जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक लेनदेन - पण्य बचाव व्यवस्था (हेजिंग) - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक लेनदेन - पण्य बचाव व्यवस्था (हेजिंग)
आरबीआइ/2007-08/180
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.17
नवंबर 6, 2007
सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक लेनदेन - पण्य बचाव व्यवस्था (हेजिंग)
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 25/आरबी-2000 के विनियम 6, जुलाई 23, 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 और मई 31, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.66 की ओर आकर्षित किया जाता है। वर्तमान में भारत में निवासियों को अपने पण्य मूल्य जोखिम की बचाव व्यवस्था के लिए रिज़र्व बैंक अथवा इस उद्देश्य के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत चुनिन्दा प्राधिकृत व्यापारियों से विशिष्ट अनुमोदन प्राप्त करने के बाद बचाव व्यवस्था की अनुमति दी जाती है।
2. वैश्विक तेल मूल्यों में अस्थिरता को देखते हुए देशी तेल परिष्करण और विपणन कंपनयें ने अपने मार्जिन पर प्रतिकूल मूल्य घट-बढ़ के प्रभाव को अनुकूल बनाने के लिए स्टाक और अंतरराष्ट्रीय मण्डियों/ बाज़ारों में पण्य मूल्य जोखिम के बचाव व्यवस्था की अनुमति के लिए रिज़र्व बैंक को अभिवेदन प्रस्तुत किया है।
3. वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीतिगत वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा (पैरा 135) में की गई घोषणा के अनुसार यह निर्णय लिया गया है कि देशी तेल विपणन और परिष्करण कंपनियों को पिछले तिमाही के पूर्व की तिमाही की मात्रा के आधार पर उनके स्टॉक के 50 प्रतिशत तक उनके पण्य मूल्य जोखिम के बचाव व्यवस्था की अुनमति दी जाए। बचाव व्यवस्था उस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के माध्यम से की जाए जिसे जुलाई 23, 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 के अनुसार रिज़र्व बैंक ने प्राधिकृत किया है। बचाव व्यवस्था, ओवर दि काउंटर/विदेश में मंडियों में व्यापारित डेरिवेटिव्स, जिनका टेनोर अधिकतम एक वर्ष वायदा तक सीमित है, का प्रयोग करके किया जाए।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक सुनिश्चित करें कि अपने एक्सपोज़र की बचाव व्यवस्था करनेवाली कंपनियों के पास उनके बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियां हैं जो समग्र रूपरेखा, जिसके अंदर डेरिवेटिव्स कार्यकलाप किए जाने हैं और शामिल जोखिम को परिभाषित करती है। प्राधिकृत व्यापारी बैक इस सुविधा को यह सुनिश्चित करने के बाद ही अनुमोदित करें कि विशिष्ट कार्यकलाप के लिए (अर्थात् माल के बचाव व्यवस्था) और ओवर-दि-काउंटर बाज़ार में कारोबार के लिए भी विशिष्ट अनुमोदन प्राप्त किया गया है। बोर्ड का अनुमोदन स्पष्ट रूप से मार्क्ड टु मार्केट नीति ओवर-दि-काउंटर डेरिवेटिव्स के लिए अनुमत प्रतिपक्ष, आदि को अवश्य शामिल करे। कंपनियां अर्ध-वार्षिक आधार पर बोर्ड के समक्ष ओवर-दि-काउंटर लेनदेनों की सूची अवश्य प्रस्तुत करें जो इस योजना के तहत बचाव व्यवस्था की सुविधा को जारी रखने की अनुमति प्रदान करने के पहले प्राधिकृत व्यापारी द्वारा अवश्य प्रमाणित किए गए हों। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक ग्राहक के बचाव व्यवस्था कार्यकलाप के "उपयोगकर्ता की अनुकूलता" और "उपयुक्तता" के संबंध में पर्यात कर्मनिष्ठता का अनुपालन करें।
5. जुलाई 23, 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.03 के सभी अन्य शर्तों और मार्गदर्शी सिद्धांतों का पालन किया जाए। सभी लेनदेन नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक के माध्यम से ही किए जाएं।
6. प्रत्यायोजित अधिकार के तहत कवर न किए गए बचाव व्यवस्था लेनदेन करने के लिए ग्राहकों से प्राप्त आवेदन, अनुमोदन के लिए पहले की तरह प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंकों द्वारा रिज़र्व बैंक को भेजे जाएं।
7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक