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डेरिवेटि‍व पर परि‍पूर्ण दि‍शानि‍र्देश : परि‍वर्तन

भारि‍बैं/2011-12/136
बैंपवि‍वि‍. सं. बीपी. बीसी.27 /21.04.157/2011-12

2 अगस्त 2011
11 श्रावण 1933 (शक)

अध्यक्ष एवं प्रबंध नि‍देशक/मुख्य कार्यपालक अधि‍कारी
सभी अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)
अखि‍ल भारतीय मीयादी ऋण देनेवाली एवं
पुनर्वि‍त्त प्रदान करनेवाली संस्थाएं एवं प्राथमि‍क व्यापारी

महोदय

डेरिवेटि‍व पर परि‍पूर्ण दि‍शानि‍र्देश : परि‍वर्तन

कृपया डेरि‍वेटि‍व पर परि‍पूर्ण दि‍शानि‍र्देश के संबंध में 20 अप्रैल 2007 का हमारा परि‍पत्र बैंपवि‍वि‍. सं. बीपी. बीसी. 86/21.04.157/2006-07 देखें । उपयोगकर्ता को डेरि‍वेटि‍व उत्पाद ऑफर करने के संबंध में उक्त परि‍पत्र के पैरा 8.3 में वर्णि‍त उपयुक्तता और औचि‍त्य संबंधी नीति‍ की समीक्षा पि‍छले चार वर्षों के दौरान दि‍शानि‍र्देशों के कार्यान्वयन में प्राप्त अनुभवों के परि‍प्रेक्ष्य में की गयी है । संशोधि‍त दि‍शानि‍र्देश अनुबंध में दि‍ये गये हैं (परि‍वर्तनों को मोटे और ति‍रछे अक्षरों  में दर्शाया गया है)।

भवदीय

(दीपक सिंघल)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

8.3   उपयुक्तता और औचि‍त्य नीति‍

डेरि‍वेटि‍व बाज़ार की तेज वृद्धि‍, वि‍शेषत: स्ट्रक्चर्ड डेरि‍वेटि‍व की तेज वृद्धि‍ ने मार्केट मेकर्स द्वारा ग्राहकों (यूजर्स) को दि‍ये जा रहे डेरि‍वेटि‍व उत्पादों की `उपयुक्तता' तथा `औचि‍त्य' तथा ग्राहक औचि‍त्य पर ध्यान बढ़ा दि‍या है । मार्केट-मेकर्स को वि‍शेषत: ग्रांहकों के साथ कि‍ए जानेवाले डेरि‍वेटि‍व लेनदेन जि‍म्मेदारी तथा सावधानी पूर्वक करने चाहि‍ए जि‍ससे अन्य बातों के साथ-साथ गलत बि‍क्री से बचा जा सकेगा । यह अनि‍वार्य है कि‍ मार्केट मेकर्स सामान्यत: डेरि‍वेटि‍व उत्पाद  और वि‍शेषत: स्ट्रक्चर्ड उत्पाद  केवल उन यूजर्स को दें जो इन लेनदेन में अतर्नि‍हि‍त जोखि‍म के स्वरूप को समझते हों और इसके साथ ही यह भी कि‍ प्रस्तावि‍त उत्पाद यूजर के व्यवसाय, वि‍त्तीय परि‍चालनों, कुशलता तथा अत्याधुनि‍कता, आंतरि‍क नीति‍यों तथा जोखि‍म लेने की प्रवृत्ति‍ से अनुरूप हैं । प्रारंभि‍क स्तर पर यूजर्स की संवि‍दाओं के अंतर्गत जोखि‍म तथा भावी बाध्यताओं की कम समझ से संभाव्य वि‍वाद हो सकते हैं तथा उसके परि‍णामस्वरूप मार्केट-मेकर्स की प्रति‍ष्ठा को क्षति‍ पहुंच सकती है । प्रति‍ पार्टी यदि‍ संवि‍दा के अंतर्गत अपनी वि‍त्तीय बाध्यताएं पूर्ण न कर पाए तो मार्केट मेकर्स को ऋण जोखि‍म का भी सामना करना पड़ सकता है । 

