन कराना आवश्यक होगा जिसके कार्य-क्षेत्र में कार्यालय का स्थान बदलने से पहले प्रस्तावित स्थान आता है । यदि इस प्रकार के कार्यालयों को बंद किया जाये तो उसका लाइसेंस कार्यालय बंद करने के तुरंत बाद रद्द करने के लिए रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सौंपा जाये और उसकी सूचना रिज़र्व बैंक के सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग को भी दी जाये । (देखें - 20 मई 1992 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132/ 22. 01. 001/92 का पैरा 3(VI) )।
2.7 क्षेत्रीय / प्रशासनिक / आंचलिक / नियंत्रक कार्यालय
क्षेत्रीय / प्रशासनिक / आंचलिक / नियंत्रक कार्यालय खोलना बैंकों के विवेकाधिकार पर छोड़ दिया गया है । परन्तु बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि इन कार्यालयों के कार्य प्रारंभ करने / खोलने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त करेंगे । इस प्रकार बैंक रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना अपने विवेकानुसार इन कार्यालयों को बंद कर सकते हैं अथवा उनका स्थान बदल सकते हैं । स्थान बदलने के मामले में बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे स्थान बदलने से पहले रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस में संशोधन करवायेंगे जिसके कार्य-क्षेत्र में स्थान बदलने से पहले प्रस्तावित स्थान आता है । इस प्रकार के कार्यालयों को बंद करने के मामले में कार्यालय बंद करने के तुरंत बाद लाइसेंस रद्द करने के लिए रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को सौंपना चाहिए और उसकी सूचना रिज़र्व बैंक के सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग को दी जानी चाहिए । (देखें - 20 मई 1992 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132 / 22.01.001/92 का पैरा 3(V) ) ।
3. सामान्य और विशेषीकृत शाखाओं का स्थान बदलना
3.1.1 उसी विकास खंड और सेवा क्षेत्र के अंदर
बैंकों द्वारा ग्रामीण केन्द्रों में शाखाओं का स्थान बदलने का कार्य बैंक रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना कर सकते हैं, जो निम्नलिखित शर्तों के अनुपालन पर निर्भर होगा :
- मौजूदा और प्रस्तावित दोनों केन्द्र उसी विकास खंड (ब्लॉक) और शाखा के सेवा क्षेत्र में होने चाहिए ।
- यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नये स्थान पर शाखा उन गांवों की बैंकिंग आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से पूरा कर सकेगी जो गांव सेवा क्षेत्र दृष्टिकोण के अंतर्गत आबंटित किये गये हैं (देखें - 20 मई 1992 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132/22.01.001/92 का पैरा 3(I) ) ।
परन्तु बैंक इस प्रकार से स्थान बदलने से पहले संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस में संशोधन करवा लिया जाये ।
3.1.2 विकास खंड / सेवा क्षेत्र के बाहर
विकास खंड / सेवा क्षेत्र के बाहर स्थान बदलने की अनुमति ज़िला परामर्शदात्री समिति और राज्य सरकार के अनुमोदन पर जोर दिये बिना उन केंद्रों पर है, जिन केंद्रों पर वाणिज्य बैंक की एक से अधिक शाखाएं (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की शाखा को छोड़कर ) हैं । यह अनुमति निम्नलिखित शर्तों पर होगी :
(क) शाखाएं पांच वर्ष या उससे अधिक समय से हैं और पिछने तीन वर्ष से लगातार हानि में हैं ।
(ख) उन केंद्रों पर स्थित शाखाएं कतिपय ऐसे प्राकृतिक जोखिमों से ग्रस्त हैं, जिन पर बैंक का नियंत्रण नहीं है, जैसे कि वहां अक्सर बाढ़ आ जाती है, भूस्खलन होता है अथवा बांध बनने के कारण पानी में डूबने की आशंका है अथवा कोई अन्य प्राकृतिक आपदा है, इत्यादि ।
(ग) शाखाएं ऐसे स्थानों पर हैं, जहां कानून और व्यवस्था की समस्या है अथवा आतंकवादियों की गतिविधियों से बैंक के कर्मचारियों और संपत्ति को हानि की आशंका है ।
(घ) शाखाएं जिन परिसरों में स्थित हैं, वे जर्जर हालत में हैं या आग से जल चुके / नष्ट हो चुके हैं और उस केंद्र / विकास खंड /सेवा क्षेत्र में अन्य उपयुक्त परिसर उपलब्ध नहीं हैं ।
उपर्युक्त के अनुसार हानि उठाने वाली शाखाओं का स्थान बदलने की अनुमति रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा दी जायेगी । तदनुसार, बैंको को सूचित किया गया है कि वे इस संबंध में अपने निदेशक मंडल से विधिवत् अनुमोदित प्रस्ताव अनुमोदन के लिए रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें, जिसके कार्य-क्षेत्र में वह केंद्र आता हो । यदि शाखाएं मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय के कार्य-क्षेत्र में आती हों तो प्रस्ताव बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केंद्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किये जायें । (देखें - 29 जुलाई 1998 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 74 / 22.01.001/98 और 12 सितंबर 2000 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 23 / 22.01.001/2000-01)
3.1.3 किसी ग्रामीण केंद्र पर कार्यरत एकमात्र ग्रामीण शाखा
किसी ग्रामीण केंद्र पर कार्यरत एकमात्र ग्रामीण शाखा को बंद नहीं किया जाना चाहिए /सेवा क्षेत्र के बाहर नहीं ले जाया जाना चाहिए /किसी अन्य शाखा में नहीं मिलाया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से वह केंद्र बैंक सेवारहित हो जायेगा । किंतु बैंक अपवादात्मक /पहले से अज्ञात परिस्थितियों में जिला परामर्शदात्री समिति /संस्थागत वित्त निदेशालय का अनुमोदन लेने के बाद रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के लिए बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केंद्रीय कार्यालय को लिख सकते हैं । (देखें - 12 सितंबर 2000 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 23 / 22.01.001/2000-01 का पैरा 2)
यदि कस्बाई केंद्रों पर स्थित बैंक शाखाओं को सेवा क्षेत्र आबंटित किया गया हो तो अर्धशहरी केंद्रों की शाखाओं के स्थान बदलने के लिए वही मानदंड लागू होंगे जो ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शाखाओं पर लागू होते हैं । (देखें - 20 मई 1992 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132 / 22.01.001/2000-01 का पैरा 3(I))
जहां कोई सेवा क्षेत्र आबंटित न किया गया हो वहां बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना उसी अवस्थिति (लोकेलिटी) / नगरपालिका वाड़ के अंदर ही स्थान बदल सकते हैं । परंतु उन्हें स्थान बदलने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस में संशोधन करवाना होगा । स्थान बदलकर अवस्थिति (लोकेलिटी) / नगरपालिका वाड़ के बाहर शाखा ले जाने के संबंध में बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करना होगा । परंतु बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्थान बदलने के कारण वह लोकेलिटी / नगरपालिका बैंक सेवारहित न हो जाये ।
3.3 शहरी / महानगरी केंद्रों पर
बैंक शहरी /महानगरी केंद्रों पर स्थित अपनी शाखाओं का भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना उसी अवस्थिति (लोकेलिटी) / नगरपालिका वाड़ के अंदर ही स्थान बदल सकते हैं । परंतु उन्हें स्थान बदलने से पहले लाइसेंस में संशोधन करवाना होगा ताकि बैंककारी विनिमयन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अंतर्गत जारी किये गये लाइसेंस की शर्तों का पालन हो सके । स्थान बदलकर अवस्थिति (लोकेलिटी) / नगरपालिका वाड़ के बाहर शाखा ले जाने के संबंध में बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करना होगा । परंतु बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थान बदलने के कारण वह लोकेलिटी / वाड़ बैंक सेवारहित न हो जाये । (देखें - 20 मई 1992 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132 / 22.01.001/92 का पैरा 3(II))
ग्रामीण शाखाओं को बंद करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक है । इसके अतिरिक्त यदि किसी ग्रामीण केंद्र पर एक ही वाणिज्य बैंक शाखा हो तो घाटा उठाने पर भी उस शाखा को बंद करने की अनुमति नहीं होगी । किंतु यदि किसी ग्रामीण केंद्र पर वाणिज्य बैंकों की एक से अधिक शाखाएं हों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को छोड़कर) तो उनमें से एक शाखा को बंद करने का निर्णय राज्य सरकार या ज़िला परामर्शदात्री समिति को संबद्ध किये बिना बैंक परस्पर परामर्श करके कर सकते हैं । बंद करने के लिए प्रस्तावित शाखा की आस्तियों और देयताओं को उसी बैंक या अन्य बैंक की शाखा को अंतरित करने, सेवा क्षेत्र दृष्टिकोण के अंतर्गत गांवों के पुनराबंटन, स्टाफ के पुनर्नियोजन जैसे मामले बैंकों द्वारा स्वयं निपटा लिये जाने चाहिए । बंद करने के लिए प्रस्तावित शाखाओं के ग्राहकों को उचित सूचना दी जानी चाहिए । तदनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि वे ग्रामीण शाखा (एकल बैंक शाखा को छोड़कर ) को बंद करने के प्रस्ताव अपने निदेशक मंडल द्वारा विधिवत् अनुमोदित करवाकर रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के लिए उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें, जिसके कार्य-क्षेत्र में वह केंद्र आता हो । जिन मामलों में शाखाएं मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय के कार्यक्षेत्र में आती हों, उन मामलों में प्रस्ताव बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केंद्रीय कार्यालय को भेजे जाने चाहिए । घाटा उठाने वाली एकमात्र ग्रामीण शाखा के बंद करने के अपवादात्मक मामले में प्रस्ताव ज़िला परामर्शदात्री समिति और राज्य सरकार के संस्थागत वित्त निदेशालय के अनुमोदन के बाद बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केंद्रीय कार्यालय को भेजा जाना चाहिए । (देखें - 29 जुलाई 1998 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 74 / 22.01.001/ 98 और 12 सितंबर 2000 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 23 / 22.01.001/ 2000-01)
जहां अर्धशहरी शाखाओं को सेवा क्षेत्र आबंटित किया गया हो, वहां कस्बाई शाखाओं को बंद करने के लिए वही मानदंड लागू होंगे जो ग्रामीण केंद्रों की शाखाओं के लिए हैं ।
जहां सेवा क्षेत्र आबंटित नहीं किया गया हो, वहां बैंक कस्बाई केंद्रों की अपनी शाखाएं (लघु उद्योग /एस आइ बी और कृषि विकास शाखा को छोड़कर) भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त किये बिना बंद कर सकते हैं । परंतु उन्हें शाखा बंद करने के तुरंत बाद लाइसेंस रद्द करने के लिए रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सौंपना होगा । परंतु बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्थान बदलने के कारण वह लोकेलिटी / वाड़ बैंक सेवारहित न हो जाये ।
बैंक लाभ न देने वाली शहरी और महानगरीय केंद्रों की अपनी शाखाएं (लघु उद्योग /एस आइ बी और कृषि विकास शाखा को छोड़कर ) भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त किये बिना बंद कर सकते हैं । बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे शाखा बंद करने के तुरंत बाद प्रासंगिक लाइसेंस रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सौंप देंगे और उसकी सूचना सांख्यकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, मुंबई को देंगे। परंतु बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्थान बदलने के कारण वह लोकेलिटी / वाड़ बैंक सेवा रहित न हो जाये । (देखें - 16 फरवरी 1991 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 81/ सी.168 (64डी)-91 का पैरा 2)
5. शाखा का विभाजन अथवा उसी केन्द्र के भीतर उसका आंशिक स्थानांतरण
बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना, स्थान के अभाव में, बेहतर ग्राहक सेवा आदि के लिए शाखाओं का विभाजन अथवा मूल शाखा के कुछ विभागों का पास के इलाकों में आंशिक स्थानांतरण कर सकते हैं । परंतु वे दोनों परिसरों से एकसमान कारोबार नहीं कर सकते । तथापि, उन्हें इन शाखाओं के विभाजन/आंशिक स्थानांतरण के पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस में आवश्यक संशोधन प्राप्त करना होगा (देखें - 20 मई 1992 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132 / 22.01.001/92 का पैरा 3(III) ।
बैंक कारोबार यथा, सरकारी कारोबार, लघु उद्योग संबंधी कारोबार, आदि को वर्तमान शाखा से अलग करके अपने विवेक पर भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना नयी विशेषीकृत शाखा (पैराग्राफ 2.2 में उल्लिखित पांच प्रकारों में से एक) खोल सकते हैं । तथापि बैंंकों से अपेक्षित है कि वे इन शाखाओं को खोलने के पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त करें । उक्त पांच श्रेणियों से भिन्न किसी अन्य प्रकार की विशेषीकृत शाखा खोलने के लिए कारोबार को अलग करने के पूर्व बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय का अनुमोदन प्राप्त करना होगा (देखें - 20 मई 1992 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132/22.01.001/92 का पैरा 3(IV) ।
7. बैंक शाखाओं की अदला-बदली और अधिग्रहण करना
बैंक अपनी इधर-उधर बिखरी हुई / अलाभकारी शाखाओं या दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित शाखाओं की अन्य बैंकों के साथ अदला-बदली कर सकते हैं । शाखाओं की अदला-बदली का निर्णय संबंधित बैंकों द्वारा आपसी परामर्श से किया जाना चाहिए । अदला-बदली के लिए प्रस्तावित शाखाओं की सभी आस्तियों और देयताओं के अंतरण जैसे मामले बैंकों को अपने आप सुलझाने चाहिए । यदि इस संबंध में कोई करार किया जाये, तो बैंक अदला-बदली के पहले लाइसेंस संशोधन के लिए रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें । जिन शाखाओं की अदला-बदली की जानी है उनके ग्राहकों को उचित नोटिस दिया जाना है [देखें - 20 मई 1992 के परिपत्र सं. बीएल. बीसी. 132/22.01.001/92 का पैरा 3 (IX) ]
बैंक परस्पर समझौते द्वारा ग्रामीण और अर्धशहरी केंदों में स्थित शाखाओं को अन्य बैंक द्वारा अधिग्रहीत कर सकता है । रिज़र्व बैंक के मागादर्शी सिद्वांतों का अनुपालन करते हुए शाखाओं की आस्तियाँ और देयताएँ , स्टाफ इत्यादि के प्रस्तावित अंतरण से संबंधित सभी मामले सुलझाए जा सकते हैं । बैंक की वर्तमान शाखाओं को अधिग्रहीत किया जाने वाला बैंक तथा अधिग्रहण करने वाला बैंक दोनों ही उचित प्रचार करके शाखा के ग्राहकों को इस बारे में सूचित करेंगे ।
एक बैंक से दूसरे बैंक में शाखा का अंतरण होने से जमा खाते भी अंतरित होते है ं । इस प्रकार के इस प्रकार के जमा खाते ग्राहक और अधिग्रहीत बैंक शाखा के बीच हुए समझौते की शर्तों पर नियंत्रित होंगे । तदनुसार , इस प्रकार की अंतरित जमाराशियों पर परिपक्वता की अवधि पूरी होने तक वही ब्याज दर अदा की जाएगी जो शाखा के अधिग्रहण वे समय प्रचलित थी । ऐसे मामलों में 31 जुलाई 2002 के हमारे मास्टर परिपत्र डी बी ओ डी . डीआइआर . बीसी. 12/13.03.00/2002-2003के पैरा 22 (ग) में निहित प्रावधान इस प्रकार की जमाराशियाँ परिपक्व होने तक लागू नहीं होगा । दूसरे बैंक को कारोबार के इस अंतरण के परिणामस्वरूप अधिग्रहीत की जानेवाली शाखा के वर्तमान जमाकर्ताओं को अवधि समाप्त होने से पहले जमाराशि आहरित करने की अनुमति दी जा सकती है । इस आहरण के लिए किसी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए ।
अंतरण के संबंध में विस्तृत करार हो जाने के बाद शाखा का अधिग्रहण करनेवाला बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को लाइसेंस लौटा दे ताकि उसे रद्द किया जा सके और शाखा के अंतरण से पहले नया लाइसेंस प्राप्त करे ।
जिन मामलों में दूसरे बैंक की ऐसी ग्रामीण शाखा का अधिग्रहण किया जा रहा है जो गाँव या कस्बे में कार्यरत केवल एकमात्र शाखा है , तो अधिग्रहण करने वाले बैंक को किसी अन्य ग्रामीण /अर्धशहरी क्षेत्र (सेवा क्षेत्र दायित्वसहित) में अपनी वर्तमान शाखा के साथ उसका समामेलन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि इससे वह क्षेत्र बैंकिंग सेवा से वंचित हो जाएगा। [संदर्भ : दिनांक 18.8.2003 का परिपत्र डी बी ओ डी सं. बीएल. बीसी. 13/22.01.01/2003]
8.1 सामान्य / विशेषीकृत शाखाओं का परिवर्तन
शाखाओं को सामान्य से विशेषीकृत और विशेषीकृत से सामान्य के रूप में परिवर्तित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय का अनुमोदन जरूरी होगा ।
8.2 स्वयं-पूर्ण ग्रामीण शाखाओं का अनुषंगी कार्यालयों में परिवर्तन
बैंक ग्रामीण केन्द्रों में अपनी हानिवाली वर्तमान शाखाओं को अनुषंगी (सैटेलाइट) कार्यालय में परिवर्तित करने की जरूरत पर लागत-लाभ पहलू, विद्यमान ग्राहकों को होनेवाली असुविधाओं, ज़िला ऋण योजना तैयार करने में कार्यनिष्पादन पर परिवर्तन के असर तथा प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण प्रदान करने जैसी बातों को ध्यान में रखकर स्वयं निर्णय लें । किन्तु ग्रामीण शाखाओं के परिवर्तन के संबंध में अंतिम निर्णय जिला प्रशासन / राज्य सरकार के परामर्श से लिया जाना चाहिए ।
अनुषंगी कार्यालय स्थापित करने के लिए बैंकों को उन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए जो पैरा 2.5 में दिये गये :
ग्रामीण शाखाओं के अनुषंगी कार्यालयों में परिवर्तन के पूर्व बैंकों को रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंसों में आवश्यक संशोधन कराना आवश्यक होगा । (देखें - 14 दिसंबर 1987 के परिपत्र डीबीओडी. सं. बीएल. बीसी. 72/सी.168(64-डी)-87 का पैरा 1 तथा 9 अक्तूबर 1992 के परिपत्र बैंपविवि.सं. बीएल. बीसी. 41/41/22.01.001/92 का पैरा V) ।
ग्रामीण केंद्रों से भिन्न केंद्रों में हानिवाली शाखाओं के अनुषंगी कार्यालयों में परिवर्तन की अनुमति नहीं है
।जहां बैंकों के लिए ग्रामीण केन्द्रों में स्वयं-पूर्ण शाखाएं या अनुषंगी कार्यालय खोलना किफायती न हो, वहां वे चलते-फिरते कार्यालय खोल सकते हैं । तथापि उन्हें ऐसे कार्यालय खोलने से पहले रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करना होगा । चलते-फिरते कार्यालयों की योजना की परिकल्पना में पूर्णत: संरक्षित वैन के माध्यम से बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करना है, जिसमें बैंक के दो या तीन अधिकारियों के बैठने तथा उनके साथ बहियों, नकदी वाली सेफ आदि की व्यवस्था हो । चलता-फिरता यूनिट सेवा के लिए प्रस्तावित स्थानों पर कतिपय निर्दिष्ट दिनों / घंटों के लिए जायेगा । चलता-फिरता कार्यालय बैंक की किसी शाखा के साथ संबद्ध होगा । चलते-फिरते कार्यालय को उन ग्रामीण स्थानों में नहीं जाना चाहिए जिनमें सहकारी बैंक सेवा प्रदान कर रहे हैं और जिन स्थानों में वाणिज्य बैंक कार्यालयों की नियमित सेवाएं उपलब्ध हैं ।
(देखें: 19 जनवरी 1968 का परिपत्र डीबीओडी. सं. बीएल. 99/सी.168-68 तथा 14 दिसंबर 1987 का परिपत्र डीबीओडी. सं. बीएल. बीसी. 72/सी.168(64-डी)-87)
