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संपार्श्विक मुक्त ऋण - माइक्रो और छोटे उद्यम

आरबीआई / 2008-09/352
ग्राआऋवि.एसएमइ एण्ड एनएफएस.बीसी. सं. 84ए/06.02.31(पी)/2008-09

 
20 जनवरी 2009
 

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों सहित)                  

 

प्रिय महोदय,

 

संपार्श्विक मुक्त ऋण - माइक्रो और छोटे उद्यम

 

जैसा कि आपको विदित है, लघु उद्योग क्षेत्र को ऋण प्रदान करने की प्रणाली में सुधार लाने और क्रियाविधि को सरल बनाने के लिए सुझाव देने हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा नियुक्त उच्च स्तरीय समिति (अध्यक्ष: श्री एस.एल.कपूर) ने अन्य बातों के साथ-साथ, यह सुझाव दिया है कि संपार्श्विक जमानत / थर्ड पार्टी गारंटी पर छूट की सीमा को 25,000/- रुपए से बढ़ाकर एक लाख रूपए कर दिया जाए। तद्नुसार, छूट की सीमा को 25,000/- रुपए से बढ़ाकर एक लाख रूपए कर देने के संबंध में बैंकों को 5 अक्तूबर 1999 को सूचित किया गया था।

2. टाइनी क्षेत्र के लिए छूट की इस सीमा को हमारे दिनांक 3 मार्च 2000 के परिपत्र ग्राआऋवि. पीएलएनएफएस/सं.बीसी.65/06.02.31/99-2000 के अनुसार एक लाख रूपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया था। बाद में, 23 जनवरी 2002 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. पीएलएनएफएस.बीसी.सं. 58/06.02.80/2001-02 के अनुसार 5 लाख रूपए तक के संपार्श्विक मुक्त ऋण का लाभ सभी लघु उद्योग इकाइयों को भी प्रदान किया गया।

3. बैंकों को 21 सितंबर 2007 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.सं. 3068/ 06.02.31/2007-08 द्वारा यह सूचित किया गया था कि वे 5 लाख रुपए तक के संपार्श्विक मुक्त ऋण का लाभ एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 में परिभाषितानुसार एमएसई क्षेत्र (विनिर्माण और सेवा उद्यम दोनों) की इकाइयों को मंजूर नए ऋणों को भी दें।

 

4. उक्त अनुदेशों के बावजूद, हमें विभिन्न व्यक्तियों , संस्थाओं आदि से अभ्यावेदन प्राप्त हो रहे हैं कि माइक्रो और छोटे उद्यमों से 5 लाख रुपए तक के ऋणों के लिए भी संपार्श्विक जमानत मांगी जा रही है।

5. अत: हम पुन: दोहराते हैं कि बैंक 5 लाख रुपए तक संपार्श्विक मुक्त ऋण का लाभ एमएसई क्षेत्र (विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों) के नए ऋणों को भी दें।

6. आप कृपया आवश्यक कार्रवाई करें और इस संबंध में अपनी शाखाओं / नियंत्रक कार्यालयों को अनुदेश जारी करें।

7. कृपया प्राप्ति सूचना दें ।

 
 

भवदीय

 

(बी.पी.विजयेद्र )
मुख्य महाप्रबंधक

 

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