यूजर्स को डेरि‍वेटि‍व उत्पाद प्रस्तुत करने से पूर्व मार्केट मेकर्स को उत्पादों की `यूजर औचि‍त्य' तथा `उपयुक्तता' के संबंध में उचि‍त सावधानी बरतनी चाहि‍ए । प्रत्येक मार्केट मेकर को डेरि‍वेटि‍व व्यवसाय के लि‍ए बोर्ड द्वारा अनुमोदि‍त `ग्राहक औचि‍त्य तथा उपयुक्तता नीति‍' अपनानी चाहि‍ए ।

नीति‍ का लक्ष्य वि‍वेकपूर्ण स्वरूप का है : अर्थात् डेरि‍वेटि‍व लेनदेन के स्वरूप तथा जोखि‍म के संबंध में यूजर की अपर्याप्त समझ के कारण जो ऋण, प्रति‍ष्ठा तथा मुकदमेबाजी जोखि‍म उठ सकते हैं उनसे मार्केट मेकर को बचाना । सामान्यत: मार्केट मेकर्स को ऐसे यूजर्स के साथ डेरिवेटिलेनदेन नहीं करने चाहिअथवा उन्हें स्ट्रक्चर्ड उत्पाद नहीं बेचने चाहिजिनके पास जोखिप्रबंधन के संबंध में ऐसी सुप्रलेखिनीतियां नहीं हैं जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ जोखिकी पहचान, प्रबंधन और नियंत्रण के संबंध में दिशानिर्देश रहते हैं।  इसके साथ ही स्ट्रक्चर्ड उत्पाद केवल उन यूजर्स को बेचे जाएं जो कि‍ लेखांकन तथा प्रकटीकरण के वि‍वेकपूर्ण मानदंडों का पालन करते हैं तथा जो कि‍ इन उत्पादों के बाज़ार दर पर मूल्यांकन की स्थि‍ति‍ नि‍रंतर आधार पर सुनि‍श्चि‍त करने की क्षमता रखते हैं । स्ट्रक्चर्ड उत्पादों की बि‍क्री करते समय बि‍क्री करनेवाले बैंकों को केलक्युलेटर उपलब्ध कराना चाहि‍ए अथवा कम-से-कम केलक्युलेटर तक पहुंच (जैसे मार्केट मेकर की वेबसाइट पर) देनी चाहि‍ए जि‍ससे यूजर्स नि‍रंतर आधार पर इन स्ट्रक्चर्ड उत्पादों का बाज़ार दर पर मूल्यांकन कर सकेंगे ।

ग्राहकों को डेरि‍वेटि‍व उत्पाद ऑफर करने के पहले, बैंकों को संबंधि‍त कंपनी के बोर्ड से एक संकल्प प्राप्त करना चाहि‍ए जि‍समें कंपनी के संबंधि‍त प्राधि‍कारी को कंपनी की ओर से डेरि‍वेटि‍व लेनदेन करने के लि‍ए प्राधि‍कृत कि‍या गया हो । कंपनी द्वारा प्रसतुत बोर्ड संकल्प :

क) ऐसी व्यक्ति‍ द्वारा हस्ताक्षरि‍त होना चाहि‍ए जि‍से लेनदेन करने के लि‍ए प्राधि‍कृत नहीं कि‍या गया है;
ख) इसमें उन उत्पादों का वि‍नि‍र्दि‍ष्ट रूप से उल्लेख होना चाहि‍ए जि‍नमें लेनदेन कि‍या जा सकता है;
ग) आइएसडीए और इसी प्रकार के करारों पर हस्ताक्षर करने के लि‍ए प्राधि‍कृत व्यक्ति‍(यों) के नाम का उल्लेख होना चाहि‍ए;
घ) कि‍सी व्यक्ति‍ को दी गयी सीमा का स्पष्ट उल्लेख होना चाहि‍ए; और
ङ) ऐसे व्यक्ति‍यों के नाम दि‍ये जाने चाहि‍ए जि‍न्हें बैंक लेनदेन की रि‍पोर्ट करेगा । ये कार्मि‍क उनसे अलग होंगे जि‍न्हें लेनदेन करने के लि‍ए प्राधि‍कृत कि‍या गया है ।

यूजर के साथ डेरि‍वेटि‍व लेनदेन करते समय अथवा उसे स्ट्रक्चर्ड डेरि‍वेटि‍व उत्पाद बेचते समय मार्केट मेकर को नि‍म्नलि‍खि‍त कार्य करना चाहि‍ए :

क) यह प्रलेखि‍त करना चाहि‍ए कि‍ मूल्य नि‍र्धारण कि‍स तरह कि‍या गया है तथा आवधि‍क मूल्यांकन कैसे कि‍या जाएगा । स्ट्रक्चर्ड उत्पादों के मामले में, इस दस्तावेज में उत्पाद के जेनरि‍क तत्वों का वि‍श्लेषण होना चाहि‍ए ताकि‍ एक ओर उसकी स्वीकार्यता दर्शाई जाए तथा दूसरी ओर उसकी कीमत तथा आवधि‍क मूल्यांकन सि‍द्धांत स्पष्ट हों । कोई भी बैंक उस उत्पाद में बाजार निर्माता नहीं बन सकता जिसमें वह स्वतंत्र रूप से मूल्य निर्धारण कर सके यह उन सौदों पर भी लागू होगा जो बैक-टु-बैक आधार पर किये जाते हैं इसी प्रकार भारत में परिचालन करने वाले विदेशी बैंक खास उत्पादों के बाजार निर्माता तभी बन सकते हैं जब भारत में स्थानीय रूप से उन उत्पादों का मूल्य निर्धारण करने की उनके पास क्षमता हो ऐसे उत्पादों का मूल्य निर्धारण सब समय स्थानीय रूप से दर्शाया जाना चाहिए, खास कर जब भी भारतीय रिज़र्व बैंक इस प्रकार का प्रमाण मांगे  यूजर के साथ नि‍म्नलि‍खि‍त जानकारी बांटी जाए :

  1.   लेनदेन का वर्णन

  2.   लेनदेन के बि‍ल्डिंग ब्लॉक्स

  3. उचि‍त जोखि‍म प्रकटीकरणों सहि‍त तर्काधार

  4. संवेदनशीलता वि‍श्लेषण जि‍समें उत्पादन पर असर डालनेवाले वि‍भि‍न्न बाज़ार        मानदंडों को नि‍र्धारि‍त कि‍या गया हो ।

  5. संभाव्य लाभ तथा हानि‍ को दर्शाने वाला सि‍नारि‍यो एनालि‍सि‍स

ख) प्रस्तावि‍त डेरि‍वेटि‍व लेनदेन के यूजर पर प्रत्याशि‍त प्रभाव का वि‍श्लेषण करना ।

ग) यह सुनि‍श्चि‍त करना कि‍ क्या यूजर के पास डेरि‍वेटि‍व लेनदेन करने के लि‍ए उचि‍त प्राधि‍कार है तथा क्या यूजर के बोर्ड ज्ञापन/नीति‍, डेरि‍वेटि‍व लेनदेन के अनुमोदन के स्तर, नि‍र्णय लेने में तथा उसके द्वारा कि‍ए गए डेरि‍वेटि‍व कार्यकलापों की नि‍गरानी में वरि‍ष्ठ प्रबंधन के सहभाग के अनुसार डेरि‍वेटि‍व के वि‍शि‍ष्ट प्रकारों के प्रयोग पर कोई सीमाएं हैं ।

घ) यह नि‍र्धारि‍त करें कि‍ क्या प्रस्तावि‍त लेनदेन डेरि‍वेटि‍व लेनदेन के संबंध में यूजर की नीति‍यों तथा क्रि‍यावि‍धि‍यों से अनुरूप हैं क्योंकि‍ वे मार्केट मेकर को पता होती हैं ।