10.1 बैंक उन संस्थाओं के परिसर में विस्तार काउंटर खोल सकते हैं, जिनके वे प्रधान बैंकर हैं, परन्तु इस प्रयोजन के लिए उन्हें पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त करना होगा । विस्तार काउंटर बड़े कार्यालयों / फैक्ट्रियों, अस्पतालों, सैन्य यूनिटों, शैक्षणिक संस्थाओं आदि के परिसरों में खोले जा सकते हैं, जहां ऐसे स्टाफ / कामगारों, विद्यार्थियों का बड़ा वर्ग है जिनके लिए अपने एक जैसे कार्य के घंटे होने और उचित दूरी तक बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण अपने बैंकिंग लेनदेन करना कठिन हो । विस्तार काउंटरों को सीमित स्वरूप के बैंकिंग कारोबार करने चाहिए, जैसे
- जमा /आहरण लेनदेन,
- ड्राफ्ट जारी करना और भुनाना तथा डाक अंतरण
- यात्री चेक जारी करना और भुनाना
- गिफ्ट चेकों की बिक्री
- बिलों की उगाही
- अपने ग्राहकों की सावधि जमाराशियों पर अग्रिम (जो विस्तार काउंटर के संबंधित अधिकारी को प्राप्त मंजूरी देने की शक्ति के भीतर हो)
- सुरक्षा जमा लॉकर सुविधा (बशर्ते पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्थाएं की गयी हों) ।
- अपने ग्राहकों को डिपाजिटरी सेवाएँ प्रदान करना, बशर्ते बैंक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोड़ (सेबी) डिपाजिटरी सहभागी के रूप में पंजीकृत हो । विस्तार काउंटरों पर अमूर्तिकृत प्रतिभूति गिरवी रखकर ऋण सुविधा प्रदान नहीं करनी चाहिए अथवा इस केंद्र पर उधार लेने और उधार देने की सुविधा भी नहीं होनी चाहिए ।
(दिनांक 11 सितंबर 2003 का मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 23/22.01.001/2003)
साथ ही, यदि विस्तार काउंटर का सरकारी कारोबार करने का प्रस्ताव है तो इसके लिए संबंधित सरकारी प्राधिकारी तथा भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, सरकारी और बैंक लेखा विभाग का अनुमोदन अपेक्षित होगा।
आवासीय कॉलोनियों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्सों, बाजार के स्थानों तथा पूजा स्थलों आदि में विस्तार काउंटर खोलने की अनुमति नहीं है ।
10.2 बैंकों को विस्तार काउंटर खोलने के पहले लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय अनुबंध II में दिये गये फार्मेट के भाग I और II में प्रस्तावित विस्तार काउंटरों का ब्यौरा बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रस्तुत करना चाहिए । (देखें - 9 अक्तूबर 1992 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 41/22.01.001/92)
11. विस्तार काउंटरों का स्वयं-पूर्ण शाखाओं के रूप में दर्जा बढ़ाना
11.1 बैंकों को विस्तार काउंटरों का स्वयं-पूर्ण शाखाओं के रूप में दर्जा बढ़ाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए । प्रस्तावों पर विचार निम्नलिखित शर्तें पूरी होने पर बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा किया जाता है :
- विस्तार काउंटर कम से कम पांच वर्ष से कार्य कर रहा हो,
- पिछले एक वर्ष के दौरान जमा खातों की संख्या 2000 से ऊपर गयी हो,
- पिछले तीन वर्षों की औसत जमाराशि (अर्थात् मासिक आधार पर) महानगरीय केन्द्रों में 3 करोड़ रुपये और अन्य केंद्रों में 2 करोड़ रुपये से अधिक हो ।
11.2 जिन प्रस्तावों में उपर्युक्त शर्तों में से कोई शर्त पूर्णत: पूरी नहीं की गयी हो, परन्तु अन्यथा वह शाखा के रूप में परिवर्तन के रूप में विकसित हो गयी हो, तो ऐसे मामलों पर प्रत्येक मामले के गुण-दोषों के आधार पर विचार किया जायेगा ।
12. स्व-चालित गणक मशीनें (ए टी एम)
12.1 बैंकों को उन शाखाओं और विस्तार काउंटरों में स्व-चालित गणक मशीनें (ए टी एम) लगाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, जिनके लिए उनके पास रिज़र्व बैंक द्वारा जारी लाइसेंस है । तथापि, बैंकों को चाहिए कि वे जब भी किसी शाखा या विस्तार काउंटर में ए टी एम लगायें तब बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय, उसके क्षेत्रीय कार्यालयों तथा सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग को सूचित करें । (देखें - 29 दिसंबर 1994 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 152/21.03.051-94)
12.2 शाखाओं और विस्तार काउंटरों में ए टी एम लगाने के अलावा बैंक स्वयं पता लगाये गये अन्य स्थानों पर भी रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना ऑफ-साइट ए टी एम लगा सकते हैं परन्तु उन्हें ए टी एम को परिचालित करने के पहले बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त करना चाहिए ताकि वे बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अनुरूप हों ।
बैंक रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना अपने विवेकानुसार अपने ऑफ-साइट ए टी एम पर इन कार्यालयों का स्थान भी बदल सकते हैं या उन्हें बंद कर सकते हैं । स्थान बदलने के मामले में बैंकों को संबंधित ऑफ-साइट ए टी एम की शिफ्टिंग के पहले रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस में आवश्यक संशोधन प्राप्त करना होगा जिसके क्षेत्राधिकार में शिफ्टिंग का प्रस्तावित स्थान आता है । ऑफ-साइट ए टी एम को बंद करने के मामले में ऑप-साइट ए टी एम को बंद किये जाने के बाद तुरंत लाइसेंस को रद्द करने के लिए रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को लौटा देना चाहिए तथा उसकी सूचना बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के केन्द्रीय कार्यालय को दी जानी चाहिए ।
12.3 ए टी एम में निम्नलिखित कार्य किये जायें :
- राशि जमा करना /निकालना
- व्यक्तिगत पहचान संख्या (पिन) में परिवर्तन
- चेक बुकों के लिए अनुरोध
- खातों के विवरण
- जमा शेष की पूछताछ और
- अंतर-खाता अंतरण - जो एक ही केन्द्र या देश के विभिन्न केद्रों में एक ही ग्राहक के अथवा उसी बैंक के विभिन्न ग्राहकों के खातों तक सीमित होगा
- ‘स्टैंड-एलोन’ ए टी एम और ए टी एम युक्त तथा साझा भुगतान नेटवर्क प्रणाली ( एस पी एन) वाली शाखा के बीच टेलीफोन संप्रेषण प्रदान किया जा सकता है ।
- बैंक को लिखित संदेश भेजने के लिए डाक संबंधी सुविधा (चेक जमा करने की सुविधा की तरह )
- बिजली बिल, टेलीफोन बिल आदि जैसी जनोपयोगी सेवाओं का भुगतान
- प्रॉडक्ट संबंधी जानकारी
इस प्रकार की गैर-शाखा / ‘स्टैंड-एलोन’ ए टी एम केन्द्रों में सुरक्षा गाड़ के अलावा कोई व्यक्ति तैनात नहीं किया जाना चाहिए । (देखें - 16 मई 1996 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 60/ 21. 03. 051 /96)और 23 जुलाई 2003 का परिपत्र डी बी ओ डी .सं. बी एल. बी एल 5/22.01.001/2003 )
बैंकों को शुल्क लेकर निर्माताओं /डीलरों / विक्रेताओं के उत्पाद अपने ए टी एम स्क्रीन पर प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है जो एक प्रकार का विज्ञापन होगा और वह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 6(1) के अंतर्गत बैंकों द्वारा की जाने वाली अनुमत गतिविधि नहीं है । तथापि बैंक स्वयं के उत्पादों का प्रदर्शन करने के लिए ए टी एम स्क्रीन का उपयोग कर सकते हैं ।
13.1 बैंकों को कार्यालय / शाखा खोलने के पूर्व रिज़र्व बैंक के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करना होगा जिसके अधिकार क्षेत्र में वह केन्द्र आता है । यह देखा गया है कि कुछ बैंक लाइसेंस ले लेते हैं और काफी समय तक शाखा नहीं खोलते तथा लाइसेंसों की पुन: वैधता के लिए क्षेत्रीय कार्यालयों से बार-बार संपर्क करते हैं । अत: बैंकों को चाहिए कि वे शाखा खोलने के लिए मूलभूत सुविधाएं पूरी होने के बाद ही लाइसेंस के लिए क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क करें ।
13.2 साथ ही, अक्सर बैंक जहां शाखा स्थित है उस इलाके या स्ट्रीट / मार्ग के नाम में परिवर्तन के कारण शाखा के नाम में परिवर्तन के अनुमोदन के लिए संपर्क करते हैं । चूंकि शाखा के इलाके में कोई परिवर्तन नहीं होता है, अत: बैंकों को इस मामले में अनुमोदन लेने या लाइसेंस में संशोधन के लिए संपर्क नहीं करना चाहिए, परन्तु उन्हें रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग (सां वि कं से वि), मुंबई को परिवर्तन से अवगत कराना चाहिए । तालुके / जिले के नाम में परिवर्तन या जिलों के पुनर्गठन या नये राज्यों के गठन के कारण भी परिवर्तन हो सकते हैं । ऐसी परिस्थितियों में भी, बैंकों को संबंधित लाइसेंस संशोधन के लिए क्षेत्रीय कार्यालय को भेजने की जरूरत नहीं है और वे सरकारी अधिसूचना के आधार पर परिवर्तित नाम अपना सकते हैं, पर इसकी सूचना रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और सां वि कं से वि, मुंबई को देनी होगी (देखें - 21 अगस्त 1984 के परिपत्र डीबीओडी. सं. बीएल. बीसी. 86/सी.168-84 का पैरा 1 तथा 6 सितंबर 1991 व ा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 24/बीएल.66-91) ।
13.3 यदि एक ही इलाके में एक ही नाम वाले विभिन्न बैंकों की शाखाओं के बीच या अन्य औचित्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण भ्रम से बचने के लिए किसी नाम में परिवर्तन करना पड़े, तो ऐसे अनुरोध रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को संबोधित होने चाहिए और ऐसे अनुरोध भेजते समय आवरण पत्रों सहित संबंधित लाइसेंस भी भेजे जाने चाहिए (देखें - 20 अक्तूबर 1978 का परिपत्र डीबीओडी. सं. बीएल. बीसी. 147/सी.168-78) ।
14. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कार्यालय खोलना
दिल्ली के मास्टर प्लान -2001 के प्रावधानों के अंतर्गत बैंकों को वाणिज्यिक प्रयोग के क्षेत्र में तथा आवासीय / औद्योगिक प्रयोग के क्षेत्र में वाणिज्यिक केन्द्रों में कार्यालय खोलने की अनुमति है । साथ ही, मास्टर प्लान के मिले-जुले प्रयोग के विनियम के अंतर्गत बैंक आवासीय परिसरों की तल मंज़िल पर तल मंज़िल के 25 प्रतिशत क्षेत्र या 50 वर्ग मीटर क्षेत्र तक, जो भी कम हो, कार्य कर सकते हैं । बैंकों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कार्यालय खोलने के लिए लाइसेंस हेतु आवेदन करते समय इस आशय की एक घोषणा देनी होगी कि शाखा का प्रस्तावित इलाका / परिसर दिल्ली के मास्टर प्लान -2001 के मानदंडों /प्रावधानों के अनुरूप है । जहां बैंक इस प्रकार की घोषणा देने में असमर्थ होंगे, वहां दिल्ली विकास प्राधिकरण का ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ प्रस्तुत किये जाने पर ही लाइसेंस जारी किया जायेगा (देखें - 5 जून 1997 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 64/22.01.003/97) ।
हरियाणा में शाखाएं / कार्यालय खोलने के लिए लाइसेंस हेतु आवेदन करते समय बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा वाणिज्यिक प्रयोग के लिए अनुमोदित क्षेत्रों में ही स्थित हों । इस संबंध में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण का ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।
16. केंद्रों का वर्गीकरण / पुन:वर्गीकरण
16. बैंकों को यह सूचित किया गया है कि जिन केन्द्रों के जनसंख्या समूह वर्गीकरण के बारे में वे आश्वस्त नहीं हैं उनके बारे में वे नयी शाखाएं खोलने के लिए बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग से संपर्क करने से पहले, सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग सांख्यिकी प्रभाग, सी-8/9, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, मुंबई - 400 051 से उक्त वर्गीकरण को सुनिश्चित कर लें । केंद्रों के पुन: वर्गीकरण के संबंध में कोई प्रश्न हो तो वह बैंक के प्रधान कार्यालय द्वारा परिवर्तन के समर्थन में संबंधित दस्तावेज़ों, जैसे राजपत्र की अधिसूचना, आदि सहित सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग को भेजा जाना चाहिए ।
17. शाखा बैंकिंग के संबंध में विवरणियां प्रस्तुत करना
18.1 भारत में विदेशी बैंकों का प्रवेश
विदेशी बैंकों को भारत में सिर्फ शाखाओं के माध्यम से कार्य करने की अनुमति है । भारत में अपनी पहली शाखा खोलने का इच्छुक विदेशी बैंक सुसंगत सूचना अर्थात् बैंक, उसके प्रमुख शेयरधारकों, वित्तीय स्थिति आदि के बारे में सूचना देते हुए भारतीय रिज़ॅर्व बैंक में आवेदन प्रस्तुत कर सकता है । बैंकों के अनुरोध पर निम्नलिखित को ध्यान में रखते हुए विचार किया जायेगा - i) बैंक की वित्तीय सुदृढ़ता, ii) अंतरराष्ट्रीय और स्वदेश की रैंकिंग, iii) रेटिंग, iv) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति, v) दो देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंध (विशेषत: बैंक के अपने देश द्वारा भारतीय बैंकों के विरुद्ध भेदभाव नहीं बरता जाना चाहिए ) । बैंक को अपने देश लके विनियामक के समेकित पर्यवेक्षण के अधीन होना चाहिए ।
नये विदेशी बैंक से 250 लाख अमरीकी डॉलर की न्यूनतम नियत पूंजी लाने की अपेक्षा की जाती है, जिसमें से 100 लाख अमरीकी डॉलर पहली दो शाखाओं में से प्रत्येक के खोले जाने के समय तथा शेष 50 लाख अमरीकी डॉलर तीसरी शाखा या अधिक शाखाएं खोले जाने के समय लाया जायेगा । दूसरी और बाद की शाखा खोलने की अनुमति अन्य बातों के साथ-साथ सुसंगत समय पर लागू नीति तथा पहली शाखा के कार्यनिष्पादन को ध्यान में रखते हुए दी जायेगी ।
अपेक्षित पूंजी का रखरखाव अक्षत रूप में सतत आधार पर किया जाना है तथा किसी हानि की स्थिति में, जिसके फलस्वरूप उसमें कमी हो जाये, अंतर की राशि प्रधान कार्यालय से पूंजी निधियों के रूप में तत्काल लायी जानी चाहिए । साथ ही, भारतीय संस्था से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने भारतीय परिचालनों के लिए जोखिम-भारित आस्तियों के लिए अपेक्षित प्रतिशत तक पूंजी का रखरखाव करे । शाखाएं खोलने के इच्छुक मौजूदा विदेशी बैंक अपने विशिष्ट अनुरोधों के साथ बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग अनुभाग में संपर्क कर सकते हैं ।
यह देखा गया है कि विदेशी बैंक अपने जमाकर्ताओं , उधारकर्ताओं और अन्य ग्राहकों को उचित नोटिस दिए बिना अपनी शाखाएँ बंद कर देते हैं। इससे सभी संबंधितों को असुविधा होती है जिसे टाला जा सकता है । यह सुनिश्चित करना अपेक्षित है कि ग्राहकों और अन्यों को असुविधा नहीं होती हो और शाखा बंद करने संबंधी उपयुक्त नोटिस ग्राहकों को दी जाती है
भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि बैंक अपनी कोई भी शाखा , महानगर में स्थित शाखा सहित, बंद करने का इरादा रखता हो तो उसकी सूचना रिज़र्व बैंक को पर्याप्त पहले दी जानी चाहिए। वे शाखा बंद करने के संबंध में विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्राहकों के हितों और सुविधाओं का पूरा- पूरा ध्यान रखा गया है । [ दिनांक 17 अक्तूबर 2002 का परिपत्र बैंपविवि. सं. आइ बी एस. बीसी. 32/23.03.001/2002-03]
(24 दिसंबर 1999 का परिपत्र बैंपविवि. सं. आइबीएस. बीसी. 130/23.31.006/99-2000)
विदेशी बैंक क्रेडिट काड़ संबंधी निम्नलिखित कार्यकलापों के समर्थन के लिए केन्द्रों की स्थापना करने के लिए स्वतंत्र हैं :-
- क्रेडिट कार्डों संबंधी अनुरोधों पर विचार करना और क्रेडिट काड़ जारी करना
- क्रेडिट कार्डों की प्रोसेसिंग
- चेकों द्वारा क्रेडिट काड़ का भुगतान स्वीकार करना
- भावी ग्राहकों को क्रेडिट कार्डों का विपणन
- क्रेडिट काड़ संबंधी कार्यकलाप करने के लिए उन केन्द्रों पर, जहां बैंक का कार्यालय न हो, एजेंट की सेवाओं का उपयोग
- केन्द्र के खर्च पूरे करने के लिए, न कि क्रेडिट काड़ धारकों को अदायगी के लिए, नकदी शेषों का रखरखाव ।
तथापि, इन केन्द्रों द्वारा परिचालन शुरू किये जाने के पूवर्, बैंककारी विनियमनअधिनियम, 1949 की धारा 23 के अंतर्गत भारतीय रिज़ॅर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त किया जाना चाहिए ।
(पैराग्राफ - 1.1)
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अंतर्गत कारोबार का नया स्थान खोलने अथवा कारोबार के वर्तमान स्थान को बदलने (उसी शहर, कस्बे या गाँव को छोड़कर अन्य स्थान पर) की अनुमति के लिए आवेदन पत्र - बैंककारी विनियमन (कंपनी) नियमावली, 1949, नियम 12 फार्म VI
पता ....................
दिनांक .................
..........................
बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग,
भारतीय रिज़र्व बैंक,
........................
प्रिय महोदय,
हम इसके द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अनुसार * कारोबार का नया स्थान खोलने /कारोबार के ...........................स्थित वर्तमान स्थान को ..........................से बदलकर .........................करने की अनुमति के लिए आवेदन करते हैं । हम आवश्यक सूचना इस प्रयोजन के लिए निर्दिष्ट फार्म में नीचे दे रहें हैं ।
भवदीय
हस्ताक्षर ...................
1. बैंकिंग कंपनी का नाम |
: |
2. प्रस्तावित कार्यालय @(च) 5 कि. मी. के घेरे में कार्यरत वाणिज्य बैंकों के नाम और उनके कार्यालयों की संख्या, उन केंद्रों के नाम के साथ जिनमें वे कार्यरत हों |
: |
3. पिछला आवेदन (यदि प्रस्तावित कारोबारी स्थान के संबंध में रिज़र्व बैंक को पहले कोई आवेदन प्रस्तुत किया गया हो तो उसके ब्यौरे दें) |
|
4. प्रस्तावित कार्यालय खोलने के लिए कारण : |
पण्य का नाम |
उत्पादन |
आयात |
निर्यात |
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मात्रा |
मूल्य |
मात्रा |
मूल्य |
मात्रा |
मूल्य |
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(1) |
(2) |
(3) |
(4) |
(5) |
(6) |
(7) |
(iv) यदि कृषि, खनिज अथवा औद्योगिक विकास के लिए योजनाएं हों तो उनके ब्यौरे दें तथा वर्तमान उत्पादन, आयातों और निर्यातों की मात्रा और मूल्य पर उनके संभावित प्रभावों का उल्लेख करें |
||
(v) यदि मौजूदा बैंकिंग सुविधाएं अपर्याप्त समझी जायें, तो उसके कारण बतायें |
||
(vi) संभावनाएं : प्रस्तावित कारोबार के स्थान में 12 महीने के भीतर बैंकिंग कंपनी द्वारा किये जानेवाले न्यूनतम कारोबार की अनुमानित मात्रा निम्नानुसार दर्शायें (क) जमाराशियां : रु. |
||
5. वर्तमान कार्यालय की स्थिति में परिवर्तन (उस कार्यालय की सही स्थिति बतायें, जिसे बंद करने का प्रस्ताव है तथा मद 2, 3 और 4 के अनुसार नये स्थान के ब्यौरे देते हुए उस स्थान की सही स्थिति बतायें जहां इस कार्यालय को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है) |
||
*अनुमानित वार्षिक व्यय |
||
6. व्यय : |
||
(प्रस्तावित कार्यालय के संबंध में स्टाफ, परिसर, फर्नीचर, स्टेशनरी, विज्ञापन आदि पर पहले किये जा चुके अथवा प्रस्तावित व्यय की मात्रा । साथ ही, यह भी उल्लेख करें कि 12 महीनों में प्रस्तावित कार्यालय में बैंकिंग कंपनी को न्यूनतम कितनी आय होने की आशा है) |
क) स्थापना प्रभार ख) स्टेशनरी और विविध ग) किराया और भवन घ) जमाराशियों पर अदा किया जानेवाला व्यय ङ) प्रधान कार्यालय से उधार ली गयी निधियों पर ब्याज @........% कुल अनुमानित वार्षिक आय क) अग्रिमों पर ब्याज ख) कमीशन ग) विनिमय घ) उधार दी गयी निधियों पर ब्याज प्रधान कार्यालय कुल : अनुमानित लाभ |
रु. रु. रु. रु. रु.
रु.
रु. रु. रु. रु.
रु. रु. |
7. अन्य विवरण : |
* जो भाग लागू न हो उसे काट दें ।
@ यह जानकारी उन्हीं केंद्रों के आवेदन के मामले में प्रस्तुत की जानी है जिनकी आबादी एक लाख से कम हो ।
नोट
: 1. ‘कार्यालय’ और ‘कार्यालयों’ शब्द इस फार्म में जहां कहीं भी आ रहे हैं, उनमें कारोबार का/को वह स्थान शामिल है/हैं जहां जमाराशि स्वीकार की जाती है, चेकों का भुनाया जाता है, धन उधार दिया जाता है या उक्त अधिनियम की धारा 6 की उप धारा (1) में उल्लिखित कारोबार किसी अन्य रूप में किया जाता है ।2. यदि आवेदन कारोबार के वर्तमान स्थान को बदलने के लिए है तो मद (5) का उत्तर दिया जाना चाहिए ।
3. यदि कोई बैंकिंग कंपनी किसी मद के संदर्भ में पूरे ब्यौरे देने में असमर्थ या अनिच्छुक है तो इस छूट के कारण दिये जायें ।
4. मद (2), (3), (4), (5) और (6) में पूछी गयी जानकारी उस स्थिति में प्रत्येक कार्यालय के बारे में अलग-अलग दी जाये जहां जहां आवेदन एक से अधिक कार्यालय खोलने या स्थान परिवर्तन के लिए हो ।
5. ‘प्रशासनिक कार्यालय’ के स्थान के परिवर्तन के मामले में जहां किसी बैंकिंग कारोबार का लेनदेन नहीं किया जाता है या किया जाना प्रस्तावित नहीं है (जैसे ‘पंजीकृत कार्यालय, केंद्रीय कार्यालय या प्रधान कार्यालय’) वहां पत्र के रूप में केवल एक आवेदन प्रस्तुत करना होगा जिसमें परिवर्तन के लिए कारणों का उल्लेख किया गया हो ।
विस्तार काउंटर के लिए अनुरोध के संबंध में बैंक द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले विवरण
भाग - I
1. |
बैंक का नाम |
: |
|||||||||||
2. |
जिस संस्था में विस्तार काउंटर खोला जाना है उसका नाम और डाक का पूरा पता |
: |
|||||||||||
3. |
बैंक के मूल कार्यालय का नाम और पता, जिसके साथ विस्तार काउंटर को संबद्ध कियाजाना है |
: |
|||||||||||
4. |
i) मूल कार्यालय एवं प्रस्तावित विस्तार काउंटर के बीच की दूरी ii) प्रस्तावित विस्तार काउंटर और आवेदक बैंक के निकटतम कार्यालय (विस्तार काउंटर, चल (मोबाइल) कार्यालय सैटेलाइट कार्यालय आदि सहित) के बीच की दूरी iii) प्रस्तावित विस्तार काउंटर और अन्य बैंकों *(शहरी सहकारी बैंकों सहित) के निकटतम कार्यालयों / विस्तार काउंटरों, चल कार्यालयों आदि के बीच की दूरी * काउंटर के लिए आवेदन करनेवाले बैंक से इतर |
|
i) ii) iii) |
बैंक का नाम |
कार्यालय का प्रकार |
दूरी |
|||||||
iv) परिसरों में कार्यरत कर्मचारी सहकारी ऋण |
|
||||||||||||
5. |
i) जिस संस्था में विस्तार काउंटर स्थापित किया जाना है उसके प्रधान बैंकर का नाम ii) क्या संस्था ने विस्तार काउंटर के लिए स्थान देने हेतु सहमति दे दी है? iii) क्या संस्था को संस्था के स्टाफ / कर्मचारियों / कामगारों से इतर जनता को विस्तार काउंटर के कैम्पस / परिसर के भीतर बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त करने की अनुमति देने में कोई आपत्ति है? यदि हो, तो उसके कारण |
||||||||||||
(उक्त बातों के समर्थन में आवेदन के भाग II में दिये गये निर्धारित |
|||||||||||||
6. |
(i) 5(i) में दी गयी संस्था के प्रधान बैंकर से इतर बैंकर /बैंकरों का /के नाम (ii) उक्त प्रत्येक बैंकर /बैंकरों के पास संस्था के खातों की संख्या और उनकी जमाराशियों की मात्रा |
||||||||||||
7. |
(i) संस्था के साथ विशिष्ट तौर पर संबद्ध जिस ग्राहक वर्ग की बैंकिंग आवश्यकताएं पूरी की जानी हैं उसकी संख्या और उसके प्रकार (कृपया अलग-अलग आंकड़े दें ) |
||||||||||||
स्टाफ / कामगार / छात्र/ अध्यापक /अन्य* (नामोल्लेख करें ) जोड़ ------ ------ ------ ------ ------ ======= |
|||||||||||||
(ii) अन्य सामान्य जनता आदि की अनुमानित संख्या, जिनकी जरूरतें पूरी की जानी हैं । |
======== |
||||||||||||
8. |
(क) परिचालन के दो वर्षों में काउंटर पर निम्नलिखित से प्रत्याशित जमाराशियों की मात्रा : |
पहला वर्ष खातों की संख्या |
|||||||||||
(i) संस्था के स्टाफ / कामगारों /छात्रों (ii) संस्था से |
|||||||||||||
(ख ) नकद लेनदेनों की दैनिक मात्रा |
संख्या |
राशि |
संख्या |
राशि |
|||||||||
9. |
विस्तार काउंटर खोलने के कारण |
||||||||||||
10. |
प्रस्तावित विस्तार काउंटर में किये जाने वाले लेनदेनों का स्वरूप |
||||||||||||
11. |
बैंक द्वारा देय किराया (प्रासंगिक व्ययों को छोड़कर ), यदि कोई हो, की राशि, किराये की दर और विस्तार काउंटर बनाने के लिए प्रस्तावित क्षेत्र |
||||||||||||
12. |
क्षेत्र में प्रचलित अथवा राज्य / केन्द्र सरकार द्वारा अनुमोदित वाणिज्यिक किराये की दर |
||||||||||||
13. |
3 वर्षों की अवधि के लिए प्रस्ताव की अर्थक्षमता / आर्थिक पहलुओं के संक्षिप्त परिकलन |
दिनांक : |
(हस्ताक्षर और आवेदक बैंक की मोहर ) |
जिस संस्था के परिसर में विस्तार काउंटर खोलने का प्रस्ताव है, उसके सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जानेवाली घोषणा
भाग II
दिनांक . . . . . . . . . . .
1. हमने...................................................... के परिसर में उक्त संस्था @
(संस्था का नाम और पूरा पता )
से संबद्ध निम्नलिखित वर्गों के लाभ के लिए विस्तार काउंटर खोलने के लिए ............................... ......................................... से अनुरोध किया है ।
(बैंक का नाम )
* कामगार |
................... |
|
कृपया वास्तविक संख्या अलग-अलग दर्शायें |
* स्टाफ / कर्मचारी |
................... |
||
* छात्र |
................... |
||
* अध्यापक |
.................... |
@ (जहां यह पत्र जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा एक से अधिक ऐसी संस्थाओं का प्रबंधन किया जा रहा हो, जिन्हें विस्तार काउंटर का लाभ मिलने वाला हो, उन संस्थाओं के नाम / विस्तार काउंटर के लिए प्रस्तावित स्थान से उनकी दूरी, प्रत्येक संस्था के साथ अलग-अलग संबद्ध छात्रों / स्टाफ की संख्या आदि, उनके बैंकरों के नाम और दूरी भी अलग-अलग दर्शायी जानी चाहिए)
* (जो लागू न हो उसे काट दें )
2. (क) ............................................................ हमारे प्रधान बैंकर हैं ।
(बैंक का नाम और स्थान )
हम निम्नलिखित बैंकरों (बैंकरों के नाम और संस्था से उनकी दूरी बतायें) के साथ भी लेनदेन करते हैं :
- ................................
(ख) ..................................................को प्रधान बैंकर और अन्य बैंकरों के पास
(कृपया अद्यतन स्थिति बतायें )
हमारे खातों के ब्यौरे ।
बैंक का नाम |
खाते (खातों) का प्रकार |
राशि |
1. |
||
2. |
||
3. |
||
4. |
3. हम अपनी संस्था के परिसर में विस्तार काउंटर खोलने के लिए आवश्यक स्थान प्रदान करने का वचन देते हैं (उक्त क्रम सं. 1 में उल्लिखित)
4. हमें बाहरी व्यक्तियों को विस्तार काउंटर का उपयोग करने की अनुमति देने पर कोई आपत्ति नहीं है ।
5. यदि प्रधान बैंकर से इतर बैंक को विस्तार काउंटर की अनुमति देने का प्रस्ताव हो तो उसके कारण ।
6. क्या इस प्रयोजन के लिए इसी तरह का पत्र किसी अन्य बैंकर को जारी किया गया है :
(संस्था की ओर से सक्षम प्राधिकारी का हस्ताक्षर,
पदनाम का उल्लेख करते हुए और मोहर, यदि कोई हो )
आवेदक बैंक द्वारा भरा जाये हमने पैरा 1 में संस्था द्वारा प्रस्तुत सूचना का सत्यापन कर लिया है और उसे सही पाया गया है । (हस्ताक्षर और आवेदक आवेदक बैंक द्वारा निर्धारित प्रोफार्मा में विस्तार काउंटर |
[पैराग्राफ - 17]
प्रोफार्मा - I
(नोट : प्रोफार्मा II एवं III को क्रमश: प्रोफार्मा I और II के रूप में नया नाम दिया गया है )
________________ तिमाही के दौरान खोले गये नये कार्यालय /शाखा का विवरण
(कृपया प्रोफार्मा भरने से पूर्व अनुदेशों को ध्यान से पढ़ लें )
मद
1. (क) बैंक / सहकारी संस्था का नाम :
(ख) एकसमान कूट : भाग-I (7 अंक ) :
(अनुदेश 1, 2, 3 देखें)
भाग II (7 अंक) :
(सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, के. का., भा.रि.बैं. द्वारा आबंटित किया जायेगा)
2. (क) नयी शाखा / कार्यालय का स्वरूप :
(ख) प्राधिकृत करने की संदर्भ संख्या और तारीख :
(ग) लाइसेंसं नंबर
(जो भा. रि. बैं. से प्राप्त हुआ हो ) :
(घ) लाइसेंस की तारीख :
3. नये कार्यालय / शाखा के खुलने की तारीख :
4.1. भवन का नाम व म्यूनिसिपल नंबर (यदि हो तो) :
4.2. मार्ग का नाम (यदि हो तो) :
4.3. (क) डाक घर का नाम :
(ख) डाक सूचकांक (पिन कोड) :
(ग) टेलीफोन नंबर /टेलेक्स नंबर, फैक्स नंबर
(यदि हो तो) (एसटीडी कोड सहित) :
4.4 केन्द्र के अंतर्गत मुहल्ले का नाम (स्पष्टीकरण देखें):
4.5 उस केन्द्र (राजस्व गांव/शहर/कस्बा/महानगरपालिका)
का नाम, जिसकी सीमाओं के भीतर कार्यालय स्थित
है (स्पष्टीकरण देखें ) । :
4.6 तहसील / तालुका / सब डिवीजन का नाम :
4.7 विकास खण्ड का नाम :
4.8 ज़िले का नाम :
4.9 राज्य का नाम :
5. उक्त केन्द्र की अद्यतन जनगणना के अनुसार जनसंख्या :
6. आपके कार्यालय / शाखा के अलावा क्या वहां कोई
दूसरी बैंक शाखा / शाखाएं है : हाँ : ( ) नहीं : ( )
(स्पष्टीकरण देखें और उचित बॉक्स में सही का
निशान लगायें)
7.(क) नये कार्यालय / शाखा का स्तर (स्पष्टीकरण देखें) :
कूट :- स्तर :-
(ख) क्या यह भा.रि.बैं. को विवरणी प्रस्तुत करने के लिए
अपेक्षित, प्रशासनिक रूप से एक स्वतंत्र कार्यालय /
शाखा है ? : हाँ : ( ) नहीं : ( )
(स्पष्टीकरण देखें और उचित बॉक्स में सही का
निशान लगायें)
(ग) यदि 7(ख) का जवाब ‘नहीं’ है तो निम्नलिखित
जानकारी दें :
आधार कार्यालय / शाखा का नाम :
आधार कार्यालय / शाखा की एकसमान कूट संख्याएं :
भाग-I (7 अंक) :
भाग-II(7 अंक) :
(iii) अस्थायी कार्यालय का प्रकार (अनुषंगी / विस्तार पटल / सचल कार्यालय / नकदी काउंटर)
____________________ (कार्यालय का प्रकार लिखें )
8.(i) क्या इस कार्यालय में निम्नलिखित कार्य होते हैं ? :
(क) सरकारी कारोबार ? : हाँ : ( ) नहीं : ( )
(ख) खज़ाना / उप खज़ाना संबंधी कारोबार? : हाँ : ( ) नहीं : ( )
(ii) क्या इस शाखा / कार्यालय के साथ कोई मुद्रा तिजोरी
(करेंसी चेस्ट) है ? : हाँ : ( ) नहीं : ( )
(iii) यदि ‘हाँ’ तो कृपया निम्नलिखित जानकारी दें :
(क) मुद्रा तिजोरी (करेंसी चेस्ट) का प्रकार : क ( ) ख ( ) ग ( )
(ख) मुद्रा तिजोरी (करेंसी चेस्ट)स्थापित होने की तारीख :
(ग) मुद्रा तिजोरी की कूट संख्या :
(घ) जिस क्षेत्र में मुद्रा तिजोरी स्थित है, :
उस क्षेत्र के प्रकार का उल्लेख करें
("क्षेत्र के प्रकार", कूट का वर्णन करें । स्पष्टीकरण देखें ।)
(iv) यदि ‘नहीं’ तो मुद्रा तिजोरी रखने वाली
निकटतम शाखा / कार्यालय का ब्योरा प्रस्तुत करें :
(क) बैंक का नाम : (ख) शाखा का नाम :
(ग) दूरी (कि. मी. में) (घ) केन्द्र का नाम :
क्या इस शाखा/कार्यालय के साथ कोई निक्षेपागार (रिपोजिटरी) है ? : हाँ ( ) नहीं ( )
(vi) क्या इस शाखा / कार्यालय के साथ छोटे सिक्कों का कोई डिपो है ? : हाँ ( ) नहीं ( )
(उचित बॉक्स में सही का निशान लगायें )
9. कार्यालय / शाखा द्वारा किये जाने वाले कारोबार का स्वरूप :
(स्पष्टीकरण देखें )
10. (क) कार्यालय / शाखा की प्राधिकृत व्यापारी की श्रेणी
क ( ) ख ( ) ग ( )
(उचित बॉक्स में सही का निशान लगायें )
(ख) प्राधिकृत किये जाने की तारीख :
(ग) ‘ग’ श्रेणी का कार्यालय / शाखा होने की स्थिति में
‘क’ या ‘ख’ श्रेणी के उस कार्यालय / शाखा का एकसमान
कूट लिखें, जिसके माध्यम से इसके विदेशी मुद्रा
लेनदेनों का निपटान किया जाता है :
(i) ‘क’ या ‘ख’ श्रेणी की शाखा / कार्यालय का नाम :
(ii) 10(ग)(i) पर उक्त ‘क’/‘ख’ श्रेणी की शाखा /
कार्यालय की एकसमान कूट संख्याएं
भाग-I (7 अंक) :
भाग-II (7 अंक) :
11. प्रौद्योगिकी का स्तर : कूट :
(स्पष्टीकरण देखें )
12. सॉफ्टवेयर / हाड़वेयर संचार सुविधाएं :
(स्पष्टीकरण देखें )
13. अन्य कोई विवरण :
14. केवल भा. रि. बैं. के प्रयोग के लिए
(क) प्राधिकृत व्यापारी क्षेत्र कार्यालय का कूट :
(ख) जनगणना वर्गीकरण कूट :
(ग) डाक का पूरा पता :
प्रोफार्मा - II
(नोट : प्रोफार्मा II एवं III का क्रमश: प्रोफार्मा I और II के रूप में नया नाम दिया है )
(कृपया प्रोफार्मा भरने से पूर्व सभी अनुदेशों को पढ़ लें )
बैंक / सहकारी संस्था का नाम :
(क) कार्यालय / शाखा वे स्तर / प्राधिकृत व्यापारी की श्रेणी / कारोबार के स्वरूप / डाक के पते में परिवर्तन
1. शाखा / कार्यालय का नाम :
2. एकसमान कूट (वर्तमान) : (क) भाग-I (7 अंक) :
(ख) भाग II (7 अंक) :
3. कार्यालय / शाखा का स्तर :
क) पुराना स्तर (ख) वर्तमान स्तर :
4. कार्यालय / शाखा के कारोबार का स्वरूप :
क) कारोबार का स्वरूप (पहले का ) :
ख) कारोबार का स्वरूप (वर्तमान) :
5. प्रौद्योगिकीय स्तर : कूट : _________ :
6. संचार सुविधाओं में परिवर्तन (यदि कोई हुआ हो तो) :
(हाड़वेयर / सॉफ्टवेयर)
7. कार्यालय / शाखा की प्राधिकृत व्यापारी की श्रेणी :
क) पुरानी श्रेणी (यदि हो तो ) :
ख) नयी श्रेणी (यदि श्रेणी उन्नयन / अवनयन किया :
गया हो /नया प्राधिकृत किया गया हो)
ग) श्रेणी उन्नयन / अवनयन / प्राधिकरण की तारीख :
घ) यदि वर्तमान श्रेणी ‘ग’ हो तो उस संपर्क कार्यालय /
शाखा की एकसमान कूट संख्या दें, जिसके माध्यम से
इसके लेनदेनों का निपटान किया जाता है :
भाग - I (7 अंक) : भाग - II (7 अंक) :
8. मुद्रा तिजोरी (करेंसी चेस्ट) / निक्षेपागार / सिक्का डिपो /
सरकारी कारोबार आदि (खोलने / शिफ्टिंग / रूपांतरण /
बंद करने सहित) के स्तर के संबंध में परिवर्तन का, यदि हुआ हो
तो, ब्योरा । स्थान परिवर्तन (शिफ्टिंग) /
रूपांतरण / बंद करने की स्थिति में कृपया तारीख भी दें :
क) सरकारी कारोबार :
ख) खज़ाना / उप खज़ाना संबंधी कारोबार :
ग) मुद्रा तिजोरी (करेंसी चेस्ट) :
घ) निक्षेपागार (रिपोजिटरी) :
ङ) सिक्का-डिपो :
यदि मुद्रा तिजोरी (करेंसी चेस्ट) के लिए नया प्राधिकरण प्रदान किया गया हो तो प्रोफार्मा I की
मद सं. 8(iii) तथा 8(iv) के संबंध में यहां ब्योरा दें ।
9. डाक घर का नाम (डाक घर के नाम, पिन कूट, तहसील / ब्लॉक,:
टेलीफोन नंबर एवं एस टी डी कोड सहित)
पहले का वर्तमान
10. यदि स्थान बदला गया हो तो स्थान बदलने के कारण दें :
11. यदि शाखा / कार्यालय का स्थान बदला गया हो तो :
वर्तमान केन्द्र का ब्योरा दें
क) शाखा / कार्यालय का नाम :
ख) क्षेत्र का नाम :
ग) राजस्व इकाई (केन्द्र का नाम) :
घ) तहसील / विकास खण्ड का नाम :
ङ) ज़िले का नाम :
च) राज्य का नाम :
छ) केन्द्र की जनसंख्या (अद्यतन जनगणना के अनुसार) :
12. लाइसेंस नं. एवं तारीख :
13. भा. रि. बैं., क्षेत्रीय कार्यालय _____________ द्वारा
लाइसेंस का दिनांक ______________ को समुचित
संशोधन किया गया
14. भा. रि. बैं. के अनुमोदन की संदर्भ संख्या और तारीख :
