बड़े ऋणों से संबंधित सूचनाओं की सेंट्रल रिपोजीटरी (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
बड़े ऋणों से संबंधित सूचनाओं की सेंट्रल रिपोजीटरी (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन
भारिबैं/2013-14/492 13 फरवरी, 2014 अध्यक्ष /अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक/ महोदय , बड़े ऋणों से संबंधित सूचनाओं की सेंट्रल रिपोजीटरी (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन कृपया 11 सितंबर 2013 के पत्र DBS.Dir.OSMOS.No.3327/33.01.001/2013-14 और उसके साथ बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के अधिनियम के खंड 27(2) के अंतर्गत जारी निर्देश का संदर्भ करें जिसमें बड़े उधारकर्ताओं (100 मिलियन और उससे अधिक) के संबंध में पहले के फार्म ए विवरण को बड़े ऋण पर मांगी गई तिमाही ऑफ-साइट विवरणी में समेकित करते हुए “ समस्त बैंकों में बड़े कॉमन एक्स्पोसर की सेंट्रल रिपोजीटरी” को शुरू किया गया है । तत्पश्चात, बैंकों ने सितंबर 2013 को समाप्त तिमाही हेतु संशोधित विवरणी प्रस्तुत की है । बाद में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने 30 जनवरी, 2014 को “ वित्तीय संकटग्रस्तता की शुरू में ही पहचान, समाधान हेतु तत्काल उपाय और उधारदाताओं हेतु उचित वसूली : अर्थव्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने हेतु रूपरेखा” पर अंतिम दिशा-निर्देश जारी किया है जो 01 अप्रैल, 2014 से पूर्ण रूप से प्रभावी होगा। दिशा-निर्देश अन्य बातों के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सीआरआईएलसी के गठन करने पर बल देता है जिसका उद्देश्य क्रेडिट डाटा को एकत्र करना, संचय करना और बैंको को परिचालित करना है। 2. दिशानिर्देशों के पैरा 1.4 के अनुसार, रूप-रेखा 01 अप्रैल, 2014 से पूर्ण रूप से प्रभावी हो जाएगी। अतः प्रभावी रूप से रूप रेखा कार्यान्वित करने हेतु, बैंक आवश्यक प्रणाली और इन्फ्रास्ट्रक्चर को नियत तारीख से पहले अवश्य तैयार लें, इसके साथ-साथ सही आउटपुट के लिए आवश्यक जाँच भी कर लें। इस दौरान हम सूचित करते हैं कि दिसंबर 2013 को समाप्त तिमाही हेतु विवरणी का रिपोर्टिग फार्मेट संशोधनाधीन है। नए मदों पर विवरणात्मक फुटनोट के संबंध में संशोधित फार्मेट के साथ-साथ विशेष उल्लेखनीय खाता 2 (एसएमए-2) दिनांक 30 जनवरी, 2014 के हमारे ई-मेल द्वारा बैंको को प्रेषित किया गया था। विवरणी का संशोधित फॉर्मेट संलग्न है। उपर्युक्त विषय पर पिछले पत्राचारों के अलावा और अंतिम दिशानिर्देशों के दृष्टिगत, अब यह सूचित किया जाता है कि : 2.1 दिसंबर 2013 को समाप्त तिमाही हेतु विवरणी की प्रस्तुती जैसा कि आपको ज्ञात है, दिसंबर 2013 को समाप्त तिमाही हेतु डाटा प्रस्तुति को 16 जनवरी, 2014 के ई-मेल के द्वारा रोका गया है चूँकि अर्थव्यवस्था के संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने हेतु चर्चा-पत्र के दृष्टिगत नए आँकड़ों की आवश्यकताओं को शामिल करने के लिए एक्सबीआरएल इन्स्टालर संशोधनाधीन है। बैंक को यह भी सूचित किया जाता है कि आँकड़ों के साथ-साथ नए आंकड़ों के तत्वों को अल्प समय में शामिल करने के लिए तैयार रहें। दिसंबर 2013 हेतु प्रस्तुत किए जाने वाले आंकड़ों के लिए संशोधित एक्सबीआरएल इन्स्टालर सुरक्षित सर्वर पर 14 फरवरी, 2014 से उपलब्ध होगा। बैंको को सूचित किया जाता है कि दिसंबर 2013 को समाप्त तिमाही हेतु विवरणी नए इन्स्टालर को लागू होने के 10 कार्य दिवसों के भीतर अर्थात 26 फरवरी, 2014 तक प्रस्तुत करें। 