ङ) यह सुनि‍श्चि‍त करें कि‍ संवि‍दा की शर्तें स्पष्ट हैं और मूल्यांकन करें कि‍ क्या यूजर संवि‍दा की शर्तें समझने के लि‍ए तथा संवि‍दा के अंतर्गत अपनी बाध्यताओं को पूर्ण करने के लि‍ए सक्षम है ।

च) जहां मार्केट-मेकर को ऐसा लगता है कि‍ कोई प्रस्तावि‍त डेरि‍वेटि‍व लेनदेन ग्राहक के लि‍ए उचि‍त नहीं है वहां मार्केट-मेकर को ग्राहक को अपनी राय से अवगत कराना चाहि‍ए । यदि‍ ग्राहक फि‍र भी आगे बढ़ना चाहता है तो मार्केट मेकर को अपना वि‍श्लेषण तथा ग्राहक के साथ हुई चर्चाओं को अपनी फाइलों में प्रलेखि‍त करना चाहि‍ए ताकि‍ लेनदेन से ग्राहक का नुकसान होने की स्थि‍ति‍ में मुकदमे की संभाव्यता कम हो । ऐसे लेनदेन के लि‍ए मार्केट-मेकर तथा यूजर दोनों के स्तर पर अनुमोदन अगले उच्चतर प्राधि‍कारी के स्तर पर लि‍या जाना चाहि‍ए ।

छ) यह सुनि‍श्चि‍त करें कि‍ संवि‍दा की शर्तें सुलि‍खि‍त हैं, जि‍नमें रि‍स्क डि‍स्क्लोजर वि‍वरण के रूप में ग्राहक को प्रस्तावि‍त लेनदेन में अंतर्नि‍हि‍त जोखि‍म के बारे में बताया गया है । रि‍स्क डि‍स्क्लोजर वि‍वरण में एक वि‍स्तृत सि‍न्ॉरि‍यो एनालि‍सि‍स (दोनों सकारात्मक तथा नकारात्मक) तथा अंडरलाइंग मार्केट वेरि‍येबल्स जैसे ब्याज दर तथा मुद्रा दर आदि‍ के वि‍भि‍न्न संयोजनों के अंतर्गत मात्रात्मक आधार पर पेआउट्स, सि‍नारि‍यो एनालि‍सि‍स के लि‍ए पूर्वानुमान तथा काउंटर पार्टी से इस आशय की लि‍खि‍त प्राप्ति‍ सूचना प्राप्त करना कि‍ उन्होंने रि‍स्क डि‍स्क्लोजर वि‍वरण को पढ़ा तथा समझा है, होना चाहि‍ए ।

ज) गलतफहमि‍यों की संभावना से बचने के लि‍ए मार्केट-मेकर तथा यूजर के बीच के सभी महत्वपूर्ण संप्रेषण लि‍खि‍त होना चाहि‍ए अथवा बैठक की टि‍प्प्णों में रि‍कार्ड कि‍या जाना चाहि‍ए ।

  1. यह सुनि‍श्चि‍त करें कि‍ लेनदेन प्रचलि‍त बाज़ार दरों पर कि‍ए जाते हैं तथा उन लेनदेन से बचें जि‍नके परि‍णामस्वरूप लाभ अथवा हानि‍ की तेजी/आस्थगन हो ।

  2. ग्राहक वि‍वादों तथा शि‍कायतों के नि‍पटान के लि‍ए आंतरि‍क क्रि‍यावि‍धि‍यां स्थापि‍त की जानी चाहि‍ए । उनकी पूरी तरह जांच-पड़ताल की जानी चाहि‍ए तथा उन पर उचि‍त तथा त्वरि‍त कार्रवाई की जानी चाहि‍ए । वरि‍ष्ठ प्रबंध तंत्र तथा अनुपालन वि‍भाग/अधि‍कारी को सभी ग्राहक वि‍वादों तथा शि‍कायतों के बारे में नि‍यमि‍त अंतरालों पर अवगत कराया जाए ।

ट) बैंकों से यह अपेक्षि‍त है कि‍ वे कंपनि‍यों से बोर्ड संकल्प प्राप्त करें जि‍नमें नि‍म्नलि‍खि‍त बातें कही गयी हों :

(i) कंपनी के पास एक जोखि‍म प्रबंध नीति‍ है जो उसके बोर्ड द्वारा अनुमोदि‍त है तथा जि‍समें नि‍म्नलि‍खि‍त शामि‍ल हैं :

  • जोखि‍म की पहचान, माप और नि‍यंत्रण संबंधी दि‍शानि‍र्देश ।

  • पोजीशनों के पुनर्मूल्यांकन और नि‍गरानी के संबंध में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रि‍याएं और दि‍शानि‍र्देश ।

  • लेनदेन करने के लि‍ए प्राधि‍कृत पदाधि‍कारि‍यों के नाम और पदनाम और उन्हें दी गई सीमाएं ।

  • यह अपेक्षा कि‍ कि‍सी पदाधि‍कारी को एक नि‍र्दि‍ष्ट सीमा दी जाएगी और यदि‍ दी गयी सीमा मात्रात्मक रूप में न हो तो बैंक उक्त ग्राहक को तभी डेरि‍वेटि‍व उत्पाद ऑफर करेगा जब नि‍र्दि‍ष्ट सीमा देने के प्रमाणस्वरूप समुचि‍त दस्तावेज प्राप्त हो जाए ।

  • डेरि‍वेटि‍व लेनदेन के संबंध में अनुसरण की जाने वाली लेखांकन नीति‍ और प्रकटीकरण मानदंड ।

  • यह अपेक्षा कि‍ एमटीएम मूल्यांकन समुचि‍त रूप से प्रकट हो ।

  • यह अपेक्षा कि‍ प्रं€ट, मि‍डल और बैक ऑफि‍स के बीच कार्यों का पृथक्करण सुनि‍श्चि‍त हो ।

  • बोर्ड को आंकड़े सूचि‍त करने की प्रणाली जि‍समें लेनदेन की वि‍त्त्ीय स्थि‍ति‍ आदि‍ शामि‍ल हो ।

ii) लेनदेन करने के संबंध में कंपनी ने स्पष्ट दि‍शानि‍र्देश दि‍ये हैं और परि‍चालनों की आवधि‍क समीक्षा करने तथा वि‍नि‍यमों का अनुपालन सत्यापि‍त करने के लि‍ए लेनदेनों की वार्षि‍क लेखा परीक्षा करने के लि‍ए संस्थागत व्यवस्था की है ।

(ठ) बाजार नि‍र्माताओं को ऐसे यूजर्स के साथ डेरि‍वेटि‍व लेनदेन तब तक नहीं करने चाहि‍ए जब तक कि‍ वे बोर्ड का या समकक्ष मंच का एक संकल्प दें जि‍समें यह कहा गया हो कि‍ उनके पास बोर्ड अनुमोदि‍त जोखि‍म प्रबंध नीति‍ है जि‍समें ऊपर उल्लि‍खि‍त ब्यौरे हैं ।

यह भी नोट कि‍या जाए कि‍ `ग्राहक औचि‍त्य तथा उपयुक्तता' समीक्षा की जि‍म्मेदारी मार्केट मेकर की है । बैंकों को अपने अनुपालन अधि‍कारी से यह अपेक्षा करनी चाहि‍ए कि‍ वह बैंक के नि‍देशक मंडल को एक मासि‍क रि‍पोर्ट दे जि‍समें यह प्रमाणि‍त कि‍या गया हो कि‍ संदर्भि‍त अवधि‍ के दौरान बैंक द्वारा कि‍ये गये सभी डेरि‍वेटि‍व लेनदेनों में इस पैराग्राफ के दि‍शानि‍र्देशों सहि‍त सभी दि‍शानि‍र्देशों का अनुपालन कि‍या गया है ।

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