15. अन्य कोई विवरण :
ख. कार्यालय / शाखा का बंद होना / विलयन / रूपांतरण
1. विलयन / बंद करने / रूपांतरण के लिए सूचना
(उचित पर सही का निशान लगायें)
2. शाखा /कार्यालय का नाम
3. एकसमान कूट : i) भाग-I (7 अंक) :
ii) भाग-II (7 अंक) :
4. क) कार्यालय / शाखा का डाक का पता :
ख) केंद्र का नाम :
ग) जिले का नाम :
घ) राज्य का नाम :
ङ) केंद्र की जनसंख्या श्रेणी :
5. बंद होने / विलयन / रूपांतरण की तारीख :
6. भा. रि. बैं. के अनुमोदन की संदर्भ सं. और तारीख :
7. बंद होने / विलयन / रूपांतरण के कारण :
__________________________के लिए दिनांक ______________________
(बंद करने / विलयन / रूपांतरण)
8.............. को भारतीय रिज़ॅर्व बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय _______________ को लाइसेंस अभ्यर्पित किया ।
9. शाखा / कार्यालय का वर्तमान प्रकार (यदि बंद नहीं हुआ है तो) :
(अनुषंगी कार्यालय, विस्तार पटल आदि )
10. विलय करने वाले (आधार) कार्यालय / शाखा का :
विवरण (रूपांतरण / विलयन के मामले में )
क) शाखा / कार्यालय का नाम :
ख) एकसमान कूट : i) भाग-I (7 अंक ) :
ii) भाग-II (7 अंक) :
ग) डाक का पूरा पता :
नोट : 1) कार्यालय / शाखा के स्तर, कारोबार के स्वरूप आदि के स्पष्टीकरण के लिए
प्रोफार्मा I की मद सं. 7(क), 9, 11 आदि देखें ।
2) इस प्रोफार्मा में एकसमान कूट के भाग-I तथा भाग-II का उल्लेख न होने पर कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी ।
प्रोफार्मा I एवं II भरने हेतु अनुदेश
(नोट : प्रोफार्मा II एवं III को क्रमश: प्रोफार्मा I एवं II के रूप में नया नाम दिया गया है ।)
नोट : कृपया प्रोफार्मा भरने से पूर्व सभी अनुदेश पढ़ें ।
1. (क) प्रोफार्मा I नयी खुली / उन्नत की गयी बैंक शाखाओं, कार्यालयों के लिए है और प्रोफार्मा II वर्तमान बैंक शाखाओं/ कार्यालयों के स्तर / डाक के पते में परिवर्तन, उसके बंद करने / विलयन / रूपांतर / स्थान परिवर्तन आदि की सूचना देने के लिए है ।
(ख) एकसमान कूट संख्या, उन कार्यालयों / शाखाओं के लिए हैं, जो प्रशासनिक रूप से आत्मनिर्भर कार्यालय / शाखाएं हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक को अलग विवरणियां प्रस्तुत कर रही हैं [7 (ख) पर स्पष्टीकरण देखें ] ।
2. बैंक कृपया यह नोट करें कि नये खुले /वर्तमान विस्तार-पटलों /अनुषंगी कार्यालयों / प्रतिनिधि कार्यालयों /नकदी काउंटरों / निरीक्षणालयों / कलेक्शन काउंटरों / सचल कार्यालयों / स्टेंड अलोन / ए टी एम / शाखाओं से संबद्ध मुद्रा तिजोरी (करेंसी चेस्ट) / एयर पोर्ट काउंटरों / होटल काउंटरों / विनिमय (एक्सचेंज)ब्यूरो / मेला-स्थल(प्रदर्शनी) पर खोले गये अस्थायी कार्यालयेां आदि के संबंध में प्रोफार्मा I एवं II, सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग को भेजने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि ये भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किये जाने चाहिए ।
3. वे बैंक, जिन्हें अपनी नयी शाखाओं / कार्यालयों को भाग I कूट देने की अनुमति प्रदान की गयी है, प्रोफार्मा I, भारतीय रिज़र्व बैंक को अग्रेषित करते समय उपर्युक्त 1(ख) पर उल्लिखित अनुदेशों का कड़ाई से पालन करें ।
4. भाग I एवं भाग II कूट के आबंटन / भाग II कूट के संशोधन हेतु प्रोफार्मा I और II को तब तक स्वीकार नहीं किया जायेगा जब तक कि उक्त प्रोफार्मा में सभी मदें उचित रूप से भरी नहीं होंगी ।
प्रोफार्मा I में मदों का स्पष्टीकरण
मद सं. 1 (ख) |
: |
सरकारी क्षेत्र के बैंकों (भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहायक बैंक तथा राष्ट्रीयकृत बैंक) को अपनी शाखाओं / कार्यालयों को केवल भाग I कूट संख्याएं देने की अनुमति प्रदान की गयी है तथा अन्य बैंकों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक भाग I तथा भाग II दोनों ही कूट आबंटित करता है । |
मद सं. 2 (क) |
: |
शाखा / कार्यालय का नाम लिखा जाना है । |
मद सं. 2 (ख) |
: |
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आंबटन / प्राधिकृत करने के / अनुमोदन पत्र की संदर्भ संख्या और तारीख का उल्लेख किया जाए । |
मद सं. 2 (ग) |
: |
यदि पहले ही उपलब्ध हो तो लाइसेंस संख्या (भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से यथा प्राप्त) लिखी जाये अन्यथा एकसमान कूटों के साथ-साथ वह बाद में भेजा जाना चाहिए । |
मद सं. 2 (घ) |
: |
लाइसेंस की सही तारीख का, महीने और वर्ष सहित उल्लेख किया जाए । |
मद सं. 3 |
: |
खुलने की सही तारीख का, महीने और वर्ष सहित उल्लेख किया जाए । |
मद सं. 4.1से 4.3(ग) तक |
: |
उचित मद संख्या के सामने नाम / संख्या / कूट लिखे जाने हैं । |
मद सं. 4.4 |
: |
उस मुहल्ले का नाम अर्थात जहां शाखा / कार्यालय स्थित है उस स्थान की सही स्थिति का उल्लेख किया जाए । यदि शाखा /कार्यालय किसी गांव में खोली गयी / खोला गया हो तो गांव का नाम लिखा जाए । |
मद सं. 4.5 |
: |
मद सं. 4.4 पर उल्लिखित मुहल्ला जिस शहर / कस्बे नगर महा पालिका के क्षेत्राधिकार में है, उसका नाम लिखा जाए । यदि शाखा / कार्यालय किसी ऐसे गांव में खोला गया हो तो राजस्व इकाई / केन्द्र है तो उस गांव का नाम लिखा जाना है । |
टिप्पणी |
: |
यदि मद सं. 4.5 में नाम सही प्रकार से नहीं लिखा गया तो शाखा /कार्यालय का, गलत भाग II कूट के साथ गलत वर्गीकरण हो सकता है । मद संख्या 4.4 और 4.5 के सामने / पंचायत / ब्लॉक / तहसील / जिले का नाम तब तक नहीं दिखाया जाना चाहिए, जब तक कि उक्त कार्यालय / शाखा सुनिश्चित रूप में पंचायत / ब्लॉक / तहसील / जिले के मुख्यालय मे ंस्थित न हो । |
मद सं. 4.6 और 4.7 |
: |
मद सं. 4.5 के सामने उल्लिखित स्थान की तहसील / तालुका / सब डिवीजन और सामुदायिक विकास खण्ड के नाम क्रमश: मद सं. 4.6 एवं 4.7 के सामने अंकित किये जाएं । महा नगरीय शहरों के मामले में यह लागू नहीं होगा । |
मद सं. 5 |
: |
उक्त केन्द्र / राजस्व केन्द्र के (पूरी पंचायत / ब्लॉक /तहसील / जिले की नहीं ) अद्यतन जनगणना के जनसंख्या आंकड़े, जनगणना पुस्तिका / स्थानीय जनगणना प्राधिकारी / जिला कलेक्टर / तहसीलदार से प्राप्त किये जायें और इस आशय का एक प्रमाणपत्र साथ में लगाया जाए । |
मद सं. 6 |
: |
यदि उस राजस्व इकाई में, जिसकी सीमा के अंतर्गत उक्त नया कार्यालय स्थित है, किसी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक या किसी वाणिज्य / सहकारी बैंक की कोई शाखा / कार्यालय नहीं है तो ‘नहीं’ के सामने सही का निशान लगायें अन्यथा ‘हाँ’ के सामने सही का निशान लगायें । |
मद सं. 7 (क) |
: |
किसी शाखा / कार्यालय के संभावित स्तर (शाखा / कार्यालय का प्रकार) के विभिन्न प्रकारों के नाम और संबंधित कूटों की सूचियां नीचे दी जा रही हैं : |
गैर विशेषीकृत शाखा के मामले में |
प्रशासनिक कार्यालय के मामले में |
||
कूट |
स्तर |
कूट |
स्तर |
(01) |
शाखा |
(21) |
पंजीकृत कार्यालय |
(02) |
उप शाखा |
(22) |
केन्द्रीय कार्यालय |
(03) |
उप कार्यालय |
(23) |
प्रधान कार्यालय |
(04) |
वेतन कार्यालय |
(24) |
स्थानीय प्रधान कार्यालय |
(07) |
विदेश विभाग |
(25) |
क्षेत्रीय कार्यालय |
(08) |
विदेशी मुद्रा शाखा |
(26) |
एरिया कार्यालय |
(10) |
वाणिज्य शाखा |
(27) |
अंचल कार्यालय |
(11) |
लघु व्यापार विकास कार्यालय |
(28) |
प्रशासनिक कार्यालय |
(29) |
मंडल कार्यालय |
||
(30) |
जिला विकास कार्यालय |
||
(60) |
अन्य कोई शाखा |
(31) |
विकास कार्यालय |
(32) |
प्रशिक्षण केन्द्र |
||
(42) |
सेवा शाखा / समाशोधन कक्ष |
||
(61) |
कोई अन्य प्रशासनिक कार्यालय (उपर्युक्त में शामिल नहीं हों । |
विशेषीकृत शाखा के मामले में
कूट |
नाम |
|
(05) |
कृषि विकास शाखा (ए. डी. बी. ) |
|
(06) |
अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग विभाग (आइ. बी. डी.) |
|
(09) |
समुद्रपारीय शाखा |
|
(12) |
औद्योगिक वित्त शाखा (आइ.एफ. बी.) |
|
(13) |
विशेषीकृत कृषि वित्त शाखा - हाइ-टेक (एस. ए. एफ. बी. हाइ-टेक) |
|
(14) |
लघु उद्योग शाखा (एस. एस. आइ.) |
|
(15) |
पूंजी बाजार सेवा शाखा |
|
(16) |
आस्ति वसूली प्रबंधन सेवाएं (ए. आर. एम. एस.) |
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(17) |
कंपनी निकाय वित्त शाखा |
|
(18) |