2.2 बड़े एक्स्पोशर की रिपोर्टिंग हेतु प्रारम्भिक सीमा बैंकों को दिशानिर्देश है कि वे अपने वैसे उधारकर्ताओं जिनका निधि-आधारित और गैर-निधि आधारित कुल एक्स्पोशर 50 मिलियन रुपए या उससे अधिक है, से संबंधित क्रेडिट सूचनाओं को सीआरआईएलसी को प्रस्तुत करें। वर्तमान में विवरणी में बड़े ऋणों की रिपोर्टिंग के लिए प्रारम्भिक सीमा 100 मिलियन रुपए या उससे अधिक है। 50 मिलियन रुपए या उससे अधिक के एक्स्पोशर को पता लगाने के लिए पैन मास्टर का संशोधन किया जाना अपेक्षित है। ओसमोस प्रभाग सभी बैंको जिनके वैसे उधारकर्ताओं जिनका निधि-आधारित और / अथवा गैर-निधि आधारित कुल एक्स्पोशर 50 मिलियन रुपए या उससे अधिक है, के पैन के ब्योरे को प्राप्त करने के लिए संपर्क करेगा। अतः बैंको को सूचित किया जाता है कि वे आय कर अभिलेखों से पूर्ण अभिप्रमाणित सही पैन ब्योरे के लिए तैयार रहें। नई रिपोर्टिंग प्रारंभिक राशि जून 2014 को समाप्त तिमाही से लागू होगी। 2.3 एसएमए-2 खातों की रिपोर्टिंग बैंकों को दिशानिर्देश है कि वे, बाकी के साथ, उधारकर्ता की एसएमए स्थिति सीआरआईएलसी को सूचित करे। बैंकों को एसएमए-2 खातों की सूचना प्रदान करने के परिपेक्ष में, संशोधित एक्सबीआरएल इन्स्टालर में दो शीटें होंगी – तिमाही के आधार पर नियमित रिपोर्टिंग के लिए शीट 1 और एसएमए-2 खातों की रिपोर्टिंग के लिए शीट 2। शीट 2 की आवृति तटस्थ होगी अर्थात जब भी बैंक उधारकर्ता को एसएमए-2 के रूप में सूचित करना चाहेगा, इस शीट को एक्सेस कर पाएगा। चुकि संयुक्त उधारदाता फोरम (जेएलएफ़) का सृजन तथा सही कार्रवाई योजना (सीएपी) हेतु प्रणाली सीआरआईएलएस को एसएमए-2 की दी गई सूचना के आधार पर पूर्ण रूप से निर्भर है, इसलिए बैंकों को उचित एमआईएस एवं रिपोर्टिंग सिस्टम को प्रस्तुत करना आवश्यक है ताकि वे एसएमए 2 श्रेणी के खातों को सीआरआईएलसी को 61वें दिन स्वयं सूचित कर सकें। एसएमए-2 हेतु नए शुरू किए गए दूसरी शीट को 01 अप्रैल, 2014 से एक्सेस किया जा सकता है। 2.4 चालू खाता शेष की रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों के अंतर्गत, बैंकों से अपेक्षित है कि वे अपने उन ग्राहकों की सूचना दें जिनका चालू खाता शेष (डेबिट अथवा क्रेडिट) का बकाया 10 मिलियन रुपए या उससे अधिक हो । इस संदर्भ में, यह स्पष्ट किया जाता है कि विवरणी में रिपोर्टिंग के प्रयोजन हेतु बैंकों को वैसे किसी भी ग्राहकों के चालू खाता शेष के बकाया को सूचित करना चाहिए जिनके नाम विवरणी के पैन मास्टर में प्रदर्शित हो, चाहे वह वास्तव में बैंक से कोई एक्सपोजर (निधि आधारित और / अथवा गैर-निधि आधारित) लिया हो या नहीं। यह पुन: दोहराया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक को आँकड़े प्रस्तुत करते समय सभी बैंक आँकड़े की शुद्धता एवं सत्यनिष्ठा के प्रति अत्यंत सावधानी बरतें, अन्यथा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। (पी. आर. रवि मोहन) संलग्नक : यथोक्त |