अनिवासी भारतीय (एन. आर. आइ.) शाखा |
|
(19) |
आवास वित्त शाखा |
|
(20) |
पट्टेदारी वित्त शाखा |
|
(34) |
वैयक्तिक बैंकिंग सेवा शाखा |
|
(35) |
उपभोक्ता वित्त शाखा |
|
(36) |
कस्टोडियल सेवा शाखा |
|
(37) |
खज़ाना शाखा |
|
(38) |
विशेषीकृत सेवाएं शाखा |
|
(39) |
पूंजी बाजार शाखा |
|
(40) |
ऑटो-टेक शाखा |
|
(41) |
निधि अंतरण सेवा शाखा |
|
(43) |
कृषि वित्त शाखा (ए. एफ. बी.) |
|
(44) |
व्यापारी बैंकिंग शाखा |
|
(45) |
किराया खरीद और पट्टेदारी शाखा |
|
(46) |
वाणिज्य एवं वैयक्तिक बैंकिंग शाखा |
|
(47) |
विशेषीकृत वाणिज्य शाखा |
|
(48) |
कमजोर वर्गों हेतु शाखा |
|
(49) |
औद्योगिक पुर्नस्थापन शाखा |
|
(50) |
ड्राफ्ट भुगतान शाखा |
|
(52) |
संग्रहण और भुगतान सेवाएं शाखा |
|
(53) |
औद्योगिक खाते शाखा |
|
(54) |
वाणिज्य (मर्वेंटाइल) बैंकिंग शाखा |
|
(55) |
अंतरराष्ट्रीय विनिमय शाखा |
|
(62) |
कोई अन्य विशेषीकृत शाखा / कार्यालय (जो ऊपर सम्मिलित न हो ) |
|
मद सं. 7 (ख) : |
वह कार्यालय प्रशासनिक रूप से आत्मनिर्भर है, जो प्रथक् लेखा बही रखता है और / या उसे ‘‘अनुबंध’’ में विनिर्दिष्ट कोई एक या अधिक विवरणी प्रस्तुत करनी होती है, न कि वह जो ‘‘अनुदेशों की पुस्तिका-आधारभूत सांख्यिकीय विवरणी - 1 एवं 2’’ (संशोधित संस्करण - मार्च 1996) के अंतर्गत अपेक्षित विवरणी प्रस्तुत करता है । |
|
मद सं. 7 (ग) : |
यदि मद 7(ख) का जवाब ‘‘नहीं’’ में ही तो आधार कार्यालय का नाम और उसकी कूट संख्याएं लिखी जानी चाहिए । अस्थायी कार्यालय (अनुदेश (2) में उल्लिखित ) का नाम लिखा जाए । |
|
मद सं.8 (iii)(घ): |
नीचे सूची में दिये गये विकल्पों में उचित कूट दिये जाने चाहिए : |
|
कूट |
क्षेत्र का प्रकार |
|
(0) |
सामान्य क्षेत्र |
|
(1) |
सीमा क्षेत्र |
|
(2) |
अशांत क्षेत्र (उच्च जोखिम) |
|
(3) |
प्राकृतिक आपदाओं |
|
(4) |
हिमपात, तेज तूफान आदि के कारण अपर्याप्त |
|
मद सं. 9 : |
शाखा / कार्यालय द्वारा किये जा रहे कारोबार के उचित स्वरूप का (जिसकी एक सूची नीचे दी गई है ) उल्लेख किया जाए । |
कारोबार का स्वरूप
कूट |
नाम |
(0) |
केवल बैंकिंग कारोबार |
(1) |
बैंकिंग तथा विदेशी मुद्रा व्यापार |
(2) |
प्रशासन, बैंकिंग तथा विदेशी मुद्रा व्यापार |
(3) |
प्रशासन और बैंकिंग |
(4) |
प्रशासन विदेशी मुद्रा व्यापार |
(5) |
केवल विदेशी मुद्रा व्यापार |
(6) |
केवल प्रशासन / प्रशिक्षण आदि |
(7) |
अननुसूचित बैंक, जो बैंकिंग व्यवसाय कर रहे हैं |
(8) |
अन्य संस्थाएं अर्थात् थॉमस कुक (इंडिया) लिमिटेड, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक, आइ सी आइ सी आइ, भारतीय रिज़र्व बैंक, जो विदेशी मुद्रा का कार्य करते हैं । |
मद सं. 11 : |
नीचे सूची में दिए गए विकल्पों में उचित कूट का उल्लेख किया जाए : |
कूट |
प्रोद्योगिकीय स्तर |
(1) |
पूर्णत: कंप्यूटरीकृत, ए टी एम सुविधा के साथ |
(2) |
पूर्णत: कंप्यूटरीकृत, ए टी एम सुविधा के बिना |
(3) |
आंशिक रूप से कंप्यूटरीकृत |
(4) |
अभी कंप्यूटरीकृत नहीं |
(5) |
स्टेंड-एलोन ए टी एम |
मद सं. 12 : |
यदि कार्यालय / शाखा में संचार हाड़वेयर तथा सॉफ्टवेयर लगाए गए हों तो उनके संबंध में विस्तृत विवरण दिया जाना है । (उदाहरणार्थ : आर बी आइ नेट, निकनेट, वीसेट, मेनफ्रेम आदि) |
टिप्पण : |
प्रोफार्मा I तथा II के संबंध में और अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित से संपर्क करें या लिखें : |
निदेशक फैक्स : (022) 644 1707 |
इस मास्टर परिपत्र द्वारा समेकित किए गए परिपत्रों की सूची
सं. |
परिपत्र सं. |
तारीख |
विषय |
1. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी.23/22.01.001/2003 |
11.09.2003 |
विस्तार पटल (एक्सटेंशन काउंटर) पर डिपोजिटरी सेवाएं देना |
2. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 13/22.01.001/2003 |
18.08.2003 |
बैंक शाखाओं का अभिग्रहण (टेक ओवर) |
3. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी.5/22.01.001/2003 |
23.07.2003 |
ए टी एम के जरिए निधियों का तीसरी पार्टी को अंतरण |
4. |
बैंपविवि. सं. आइबीएस. बीसी. 32/23.03.001/2002-2003 |
17.10.2002 |
विदेशी बैंकों की शाखाएं बंद करना |
5. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 74/22.01.001/2002 |
11.03.2002 |
सामान्य बैंकिंग शाखाओं को विशेषीकृत लघु उद्योगशाखाओं में परिवर्तित किया जाना |
6. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 62/22.01.001/2002 |
28.01.2002 |
ए टी एम नेटवर्क पर तीसरी पार्टी के विज्ञापन |
7. |
बैंपविवि. सं. बीएल.बीसी. 23 / 22.01.001/2000-01 |
12.09.2000 |
शाखाओं / विस्तार काउंटरों आदि का खोलना / स्थान परिवर्तन- लाइसेंस को पहले ही प्राप्त करना |
8. |
बैंपविवि.बीसी. सं. 127/ 12.05.005/99-2000 |
30.11.1999 |
बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत विवरणियों का यौक्तिकीकरण । |
9. |
बैंपविवि. सं. बीएल.बीसी. 74/ 22.01.001/98 |
29.071998 |
ब्लॉक / सेवा क्षेत्र के बाहर ग्रामीण शाखाओं को शिफ्ट करना और ग्रामीण शाखाओं को बंद करना । |
10. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी.115 / 22.06.001/97 |
21.10.1997 |
शाखा बैंकिंग सांख्यिकी-मासिक विवरणियां प्रस्तुत करना - प्रोफार्मा II और III का संशोधन |
11. |
बैंपविवि. सं. बीएल.बीसी. 64/ 22.01.003/97 |
05.06.1997 |
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाणिज्य बैंकों के कार्यालय खोलना - दिल्ली विकास प्राधिकरण (डी डी ए) से अनापत्ति प्रमाणपत्र । |
12. |
बैंपविवि. सं. बीएल.बीसी. 76/ 22.01.001/96 |
17.06.1996 |
बैंपविवि. के क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रशासनिक अधिकारों का प्रत्यायोजन । |
13. |
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 60/ 21.03.051/96 |
16.05.1996 |
स्वचालित टेलर मशीनें (ए टी एम)। |
14. |
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 123/ 21.03.051/95 |
16.10.1995 |
स्वचालित टेलर मशीनें (ए टी एम) । |
15. |
बैंपविवि. सं. बीपी.बीसी. 152/ 21.03.051/94 |
29.12.1994 |
स्वचालित टेलर मशीनें । |
16. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 152/ 22.01.001/93 |
24.08.1993 |
बैंक शाखाओं का खोलना / बंद करना । |
17. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 41/ 22.01.001/92 |
09.10.1992 |
कार्यालयों के स्थान परिवर्तन, कारोबार के अलग करने आदि के लिए बैंकों को प्राधिकारों का प्रत्यायोजन । |
18. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132/ 22.01.001/92 |
20.05.1992 |
कार्यालयों के स्थान परिवर्तन, नियंत्रण कार्यालयों के खोलने, कारोबार के अलग करने आदि के लिए बैंकों को प्राधिकार का प्रत्यायोजन । |
19. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 24/बीएल.66/91 |
06.09.1991 |
केरल में कार्यालयों / शाखाओं के नामों में परिवर्तन |
20. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 132/ सी. 168 (एम)-91 |
11.06.1991 |
विशेषीकृत आवास वित्त शाखाओं का खोलना । |
21. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 81/ सी 168 (64 डी)-91 |
16.02.1991 |
बैंक शाखाओं का खोलना और बंद करना |
22. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 68/ सी 168 (64 डी)-91 |
16.01.1991 |
भविष्य में शाखा विस्तार के प्रति दृष्टिकोण |
23. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 16/ सी 168 (64डी-90 |
12.09.1990 |
- वही - |
24. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 72/ सी 168 (64डी)- 87 |
14.12.1987 |
शाखा लाइसेंसिंग नीति 1985-90 - अनुषंगी / सचल शाखाओं की स्थापना । |
25. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 86/ सी 168 -84 |
21.08.1984 |
स्थान / मार्ग आदि के नाम में हुए परिवर्तन के कारण शाखा के नाम में परिवर्तन |
26. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 147/ सी 168-78 |
20.10.1978 |
बैंकों की शाखाओं के नाम में परिवर्तन
|
27. |
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 99/ सी. 168-68 |
19.11.1968 |
सचल कार्यालयों का खोलना |